गुरुवार, 29 मई 2014
चीनी व्यक्ति ने बनाया स्कूटर वाला सूटकेस
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बीजिंग। पहिए वाले सूटकेस में सामान तो आप भी ले गए होंगे, लेकिन अगर आपसे कहा जाए कि सूटकेस पर आप सफर भी कर सकते हैं। जी हां, चीन के एक व्यक्ति ने ऐसा सूटकेस वाला स्कूटर तैयार किया है, जिसे चलाकर वो अपनी मंजिल तक जा सकता है।
ही लियांगसाई चीन के हनान क्षेत्र में रहते हैं। उन्होंने चांगशा ट्रेन स्टेशन के पास अपने इस अनोखे सूटकेस का प्रदर्शन किया। इस स्कूटर का वजन 7 किलोग्राम है और यह दो लोगों को लेकर चल सकता है। इससे 20 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से 50-60 किमी तक की दूरी तय की जा सकती है। इसमें जीपीएस सिस्टम और अलार्म भी लगा है। ही पेशे से किसान हैं और उन्हें इस स्कूटर को बनाने में दस साल का समय लगा। इसे एक इलेक्ट्रिक स्कूटर के जरिए बनाया गया है, जिसे एक सूटकेस में फिट किया गया है। ही एक प्रतिष्ठित खोजकर्ता हैं। उन्हें 1999 में इस क्षेत्र में पुरस्कार भी मिल चुका है।
कई और खास सूटकेस
कई साल पहले माजदा ने एक सूटकेस कार का निर्माण किया था। इसे सबसे पहले 1991 में डिजाइन किया गया था। हाल ही में मध्य प्रदेश के इंदौर शहर के पांच छात्रों ने एक इको फ्रेंडली सूटकेस कार बनाने में सफलता हासिल की। इस कार को बैटरी से चलाया जा सकता है। इसके अलावा मेक्सिकन डिजाइनर विक्टर एलमैन ने एक ऐसी साइकिल बनाई है जिसे मोड़कर एक सूटकेस में रखा जा सकता है।sabhar :http://www.jagran.com/
यह अलमारी बिना ढूढे निकाल देगी कपड़े
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मई 29, 2014 in यह अलमारी बिना ढूढे निकाल देगी कपड़े
त्रिभुवन शर्मा
अब आपको अपने कपड़े ढूंढने के लिए ज्यादा मेहनत करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। एक ऐसी अलमारी बन चुकी है, जो एक क्लिक करने से आपके हाथ में पसंद वाले कपड़े पकड़ा देगी। जी हां, यह कोई कल्पना नहीं है बल्कि हकीकत है। इसमें आप अपने कपड़ों को आराम से रख सकते हैं और इसे स्मार्टफोन और टैबलेट के जरिए हैंडल कर सकते है। इस अलमारी के अंदर नॉर्मल अलमारी से ज्यादा जगह होगी और ज्यादा कपड़े रखे जा सकते हैं। इस अलमारी के अंदर एक ऑटोमैटिक रेल मशीन लगी होती है, जिस पर ज्यादा कपड़े टांगे जा सकते हैं। इसे इटली के डिजाइनर अमांडा ने तैयार किया है।

(फिल्म 'क्लूलेस' की तस्वीर, जिसमें पहली बार इस तरह के ऑटोमैटिक सिस्टम को दिखाया गया था)
यह कॉन्सेप्ट सबसे पहले 1995 में आई एक हॉलिवुड फिल्म 'क्लूलेस' से लिया गया है, जिसमें कपड़े खोजने के लिए कंप्यूटर सिस्टम जुड़ा होता है। असल में कपड़े रखने से पहले कपड़ों की टैबलेट और स्मार्टफोन के जरिए फोटो खिंची जाती है। अलमारी में लगी ऑटोमैटिक रेल मशीन में एक सेंसर लगा होता है, जिसका कनेक्शन स्मार्टफोन से होता है।
जब ओनर अपने स्मार्टफोन या टैबलेट के जरिए एक निश्चित कपड़ा खोजने के लिए क्लिक करता है तो सेंसर यह जानकारी दे देता है कि कपड़ा कहां रखा गया है। सेंसर में लगी ऑटोमैटिक रेल घूमती है और कपड़ों को ओनर के सामने पेश कर देती है। इस अलमारी की बेसिक कॉस्ट 2 लाख 32 हजार रुपए है और इसके डबल मॉडल की कॉस्ट 3 लाख 44 हजार रुपये है। sabhar :http://navbharattimes.indiatimes.com/
अब आपको अपने कपड़े ढूंढने के लिए ज्यादा मेहनत करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। एक ऐसी अलमारी बन चुकी है, जो एक क्लिक करने से आपके हाथ में पसंद वाले कपड़े पकड़ा देगी। जी हां, यह कोई कल्पना नहीं है बल्कि हकीकत है। इसमें आप अपने कपड़ों को आराम से रख सकते हैं और इसे स्मार्टफोन और टैबलेट के जरिए हैंडल कर सकते है। इस अलमारी के अंदर नॉर्मल अलमारी से ज्यादा जगह होगी और ज्यादा कपड़े रखे जा सकते हैं। इस अलमारी के अंदर एक ऑटोमैटिक रेल मशीन लगी होती है, जिस पर ज्यादा कपड़े टांगे जा सकते हैं। इसे इटली के डिजाइनर अमांडा ने तैयार किया है।
(फिल्म 'क्लूलेस' की तस्वीर, जिसमें पहली बार इस तरह के ऑटोमैटिक सिस्टम को दिखाया गया था)
यह कॉन्सेप्ट सबसे पहले 1995 में आई एक हॉलिवुड फिल्म 'क्लूलेस' से लिया गया है, जिसमें कपड़े खोजने के लिए कंप्यूटर सिस्टम जुड़ा होता है। असल में कपड़े रखने से पहले कपड़ों की टैबलेट और स्मार्टफोन के जरिए फोटो खिंची जाती है। अलमारी में लगी ऑटोमैटिक रेल मशीन में एक सेंसर लगा होता है, जिसका कनेक्शन स्मार्टफोन से होता है।
जब ओनर अपने स्मार्टफोन या टैबलेट के जरिए एक निश्चित कपड़ा खोजने के लिए क्लिक करता है तो सेंसर यह जानकारी दे देता है कि कपड़ा कहां रखा गया है। सेंसर में लगी ऑटोमैटिक रेल घूमती है और कपड़ों को ओनर के सामने पेश कर देती है। इस अलमारी की बेसिक कॉस्ट 2 लाख 32 हजार रुपए है और इसके डबल मॉडल की कॉस्ट 3 लाख 44 हजार रुपये है। sabhar :http://navbharattimes.indiatimes.com/
गूगल सिक्योरिटी फर्म ड्रॉपकैम को खरीदने वाली है
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मई 29, 2014 in गूगल सिक्योरिटी फर्म ड्रॉपकैम को खरीदने वाली है

इंजन सर्च कंपनी गूगल अब आपके घरों की सुरक्षा करने की कवायद कर रही है।
जागरण ने यह खबर दी। गूगल सिक्योरिटी फर्म ड्रॉपकैम को खरीदने वाली है। इंटरनेट से जुड़े सीसीटीवी कैमरे बेचने वाली ये हाईटेक कंपनी खरीदकर गूगल पहले से खरीदी गई सॉफ्टवेयर कंपनी नेस्ट के साथ एक विशेष प्रकार का एप्लीकेशन तैयार करेगा जो घर की सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरा प्रणाली को क्रांतिकारी बना देगा।
ड्रॉपकैम कंपनी फिलहाल अपनी सीसीटीवी प्रणाली 150 डॉलर (करीब 8500 रुपये) में बेचती है। ड्रापकैम एक क्लाउड आधारित वाईफाई एचडी वीडियो निगरानी सेवा है। इसमें अत्यधिक गुणवत्ता वाले मुफ्त सजीव स्ट्रीमिंग और रिकॉर्डिग हासिल होती है। इसमें दोनों तरफ से बातचीत और हरेक कोने में कैमरे को घुमाकर देखना भी संभव होता है।
अब गूगल की नेस्ट कंपनी के तैयार किए ऐप की मदद से इस सेवा को और बेहतर बना देगी। इस खास ऐप से यूजर जूम, लाइव फीड और रिकॉर्डिग भी देख सकेगा। दोनों तरफ से बेहतर तरीके से लगातार आवाज कटे बगैर बात हो सकेगी। नाइट विजन मोड भी सेट हो सकेगा। इस कैमरे को आसानी से स्मार्ट फोन और ई-मेल से भी जोड़ा जा सकेगा। ताकि आप कहीं से भी और कभी भी अपने घर या दफ्तर पर नजर रख सकें। इस कैमरे में ई-मेल और स्मार्टफोन अलर्ट भी हैं। यानी कोई भी गड़बड़ी होने पर ये तत्काल आपको स्वत सूचित करेगा।
