पहला मेंढक जो अंडे नहीं बच्चे देता है वैज्ञानिकों को इंडोनेशियाई वर्षावन के अंदरूनी हिस्सों में एक ऐसा मेंढक मिला है जो अंडे देने के बजाय सीधे बच्चे को जन्म देता है.

 वैज्ञानिकों को इंडोनेशियाई वर्षावन के अंदरूनी हिस्सों में एक ऐसा मेंढक मिला है जो अंडे देने के बजाय सीधे बच्चे को जन्म देता है.


एशिया में मेंढकों की एक खास प्रजाति 'लिम्नोनेक्टेस लार्वीपार्टस' की खोज कुछ दशक पहले इंडोनेशियाई रिसर्चर जोको इस्कांदर ने की थी. वैज्ञानिकों को लगता था कि यह मेंढक अंडों की जगह सीधे टैडपोल पैदा कर सकता है, लेकिन किसी ने भी इनमें प्रजनन की प्रक्रिया को देखा नहीं था. पहली बार रिसर्चरों को एक ऐसा मेंढक मिला है जिसमें मादा ने अंडे नहीं बल्कि सीधे टैडपोल को जन्म दिया. मेंढक के जीवन चक्र में सबसे पहले अंडों के निषेचित होने के बाद उससे टैडपोल निकलते हैं जो कि एक पूर्ण विकसित मेंढक बनने तक की प्रक्रिया में पहली अवस्था है. टैडपोल का शरीर अर्धविकसित दिखाई देता है.
इसके सबूत तब मिले जब बर्कले की कैलिफोर्निया यूनीवर्सिटी के रिसर्चर जिम मैकग्वायर इंडोनेशिया के सुलावेसी द्वीप के वर्षावन में मेंढकों के प्रजनन संबंधी व्यवहार पर रिसर्च कर रहे थे. इसी दौरान उन्हें यह खास मेंढक मिला जिसे पहले वह नर समझ रहे थे. गौर से देखने पर पता चला कि वह एक मादा मेंढक है, जिसके साथ करीब एक दर्जन लिसलिसे से बच्चे हैं.मैकग्वायर की यह रिसर्च साइंस पत्रिका 'प्लोस वन' में छपी है. वह बताते हैं, "दुनिया भर लगभग सभी मेंढकों में यानि करीब 6,000 से ज्यादा प्रजातियों में बाहरी निषेचन ही होता है. लेकिन यह मेंढक उन 10 या 12 प्रजातियों में से है जिनमें आंतरिक निषेचन होता है. उनमें से भी यह एकलौता ऐसा है जो बच्चे को जन्म देता है. जबकि बाकी मेंढक निषेचित अंडे देते हैं."
अफ्रीकी देशों में पाए जाने वाले कुछ मेंढकों में भी https://www.dw.comआंतरिक निषेचन होता है और वे फ्रॉगलेट को जन्म देते हैं जो कभी टैडपोल अवस्था से नहीं गुजरते. यूनीवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया से जारी बयान के मुताबिक कुछ मेंढक अंडों को पीछे की थैली में या मुंह के अंदर थैली में रखते हैं. पहले मेंढकों की दो ऐसी प्रजातियां भी मिली हैं जो बच्चे निकलने तक अंडों को खुद अपने ही पेट में रखते थे. अब खत्म हो चुकी मेंढक की इस किस्म में वे अपने निषेचित अंडों को खुद ही निगल जाते और तैयार हो जाने पर उन्हें मुंह से ही फ्रॉगलेट के रूप में बाहर निकालते थे. sabhar :http://www.dw.de/

टिप्पणियाँ