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शुक्रवार, 30 दिसंबर 2011

ना अमेरिका, ना चीन, ये है दुनिया की सबसे खूंखार सेना

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दुनिया की सबसे ताकतवर और खतरनाक सेनाओं के बारे में पूछा जाए तो सबके जहन में अमेरिकी के मरीन कमांडोज का नाम आता है। लेकिन एक सेना ऐसी भी है जो अमेरिकी लड़ाकों को भी धूल चटा सकती है। यह विशेष बल है रूस की स्पिट्जनास।


स्पिट्जनास को दुनिया की सबसे खुफिया व खतरनाक सेना कहा जाए तो गलत नहीं होगा। इसके सैनिक किसी भी दुश्मन को चकमा देकर पटखनी देने में सक्षम होते हैं। शीत युद्ध काल में रूस की इस सेना का लोहा दुनिया ने माना था।

हालांकि शीत युद्ध को समाप्त हुए अरसा बीत चुका है, लेकिन स्पिट्जनास आज भी रूसी मिलिट्री का एक अहम हिस्सा है। स्पिट्जनास को खास मिशन के लिए इस्तेमाल किया जाता है। कोल्ड वॉर के समय इनका उपयोग दुश्मन के राजनीतिक और मिलिट्री प्रमुखों को ढूंढकर खत्म करने के लिए किया जाता था।

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फिल्म के लिए करवा डाला हॉट फोटोशूट, देखिए वीडियो

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इस साल एक फिल्म की एक्ट्रेसेज ने एक नई परंपरा की नींव डाल दी। पहले जहां किसी फैशन मैगजीन या कैलेंटर के लिए हॉट फोटोशूट करवाया जाता रहा है वहीं इस साल फिल्म 'लीथल कमीशन' के लिए इसकी एक्ट्रेस मधुरिमा तूली और अलंकृता डोगरा ने सेक्सी पोज देते हुए फोटोशूट करवा डाला।



इस फोटोशूट के बाद उम्मीद की जा रही है कि अब फिल्मों के सेट्स पर भी हॉट फोटोशूट्स होने लगेंगे। आनेवाली फिल्म 'लीथल कमीशन' के सेट पर फिल्म की अदाकारा मधुरिमा तूली ने जहां रेड बिकनी पहनकर जबरदस्त हॉट पोज दिए वहीं दूसरी अदाकारा अलंकृता डोगरा ने सेक्सी पोज देकर माहौल को और हॉट बना दिया।

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वीडियो देखकर अंदाजा लगाइए पर्दे पर किस तरह से आग लगाएंगी ये सेक्सी एक्ट्रेसेज, देखिए वीडियो...
 



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याना ने भी टॉपलेस होकर खूब दिखाए थे जलवे, देखिए तस्वीरें

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याना ने भी टॉपलेस होकर खूब दिखाए थे जलवे, देखिए तस्वीरें

 
Source: dainikbhaskar.com   |   Last Updated 8:23 AM (30/12/2011)
 
 
 
 
 

बॉलीवुड की हॉट बेब और आईटम गर्ल याना गुप्ता ने इस साल सुर्खियां बटोरने का कोई मौका नहीं छोड़ा|



पहले साल की शुरुआत में वह एक पार्टी में बिना अंतः वस्त्र पहने नजर आ गईं और वार्डरोब मॉल फंक्शन का शिकार होने के चलते सुर्ख़ियों में आईं| इसके बाद उन्होंने मई में एफएचएम मैगज़ीन के लिए हॉट फोटोशूट कराया जिसमें उन्होंने टॉपलेस होकर बहुत ही सेक्सी पोज दिए|



इस फोटोशूट के लिए याना को मोटी रकम मिलने की भी बात सामने आई थी| देखिए इस साल याना द्वारा कराए गए इस सेक्सी फोटोशूट की खास तस्वीरें:
 
 
 
 
 
 

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गुरुवार, 29 दिसंबर 2011

गॉड पार्टिकल के बहुत पास पहुंचा मानव

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दशकों की मशक्कत के बाद मानव सभ्यता का दावा है कि वह उस कण के बहुत पास पहुंच गई है, जिसने इस सृष्टि की उत्पत्ति की है. हिग्स बोसोन यानी गॉड पार्टिकल की तलाश लगभग पूरी हो गई और वैज्ञानिकों का दावा है कि इसका अस्तित्व है.

 
दुनिया की सबसे बड़ी प्रयोगशाला स्विट्जरलैंड के सर्न में चल रहे बरसों के प्रयोग के बाद मंगलवार को दुनिया भर के वैज्ञानिकों ने दावा किया कि हिग्स बोसोन कण अब पहुंच से दूर नहीं रहा. इस कण के बारे में करीब चार दशक पहले चर्चा शुरू हुई और विज्ञान का दावा है कि इसकी वजह से ही बिग बैंग विस्फोट हुआ, जिसके बाद यह पूरी कायनात बनी. हालांकि वैज्ञानिकों ने जोर देकर कहा कि अभी यह खोज पूरी नहीं हुई है.
इंग्लैंड में लीवरपूल यूनिवर्सिटी के थेमिस बोकॉक ने कहा, "अगर हिग्स की बात सही साबित हो जाती है, तो निश्चित तौर पर यह इस सदी की सबसे बड़ी खोजों में होगा. भौतिक विज्ञानियों ने धरती की रचना के बारे में अहम कड़ी को सुलझा लिया है, जिसका असर हमारे रोजमर्रा की जिंदगी पर पड़ता है."सर्न की महाप्रयोगशालासर्न की महाप्रयोगशाला
अद्भुत नजारा
कई मीटर लंबे हाइड्रॉन कोलाइडर में प्रयोग के बाद सर्न ने सनसनीखेज खुलासा किया. उनकी प्रेस कांफ्रेंस खचाखच भरी थी. सर्न के वैज्ञानिक ओलिवर बुखम्यूलर ने बताया कि दो अलग अलग प्रयोग के नतीजे एक ही दिशा में जा रहे हैं. हालांकि यहीं की महिला वैज्ञानिक फाबियोला जियानोटी ने सतर्कता भरे अंदाज में कहा, "मुझे लगता है कि हिग्स बोसोन यहीं है. लेकिन अभी इस बारे में आखिरी बयान देना थोड़ी जल्दबाजी होगी. अभी और ज्यादा रिसर्च की जरूरत है. अगले कुछ महीने बेहद दिलचस्प होने वाले हैं. मुझे नहीं मालूम कि क्या आने वाला है."
विज्ञान की धारणा है कि ब्रिटिश वैज्ञानिक पीटर हिग्स के नाम पर रखा गया बोसोन कण ही 13.7 अरब वर्ष पहले बिग बैंग विस्फोट का कारण था और इसकी वजह से आज ब्रह्मांड में जो कुछ है, उनका अपना द्रव्य है. अगर यह बात साबित हो जाती है कि विश्व को इलेक्ट्रोन और फोटोन की परिभाषाएं बदलनी होंगी. स्कूलों में भौतिकी की पढ़ाई बदल जाएगी. लेकिन अगर यह साबित नहीं हो पाता है तो इस सृष्टि का निर्माण फिर से पहेली बन कर रह जाएगा.
महान कामयाबी
पीटर हिग्सपीटर हिग्सविज्ञान में पिछले 60 सालों में इतनी बड़ी कामयाबी नहीं मिली है. सर्न के अंदर दो अलग अलग प्रयोग किए जा रहे हैं. इनका नाम एटलर और सीएमस है. दोनों का लक्ष्य हिग्स कण का पता लगाना है. मौजूदा वैज्ञानिक उपकरणों से इस कण के द्रव्यमान का पता नहीं लग सकता. इसलिए कई किलोमीटर लंबी सुरंगनुमा प्रयोगशाला तैयार की गई है, जिसमें तीन साल से भी ज्यादा समय से प्रयोग चल रहा है. यहां बिग बैंग विस्फोट जैसा माहौल तैयार किया गया है, ताकि इसके रहस्यों को समझा जा सके. इसे महाप्रयोग भी कहा जा रहा है.
अद्भुत बात है कि दोनों ही खोज के प्रमुखों ने दावा किया है कि उनके प्रयोग से एक जैसे नतीजे आ रहे हैं. दोनों इसे 124-125 गीगा इलेक्ट्रोनवोल्ट का बता रहे हैं. लेकिन अभी पूरी तरह बात नहीं बनी है. प्रयोग के दौरान जो कुछ भी निकल कर आया है, वैज्ञानिक भाषा में वह दूसरे स्तर तक को ही पार करता है, जबकि किसी खोज के लिए इसे पांच स्तरों तक पहुंचना जरूरी है. वैज्ञानिक अभी और आंकड़ों की मांग कर रहे हैं. उनका यह भी कहना है कि अगर गॉड पार्टिकल होता भी है, तो यह बहुत जल्दी क्षय हो जाने वाला या दूसरा रूप ले लेने वाला पदार्थ है.
रिपोर्टः रॉयटर्स, एपी/ए जमाल
संपादनः ओ सिंह
sabhar : DW-WORLD.DE