कंपनी का दावा है कि वह इन वीडियो को सुरक्षित रखने के लिए बैंकों में इस्तेमाल की जाने वाली उच्च स्तरीय ऑनलाइन सुरक्षा व्यवस्था रखता है। ताकि सॉफ्टवेयर को हैक या खराब न किया जा सके। सैनफ्रांसिस्को की कंपनी ड्रापकैम का कहना है कि उनका एचडी कैमरा 720 पी स्ट्रीमिंग के साथ मिलता है। 2009 में स्थापित इस कंपनी के मालिक ग्रैग डफी और आमिर वीरानी का कहना है कि उनकी कंपनी ने पिछले साल ही 300 लाख डालर का कारोबार किया है। sabhar :http://hindi.ruvr.ru/
और पढ़ें: http://hindi.ruvr.ru/news/2014_05_28/272892167/
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मंगलवार, 27 मई 2014
ब्रेन पर लगी चोट तो बन गया जीनियस
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मई 27, 2014 in ब्रेन पर लगी चोट तो बन गया जीनियस

सुबोध वर्मा (टीएनएन), नई दिल्ली
हादसा अगर हासिल में बदल जाए तो इससे अच्छा क्या होगा! कभी-कभी कुदरत के करिश्मे से ऐसा मुमकिन होता है, जैसा कि एक अमेरिकी शख्स के साथ हुआ। साइंटिस्ट भी हैरान हैं और यह पता लगाने की कोशिश में जुटे हैं कि कैसे इस व्यक्ति के दिमाग में लगी चोट ने उसे मैथेमेटिक्स का जीनियस बना दिया। उन्हें इस दिशा में कुछ कामयाबी भी मिली है।
इस दिलचस्प घटना पर 'लाइव साइंस' में एक रिपोर्ट छपी है। साइंटिस्ट्स ने कहा है कि इसके पीछे वजह यह लगती है कि चोट के बाद हेड के क्राउन के पिछले हिस्से में एक खास एरिया, जिसे पराइटल कॉर्टेक्स कहते हैं, ज्यादा एक्टिव हो गया।
आखिर क्या हुआ था शख्स के साथ: दरअसल, जैसन पैडगेट उस वक्त तक टैकोमा (वॉशिंगटन) का एक साधारण-सा फर्नीचर सेल्समैन था जब तक उसके साथ हादसा पेश नहीं आया था। सन् 2002 की बात है जब एक दिन एक बार के बाहर जैसन पर दो लोगों ने गंभीर रूप से हमला किया। घटना में जैसन के दिमाग पर गहरी चोट लगी, वहीं उसकी किडनी भी जख्मी हो गई। चोटों से उबरने के बाद भी उसे आघात के बाद होने वाले स्ट्रेस डिसऑर्डर ने घेर लिया।
सुबोध वर्मा (टीएनएन), नई दिल्ली
हादसा अगर हासिल में बदल जाए तो इससे अच्छा क्या होगा! कभी-कभी कुदरत के करिश्मे से ऐसा मुमकिन होता है, जैसा कि एक अमेरिकी शख्स के साथ हुआ। साइंटिस्ट भी हैरान हैं और यह पता लगाने की कोशिश में जुटे हैं कि कैसे इस व्यक्ति के दिमाग में लगी चोट ने उसे मैथेमेटिक्स का जीनियस बना दिया। उन्हें इस दिशा में कुछ कामयाबी भी मिली है।
इस दिलचस्प घटना पर 'लाइव साइंस' में एक रिपोर्ट छपी है। साइंटिस्ट्स ने कहा है कि इसके पीछे वजह यह लगती है कि चोट के बाद हेड के क्राउन के पिछले हिस्से में एक खास एरिया, जिसे पराइटल कॉर्टेक्स कहते हैं, ज्यादा एक्टिव हो गया।
आखिर क्या हुआ था शख्स के साथ: दरअसल, जैसन पैडगेट उस वक्त तक टैकोमा (वॉशिंगटन) का एक साधारण-सा फर्नीचर सेल्समैन था जब तक उसके साथ हादसा पेश नहीं आया था। सन् 2002 की बात है जब एक दिन एक बार के बाहर जैसन पर दो लोगों ने गंभीर रूप से हमला किया। घटना में जैसन के दिमाग पर गहरी चोट लगी, वहीं उसकी किडनी भी जख्मी हो गई। चोटों से उबरने के बाद भी उसे आघात के बाद होने वाले स्ट्रेस डिसऑर्डर ने घेर लिया।
आमतौर पर यह एक मनोवैज्ञानिक कंडिशन है जो वॉर वेटरन्स के साथ पेश आती है। लेकिन ज्यों-ज्यों वक्त बीतता गया, जैसन पैडगेट ने महसूस किया कि अब वह दुनिया को अलग तरीके से देखने लगा है। उसे ऐसा लगने लगा कि हर चीज ज्यॉमेट्रिकल शेप में ढली है। उसे एकाएक तरह-तरह के जटिल ज्यॉमेट्रिकल शेप बनाने आ गए।
बढ़ी वैज्ञानिकों की दिलचस्पीः जैसे ही जैसन की इस गणितीय काबिलियत और उसे हासिल करने के तरीके के बारे में लोगों ने जाना, ब्रेन साइंटिस्टों की इस बात में काफी दिलचस्पी पैदा हो गई कि आखिर उसके ब्रेन के साथ ऐसा क्या हुआ जो वह सामान्य से अद्भुत क्षमता वाला शख्स बन गया। रिसर्च शुरू कर दी गई। यूनिवर्सिटी ऑफ मायामी के प्रोफेसर बेरिट ब्रोगार्ड और उनके सहयोगियों ने जैसन के ब्रेन की स्टडी करने के लिए उसकी MRI (मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग) भी कराई।
स्कैन से पता चला कि हमले के बाद जैसन के ब्रेन में लेफ्ट पराइटल कॉर्टेक्स ज्यादा उत्तेजित हो गया, जिससे यह चमत्कार मुमकिन हुआ। यही नहीं, वैज्ञानिक इस नतीजे पर भी पहुंचे कि जैसन जैसी क्षमता हर शख्स के ब्रेन में सुसुप्त हालत में हो सकती है। एक भौतिक विज्ञानी जैसन की खूबी से अभिभूत हो गया। जैसन के दिन बदल गए। उसने जैसन को कॉलेज जॉइन करने को राजी किया, जहां उसने नंबर थिअरी की स्टडी शुरू कर दी। sabhar :http://navbharattimes.indiatimes.com/
बढ़ी वैज्ञानिकों की दिलचस्पीः जैसे ही जैसन की इस गणितीय काबिलियत और उसे हासिल करने के तरीके के बारे में लोगों ने जाना, ब्रेन साइंटिस्टों की इस बात में काफी दिलचस्पी पैदा हो गई कि आखिर उसके ब्रेन के साथ ऐसा क्या हुआ जो वह सामान्य से अद्भुत क्षमता वाला शख्स बन गया। रिसर्च शुरू कर दी गई। यूनिवर्सिटी ऑफ मायामी के प्रोफेसर बेरिट ब्रोगार्ड और उनके सहयोगियों ने जैसन के ब्रेन की स्टडी करने के लिए उसकी MRI (मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग) भी कराई।
स्कैन से पता चला कि हमले के बाद जैसन के ब्रेन में लेफ्ट पराइटल कॉर्टेक्स ज्यादा उत्तेजित हो गया, जिससे यह चमत्कार मुमकिन हुआ। यही नहीं, वैज्ञानिक इस नतीजे पर भी पहुंचे कि जैसन जैसी क्षमता हर शख्स के ब्रेन में सुसुप्त हालत में हो सकती है। एक भौतिक विज्ञानी जैसन की खूबी से अभिभूत हो गया। जैसन के दिन बदल गए। उसने जैसन को कॉलेज जॉइन करने को राजी किया, जहां उसने नंबर थिअरी की स्टडी शुरू कर दी। sabhar :http://navbharattimes.indiatimes.com/
क्या सोचते हैं पीडोफील
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मई 27, 2014 in क्या सोचते हैं पीडोफील
बाल यौन शोषण एक क्रूर अपराध है और ये प्रवृत्ति लगातार बढ़ती जा रही है. लेकिन अभी तक ये साफ नहीं हो सका है कि बच्चों का यौन शोषण करने वालों के दिमाग में गड़बड़ी होती कहां हैं.

जर्मनी के कील यूनिवर्सिटी क्लीनिक की एक टीम एमआरआई जांच से पता लगा रही है कि पीडोफिल क्यों बच्चों के प्रति आकर्षित होते हैं. भले ही फ्रांस, कनाडा, स्कैंडेनेवियाई देशों में इस मुद्दे पर शोध हो रहा हो लेकिन पीडोफिल के दिमाग के बारे में बहुत कम शोध हुए हैं. मनोवैज्ञानिक योर्ग पोनसेटी बताते हैं, "एमआरआई से मस्तिष्क की सक्रियता और संरचना का अच्छे से पता चल सकता है. अच्छी बात ये है कि खोपड़ी खोले बिना ही हम दिमाग के बारे में सटीकता से बता सकते हैं कि कौन सा हिस्सा सक्रिय है और कौन सा नहीं. फिलहाल हम एक मिलीमीटर के हिस्से तक को देख सकते हैं."
