शुगर फ़्री से कैंसर होने के सुबूत पर अब भी क्यों उठ रहे हैं सवाल

 

  • जेम्स गैलेगर
  • पदनाम,स्वास्थ्य एवं विज्ञान संवाददाता
  • कृत्रिम स्वीटनर (खाद्य पदार्थों को मीठा करने वाला पदार्थ) एस्पार्टेम को ‘कैंसर के कारकों’ में वर्गीकृत किए जाने के बावजूद इसके सेवन को लेकर सलाह में कोई बदलाव नहीं किया गया है.

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन में विशेषज्ञों के दो समूह, हज़ारों वैज्ञानिक शोधों का अध्ययन कर रहे हैं.

  • ‘संभवतः कैंसर का कारण’ बताकर उसका वर्गीकरण करना आमतौर पर डर और असमंजस पैदा करता है, लेकिन इसका मतलब सिर्फ़ ये होता है कि मौजूदा सुबूत यक़ीन दिलाने के लिए नाकाफ़ी हैं.

  • अधिकतर लोग एस्पार्टेम की जो सुरक्षित उच्च सीमा है उससे कम ही खपत करते हैं, लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन की सलाह है कि जो लोग अधिक खपत करते हैं वो कम करें.

  • क्या है एस्पार्टेम
  • एस्पार्टेम l फ्री और डाइट खाद्य पदार्थों में पाया जाता है. ये पदार्थ प्राकृतिक चीनी से दो सौ गुणा अधिक मीठा होता है और इससे कैलोरी में खपत बेहद कम होती है.
  • कृत्रिम स्वीटनर (खाद्य पदार्थों को मीठा करने वाला पदार्थ) एस्पार्टेम को ‘कैंसर के कारकों’ में वर्गीकृत किए जाने के बावजूद इसके सेवन को लेकर सलाह में कोई बदलाव नहीं किया गया है.

  •  प्रसिद्ध ब्रांड के खाद्य पदार्थों में ये होता है वो हैं- डाइट कोक, कोक ज़ीरो, पेप्सी मैक्स, सेवन अप फ्री. लेकिन ये स्वीटनर सिर्फ़ पेयजलों तक ही सीमित नहीं है बल्कि क़रीब छह हज़ार खाद्य पदार्थों में ये मिलता है. इनमें टूथपेस्ट से लेकर च्यूइंग गम तक शामिल हैं.

  • इस रसायन को 1980 के दशक में लाया गया था और व्यापक रूप से उपलब्ध होने के बावजूद, बाज़ार में आने के बाद से ही ये विवादों में रहा है.

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन के पोषण और खाद्य सुरक्षा विभाग के निदेशक डॉ. फ्रांसेस्को ब्रांका से हमने यही सवाल किया कि स्वास्थ्य के लिए क्या बेहतर है- शुगर या स्वीटनर?

  • उन्होंने बताया, “अगर किसी के पास स्वीटनर के साथ कोला और शुगर के साथ कोला चुनने का विकल्प हो तो मुझे लगता है कि उसके सामने तीसरा विकल्प भी होना चाहिए, जो है सिर्फ पानी और मीठे खाद्य पदार्थों की खपत को पूरी तरह सीमित करना.”
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