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स्किन फैक्टरी में बनेगी नकली त्वचा

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चार साल से छोटे लड़कों के जननांग से निकाली गई त्वचा से बिलकुल नई स्किन बन सकती है. जर्मनी की फ्राउनहोफर यूनिवर्सिटी ने रिसर्च पूरी कर ली है. इससे नई दवाइयों और कॉस्मेटिक उद्योग में बड़े बदलाव आ सकते हैं.

 
स्किन फैक्टरी, यह नाम किसी साइंस फिक्शन फिल्म का लगता है. लेकिन फ्राउनहोफर इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने सचमुच ऐसी मशीन बनाई है, जो त्वचा बनाती है. यह त्वचा दवाओं, रसायनों और कॉस्मेटिक के परीक्षण को आसान और सस्ता बना सकती है. साथ ही जानवरों पर इनके परीक्षण की जरूरत नहीं रह जाएगी.
त्वचा बनाने की यह मशीन सात मीटर लंबी, तीन मीटर चौड़ी और तीन मीटर ऊंची है. कांच की दीवार के पीछे रोबोट की छोटी बाहें काम कर रही हैं, पेट्री डिश को इधर उधर ले जा रहे हैं, खाल को खरोंच रहे हैं, एंजायम की मदद से ऊपरी त्वचा को सेल से अलग कर रहे हैं. संयोजी ऊतक और रंग वाली कोशिकाएं भी इस तरह पैदा की जाती हैं.
अहम रिसर्च
इस समय कोशिकाओं की आपूर्ति का काम चार साल तक के लड़कों के जननांग से निकाले गए अग्रभाग से किया जा रहा है. जर्मनी में श्टुटगार्ट शहर के फ्राउनहोफर इंस्टीट्यूट के प्रोडक्शन इंजीनियर आंद्रेयास टाउबे कहते हैं, "आदमी की उम्र जितनी बढ़ती जाती है, उसकी कोशिकाएं उतनी ही खराब काम करती हैं." कोशिकाएं विकसित करने के लिए स्टेमसेल पर भी शोध किया जा रहा है. टाउबे का कहना है, "महत्वपूर्ण बात यह है कि शुरुआती सेल एक जैसे स्रोत से आएं ताकि त्वचा के उत्पादन में अंतर से बचा जा सके."
डोनरों के हिसाब से हर नमूने से तीस लाख से एक करोड़ कोशिकाएं निकलती हैं जिनकी संख्या इंक्यूबेटर में सौ गुनी हो जाती है. एक सेंटीमीटर व्यास के 24 ट्यूबों वाले टिश्यू कल्चर प्लेट पर उनसे नई त्वचा का विकास होता है. नया एपीडर्मिस एक मिलीमीटर से भी पतला होता है. जब उन्हें शोधकर्ता जोड़ने वाली कोशिकाओं से जोड़ते हैं तो पूर्ण त्वचा बनती है जो पांच मिलीमीटर तक मोटी होती है. इस पूरी प्रक्रिया में छह हफ्ते तक लग सकते हैं. टाउबे कहते हैं, "इसे मशीन की मदद से भी तेज नहीं किया जा सकता, बल्कि जीव विज्ञान द्वारा निर्धारित होता है."
मुश्किल है रिसर्च
संयंत्र के अंदर सब कुछ पूरी तरह असंक्रमित होता है. इंक्यूबेटर के अंदर तापमान 37 डिग्री होता है. एक तापमान जिसमें बैक्टीरिया भी तेजी से बढ़ सकते हैं. त्वचा फैक्टरी में 24 टिश्यू कल्चर वाले 500 से अधिकों प्लेटों पर एक साथ काम होता है. फ्राउनहोफर इंस्टीट्यूट में इस तरह शोधकर्ता हर महीने त्वचा के 5000 नमूने तैयार करते हैं. लेकिन अब तक उन्हें कोई खरीदार नहीं मिला है क्योंकि अभी तक इस प्रक्रिया को यूरोपीय अधिकारियों से मान्यता नहीं मिली है. इसके लिए तुलनात्मक परीक्षणों की जरूरत होगी जो यह साबित कर सकें कि कृत्रिम त्वचा भी जानवरों की त्वचा जैसे नतीजे देते हैं. टाउबे कहते हैं, "मैं सोचता हूं कि नौ महीनों में हम शुरुआत कर सकते हैं." कृत्रिम त्वचा को खरीदने वाला उद्योग जगत होगा.
दवा उद्योग में बदलाव
जर्मनी में दवाइयां बनाने वाली कंपनियों के संघ के रॉल्फ होएम्के का कहना है कि नए तत्वों के विकास के लिए त्वचा के नमूनों का इस्तेमाल हो सकता है. वे कहते हैं, "हमारा विश्वास है कि कृत्रिम त्वचा की कोशिकाएं असली त्वचा जैसी हैं." अब तक त्वचा के नमूने छोटे पैमाने पर तैयार किए जाते थे, लेकिन होएम्के को उम्मीद है कि अब ऐसा बड़े पैमाने पर हो सकेगा. इसका इस्तेमाल कैंसर के शोध के अलावा पिगमेंट में गड़बड़ी, एलर्जी या फंगस की बीमारी के सिलसिले में किया जा सकेगा. श्टुटगार्ट में बनने वाली कृत्रिम त्वचा के नमूनों को सुरक्षा टेस्ट पास करने में सालों लग जाएंगे.इस तरह का परीक्षण दवाओं की मंजूरी के लिए भी जरूरी होता है. होएम्के कहते हैं, "इसमें अंतरराष्ट्रीय मानक बना हुआ है, उसकी प्रक्रिया को आप यूं ही बदल नहीं सकते."
चिकित्सा के क्षेत्र में भी कृत्रिम त्वचा की मांग है. 8 से 10 सेंटीमीटर चौड़े त्वचा के बैंडेज बाजार में उपलब्ध हैं और उन पर दो कंपनियों का कब्जा है. रिजेनरेटिव मेडिसीन सोसायटी की अध्यक्ष उलरिके श्वेमर कहती हैं कि और चौड़े बैंडेज के क्षेत्र में मांग बनी हुई है. टाउबे इसे भविष्य का सपना बता रहे हैं कि त्वचा फैक्टरी कभी न कभी इन्हें बनाना शुरू कर देंगी जिनका इस्तेमाल आग से जलने के कारण हुई घावों को भरने के लिए किया जा सकेगा. अभी तो आंख की त्वचा कोर्निया को बनाने पर काम चल रहा है.
रिपोर्ट: डीपीए/महेश झा
संपादन: ए जमाल  sabhar : DE-WORLD.DE

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रविवार, 25 दिसंबर 2011

धर्म और आस्था के नाम पर बलात्कार

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 धर्म और आस्था को ताक पर रख कर  कब तक धूर्त गुरु  लोगो से खिलवाड़  करते रहेगे | धर्म के नाम पर लोगों को मूर्ख बनाने की घटनायें भारत में  प्राचीन काल से सुनी और देखि जा सकती है | जहा एक तरफ प्रवचन  कहते है वही  दूसरे लोग  ढोग कहते है |