एमआरआई के कारण पीडोफिल लोगों के बारे में कई तरह की जानकारियां इकट्ठी हुई हैं. और पता लग गया है कि उनके दिमाग में कुछ अलग होता है, "पीडोफिल के दिमाग में कई तरह की न्यूरोसाइकोलॉजिकल असामान्यताएं देखी जाती हैं. उनका बुद्धिमत्ता औसत से आठ फीसदी कम होती है. यह भी रोचक है कि यौन दुराचार करने वाले अपराधियों की उम्र और आईक्यू एक दूसरे से जुड़े हैं." आसान शब्दों में पोनसेटी कहते हैं, "जितना मूर्ख अपराधी होगा, शिकार बच्चा उतना ही छोटा होगा."
बीमारी या और कुछ?
शोध के बारे में विस्तार से जानकारी नहीं दी जाती. अगर कोई विस्तार से जानकारी पाना चाहता है तो वह यूनिवर्सिटी क्लीनिक के हॉटलाइन पर फोन कर सकता है या फिर इंटरनेट से जानकारी हासिल कर सकता है. पोनसेटी कहते हैं, "हर पीडोफिल बच्चों का यौन शोषण नहीं करता और इसलिए अपराधी भी नहीं पोता." लेकिन वो यह भी मानते हैं कि पीड़ित माता पिता को ये समझाना मुश्किल होता है. कई लोग नहीं जानते कि यौन चिकित्सा में पीडोफिल भी मानसिक रूप से बीमार के तौर पर गिने जाते हैं. लेकिन ये मानसिक बीमारी या पीडोफिल मानसिक रूप से बीमार के तौर पर तभी माना जाता है जब वह ऐसा कोई काम करे यानि बच्चों के साथ दुराचार करे.
तंदुरुस्त और पीडोफिल में फर्क
पोनसेटी और उनकी टीम ने बायोलॉजी लेटर्स नाम की पत्रिका में शोध छापा है. नए शोध के मुताबिक पीडोफिल जब बच्चों को देखते हैं तो उनके दिमाग का वो हिस्सा सक्रिय हो जाता है जो सामान्य इंसान में तब सक्रिय होता है जब वह विपरीतलिंगी या किसी ऐसे व्यक्ति को देखते हैं जिनके प्रति वो कामुक हों. पोनसेटी के मुताबिक शायद सामान्य व्यक्ति में उम्र को आंकने की क्षमता होती और इसिलिए वो बच्चों के प्रति काम भाव से नहीं देखते.
पोनसेटी बताते हैं,"हम दिमाग के हर हिस्से की सक्रियता को देखते हैं. इसलिए हमें एक आंकड़ा मिल जाता है. अलग अलग लोगों के साथ हम जान सकते हैं कि कोई पीडोफिल है या नहीं. इसमें करीब दो साल लग जाते हैं हालांकि नतीजा 95 फीसदी सटीक रहता है." लेकिन दिमाग की सक्रियता के अलावा और भी जांच की जाती हैं. कंप्यूटर पर खास प्रोग्रामों के जरिए व्यक्ति की मानसिक उत्तेजना और दूसरे के प्रति दया दिखाने की क्षमता को आंका जाता है. इतना ही नहीं, खून की भी जांच की जाती है और जेनेटिक के साथ ही न्यूरोट्रांसमीटरों के साथ जांच भी. क्योंकि सिर्फ एमआरआई से पीडोफिल का पता नहीं लगाया जा सकता.
रिपोर्टः फ्रांक हायाष/एएम sabhar :http://www.dw.de/
जर्मनी के कील यूनिवर्सिटी क्लीनिक की एक टीम एमआरआई जांच से पता लगा रही है कि पीडोफिल क्यों बच्चों के प्रति आकर्षित होते हैं. भले ही फ्रांस, कनाडा, स्कैंडेनेवियाई देशों में इस मुद्दे पर शोध हो रहा हो लेकिन पीडोफिल के दिमाग के बारे में बहुत कम शोध हुए हैं. मनोवैज्ञानिक योर्ग पोनसेटी बताते हैं, "एमआरआई से मस्तिष्क की सक्रियता और संरचना का अच्छे से पता चल सकता है. अच्छी बात ये है कि खोपड़ी खोले बिना ही हम दिमाग के बारे में सटीकता से बता सकते हैं कि कौन सा हिस्सा सक्रिय है और कौन सा नहीं. फिलहाल हम एक मिलीमीटर के हिस्से तक को देख सकते हैं."
एमआरआई के कारण पीडोफिल लोगों के बारे में कई तरह की जानकारियां इकट्ठी हुई हैं. और पता लग गया है कि उनके दिमाग में कुछ अलग होता है, "पीडोफिल के दिमाग में कई तरह की न्यूरोसाइकोलॉजिकल असामान्यताएं देखी जाती हैं. उनका बुद्धिमत्ता औसत से आठ फीसदी कम होती है. यह भी रोचक है कि यौन दुराचार करने वाले अपराधियों की उम्र और आईक्यू एक दूसरे से जुड़े हैं." आसान शब्दों में पोनसेटी कहते हैं, "जितना मूर्ख अपराधी होगा, शिकार बच्चा उतना ही छोटा होगा."
बीमारी या और कुछ?
शोध के बारे में विस्तार से जानकारी नहीं दी जाती. अगर कोई विस्तार से जानकारी पाना चाहता है तो वह यूनिवर्सिटी क्लीनिक के हॉटलाइन पर फोन कर सकता है या फिर इंटरनेट से जानकारी हासिल कर सकता है. पोनसेटी कहते हैं, "हर पीडोफिल बच्चों का यौन शोषण नहीं करता और इसलिए अपराधी भी नहीं पोता." लेकिन वो यह भी मानते हैं कि पीड़ित माता पिता को ये समझाना मुश्किल होता है. कई लोग नहीं जानते कि यौन चिकित्सा में पीडोफिल भी मानसिक रूप से बीमार के तौर पर गिने जाते हैं. लेकिन ये मानसिक बीमारी या पीडोफिल मानसिक रूप से बीमार के तौर पर तभी माना जाता है जब वह ऐसा कोई काम करे यानि बच्चों के साथ दुराचार करे.
तंदुरुस्त और पीडोफिल में फर्क
पोनसेटी और उनकी टीम ने बायोलॉजी लेटर्स नाम की पत्रिका में शोध छापा है. नए शोध के मुताबिक पीडोफिल जब बच्चों को देखते हैं तो उनके दिमाग का वो हिस्सा सक्रिय हो जाता है जो सामान्य इंसान में तब सक्रिय होता है जब वह विपरीतलिंगी या किसी ऐसे व्यक्ति को देखते हैं जिनके प्रति वो कामुक हों. पोनसेटी के मुताबिक शायद सामान्य व्यक्ति में उम्र को आंकने की क्षमता होती और इसिलिए वो बच्चों के प्रति काम भाव से नहीं देखते.
पोनसेटी बताते हैं,"हम दिमाग के हर हिस्से की सक्रियता को देखते हैं. इसलिए हमें एक आंकड़ा मिल जाता है. अलग अलग लोगों के साथ हम जान सकते हैं कि कोई पीडोफिल है या नहीं. इसमें करीब दो साल लग जाते हैं हालांकि नतीजा 95 फीसदी सटीक रहता है." लेकिन दिमाग की सक्रियता के अलावा और भी जांच की जाती हैं. कंप्यूटर पर खास प्रोग्रामों के जरिए व्यक्ति की मानसिक उत्तेजना और दूसरे के प्रति दया दिखाने की क्षमता को आंका जाता है. इतना ही नहीं, खून की भी जांच की जाती है और जेनेटिक के साथ ही न्यूरोट्रांसमीटरों के साथ जांच भी. क्योंकि सिर्फ एमआरआई से पीडोफिल का पता नहीं लगाया जा सकता.
रिपोर्टः फ्रांक हायाष/एएम sabhar :http://www.dw.de/
पिछले जन्मों के पाप इस जन्म में रोग बनते हैं
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मई 27, 2014 in पिछले जन्मों के पाप इस जन्म में रोग बनते हैं

ज्योतिर्मय
रोग शरीर में हों या मन में इनके बीज अचेतन मन की परतों में छुपे होते हैं। आयुर्वेद को व्यवस्थित रूप देने वाले महर्षि चरक के अनुसार पिछले जन्मों के पाप इस जन्म में रोग बन कर सताते हैं।
आयुर्वेद की इस मान्यता को को विज्ञान अभी तक यूं ही मानता था। पर अब इस बात को जांचा परखा और सही पाया जाने लगा है। आयुर्विज्ञान के पिछले सौ साल के अनुभव बताने लगे हैं कि रोग की जड़ें अचेतन मन में छुपी हुई है।
अचेतन मन क्या है? सामान्य उत्तर है कि और कुछ नहीं बस हमारा बीता हुआ कल। उस कल की अनुभूतियों में कटुता, संताप. पछतावा या कोई कसक है, तो वह रोग-शोक के रूप में प्रकट होती है।
आध्यात्मिक चिकित्सकों का कहना है कि बीते हुए कल की सीमाएँ वर्तमान से लेकर बचपन तक ही सिमटी नहीं हैं। इसके दायरे में हमारे पूर्वजन्म की अनुभूतियाँ भी आ जाती हैं। �
इस सिद्धान्त को कई आधुनिक मनोचिकित्सकों ने स्वीकारा है। अमेरिका में फ्लोरिडा क्षेत्र के मियामी शहर में मनोचिकित्सा कर रहे डॉ. ब्रायन वीज़ की कहना है कि जटिल रोगों को उपचार करते समय रोग के लक्षणों पर गौर करने से ज्यादा रोगी की ज्ञात अज्ञात स्मृतियों को भी जांचना चाहिए।
अपने कई रोगियों का इलाज करते समय� उन्होंने पाया कि रोगी के दुःख द्वन्द्व के कारण उसके व्यक्तित्व की अतल गहराइयों में है। पहले तो उन्होंने प्रचलित विधियों का प्रयोग करके तह तक जाने की कोशिश की।
कोई खास सफलता नहीं मिली तो नई विधियों के जरिए उन्होंने रोगी के पिछले जीवन को खगाला और पाया कि रोग की जडें पिछले जन्म में हैं। इस तरह वे पूर्वजन्म की वैज्ञानिकता को जानने में सफल रहे। �
डॉ. वीज़ ने अपने निष्कर्षों को अलग-अलग ढंग से पुस्तकों में प्रकाशित किया। इन पुस्तकों में 'मैसेजेस फ्राम दि मास्टर्स मैनी लाइव्स, मैनी मास्टर्स ओनली लव इज़ रियल एवं थ्रू टाइम इन्टू हीलिंग' मुख्य है।
उनकी इस आध्यात्मिक चिकित्सा के दौरान रोगियों के पूर्वजन्म को भी समझा जा सकता है। पुराने जमाने में उपनिषदों, बौद्ध साधनाओं, चीन में मेंग पो नामक देवी के अनुग्रहों, जापान में जातिस्मरण के प्रयोगों को इस चिकित्सा विधि का उल्लेख मिलता हैं।
नए जमाने में थियोसोफिकल सोसायटी की जनक मैडम ब्लेव्ट्सकी ने शुरु किया और आधुनिक चिकित्साविआनियों ने इस विधा में तरह तरह के प्रयोग किए।
इयान स्टीवेन्स, पाल एडवर्ड्स, जिम बी टकर, गोडविन एर मार्टन और एर्लर हेरल्डसन� जैसे विज्ञानियों मे ढाई से चार हजार मामलों या रोगों की जांच पड़ताल इस विधि से की और सकारात्मक परिणाम हासिल किए हैं।
डॉ. राबर्ट ने इस तरह के केसों को साइटोमेंन्शिया और कान्फेबुलेशन जैसे मनोरोगों की श्रेणा में रखा है। वजह सिर्फ इतनी है कि उनके धार्मिक विश्वास पुनर्जन्म से इत्तफाक नहीं रखते। लेकिन वह जो विधि अपनाते हैं वह भी अवचेतन और अचेतन में छुप कर बैठी पिछली स्मृतियों मे ही ले जाती हैं। sabhar :http://www.amarujala.com/
ज्योतिर्मय
रोग शरीर में हों या मन में इनके बीज अचेतन मन की परतों में छुपे होते हैं। आयुर्वेद को व्यवस्थित रूप देने वाले महर्षि चरक के अनुसार पिछले जन्मों के पाप इस जन्म में रोग बन कर सताते हैं।
आयुर्वेद की इस मान्यता को को विज्ञान अभी तक यूं ही मानता था। पर अब इस बात को जांचा परखा और सही पाया जाने लगा है। आयुर्विज्ञान के पिछले सौ साल के अनुभव बताने लगे हैं कि रोग की जड़ें अचेतन मन में छुपी हुई है।
अचेतन मन क्या है? सामान्य उत्तर है कि और कुछ नहीं बस हमारा बीता हुआ कल। उस कल की अनुभूतियों में कटुता, संताप. पछतावा या कोई कसक है, तो वह रोग-शोक के रूप में प्रकट होती है।
आध्यात्मिक चिकित्सकों का कहना है कि बीते हुए कल की सीमाएँ वर्तमान से लेकर बचपन तक ही सिमटी नहीं हैं। इसके दायरे में हमारे पूर्वजन्म की अनुभूतियाँ भी आ जाती हैं। �
इस सिद्धान्त को कई आधुनिक मनोचिकित्सकों ने स्वीकारा है। अमेरिका में फ्लोरिडा क्षेत्र के मियामी शहर में मनोचिकित्सा कर रहे डॉ. ब्रायन वीज़ की कहना है कि जटिल रोगों को उपचार करते समय रोग के लक्षणों पर गौर करने से ज्यादा रोगी की ज्ञात अज्ञात स्मृतियों को भी जांचना चाहिए।
अपने कई रोगियों का इलाज करते समय� उन्होंने पाया कि रोगी के दुःख द्वन्द्व के कारण उसके व्यक्तित्व की अतल गहराइयों में है। पहले तो उन्होंने प्रचलित विधियों का प्रयोग करके तह तक जाने की कोशिश की।
कोई खास सफलता नहीं मिली तो नई विधियों के जरिए उन्होंने रोगी के पिछले जीवन को खगाला और पाया कि रोग की जडें पिछले जन्म में हैं। इस तरह वे पूर्वजन्म की वैज्ञानिकता को जानने में सफल रहे। �
डॉ. वीज़ ने अपने निष्कर्षों को अलग-अलग ढंग से पुस्तकों में प्रकाशित किया। इन पुस्तकों में 'मैसेजेस फ्राम दि मास्टर्स मैनी लाइव्स, मैनी मास्टर्स ओनली लव इज़ रियल एवं थ्रू टाइम इन्टू हीलिंग' मुख्य है।
उनकी इस आध्यात्मिक चिकित्सा के दौरान रोगियों के पूर्वजन्म को भी समझा जा सकता है। पुराने जमाने में उपनिषदों, बौद्ध साधनाओं, चीन में मेंग पो नामक देवी के अनुग्रहों, जापान में जातिस्मरण के प्रयोगों को इस चिकित्सा विधि का उल्लेख मिलता हैं।
नए जमाने में थियोसोफिकल सोसायटी की जनक मैडम ब्लेव्ट्सकी ने शुरु किया और आधुनिक चिकित्साविआनियों ने इस विधा में तरह तरह के प्रयोग किए।
इयान स्टीवेन्स, पाल एडवर्ड्स, जिम बी टकर, गोडविन एर मार्टन और एर्लर हेरल्डसन� जैसे विज्ञानियों मे ढाई से चार हजार मामलों या रोगों की जांच पड़ताल इस विधि से की और सकारात्मक परिणाम हासिल किए हैं।
डॉ. राबर्ट ने इस तरह के केसों को साइटोमेंन्शिया और कान्फेबुलेशन जैसे मनोरोगों की श्रेणा में रखा है। वजह सिर्फ इतनी है कि उनके धार्मिक विश्वास पुनर्जन्म से इत्तफाक नहीं रखते। लेकिन वह जो विधि अपनाते हैं वह भी अवचेतन और अचेतन में छुप कर बैठी पिछली स्मृतियों मे ही ले जाती हैं। sabhar :http://www.amarujala.com/
अभिनेत्रियां, जो बचपन में हुई यौन शोषण का शिकार
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मई 27, 2014 in अभिनेत्रियां, जो बचपन में हुई यौन शोषण का शिकार

बहुत ही सेलिब्रिटीज का हुआ रेप
हाल ही में 'बिग बॉस 4' की प्रतिभागी रह चुकी पामेला एंडरसन ने इस राज से पर्दा उठाया कि उनका बचनन में गैंगरेप और यौन शोषण हुआ था। सिर्फ पामेला अकेली ऐसी सेलिब्रिटी नहीं है।
बल्कि बॉलीवुड और हॉलीवुड में कई ऐसी सेलिब्रिटीज और अभिनेत्रियां है जो बचपन में कभी ना कभी या तो यौन शोषण का शिकार हुईं हैं या फिर उनका रेप हुआ है।
टाइम्स ऑनलाइन ने ऐसे सेलिब्रिटीज की एक सूची बनाई है। जानिए, कौन हैं वे सेलिब्रिटीज।
बल्कि बॉलीवुड और हॉलीवुड में कई ऐसी सेलिब्रिटीज और अभिनेत्रियां है जो बचपन में कभी ना कभी या तो यौन शोषण का शिकार हुईं हैं या फिर उनका रेप हुआ है।
टाइम्स ऑनलाइन ने ऐसे सेलिब्रिटीज की एक सूची बनाई है। जानिए, कौन हैं वे सेलिब्रिटीज।
पामेला एंडरसन
कनाडियन-अमेरिकन एक्ट्रेस और 'बिग बॉस 4' की प्रतिभागी रह चुकी पामेला एंडरसन ने हाल ही में बताया कि जब वे मात्र 6 साल की थी तो उनका यौन शोषण होता था। इतना ही नहीं, 12 साल की उम्र में उनका बलात्कार हुआ था और टीनेज में ही उनका गैंगरेप हुआ था।
मैडोना
क्वीन ऑफ पॉप’ के नाम से मशहूर अंतरराष्ट्रीय पॉप सिंगर मैडोना ने बताया कि जब वह सिंगर बनने के लिए संघर्ष कर रही थीं तो एक अजनबी ने उनके साथ रेप किया था। उस समय वह 19 साल की थीं। मैडोना ने बताया कि एक बिल्डिंग की छत पर मुझे घसीटकर ले जाया गया। वह मेरे पीछे चाकू लगाया हुआ था और बंदूक दिखाकर रेप किया।