बड़े बड़े आश्रम में लडकिया लाई जाती जहा से वह वापस जाना नहीं चाहती है आखरी क्यों ? क्या इनके मन मंदिर को किसी चीज से बांध  दिया जाता है या इनके दिमाग को ब्रेन बॉस कर दिया जाता है | हम सब जानते है मनुष्य सामाजिक प्राणी है , तभी मनुष्य की मानसिक स्थिति वातावरण से परिवर्तित हो जाती है और धर्म गुरु जमकर उपभोग करते है| 

धर्म पर आस्था रखना बुरी बात नहीं है परन्तु अंधी आस्था अपने गुरु पर रखना पूरा जीवन बर्बाद कर सकती  है आज भारत के अलग अलग प्रान्त के  आश्रमों में लडकिया - महिलाये  धर्म गुरूओ का पाप झेलने के लिए मजबूर - लाचार है |   वशीकरण , तंत्र मंत्र , काला जादू , पूजा अर्चना , प्रवचन सभी का प्रयोग लड़के लडकियों के दिमाग को फेरने  के लिए  किया जाता है   ताकि आश्रम में रहने वाली लडकिया  और महिलाये घर का रुख न कर सके | जिदंगी भर गुलाम की जिदंगी काटते  रहे | 

 आज भी आश्रम में छोटी नादान बच्चियो के साथ हर रोज बलात्कार का नया पाठ रात होते ही  सिखाया जाता है | अगर स्त्री भूल से गर्भ वती हो गयी तो उसका  गर्भ पात करवा दिया जाता है नहीं तो किसी  चेले के साथ बाँध  विदा दिया जाता है | अगर जो  चेला चेली नहीं मानते  है तो उसे आश्रम के तहखाने में दफ़न कर दिया जाता है | 

बेचारा चेला अपने गुरु को हामी भरने के अलावा  नहीं कर पाता है वह भी गुरु मोह का शिकार है |  आश्रम  में रहने वाले लोग अपना मुह नहीं खोलते है मगर पीठ पीछे ही धर्म गुरु की पोल खोलने लगते है |   मेरे मित्र ने बताया था  हरिद्वार में ऐसा आश्रम जहा लड़के - लडकियों  को गंजा   करके पहले गेरूआ वस्त्र धारण करवाए जाते है फिर पूजा पाठ का ढोग करके   मन को परिवर्तित कर देते है फिर रात होते ही जोर जोर की आवाजो से आश्रम गुजने लगता है | 


उनके साथ आश्रम के लोग ही बलात्कार करते है | जिससे वह अपने घर नहीं  भाग सके | किसी से कुछ कह न सके |  दिन  के उजाले में पूजा  पाठ  - कथा कीर्तन - प्रवचन का शोर चलता है मगर सूरज अस्त होते ही सभी भोग वासना में  खो जाते है | यहाँ पर लडको को भी नहीं बक्शा जाता है कुछ बाबा और गुरु तो  लडकियों के बजाये लडको के बहुत शौकीन है |

हमारे शहर में गुरु जी आये तो काफी  लोग मोह में बह गए उसके साथ ही मेरी जाती बिरादरी की कन्या मोह में फस गयी, उसके बाद वह  सपरिवार गुरु जी के आश्रम में पहुचे तो कन्या घर आने को तैयार नहीं थी  | घर वाले परेशान आखिर क्या हो गया है फिर वह लड़की आश्रम में रहने लगी  थी  | न जाने उस लड़की पर कौन सा तंत्र  किया था |


 वह रिश्तेदारों के घर जाती तो अपनी आश्रम की कहानी सुनाती और लडकियो  को बहलाना फुसलाना शुरू कर दिया | मुझे याद है  वह अपनी मुफ्त की बाते  हमारी अम्मा को सुना रही थी तो पापा बरस पड़े |  बोले तुम चुप रखो हम सब जानते है आखिर तुम्हारे साथ क्या हुआ है  जो तुम्हारे साथ हुआ वही दूसरे  के साथ दोहराना चाहती हो | यह  बात करीव १५ साल पुरानी है तब से लेकर आज तक वह घर नहीं आयी है |

उसके बाद में उसकी  ही दो और बहने उसके नक़्शे कदम पर चलकर अपने घर को तिलांजलि देकर  चली गयी | आज भी तीनो बहने आश्रम में रह रही है | हमारे घर वाले बताते है तीनो बहनों के साथ बलात्कार करके ब्लैकमेल  करके फोटो बना ली थी | वह आज भी ब्लैक मेल की जिन्दगी बसर कर रही है |

आखिर यह क्या  है मुझे समझ में नहीं आता है   कृपा करके  मानव गुरुओ से बचकर  रहे नहीं तो किसी का  भी जीवन नरक हो सकता है |


यह लेख  साक्षात्कार.कॉम - साक्षात्कार.ओर्ग , साक्षात्कार टीवी.कॉम   संपादक सुशील गंगवार   ने लिखा है जो पिछले ११ साल से प्रिंट मीडिया , वेब मीडिया , इलेक्ट्रोनिक मीडिया के लिए काम कर रहे है उनसे संपर्क  ०९१६७६१८८६६  पर करे |
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गुरुवार, 22 दिसंबर 2011

आर्केमेडीज ने बर्निंग मिरर से पल भर में भस्म कर डाला था रोमन जहाज !

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तीसरी सदी ईसापूर्व के ग्रीक गणितज्ञ आर्केमेडीज ने उस समय जो सिद्धांत बनाए थे, वे आज भी इंजीनिरिंग साइंस का मार्गदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने कई एडवांस सैन्य तकनीकें भी विकसित की थीं। आर्केमेडीज से संबंधित मशहूर कहानियों में उनके बनाए बर्निग मिरर के किस्से भी पढ़े जा सकते हैं। यह एक विशाल कांच था, जिससे किसी भी चीज़ में आग लगाई जा सकती थी। वक्त के आगोश में ये मिरर भी कहीं खो गया और बाद में इस बात पर बहस होने लगी कि क्या वाकई कोई ऐसा आईना था?



कहा जाता है कि 212 ईसापूर्व में रोमन्स ने ग्रीक के सायराकूसे पर हमला किया था। ऐसे में आर्केमेडीज ने बर्निग मिरर से रोमन जहाजों पर सूर्य की रोशनी का प्रतिबिंब डालकर उन्हें जला दिया था। इस तरह उन्होंने ग्रीक को एक बड़ी नौसैनिक जीत दिलाई थी और रोमन्स को वहां से भागना पड़ा था। बाद में एक ग्रीक उत्सव के दौरान मौके का फायदा उठाकर मारकस क्लाउडिअस मार्सेलस ने सायराकूसे पर कब्जा कर लिया था।



12वीं सदी के बायजैंटीन इतिहासकार जॉन ट्ज़ीट्ज़ेस ने रोमन इतिहासकार डिओ कैसिअस (155 से 235 ईस्वी) की लिखित जानकारी के अनुसार बताया था कि यह मिरर षटकोण आकार का था। इस पर तांबे की पॉलिश थी और बहुत से छोटे आईने इसके आसपास लगे थे। एक फ्रेम में ये सभी फिट किए गए थे। मिरर सूर्य की रोशनी जमा कर उसे एक लेजर जैसी बीम बना देते थे।



17वीं सदी में डेस्क्रेट्स ने बर्निग मिरर को काल्पनिक बताया। फिर भी 1747 में जॉर्ज लुइस लेक्लेर्क और कॉम्टे डे बफॉन ने दावा किया कि उन्होंने इसी तरह 150 फीट दूर से एक खजूर का पेड़ जलाया है। तब से लेकर आज तक ऐसे कई प्रयोग किए गए हैं। इन्हें देखते हुए आर्केमेडीज के बर्निग मिरर के किस्सों को खारिज नहीं किया जा सकता। sabhar : bhaskar.com