ओपरा विनफ्रे
विश्व प्रसिद्ध अमेरिकी टीवी होस्ट ओपरा विनफ्रे ने बताया था कि 9 साल की उम्र में उनका यौन शोषण हुआ था। ओपरा जब 9 साल की थी तो उनके कुछ रिश्तेदारों ने मिलकर उनका रेप किया था। इतना ही नहीं, ओपरा का कई साल तक यौन शोषण भी हुआ। जिसके कारण वे 14 साल की उम्र में ही प्रेगनेंट हो गईं थीं।
टेरी हत्चेर
अमेरिकन एक्ट्रेस टेरी हत्चेर ने बताया था कि जब वे 5 साल की थी तो उनके अंकल ने उनका यौन शोषण किया था। ट्रेरी इस पूरे ट्रॉमा से उबरने की भरपूर कोशिश करती है। टेरी ने अपने अंकल की इस हरकत को सबसे सामने लेकर आईं थी और उनके अंकल को इसकी सजा भी मिली थी।
ब्रिटनी स्पीयर्स
हालांकि ये बात सच है या नहीं लेकिन पॉप स्टार ब्रिटनी स्पीयर्स के सहयोगी बताते हैं कि बचपन में ब्रिटनी के पिता उनका यौन शोषण करते थे।
ऐश्ले जुड
हॉलीवुड में सबसे ज्यादा कमाने वाली अभिनेत्री ऐश्ले जुड भी बचपन में यौन शोषण का शिकार हो चुकी है। ऐश्ले बताती हैं कि उनका बचपन में कई बार रेप हुआ। उन्होंने अपनी आपबीती के बारे में घर पर भी बताया लेकिन उनके पेरेंट्स ने उनका विश्वास नहीं किया। इतना ही नहीं, ऐश्ले का मॉडलिंग कॅरियर के दौरान भी रेप हुआ।
सोफिया हयात
'बिग बॉस 7' खासी चर्चा में आई सोफिया हयात ने बताया कि बचपन में उनका भी यौन शोषण हुआ था। सोफिया ने माना कि बचपन में उनके अंकल ने उनका रेप किया था।
अनुष्का शंकर
अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त सितार वादक स्वर्गीय पंडित रविशंकर की बेटी अनुष्का शंकर ने कहा कि बचपन में उनका भी यौन शोषण हुआ था। बचपन में एक शख्स ने वर्षों तक मेरा यौन शोषण किया. उस शख़्स पर मेरे मां-बाप बहुत भरोसा करते थे. लेकिन उसने वो भरोसा तोड़ा।"
अनुष्का ने ये भी कहा कि जब वो बड़ी हो रही थीं तो भी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर उनके साथ छेड़छाड़ हुई। "भीड़भाड़ में या अन्य जगहों पर कई मर्दों ने मुझे स्पर्श करने की, मुझे पकड़ने की चेष्टा की। मेरे साथ गाली-गलौज भी की गई। मुझे उस वक़्त पता भी नहीं था कि ऐसे हालातों से कैसे निपटा जाए।"
अनुष्का ने ये भी कहा कि जब वो बड़ी हो रही थीं तो भी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर उनके साथ छेड़छाड़ हुई। "भीड़भाड़ में या अन्य जगहों पर कई मर्दों ने मुझे स्पर्श करने की, मुझे पकड़ने की चेष्टा की। मेरे साथ गाली-गलौज भी की गई। मुझे उस वक़्त पता भी नहीं था कि ऐसे हालातों से कैसे निपटा जाए।"
काल्कि कोचलीन
काल्कि कोचलीन भी यौन शोषण का शिकार हो चुकी हैं। उन्होंने बताया था कि बचपन में उनका यौन शोषण हुआ था। उन्होंने इंटरव्यू में कहा था कि ये उनके जीवन का एक ऐसा कड़वा सच है, जिसके साथ वे बचपन से जी रही हैं। sabhar :
http://www.amarujala.com/
रविवार, 25 मई 2014
2018 तक ऑफिस में होंगे रोबोट ही रोबोट
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मई 25, 2014 in 2018 तक ऑफिस में होंगे रोबोट ही रोबोट

विश्व की कुछ नामचीन कंपनियों ने अपने यहां रोबोट से ऑफिस जॉब करवानी शुरू कर दी है. ब्रिटेन के एक विशेषज्ञ के मुताबिक रोबोट 2018 तक सभी तरह की ऑफिस जॉब करना शुरू कर देगा. रोबोट ऑफिस जॉब से संबंधी कार्य कहीं अधिक निपुणता और त्वरित गति से कर सकता है. साथ ही रोबोट से ऑफिस जॉब करवाना कहीं अधिक सस्ता भी पड़ेगा. घरेलू कार्यों और सेना व अर्धसैनिक बल लंबे अरसे से रोबोट की सेवाएं ले रहे हैं. कई देशों में बम निष्क्रिय करने का कार्य रोबोट कर रहे हैं. आईबीएम ने सुपरकंप्यूटर ‘वाटसन’ से कस्टमर सर्विस कॉल का जवाब देना शुरू कर दिया है.

ब्रिटेन की आर्टिफिशयल इंटेलीजेंस कंपनी ‘सीलाटोन’ के सीईओ एंड्रू एंड्रसन ने दावा किया है कि आने वाले पांच साल में रोबोट सभी तरह के ऑफिस कार्य करना शुरू कर देगा.आने वाले समय में निर्णय लेने वाले रोबोट में कहीं तेजी से सुधार होगा. इसके चलते विपणन, शिक्षा और आईटी क्षेत्र की नौकरियों में रोबोट का इस्तेमाल होने लगेगा


निर्णय लेने वाला रोबोट क्लर्क की भूमिका बखूबी निभा लेगा

मसलन इंश्योरेंस कंपनी में दो बार दावे की पहचान इंसान से कहीं अधिक अच्छी तरह रोबोट कर लेगा.sabhar :
http://www.samaylive.com/
विश्व की कुछ नामचीन कंपनियों ने अपने यहां रोबोट से ऑफिस जॉब करवानी शुरू कर दी है. ब्रिटेन के एक विशेषज्ञ के मुताबिक रोबोट 2018 तक सभी तरह की ऑफिस जॉब करना शुरू कर देगा. रोबोट ऑफिस जॉब से संबंधी कार्य कहीं अधिक निपुणता और त्वरित गति से कर सकता है. साथ ही रोबोट से ऑफिस जॉब करवाना कहीं अधिक सस्ता भी पड़ेगा. घरेलू कार्यों और सेना व अर्धसैनिक बल लंबे अरसे से रोबोट की सेवाएं ले रहे हैं. कई देशों में बम निष्क्रिय करने का कार्य रोबोट कर रहे हैं. आईबीएम ने सुपरकंप्यूटर ‘वाटसन’ से कस्टमर सर्विस कॉल का जवाब देना शुरू कर दिया है.
ब्रिटेन की आर्टिफिशयल इंटेलीजेंस कंपनी ‘सीलाटोन’ के सीईओ एंड्रू एंड्रसन ने दावा किया है कि आने वाले पांच साल में रोबोट सभी तरह के ऑफिस कार्य करना शुरू कर देगा.आने वाले समय में निर्णय लेने वाले रोबोट में कहीं तेजी से सुधार होगा. इसके चलते विपणन, शिक्षा और आईटी क्षेत्र की नौकरियों में रोबोट का इस्तेमाल होने लगेगा
निर्णय लेने वाला रोबोट क्लर्क की भूमिका बखूबी निभा लेगा
मसलन इंश्योरेंस कंपनी में दो बार दावे की पहचान इंसान से कहीं अधिक अच्छी तरह रोबोट कर लेगा.sabhar :
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7 साल में बनकर तैयार हुआ था गेट्स का आलीशान घर Xanadu 2.0, देखें नजारे
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मई 25, 2014 in 7 साल में बनकर तैयार हुआ था गेट्स का आलीशान घर Xanadu 2.0, देखें नजारे

इसी साल मार्च में जारी फोर्ब्स पत्रिका की ग्लोबल बिलेनियर की सूची में अमेरिकी उद्योगपति बिल गेट्स को एक बार फिर पहला स्थान मिला है। पत्रिका के अनुसार इस साल गेट्स की कुल संपत्ति 76 अरब डॉलर है, जबकि साल 2013 में ये आंकड़ा 67 अरब डॉलर था। गेट्स चार साल बाद दोबारा दुनिया के सबसे अमीर व्यक्तियों की लिस्ट में टॉप पर हैं।
दौलतमंदों के घर से लेकर उनकी लाइफस्टाइल तक सभी में विलासिता का लुक देखने को मिलता है। अमीरों के घर उनके लग्जरी रिसोर्स में से एक होते हैं। वैसे तो दुनिया भर में गेट्स के कई घर हैं, लेकिन वाशिंगटन का उनका अल्ट्रा लग्जरी घर उन्हें सबसे ज्यादा पसंद है। करीब 66,000 वर्गफीट में बने इस घर में एक से बढ़कर एक लेटेस्ट टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है। इसके चलते इसे Xanadu 2.0 निक नेम से भी जाना जाता है।
कुछ ऐसा है घर- गेट्स के इस घर की कीमत करीब 150 मिलियन डॉलर है। गेट्स का घर किसी शहर से कम नहीं है। इस घर में 7 लग्जरी बेडरूम, 24 बाथरूम, 6 किचन, 6 फायरप्लेस, 3 गैरेज 11500 वर्गफीट में परिवार के लिए प्राइवेट क्वार्टर और 2100 वर्गफीट में लाइब्रेरी बनी हुई है। 84 सीढ़ियों के साथ गेट्स का यह घर 92 फीट लंबा और 63 फीट ऊंचा है। एक गैरेज में करीब 10 कारें खड़ी की जा सकती हैं। यहां एक मिनी मूवी थियेटर भी है।
निर्माण में लगे 7 साल- बिल गेट्स के इस घर में अंडरवॉटर म्यूजिक सिस्टम के साथ पूल, 2500 वर्गफीट में जिम और 1000 वर्गफीट में डाइनिंग रूम भी बना हुआ है। बिल गेट्स का ये मैन्सन एक लेक के ईस्टर्न किनारे बसाया गया है। इसके आसपास की डिजाइन ऐसी है कि ये घर किसी लैंडस्केप पर बसा लगता है। इसके निर्माण में सात साल का वक्त लगा था।
जानिए बिल गेट्स की लाइफस्टाइल से जुड़ी कुछ खास बातें...
- आलीशान घर के अलावा बिल गेट्स एक आइलैंड के मालिक भी हैं। मरीन लाइफ और खूबसूरत समुद्रीतटों के लिए मशहूर The Grand Bugue Island रिपब्लिक ऑफ बेलिज (Belize) में स्थित है।
- गेट्स का ये आइलैंड करीब 314 एकड़ में फैला हुआ है, यहां सबसे ज्यादा बीच और घने जंगल हैं।
- Xanadu 2.0 मैन्सन पूरी तरह से ऑटोमेटेड कम्प्यूटराइज्ड सिस्टम से नियंत्रित है।
- गेट्स के पास Porsche 911 Carrera, 1988 Porsche 959 Coupe और Porsche 930 Turbo जैसी 3 लग्जरी कार हैं, जिसमें से टर्बो को उन्हें माइक्रोसॉफ्ट के शुरुआती दिनों में खरीदा था।
- गेट्स का फेवरेट हॉलि डे डेस्टिनेशन वेस्ट ग्रीनलैंड है, जहां वो हेलिकॉप्टर से जाते हैं।
- गेट्स पढ़ने के बेहद शौकीन हैं। उन्होंने Codex Leicester नाम की बुक को 1994 में 30.8 मिलियन डॉलर में खरीदा था, जो नीलामी में बिकी अब तक की सबसे महंगी किताबों में से एक है।
- आर्ट कलेक्शन के शौकीन गेट्स ने 1998 में एक ऑयल पेंटिंग के लिए रिकॉर्ड 36 मिलियन डॉलर्स चुकाए थे। इसके अलावा भी गेट्स के पास कई मास्टरपीस हैं।
- वक्त को अपने हिसाब से बनाने वाले गेट्स को घड़ी पहनना पसंद नहीं था। लेकिन कुछ सालों से उन्होंने Microsoft Spot Watch पहनना शुरू किया है। जो गेट्स को टाइम के साथ ही FM ट्रांसमिशऩ के जरिए लेटेस्ट न्यूज से भी अपडेट रखती है।
sabhar : bhaskar.com
बाड़मेर में प्यास बुझाते वॉटर एटीएम कार्ड
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मई 25, 2014 in बाड़मेर में प्यास बुझाते वॉटर एटीएम कार्ड
आभा शर्मा
रविवार, 25 मई 2014
बाड़मेर से बीबीसी हिंदी डॉट कॉम के लिए
आभा शर्मा
रविवार, 25 मई 2014
बाड़मेर से बीबीसी हिंदी डॉट कॉम के लिए
पानी हर ओर पर पीने को नहीं!
पानी ही पानी हर तरफ़, पीने को एक बूंद नहीं। सुनने में भले यह अजीब लगे, पर साल 2006 में राजस्थान के बाड़मेर में आई भयंकर बाढ़ के बावजूद कवास गांव की कुछ यही कहानी थी। अतिवृष्टि ने इस रेगिस्तानी इलाक़े के गर्भ को जलप्लावित तो कर दिया था, पर खारा होने की वजह से लोग अभी भी प्यास बुझाने को तरस ही रहे थे।
अब यहां के लोग न केवल मीठा पानी पी रहे हैं बल्कि समझदार भी हो गए हैं। अब उनके पास “वॉटर एटीएम कार्ड” जो है।
यह छोटा सा गांव राजस्थान का पहला गांव है, जहां इस साल फरवरी से वॉटर एटीएम के ज़रिए लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है। एक सामुदायिक आरओ प्लांट से खारे पानी को पीने योग्य बनाया जाता है और लोगों को इस कार्ड से मीठा पानी आसानी से मिल जाता है।
कवास के बाद भीमदा, सवाऊ पदम सिंह, आकदड़ा और बायतू भोपजी के लोगों को भी वॉटर एटीएम की सुविधा मिल रही है। इन सभी गांवों में पानी में फ्लोरोसिस की मात्रा बहुत अधिक है और आकदड़ा के कुओं का पानी तो है, जैसे खारा ज़हर। आने वाले दिनों में ज़िले के संतरा, कानोड़ और बाड़मेर मुख्यालय पर भी वॉटर एटीएम लगाए जाएंगे।
अब यहां के लोग न केवल मीठा पानी पी रहे हैं बल्कि समझदार भी हो गए हैं। अब उनके पास “वॉटर एटीएम कार्ड” जो है।
यह छोटा सा गांव राजस्थान का पहला गांव है, जहां इस साल फरवरी से वॉटर एटीएम के ज़रिए लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है। एक सामुदायिक आरओ प्लांट से खारे पानी को पीने योग्य बनाया जाता है और लोगों को इस कार्ड से मीठा पानी आसानी से मिल जाता है।
कवास के बाद भीमदा, सवाऊ पदम सिंह, आकदड़ा और बायतू भोपजी के लोगों को भी वॉटर एटीएम की सुविधा मिल रही है। इन सभी गांवों में पानी में फ्लोरोसिस की मात्रा बहुत अधिक है और आकदड़ा के कुओं का पानी तो है, जैसे खारा ज़हर। आने वाले दिनों में ज़िले के संतरा, कानोड़ और बाड़मेर मुख्यालय पर भी वॉटर एटीएम लगाए जाएंगे।
वॉटर रिचार्ज
वॉटर एटीएम रेगिस्तान में एक दुर्लभ स्वप्न पूरा होने जैसा है। कार्ड को नल के पास ले जाओ और झट से पांच रुपए में 20 लीटर शुद्ध पानी पाओ। मोबाइल के रिचार्ज की तरह इस वॉटर एटीएम कार्ड को भी रिचार्ज कराया जा सकता है।
ग्रामवासियों को वॉटर स्मार्ट कार्ड लेने के लिए प्रेरित किया जाता है और वे एक बार में कार्ड स्वाइप कर 20 लीटर पानी ले सकते हैं। इसे अधिकतम 30 बार तक स्वाइप किया जा सकता है और उसके बाद इसे रिचार्ज करवाना पड़ता है।
जो लोग 150 रुपए का यह कार्ड लेने के इच्छुक नहीं हैं, उनके लिए आरओ प्लांट्स से सीधे “होम डिलीवरी” की भी व्यवस्था है। इसके लिए सेल्समेन पांच रुपए की दर पर एक 20 लीटर का कैन भरकर पांच रुपए और लेकर यानी कुल 10 रुपए में घर तक पानी पहुंचाते हैं।
सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायरमेंट, नई दिल्ली की उपकार्यक्रम अधिकारी (जल) सुष्मिता सेनगुप्ता के अनुसार रेगिस्तानी इलाक़े में ऐसा प्रयास “बहुत ही सराहनीय” है।
ग्रामवासियों को वॉटर स्मार्ट कार्ड लेने के लिए प्रेरित किया जाता है और वे एक बार में कार्ड स्वाइप कर 20 लीटर पानी ले सकते हैं। इसे अधिकतम 30 बार तक स्वाइप किया जा सकता है और उसके बाद इसे रिचार्ज करवाना पड़ता है।
जो लोग 150 रुपए का यह कार्ड लेने के इच्छुक नहीं हैं, उनके लिए आरओ प्लांट्स से सीधे “होम डिलीवरी” की भी व्यवस्था है। इसके लिए सेल्समेन पांच रुपए की दर पर एक 20 लीटर का कैन भरकर पांच रुपए और लेकर यानी कुल 10 रुपए में घर तक पानी पहुंचाते हैं।
सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायरमेंट, नई दिल्ली की उपकार्यक्रम अधिकारी (जल) सुष्मिता सेनगुप्ता के अनुसार रेगिस्तानी इलाक़े में ऐसा प्रयास “बहुत ही सराहनीय” है।
जीवन अमृत योजना
जीवन अमृत योजना के तहत केयर्न इंडिया और टाटा कंपनी के साझा प्रयासों से ऐसा हो रहा है। कंपनी की सीएसआर (कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व) मैनेजर रितु झिंगन के अनुसार इस प्रयास का उद्देश्य न केवल शुद्ध सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराना है बल्कि यह भी सुनिश्चित करना है कि सप्ताह के सातों दिन यह व्यवस्था वाजिब दाम पर गांव वालों को सुलभ हो।
उन्होने बीबीसी को बताया, “थार क्षेत्र में समुदाय की पहली ज़रूरत सुरक्षित पेयजल है। इस दिशा में हम लोगों की सक्रिय भागीदारी से एक दीर्घकालिक प्रभाव ला पा रहे हैं, इसकी हमें ख़ुशी है।” टाटा प्रोजेक्ट द्वारा केयर्न इंडिया के साथ किए गए समझौते के तहत “बिना कोई फ़ायदे, नुक़सान के” आरओ प्लांट्स उपलब्ध कराए गए हैं। इसमें जल स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग (पीएचईडी) और स्थानीय पंचायत का भी पूरा सहयोग रहा है।