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कैबिनेट ने मुस्लिम आरक्षण को मंजूरी दी

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नई दिल्ली. केंद्रीय कैबिनेट ने गुरुवार शाम को मुस्लिमों को आरक्षण को मंजूरी दे दी। ओबीसी के 27 प्रतिशत कोटे के अंदर 4.5 फीसदी कोटा अब मुस्लिमों का होगा।  
लोकपाल में भी अल्पसंख्यकों को आरक्षण, कमजोर लोकपाल से अन्ना नाराज
केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा है कि सरकार लोकपाल में बदलाव के लिए तैयार हैं। वहीं संसद में लोकपाल बिल पेश किए जाने के बाद प्रतिक्रिया देते हुए अन्ना हजारे ने कहा कि सरकार का लोकपाल भ्रष्टाचार को मिटा पाने में नाकाम साबित होगा। बिल को नकारते हुए अन्ना ने कहा कि जब तक बिल गरीबों को भ्रष्टाचार से मुक्ति नहीं दिलाता तब तक यह बेकार है।

इससे पहले सरकार ने इस साल सदन के पटल पर रखे गए पुराने लोकपाल बिल को वापस लेने का ऐलान किया और नया बिल सदन के पटल पर रखा। लोकपाल के मौजूदा प्रारूप को सदन ने मंजूरी भी दे दी है। अब 27 दिसंबर को इस बिल पर चर्चा होगी। लेकिन लोकपाल के पैनल में अल्‍पसंख्‍यकों को आरक्षण देने पर विपक्ष ने भारी एतराज जताया। लोकसभा की कार्यवाही दोपहर बाद साढ़े तीन बजे फिर शुरू हुई तो नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्‍वराज ने लोकपाल बिल के मौजूदा प्रारूप पर आपत्ति जताई और इसमें संशोधन कर सदन में वापस लाने की मांग की।

उन्‍होंने लोकपाल की बेंच के सदस्‍यों में आरक्षण की सीमा पर सवाल उठाते हुए कहा कि इस प्रावधान की भाषा ही असंवैधानिक है क्‍योंकि इसमें कहा गया है 50 फीसदी से कम आरक्षण नहीं होगा। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 फीसदी तय की है। 9 में से 5 सदस्‍यों के लिए आरक्षण का प्रावधान संविधान का उल्‍लंघन है। इसके अलावा इसमें धार्मिक आधार पर आरक्षण दिए जाने का संशोधन लाया जा रहा है जो बिल्‍कुल असंवैधानिक है। नियमों के तहत अन्‍य पिछड़ा, अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग के लिए आरक्षण का प्रावधान है, मजहब के आधार पर आरक्षण देना संवैधानिक नहीं है।

सुषमा स्‍वराज की आपत्तियों का सदन नेता प्रणब मुखर्जी तो मुंहतोड़ जवाब नहीं दे पाए लेकिन राजद प्रमुख लालू प्रसाद को मौका मिला तो उन्‍होंने कहा कि यह कोई सरकारी नौकरी नहीं है जहां 50 फीसदी से अधिक आरक्षण की अनुमति नहीं दी जा सकती है। लालू की इस टिप्‍पणी पर कांग्रेस सहित यूपीए के सहयोगी सांसदों ने जोरदार ठहाका लगाया। संसदीय कार्यमंत्री पवन बंसल ने तो मेज थपथपाकर लालू की टिप्‍पणी का समर्थन किया। राजद प्रमुख ने कहा कि अल्‍पसंख्‍यक का मतलब केवल मुसलमान ही नहीं बल्कि सिख, ईसाई, बौद्ध भी इसी श्रेणी में आते हैं।

लालू ने टीम अन्‍ना पर निशाना साधते हुए कहा कि विरोध प्रदर्शन से देश नहीं चलता है। उन्‍होंने कहा, ‘कल कोई कहेगा कि ये करो नहीं तो सोनिया, राहुल के घरों पर प्रदर्शन कराएंगे। यह कोई तरीका है। आंदोलन के डर से गलत काम नहीं होना चाहिए। मीडिया को लोकपाल के दायरे में क्‍यों डाला गया? यह बिल आनन-फानन में आया है इसलिए गंभीरता से विचार करने के बाद ही इसे सदन में पेश किया जाना चाहिए।’ लालू ने अन्‍ना हजारे को सेहत पर ध्‍यान देने की सलाह दी।

पीएम को लोकपाल के दायरे से बिल्‍कुल बाहर रखे जाने की वकालत करते हुए लालू ने कहा कि पूर्व सांसद की शिकायत को सात साल तक लोकपाल के दायरे में लाने की बात तो टीम अन्‍ना ने भी नहीं की थी। लेकिन ऐसा प्रावधान किया जाना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि सीबीआई को बिल्‍कुल भी लोकपाल के दायरे में नहीं लाया जाना चाहिए। लालू जिस वक्‍त अपना भाषण दे रहे थे, उस वक्‍त सोनिया गांधी भी मुस्‍कुराती दिखाई दीं। लालू अपनी बात खत्‍म करने में अधिक वक्‍त लेने लगे तो स्‍पीकर की कुर्सी पर बैठे फ्रांसिस्‍को सरडिन्‍हा को कहना पड़ा कि आप सदन की कार्यवाही को ‘हाइजैक’ मत कीजिए।

लालू प्रसाद को 15 मिनट और बाकी सांसदों को दो-तीन मिनट दिए जाने पर भाजपा नेता यशवंत सिन्‍हा ने सरदिन्हा पक्षपात करने का आरोप लगाते हुए कहा कि ये तो मनमानी है। सिन्‍हा ने कहा, ‘हम सुबह से बिल को पेश किए जाने का इंतजार कर रहे हैं। लेकिन सरकार ने तो बिल्‍कुल नौसिखुए की तरह जल्‍दबाजी में बिल तैयार किया है। हम इसका विरोध करते हैं।’


गुरुदास दासगुप्‍ता ने कहा कि लो‍कपाल बिल जल्‍दबाजी और किसी दबाव में पास नहीं होना चाहिए। इस पर प्रणब मुखर्जी ने कहा कि लोकपाल के लिए सभी सरकारों ने कोशिश की। लोकपाल जल्‍दबाजी का नतीजा नहीं है। इस पर मौजूदा सरकार ने अप्रैल से ही सभी दलों की सहमति लेने की कोशिश की। कानून की वैधता तय करना कोर्ट का काम है।

उन्‍होंने माकपा नेता के बयान पर टिप्‍पणी करते हुए कहा कि लोग सलाह देने से पहले ये बताएं कि वो अन्‍ना के पास क्‍यों गए?

लालू की जिद पर झुकी कांग्रेस!
इससे पहले लालू प्रसाद की लोकपाल में अल्‍पसंख्‍यकों के लिए आरक्षण की मांग पर कांग्रेस आखिरकार झुक गई। कांग्रेस कोर कमेटी ने बिल में संशोधन के जरिये अल्‍पसंख्‍यकों को लोकपाल में आरक्षण दिए जाने का फैसला कर लिया है। ऐसी खबर है कि ओबीसी कोटे के तहत ही यह आरक्षण दिया जा सकता है। इस मुद्दे पर पहले लालू ने सदन में हंगामा किया फिर सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने अल्‍पसंख्‍यकों के आरक्षण का मुद्दा उठाया। हंगामा बढ़ने के चलते लोकसभा की कार्यवाही पहले दो बजे और फिर साढ़े तीन बजे तक के लिए स्‍थगित करनी पड़ी। 
इस बीच, सरकार ने लालू को मनाने तथा लालू और शरद यादव को साथ लाने की कोशिश की। वित्‍त मंत्री मंत्री प्रणब मुखर्जी की शरद यादव और लालू के साथ बैठक हुई। इसके बाद लालू, प्रणब और असदुद्दीन सिद्दिकी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मिलने पहुंचे। पीएम ने शरद यादव से फोन पर बात की। शरद यादव ने ओबीसी कोटे के तहत अल्‍पसंख्‍यकों को आरक्षण दिए जाने का सुझाव दिया है। प्रणब, बंसल और नारायणसामी की पीएम से बैठक हुई। कांग्रेस कोर ग्रुप की इस बैठक में सोनिया गांधी और सलमान खुर्शीद भी शामिल हुए।