पीएचईडी विभाग की ओर से गांव के बीच में आरओ प्लांट के लिए स्थान उपलब्ध कराया जाता है, जहां केयर्न इंडिया ये मशीनें लगाती है। पंचायत को प्लांट लगाने के पहले यह सुनिश्चित करना होता है कि गांव में कम से कम 100 एटीएम कार्ड इच्छुक लोग हों। पंचायत एक पेयजल विकास समिति गठित करती है, जो आरओ प्लांट के ऑपरेटर की नियुक्ति सहित प्रबंधन का कार्य करती है।
जल से होने वाले रोगों से बचाव के लिए शुद्ध पेयजल की ज़रूरत के बारे में लोगों को जागरूक करने में स्थानीय धारा संस्थान का सहयोग रहा है। संस्थान के महेश पानपलिया के अनुसार बाड़मेर के लोगों के लिए आरओ प्लांट्स वरदान की तरह हैं। फ्लोराइड की अधिकता से बहुत से गांवों में लोग कुबड़े हो रहे हैं और दांतों के फ्लोरोसिस, जोड़ों और घुटनों में दर्द की शिकायत से जूझ रहे हैं।
उन्होने बीबीसी को बताया, “थार क्षेत्र में समुदाय की पहली ज़रूरत सुरक्षित पेयजल है। इस दिशा में हम लोगों की सक्रिय भागीदारी से एक दीर्घकालिक प्रभाव ला पा रहे हैं, इसकी हमें ख़ुशी है।” टाटा प्रोजेक्ट द्वारा केयर्न इंडिया के साथ किए गए समझौते के तहत “बिना कोई फ़ायदे, नुक़सान के” आरओ प्लांट्स उपलब्ध कराए गए हैं। इसमें जल स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग (पीएचईडी) और स्थानीय पंचायत का भी पूरा सहयोग रहा है।
पीएचईडी विभाग की ओर से गांव के बीच में आरओ प्लांट के लिए स्थान उपलब्ध कराया जाता है, जहां केयर्न इंडिया ये मशीनें लगाती है। पंचायत को प्लांट लगाने के पहले यह सुनिश्चित करना होता है कि गांव में कम से कम 100 एटीएम कार्ड इच्छुक लोग हों। पंचायत एक पेयजल विकास समिति गठित करती है, जो आरओ प्लांट के ऑपरेटर की नियुक्ति सहित प्रबंधन का कार्य करती है।
जल से होने वाले रोगों से बचाव के लिए शुद्ध पेयजल की ज़रूरत के बारे में लोगों को जागरूक करने में स्थानीय धारा संस्थान का सहयोग रहा है। संस्थान के महेश पानपलिया के अनुसार बाड़मेर के लोगों के लिए आरओ प्लांट्स वरदान की तरह हैं। फ्लोराइड की अधिकता से बहुत से गांवों में लोग कुबड़े हो रहे हैं और दांतों के फ्लोरोसिस, जोड़ों और घुटनों में दर्द की शिकायत से जूझ रहे हैं।
अशुद्ध पानी का उपयोग
वैसे आरओ प्लांट्स की शुरुआत बाड़मेर में पिछले साल गुड़ामालानी से हुई और अब तक ज़िले में 21 आरओ प्लांट्स लगाए जा चुके हैं। योजना के तहत उन गांवों का चयन किया गया है, जहां पानी में हानिकारक टीडीएस (कुल घुलनशील लवण) की मात्रा 2000 पीपीएम से अधिक है और कम से कम 50 फ़ीसदी आबादी खारा पानी पीने को मजबूर है।
कवास सहित अन्य गांवों में लगे बड़े आरओ प्लांट से प्रति घंटे 1000 लीटर पानी पीने योग्य बनाया जाता है। ख़ास बात यह है कि इस शुद्धिकरण की प्रक्रिया द्वारा करीब 90 प्रतिशत तक टीडीएस ख़त्म हो जाता है। जल शुद्धिकरण की प्रक्रिया में नियम के अनुसार 45 प्रतिशत पानी पीने योग्य माना जाता है। ऐसे में 55 प्रतिशत बिल्कुल बेकार जाने की संभावना रहती है, पर बाड़मेर के इन गांव में कई नई तकनीकों के उपयोग से इस पानी को खेती या ईंटें बनाने के काम में लिया जा रहा है।
रेगिस्तानी क्षेत्रों में पानी की किल्लत रहती है और लोगों को अक्सर मीलों दूर पैदल चलकर पानी की तलाश में जाना पड़ता है। इतनी मशक्कत के बावजूद बहुत बार निराश लौटना पड़ता है और मीठा पानी नहीं मिल पाता। ऐसे में वॉटर एटीएम और आरओ प्लांट्स से मानो कुआं ही प्यासे के पास चला आया है।
सुष्मिता सेन गुप्ता कहती हैं कि चूंकि वहां के पानी में टीडीएस की मात्रा बहुत अधिक है इसलिए अपशिष्ट जल की व्यवस्था में बहुत सावधानी बरती जानी चाहिए। साथ ही वो जल संरक्षण के बारे में लोगों को जागरूक और प्रेरित करने पर भी ज़ोर देती हैं। sabhar :http://www.amarujala.com/
कवास सहित अन्य गांवों में लगे बड़े आरओ प्लांट से प्रति घंटे 1000 लीटर पानी पीने योग्य बनाया जाता है। ख़ास बात यह है कि इस शुद्धिकरण की प्रक्रिया द्वारा करीब 90 प्रतिशत तक टीडीएस ख़त्म हो जाता है। जल शुद्धिकरण की प्रक्रिया में नियम के अनुसार 45 प्रतिशत पानी पीने योग्य माना जाता है। ऐसे में 55 प्रतिशत बिल्कुल बेकार जाने की संभावना रहती है, पर बाड़मेर के इन गांव में कई नई तकनीकों के उपयोग से इस पानी को खेती या ईंटें बनाने के काम में लिया जा रहा है।
रेगिस्तानी क्षेत्रों में पानी की किल्लत रहती है और लोगों को अक्सर मीलों दूर पैदल चलकर पानी की तलाश में जाना पड़ता है। इतनी मशक्कत के बावजूद बहुत बार निराश लौटना पड़ता है और मीठा पानी नहीं मिल पाता। ऐसे में वॉटर एटीएम और आरओ प्लांट्स से मानो कुआं ही प्यासे के पास चला आया है।
सुष्मिता सेन गुप्ता कहती हैं कि चूंकि वहां के पानी में टीडीएस की मात्रा बहुत अधिक है इसलिए अपशिष्ट जल की व्यवस्था में बहुत सावधानी बरती जानी चाहिए। साथ ही वो जल संरक्षण के बारे में लोगों को जागरूक और प्रेरित करने पर भी ज़ोर देती हैं। sabhar :http://www.amarujala.com/
शनिवार, 24 मई 2014
वैज्ञानिकों ने खोजी 18 हजार नई प्रजातियां, अब भी दो करोड़ की खोज बाकी
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मई 24, 2014 in अब भी दो करोड़ की खोज बाकी, वैज्ञानिकों ने खोजी 18 हजार नई प्रजातियां

न्यूयॉर्क। वैज्ञानिकों ने पिछले साल दुनियाभर में प्राणियों की 18 हजार नई प्रजातियों की खोज की। इनमें बिल्ली जैसा दिखने वाला भालू और जमीन में तीन हजार फीट नीचे रहने वाला बिना आंख का घोंघा शामिल है।
वैज्ञानिकों ने गुरुवार को इन प्रजातियों का खुलासा करते हुए नई 10 शीर्ष प्रजातियों की सूची भी जारी की। दुनिया भर में अब तक 20 लाख प्रजातियों के होने की ही जानकारी थी। अब इनमें ये 18 हजार नई प्रजातियां और जुड़ गई हैं।
वैज्ञानिकों का दावा है कि पृथ्वी पर अब भी करीब एक करोड़ प्रजातियों की खोज बाकी है। इनमें से कई तो विलुप्त होने की कगार पर हैं। शीर्ष दस प्रजातियों के लिए बनी समिति के प्रमुख और नेशनल म्यूजियम ऑफ नेचुरल साइंस के जीव विज्ञानी एंटोनियो वाल्डेकेसस ने यह जानकारी दी।
दस शीर्ष प्रजातियों में प्रमुख चार
दो किलो वजन वाला ओलिंग्यिटु: पश्चिमी गोलार्ध में पाया जाने वाला यह स्तनपायी है। यह बिल्ली और भालू का मिला-जुला रूप है।
12 मीटर लंबा ड्रैगननुमा पेड़: इसकी पत्तियां मुलायम लेकिन तलवार के आकार की हैं। इसमें सफेद फूल आते हैं। इनके तंतु नारंगी होते हैं। थाइलैंड के स्थानीय लोगों में यह जाना-माना था। लेकिन वैज्ञानिकों की पहुंच से दूर था।
एक इंच लंबा पीला कीड़ा: अंटार्कटिका में मिला। बर्फ चट्टानों से चिपका रहता है। दो दर्जन पैरों के सहारे रेंगता है।
250 माइक्रोमीटर जितना छोटा कीट: यह उडऩे वाला कीट कोस्टारिका में मिला है। इसे दुनिया के सबसे छोटे कीटों में से एक माना जा रहा है।
sabhar : bhaskar.com
एक इंजेक्शन से कैंसर का इलाज?