गुरुवार को लोकसभा की कार्यवाही शुरू होते ही लालू की अगुवाई में विपक्षी दलों के सांसद हंगामा और शोर-गुल करने लगे। लालू लोकपाल में अल्‍पसंख्‍यकों को आरक्षण की मांग कर रहे हैं कुछ सांसदों ने लोकपाल बिल की कॉपी नहीं मिलने पर हंगामा किया, वहीं कई सांसद कॉपी देर से मिलने से नाराज हैं। लालू की अगुवाई में विपक्षी दल के सांसद 'वेल' में पहुंच गए और लोकपाल बिल का विरोध करना शुरू कर दिया। लालू का कहना था कि अगर अल्‍पसंख्‍यकों के लिए आरक्षण की व्‍यवस्‍था नहीं की गई तो बिल पेश नहीं होने दिया जाएगा।

लालू ने बिल की कॉपी देर से मिलने की वजह बताते हुए कहा, ‘आरएसएस और बीजेपी ने अल्‍पसंख्‍यकों को इससे बाहर करने के लिए कांग्रेस पर दबाव डाला। इस वजह से संशोधन कर बिल की कॉपी बांटने में देर हो गई। सरकार को इस बिल को सुधार कर लाना चाहिए तब इसे पेश करना चाहिए।’  लालू ने कहा, 'आरएसएस और बीजेपी के दबाव से लोकपाल बिल से अल्‍पसंख्‍यकों को छांटा गया। ये साजिश है। सबसे खतरनाक बात ये है कि बीजेपी और आरएसएस के दबाव में बिल से मुस्लिम समुदाय के लिए 50 फीसदी आरक्षण उड़ा दिया गया।'

लोकसभा स्‍पीकर मीरा कुमार के बार-बार अनुरोध के बावजूद लालू सहित विपक्षी सांसद शांत नहीं हुए। स्‍पीकर ने कहा, 'लालू जी जो बिल अभी पेश ही नहीं हुआ है उस पर बात नहीं कीजिए।' आखिरकार स्‍पीकर को सदन की कार्यवाही दोपहर दो बजे तक स्‍थगित करनी पड़ी। कार्यवाही दोबारा शुरू हुई तो अल्‍पसंख्‍यकों के आरक्षण का मसला छाया रहा। मुलायम सिंह ने कहा, ' लोकपाल से अल्‍पसंख्‍यकों को क्‍यों निकाला गया? सच्‍चर कमेटी की रिपोर्ट को अभी तक लागू क्‍यों नहीं किया?'

हालांकि खाद्य सुरक्षा विधेयक लोकसभा में पेश कर दिया गया है। संविधान में 111वें संशोधन विधेयक को सदन ने पारित कर दिया है। sabhar : bhaskar.com

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रविवार, 11 दिसंबर 2011

पूनम का अबतक का सबसे हॉट विडियो सहवाग के नाम

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इंटरनेट की सनसनी बन चुकी मॉडल पूनम पांडेय ने इंडियन क्रिकेट टीम के सलामी बल्लेबाज वीरेंन्द्र सहवाग के दोहरा शतक मारने पर उन्हें खास तोहफा देने का फैसला किया था। अपने फैसला को पूरा करते हुए पूनम ने शाम में एक बहुत ही हॉट वीडियो अपलोड किया है। 
2 मिनट 19 सेकंड का यह वीडियो काफी उत्‍तेजक है। पूनम ने यह भी बताया कि उन्होंने सहवाग को तोहफे के तौर पर यह वीडियो अपलोड करने के कारण 2 मिनट 19 सेकंड का ही रखा है क्योंकि उन्होंने 219 रन बनाए हैं।
वीडियो अपलोड करते ही उनकी वेबसाइट पर उनके चाहने वालों की भीड़ लग गई है। 
पूनम का कहना है कि मेरे वेबसाइट पर इतना हेवी ट्रैफिक आ रहा है इससे लगता है कि कहीं इस बार भी वेबसाइट क्रैस न कर जाए।
यह विडियो देखने के लिए http://www.youtube.com/user/officialpoonampandey लॉगइन करें। 
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ओबामा ने दिया अमेरिका के बारे में चौंकाने वाला बयान

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वाशिंगटनः अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने एक ऐसी बयान दिया है जिससे सन्नाटा छा गया है। अमेरिकी अर्थव्यवस्था के सुधरने के लक्षणों के बावजूद उन्होंने कहा कि उसे पूरी तरह सुधरने में अभी भी वर्षों लगेंगे।

सीबीएस चैनल को दिए इंटरव्यू में ओबामा से पूछा गया था कि क्या उन्हें पद संभालते वक्त लगा था कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था को सुधारना कितना मुश्किल होगा। उन्होंने कहा कि मैं शुरू से जानता था कि यह लंबे समय का काम है। हमारी अर्थव्यवस्था में दो दशकों से जो ढांचागत समस्याएं आती गई हैं उन्हें उलटने में वक्त लगेगा।

ओबामा ने कहा कि उन्होंने कहा कि में सोचता था कि इसमें दो साल लगेंगे, एक टर्म लगेगा और दो टर्म लगेंगे। इसमें शायद एक से ज्यादा टर्म लगेगा।

जब ओबामा से पूछा गया कि अमेरिका में बेरोजगारी की दर घटकर 8 प्रतिशत अगले साल नवंबर तक हो जाएगी, तो उन्होंने कहा कि यह संभव है। ओबामा का अगला टर्म देश में बेरोजगारी घटने पर निर्भर करेगा।


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65 लाख का पैकेज और फेसबुक का फेस बदलने की जिम्मेदारी मिली

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संडे स्पेशल स्टोरी.संडे स्पेशल स्टोरी. 21 साल की राधिका मित्तल आईआटी खड़गपुर की पहली ऐसी छात्रा बन गई हैं जिनको फेसबुक ने 65 लाख का जॉब ऑफर किया है। राधिका मित्तल सहित आईआईटी खड़गपुर के चार छात्रों को 65 लाख का जॉब ऑफर किया है। राधिका एक ऐसे परिवार से आती है जहां कामर्स का बोलबाला रहा है लेकिन उन्होंने अपने लिए सांइस की तकनीकी दुनिया का चुनाव किया और आईआईटी के रास्ते फेसबुक टीम का हिस्सा बनने जा रही है।
आईआईटी खड़गपुर की कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग की छात्रा राधिका मित्तल ने दैनिक भास्कर डॉट कॉम के राजेश यादव से अपनी सफलता से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर बातचीत की..

प्रश्न. फेसबुक की तरफ से इतना बड़ा ऑफर आपको कैसे मिला? चयन प्रक्रिया से जुड़ी खास बातें क्या रहीं?
राधिका मित्तल.फेसबुक की टीम ने कई चरणों में टेस्ट लिया था जिसमें र्टिन टेस्ट और साक्षात्कार शामिल था। मुझे अपने चयन की खबर इंस्टीट्च्यूट के नोटिस बोर्ड से पता चली थी जहां रिजल्ट लगाया गया था। पहले टेस्ट में तो मेरा लीखित एक्जाम बेहतर नहीं रहा था तब लगा था कि फेसबुक की नौकरी तो गई हाथ से। लेकिन अगले टेस्ट के लिए मेरा चयन हुआ और बाद के दोनों टेस्ट और साक्षात्कार शानदार रहे और मुझे उम्मीद बनी कि मेरा चयन हो सकता है।
प्रश्न. फेसबुक की चयन प्रक्रिया में क्या खास बातें थी? फेसबुक की टीम के साथ साक्षात्कार का अनुभव कैसा रहा?
राधिका मित्तल.फेसबुक की टीम के तीन सदस्यों ने टेस्ट लिया था जिसमें दो भारतीय और एक अमेरिकन थे।मुझे लगता है कि फेसबुक टीम का ज्यादा फोकस हमारी सोच को जांचना था। उन्होंने जिस तरह के प्रोग्रामिंग टेस्ट लिए, हमें प्रश्नों को साल्व करने और इम्प्रू करने का अवसर दिया, उसे और बेहतर बनाने के लिए प्रेरित किया वह अपने आप में एक शानदार अनुभव रहा। हमारा पहला टेस्ट अक्टूबर माह से शुरु हुआ था और दिसंबर माह में प्रक्रिया पूरी हुई और पहले राउंड में कोडिंग और प्रोग्रामिंग और उसके बाद इंटरव्यू की प्रोसेस रही। फेसबुक की टीम के साथ प्रश्न साल्व करने में मजा आ रहा था , साक्षात्कार के दौरान भी सामान्य बातचीत के साथ आपकी सोच को जानने वाले प्रश्न अधिक पूछे गए थे।
प्रश्न. फेसबुक की तरफ से 65 लाख के जॉब के ऑफर के बारे में परिवार की प्रतिक्रिया कैसी रही?
राधिका मित्तल.देखिए फेसबुक के ऑफर के अलावा मेरे पास भारत में आईबीएम इंडिया रिसर्च लैब से भी जॉब का अच्छा ऑफर था । फेसबुक के लिए मुझे कैलिफोर्निया जाने की बात पर शुरु में मां को कुछ संकोच था लेकिन बाद में परिवार ने आपसी बातचीत के दौरान इस बात पर फैसला लिया कि मुझे फेसबुक को जॉब स्वीकार करना चाहिए क्योंकि मुझे वहां सीखने का ज्यादा असवर मिलेगा।
प्रश्न. अपने माता पिता और परिवार के बारे में कुछ बताएं?
राधिका मित्तल.मेरे पिता श्री सुनील मित्तल और माता श्रीमती सुनीता मित्तल  है। मेरे भाई अक्षय मित्तल ने एमबीए किया है। हमारा घर जूट के बिजनेस से भी जुड़ा हुआ है और अधिकांस लोग कार्मस विषय से संबंधित है। जब मैनें साइंस में अपना करयिर बनाने का विचार किया था तो मुझे भी कहा गया कि कार्मस अच्छा विषय हो सकता है लेकिन जब मैनें अपनी व्यक्तिगत पसंद विज्ञान बताई तो मुझे मेरे घर का पूरा सपोर्ट मिला। माता पिता का समर्थन तो हमेशा मेरे साथ था इसके साथ ही मेरे दादा जी श्री प्रेमचंद मित्तल और मेरी दादी श्रीमती मनी मित्तल ने मेरा हौसला हमेशा बढ़ाया। परिवार के समर्थन से ही मैं इतनी बढ़ी सफलता हासिल करने में कामयाब रही हूं।
प्रश्न. आपका रोल मॉडल कौन रहा है?
राधिका मित्तल .प्रोफेसर डीना कताबी और सिल्विया रत्नासामी मेरे रोल मॉडल है। मैं इन दो लोगों से बहुत प्रभावित हूं।
प्रश्न. आपकी हॉबी क्या है? 
राधिका मित्तल . मुझे फ्किशन बुक पढ़ने का शौक है। डैन ब्राउन और चेतन भगत जैसे लेखकों की किताबें अच्छी लगती है। वैसे मुझे इंग्लिश सांग और ए. आर रहमान का संगीत बेहद पसंद है, रोजा फिल्म का संगीत और हाल ही में नादान परिंदे घर आ जा मुझे बहुत अच्छे लगते हैं।
प्रश्न. सोशल नेटवर्किग वेबसाइटों का भविष्य कैसा है?
राधिका मित्तल .वर्ततान ट्रेड को देखें तो ब्राइट फ्यूचर है। मोबाइल तकनीकि और बेहतर हो जाने के बाद इस तरह की वेबसाइटो का क्रेज बढ़ा है। और भी बेहतर तकनीकि मोबाइल फोनों में आ रही है और लोग इंटरनेट का उपयोग अब मोबाइल के द्वारा करते हुए इन साइटों से जुड़ रहे हैं। लेकिन ऐसा भी देखने में आया था कि एक समय ऑरकुट का बहुत बोलबाला था लेकिन फेसबुक के आने के बाद यूजर इस तरफ बहुत तेजी से शिफ्ट हो गया। फिलहाल फेसबुक बेहतर स्थिति में है और उम्मीद है इस तरह की सोशल नेटवर्किग वेबसाइट को अभी और भी नए यूजर मिलेंगे।
प्रश्न. आप फेसबुक में किस तरह के बदलाव करना पसंद करेगीं?
राधिका मित्तल.फिलहाल तो ऐसा कुछ विशेष सोचा नहीं है। जब जॉब ज्वाइन करुगीं और जिस तरह के टॉस्क दिए जाएगें उस हिसाब से कुछ नया करने का प्रयास होगा। वैसे मुझे बैगग्रांउड वर्ग में काम करना बहुत पसंद है। मेरे हिसाब से फेसबुक की प्राइवेसी सेटिंग के ऑप्शन को और बेहतर किया जा सकता है।
प्रश्न. फेसबुक ने आपको 65 लाख का जॉब ऑफर किया है। कुछ सोचा है इस पैसे को कैसे खर्च करना है?
राधिका मित्तल. देखिए कैलिफोर्निया की लाइफ स्टाइल के हिसाब से तो वहां खर्चा भी खूब होगा। लेकिन पैसे बचाने के साथ मैं अपने माता पिता और परिवार पर खर्च करना पसंद करुगीं। फिलहाल अभी जॉब लेटर का इंतजार कर रही हूं ।
प्रश्न. अपने स्कूल डेज लाइफ के बारे में कुछ बताएं?
राधिका मित्तल.मेरी प्रारंभिक शिक्षा बिरला हाई स्कूल कोलकोत्ता से हुई हैं। शुरु से ही पढ़ने में मेरा लगाव था और इसमें में अच्छी थी।इसके अलावा खेल मुझे अच्छा लगता था। भौतिकी की प्राब्लम साल्व करना मुझे बहुत अच्छा लगता था। मेरे करियर लाइफ में आईआईटी की तैयारियों के दौरान फिटजी में मिला मार्गदर्शन मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
प्रश्न. करियर के चुनाव में युवाओं को किस बात का खास ध्यान रखना चाहिए? आप हमारे युवा रीडरों को क्या संदेश देना चाहोगी?
राधिका मित्तल.यंग रीडर को मैं कहना चाहूंगी किसी को देखकर अपना करियर मत बनाओं। आपको क्या अच्छा लगता है? आप क्या करना चाहते हो? अपनी पंसद को चुनो और आगे बढ़ो। मेरे परिवार में सभी लोग कामर्स फिल्म से हैं लेकिन मैनें अपनी पंसद साइस को चुनाव किया था इसलिए मैं तो यही कहूंगी हमें जो अच्छा लगता है जिसमें हमारी महारत हैं वहीं करना चाहिए। sabhar : bhaskar.com
 
 

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गैंगरेप कर बनाया अश्लील MMS, इसे हथियार बना अब...

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मथुरा। यहां एक नाबालिग लड़की के साथ गांव के ही चार लड़कों ने गैंग रेप किया। रेप के दौरान लड़की का एमएमएस बनाते रहे। जब लड़की के परिवार वालों ने विरोध किया तो उन्हें इज्जत की दुहाई देकर ब्लैकमेल करने लगे।

आखिरकार परिजनों ने रिफाइनरी थाना क्षेत्र में शिकायत दर्ज कराई है। पुलिस ने मामला दर्ज कर आरोपियों की तलाश शुरू कर दी है।

जानकारी के मुताबिक, गांव नगला सीता में रहने वाली एक नाबालिग लड़की के साथ गांव के ही चार लड़कों ने गैंग रेप किया था। इस दौरान उन्होंने एमएमएस तैयार कर लिया। घटना के बाद लड़की ने घर पहुंचकर सारी बात बताई। बदनामी के डर से परिजनों ने पुलिस से शिकायत नहीं की। बाद में आरोपियों ने परिजनों को पैसों के लिए ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया।

पुलिस के मुताबिक, मामला दर्ज करके चारों आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए दबिश डाली जा रही है।
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अमेरिकी सेना में सुरक्षित नहीं है महिलाओं की आबरू

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वॉशिंगटन. दुनिया की चोटी की सेनाओं में शुमार अमेरिकी सेना का एक स्याह सच सामने आया है। अमेरिकी सेना में यौन अपराधों की लंबी चौड़ी फेहरिस्त है, जिनमें कई रोंगटे खड़े कर देने वाली सच्चाई छुपी हुई है। अमेरिकी सेना में तैनात महिला सैनिकों के लिए हालात इतने बिगड़ गए हैं कि अमेरिका में यह कहा जाने लगा है कि कोई दुश्मन अमेरिकी महिला सैनिक को मारे इससे कहीं ज़्यादा आशंका इस बात की रहती है कि इराक में तैनात अमेरिकी महिला सैनिक को उसका साथी ही 'शिकार' बना ले।

 
यह मामला इतना गंभीर है कि अमेरिकी फौज से रिटायर हो चुके कई पुरुष और महिलाओं ने अमेरिकी रक्षा मुख्यालय पेंटागन के खिलाफ मुकदमा किया है। मुकदमा करने वालों में 25 महिलाएं और तीन पुरुष शामिल हैं (मुकदमा कायम करते समय कुल लोगों की तादाद महज 17 थी)। इन लोगों का दावा है कि सशस्त्र सेनाओं में ड्यूटी के दौरान यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है।

इन लोगों ने पूर्व रक्षा मंत्रियों डोनाल्ड रम्सफील्ड और रॉबर्ट गेट्स पर ऐसी संस्कृति को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है, जिसमें उन महिलाओं और पुरुषों को सज़ा दी जाती है जो यौन उत्पीड़न की शिकायत करते हैं।


यह मुकदमा फरवरी में सामने आया था। तब से और ऐसे 400 लोग सामने आए हैं, जिन्होंने सेना में यौन उत्पीड़न की शिकायत की है। इस मुकदमे को सुजैन बर्क लड़ रही हैं। ये सभी लोग इस समय अदालत के उस फैसले का इंतजार कर रहे हैं, जिसमें उसे यह तय करना है कि इस मामले में ट्रायल शुरू होगा या नहीं।

रक्षा मंत्रालय के वकील ने 1950 के एक अदालती फैसले के हवाले से इस मुकदमे को खारिज करने की अपील की है। 1950 में कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि सेना में ड्यूटी के दौरान चोट लगने पर सरकार उसके लिए जिम्मेदार नहीं होगी।


लेकिन जानकार मानते हैं कि यह मुकदमा आगे चले या नहीं, लेकिन इस पूरी कोशिश ने अमेरिकी सेना के काले सच से पर्दा उठा दिया है। अमेरिकी रक्षा विभाग के डिपार्टमेंट एसएपीआरओ की 2010 की रिपोर्ट के मुताबिक  पिछले साल अमेरिकी सेना में यौन अपराधोंके 3,158 मामले दर्ज किए गए। लेकिन इनमें से महज 529 ही कोर्ट तक पहुंच सके और इनमें भी 104  में ही सज़ा मिल पाई।

लेकिन ये आंकड़े सच का सिर्फ एक छोटा हिस्सा भर हैं। यौन अपराधों के ज़्यादातर मामले तो दर्ज ही नहीं हो पाते हैं। एसएपीआरओ का ही आकलन है कि पिछले साल ही सेना के भीतर यौन अपराधों के 19,000 ऐसे मामले हुए, जिन्हें दर्ज नहीं किया गया।

अमेरिका में बुजुर्गों से जुड़े विभाग ने एक स्टडी की है, जिसके मुताबिक सेना में तैनात हर तीन महिला सैनिकों में से एक ड्यूटी के दौरान यौन हिंसा का सामना करती है। जबकि सिविल सोसाइटी में यह आंकड़ा हर छह महिलाओं में से एक का है। sabhar : bhaskar.com



 
 
 

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शुक्रवार, 9 दिसंबर 2011

वीडियो में देखें कैसे खुले पार्क में मना रहे थे रंगरलियां, तभी आ धमके...

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गाजियाबाद।  बात एक हफ्ते पहले की है। इस दिन साहिबाबाद के राम मनोहर लोहिया पार्क में प्रेमी जोड़ों मस्त थे। तभी एक महिला दरोगा पूरे दलबल के साथ अचानक पार्क में पहुंच जाती हैं और वहां मौजूद नौजवानों पर बिजली बनकर गिरती हैं। जोड़ों को पकड़ कर समझाने और दंड देने का काम करती है। साहिबाबाद इलाके के राम मनोहर लोहिया पार्क में इन दिनों ऑपरेशन मजनूं अभियान चला है। यहां गाजियाबाद पुलिस की टीम छापामार दस्ते की तरह कभी भी, कहीं भी अचानक धमक पड़ती है और फिर शुरू हो जाता है खाकी का खौफ दिखाने का सिलसिला। वीडियो में आप देखिए ऑपरेशन मजनूं...
साभार एएनआई   sabhar : bhaskar.com
 

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मौज या 'मानसिक' बीमारी, अमेरिका में युवाओं के बीच न्यूड पार्टी की खुमारी

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न्यूयार्क में कुछ युवा आजकल नग्नता को बढ़ावा दे रहे हैं, उनका सोचना है कि आने वाले समय में नग्नता निंदा का विषय नहीं रहेगा और समाज के हर तबके द्वारा इसे स्वीकार किया जाएगा। 

बीते 19 नवंबर को न्यूयार्क के सोहो क्षेत्र के 18 से 40 वर्ष के कुछ फैशनेबल पुरूषों और महिलाओं द्वारा नग्नता की पहली वर्षगांठ मनाने के लिए एकत्रित हुए, जहां सभी लोग पूरी तरह नग्न थे। 

इस पार्टी में उपस्थित सभी नग्न लोगों ने एक-गूसरे से बात की, शराब पी और खूब एन्जॉय किया। इन लोगों ने आशा जताई कि भविष्य में होने वाली इस तरह की पार्टियों में अधिक से अधिक लोग नग्न होगें और न्यूडिज़्म को बढ़ावा देंगे। sabhar : bhaskar.com

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होटल का गेट खोलते ही दंग रह गई पुलिस, न्यूड हो रंगरेलियां...

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मेरठ। शहर में दिल्ली रोड पर स्थित एक होटल में गुप्त सूचना मिलने पर रेड मारने पहुंची पुलिस ने ज्यों ही कमरे का गेट खोला भौंचक्की रह गई। यहां कमरे के अंदर कई प्रेमी जोड़े न्यूड होकर अश्लील हरकतें करते हुए मिले।

पुलिस के आने की सूचना मिलने पर यहां भगदड़ मच गई। सभी जोड़ों को गिरफ्तार कर लिया गया। कुछ देर बाद इनको बिना कानूनी कार्रवाई किए छोड़ दिया गया।

जानकारी के मुताबिक दिल्ली रोड पर स्थित एक होटल में प्रेमी युगलों द्वारा अश्लील हरकतें करने की सूचना टीपीनगर पुलिस को मिली। पुलिस मौके पर पहुंची और तलाशी के दौरान होटल के कमरों से दो प्रेमी युगल को आपत्तिजनक स्थिति में पकड़ लिया। यहां जमा भीड़ ने बताया कि यहां आए दिन शराब और अय्याशी का धंधा चलता है।

पुलिस होटल से पकड़े गए जोड़ों को साथ ले आई। सभी के परिजनों को सूचित किया। परिजनों से बातचीत के बाद युवतियों को उनके हवाले कर दिया। यहां जब पुलिस से कार्रवाई के संबंध में मीडिया ने पूछा तो पुलिस ने कुछ भी साझा करने से इंकार कर दिया। sabhar: bhaskar.com

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रेलवे कुली था, अब दुनिया के सबसे दौलतमंदों में है

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जी हां, यह दास्तान एक ऐसे व्यक्ति की है जिसका बचपन बेहद कठिन परिस्थितियों में गुजरा और जिसने बहुत तकलीफें उठाईं लेकिन आज वह दुनिया के सबसे अमीर लोगों में है। हम बात कर रहे हैं जॉर्ज सोरोस की जो आज 22 अरब डॉलर की हस्ती हैं।



1930 में जॉर्ज सोरोस का जन्म हंगरी में हुआ था। उनके माता पिता यहूदी थे और एक लेखक थे लेकिन वहां जर्मन नाजियों का कब्जा हो जाने के बाद उन्हें 13 साल की उम्र में उन्हें यहूदी काउंसिल में नौकरी करनी पड़ी। 1947 में वे हंगरी के एक अमीर व्यक्ति के साथ इंग्लैंड भाग गए और अपने चाचा के साथ रहने लगे। चाचा ने दया करके उन्हें लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में दाखिला दिला दिया। लेकिन सोरोस के पास खर्च के लिए पैसे नहीं थे इसलिए उन्होंने रेलवे कुली, वेटर और समुद्र के किनारे सामान बेचना शुरू किय़ा। वह बेहद गरीबी में दिन गुजार रहे थे।



पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्हें नौकरी ढूंढ़ने में बहुत परेशानी हुई। किसी तरह से उन्हें एक बैंक में छोटी सी नौकरी मिली और फिर वे उसमें लग गए। तंग आकर 1956 में वे अमेरिका चले गए जहां उन्होंने एनालिस्ट की नौकरी कर ली। बाद में वे एक और कंपनी में चले गए और वहां वाइस प्रेसीडेंट बन गए। 1967 में उन्होंने अपनी कंपनी को एक निवेश फंड कंपनी बनाने के लिए मना लिया। उनकी कंपनी ने 1969 में उनके लिए डबल ईंगल हेज फंड बनाया। 1970 में उन्होंने सोरोस फंड मैनेजमेंट बनाया और उसके चेयरमैन बन गए। उन्होंने क्वांटम फंड भी शुरू किया। उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। निवेश की दुनिया उन्हें भा गई और देखते-देखते वह दुनिया के सबसे बड़े निवेशकों में आ गए। उन्हें फाइनेंस की दुनिया का जादूगर माना जाता है।



सोरोस अपना अतीत नहीमं भूले हैं और वे दुनिया भर में दान करते रहते हैं। 2011 तक उन्होंने 8 अरब डॉलर शिक्षा, स्वास्थ्य़ के लिए दान कर दिया था। अभी भी वह जनकल्याण के लिए दान करते रहते हैं। sabhar :bhaskar.com

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मछली खाने से नहीं होता अल्‍जाइमर

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मांसाहारी लोगों के लिए अच्‍छी खबर है। शोधकर्ताओं का कहना है कि जिन लोगों के खान-पान में मछली शामिल होती है, उनका मानसिक स्वास्थ्य अच्छा रहता है और साथ ही वे अल्जाइमर जैसी खतरनाक बीमारी के खतरे से भी दूर रहते हैं।
पिट्सबर्ग विश्वविद्यालय के मेडीकल सेंटर के सायरस राजी का कहना है कि मछली का मांस  मस्तिष्क की संरचना और अल्जाइमर के खतरे के बीच संबंध स्थापित करता है

जो लोग प्रति सप्ताह कम से कम एक बार सिकी हुई या उबली हुई मछली खाते हैं उनके मस्तिष्क की संरचना में ग्रे मैटर क्षेत्र संरक्षित रहता है। अल्जाइमर बीमारी में मस्तिष्क के इस हिस्से की खास भूमिका होती है।

अल्जाइमर बीमारी का कोई इलाज नहीं है। यह बीमारी धीरे-धीरे बढ़ती जाती है। इससे व्यक्ति की याददाश्त और बोध क्षमता धीरे-धीरे कम होती जाती है। sabhar : bhaskar.com

 

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हॉट फिगर के लिए बहुत कुछ खोया है नेहा ने

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नेहा धूपिया बॉलीवुड की उन हॉट एक्‍ट्रेस में से है जो अपनी फिटनेस को लेकर काफी कॉन्शस हैं। उनका कहना है कि ग्‍लैमर वर्ल्‍ड में अपनी जगह बनाए रखने के लिए फिटनेस पर काफी ध्‍यान देना पड़ता है यही नहीं स्‍वाद से भी समझौता करना पड़ता है। मैं हफ्ते में दो से तीन बार वेट ट्रेनिंग और कार्डियो करना नहीं भूलती। कार्डियो करने से स्टेमिना बढ़ता है। जब भी समय मिलता है , तो स्कवैश खेलती हूं। अक्सर स्वीमिंग करने भी जाती हूं। कभी - कभार योगा की प्रैक्टिस भी करती हूं।

मैं अपने दिन की शुरूआत एक गिलास गर्म पानी के साथ करती हूं। उसमें शहद व नीबू मिला लेती हूं। नाश्ते में पांच बादाम और एक बाउल फू्रट्स लेना पसंद है। इसके बाद मिड नाइट या आफ्टरनून में चार उबले अंडे को ब्राउन ब्रेड के साथ लेती हूं। लंच में आमतौर पर चावल , रोटी , सब्जी , दाल और स्प्राउट्स लेती हूं। ग्रीन - टी लेना पसंद है। तकरीबन 7 बजे डिनर से पहले ग्रिल्ड वेजिटेबल और सलाद लेना प्रिफर करती हूं।
लेकिन इन दिनों मैं माइक्रोबाइटिक डाइट पर हूं। यह 80 प्रतिशत ऑर्गेनिक है। मैं ऐसी कोई चीज नहीं खाती , जिसमें न्‍यूट्रिशन न हो। मुझे फ्रेश पकी सब्जियां , फ्रेश फू्रट्स और वेजिटेबल जूस लेना पसंद है। मुझे रेडमीट पसंद है फिर भी मैं बहुत कम खाती हूं। सबसे ज्यादा घर का खाना पसंद है क्योंकि यह ताजा होता है।  sabhar : bhakar.com

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रेयरेस्ट ऑफ द रेयर: लड़की बनी है विज्ञान जगत के लिए पहेली!

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रेयरेस्ट ऑफ द रेयर: लड़की बनी है विज्ञान जगत के लिए पहेली! 

लखनऊ। यूपी की राजधानी लखनऊ के आलमबाग की रहने वाली ट्विंकल द्विवेदी विज्ञान जगत के लिए एक पहेली बनी हुई है। यह जब रोती है तो इसके आंखों से आंसू नहीं खून निकलते हैं।

जुलाई, 2007 से अचानक इस बीमारी से पीड़ित इस लड़की को किसी वक्त भी बिना किसी खरोंच, घाव, चोट के, आंख, नाक, गर्दन, से खून निकलना शुरू हो जाता है। अमेरिकी हीमेटोलॉजिस्ट एक्सपर्ट डॉक्टर जार्ज बुचानन ने मुंबई के एक अस्पताल में ट्विंकल की जांच की, लेकिन वो भी किसी किसी निष्कर्ष पर पहुंचने में नाकाम रहे।

ट्विंकल को दिन में लगभग 50 बार यह रक्तस्त्राव होता है जिसकी वजह से रोजाना उसका कुछ लीटर खून बेकार बह जाता है। इस परेशानी की वजह से ट्विंकल की पढ़ाई भी दो साल से छूट चुकी है। अचानक रक्तस्त्राव के कारण वह जिस भी स्कूल में पढ़ती है उसे वहां से निकाल दिया जाता है।

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