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मई 24, 2014 in एक इंजेक्शन से कैंसर का इलाज?

प्रीतंभरा प्रकाश
कैंसर पर रिसर्च करने वाले यह जानकर खासे उत्साहित हैं कि अब बोन मैरो कैंसर का एक हद तक उपचार मीजल्स (खसरे) के वायरस द्वारा किया जा सकेगा। अमेरिका के मेयो क्लीनिक में हुई इस रिसर्च में मल्टिपल मायलोमा (एक प्रकार का बोन मैरो कैंसर) से ग्रस्त दो महिलाओं को मीजल्स वायरस के डोज बड़ी मात्रा में दिए गए और इस ट्रीटमेंट के छह हफ्तों बाद दोनों महिलाओं में कैंसर वाले सेल नदारद हो गए।
गौरतलब है कि वायरोथेरेपी के अंतर्गत बीमारियों पर हमला बोलने के लिए पहले भी वायरस का इस्तेमाल किया जाता रहा है। इस रिसर्च के प्रमुख डॉ़ स्टीफन रसेल के मुताबिक, हम वायरस के जरिये चूहों में मेटास्टैटिक कैंसर को खत्म करने के बारे में तो जानते थे, किंतु यह मनुष्यों में भी संभव हो सकता है, यह पहली बार देखा गया है। इस ट्रीटमेंट में वायरस को सीधे मरीज के खून में छोड़ दिया जाता है। यह कैंसर को पहले दूषित करता है, फिर नष्ट करता है। इसके बाद मरीज का इम्यून सिस्टम बाकी बचे कैंसर का सफाया कर डालता है।
दरअसल, इस प्रयोग की महत्ता यह है कि यह ऐसे लोगों पर अपना असर दिखा रहा है, जिनके लिए कीमोथेरेपी कुछ कर नहीं पा रही थी। ओटावा हॉस्पिटल रिसर्च इंस्टीट्यूट में कैंसर फाइटिंग वायरस के टेस्ट में जुटे जॉन बेल के मुताबिक, अब इस दिशा में काम किए जाने की जरूरत है कि कौन से कैंसर के लिए कौन सा वायरस इस्तेमाल हो और यह किन लोगों के लिए प्रभावकारी होगा। sabhar :http://navbharattimes.indiatimes.com/
प्रीतंभरा प्रकाश
कैंसर पर रिसर्च करने वाले यह जानकर खासे उत्साहित हैं कि अब बोन मैरो कैंसर का एक हद तक उपचार मीजल्स (खसरे) के वायरस द्वारा किया जा सकेगा। अमेरिका के मेयो क्लीनिक में हुई इस रिसर्च में मल्टिपल मायलोमा (एक प्रकार का बोन मैरो कैंसर) से ग्रस्त दो महिलाओं को मीजल्स वायरस के डोज बड़ी मात्रा में दिए गए और इस ट्रीटमेंट के छह हफ्तों बाद दोनों महिलाओं में कैंसर वाले सेल नदारद हो गए।
गौरतलब है कि वायरोथेरेपी के अंतर्गत बीमारियों पर हमला बोलने के लिए पहले भी वायरस का इस्तेमाल किया जाता रहा है। इस रिसर्च के प्रमुख डॉ़ स्टीफन रसेल के मुताबिक, हम वायरस के जरिये चूहों में मेटास्टैटिक कैंसर को खत्म करने के बारे में तो जानते थे, किंतु यह मनुष्यों में भी संभव हो सकता है, यह पहली बार देखा गया है। इस ट्रीटमेंट में वायरस को सीधे मरीज के खून में छोड़ दिया जाता है। यह कैंसर को पहले दूषित करता है, फिर नष्ट करता है। इसके बाद मरीज का इम्यून सिस्टम बाकी बचे कैंसर का सफाया कर डालता है।
दरअसल, इस प्रयोग की महत्ता यह है कि यह ऐसे लोगों पर अपना असर दिखा रहा है, जिनके लिए कीमोथेरेपी कुछ कर नहीं पा रही थी। ओटावा हॉस्पिटल रिसर्च इंस्टीट्यूट में कैंसर फाइटिंग वायरस के टेस्ट में जुटे जॉन बेल के मुताबिक, अब इस दिशा में काम किए जाने की जरूरत है कि कौन से कैंसर के लिए कौन सा वायरस इस्तेमाल हो और यह किन लोगों के लिए प्रभावकारी होगा। sabhar :http://navbharattimes.indiatimes.com/
शुक्रवार, 23 मई 2014
श्रुति हसन ने बताई अपने इन 'गंदे चित्रों' की हकीकत
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मई 23, 2014 in श्रुति हसन ने बताई अपने इन 'गंदे चित्रों' की हकीकत

इन चित्रों पर पुलिस में दर्ज हुई शिकायत
कोई हीरोइन नहीं चाहती कि उसकी ऐसी तस्वीरें सामने आएं जिससे उसका नाम खराब हो। यही कारण है कि श्रुति हासन ने हैदराबाद पुलिस में एक शिकायत दर्ज कराई है। उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों श्रुति के कुछ ‘गंदे चित्र’ ऑन लाइन मीडिया में अचानक सुर्खियां बटोरने लगे थे, जिनके बारे में बताया गया था कि वह साउथ में श्रुति की एक फिल्म के हैं।
एक गाने की हैं तस्वीरें
श्रुति ने जब उन्हें देखा तो समझ नहीं सकीं कि उनके ये चित्र कब फिल्म के सेट पर खींच गए हैं और क्या कभी उन्होंने फिल्म की यूनिट को इन तस्वीरों को जारी करने को कहा है?
असल में ये तस्वीरें फिल्म ‘येवडु’ के आइटम डांस ‘डिंपल पिंपल’ से ली गई बताई जाती हैं। सूत्रों का कहना है कि श्रुति को जैसे ही पता चला कि उनकी कुछ गंदी तस्वीरें ऑन लाइन चल पड़ी हैं, उन्हें झटका लगा था। तस्वीरें देख कर खुद श्रुति को बहुत खराब लगा था क्योंकि उन्हें ऐसे कोण से खींचा गया था कि लगता था यह हीरोइन जानबूझ कर भद्दे ढंग से अंग प्रदर्शन कर रही है।
असल में ये तस्वीरें फिल्म ‘येवडु’ के आइटम डांस ‘डिंपल पिंपल’ से ली गई बताई जाती हैं। सूत्रों का कहना है कि श्रुति को जैसे ही पता चला कि उनकी कुछ गंदी तस्वीरें ऑन लाइन चल पड़ी हैं, उन्हें झटका लगा था। तस्वीरें देख कर खुद श्रुति को बहुत खराब लगा था क्योंकि उन्हें ऐसे कोण से खींचा गया था कि लगता था यह हीरोइन जानबूझ कर भद्दे ढंग से अंग प्रदर्शन कर रही है।
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कभी नहीं किया ऐसा अंग प्रदर्शन
ऐसा नहीं है कि श्रुति को अंग प्रदर्शन करने में कभी संकोच रहा है लेकिन उन्होंने कभी फूहड़ तस्वीरें नहीं खिंचवाई हैं। उनकी सेक्सी तस्वीरें भी बड़ी कलात्मक होती हैं।
उनके नजदीकी बताते हैं कि इन तस्वीरों की सबसे बुरी बात श्रुति को यह लगी कि लोगों ने सोचा वह सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए यह सब कर रही हैं। जबकि ऐसा कुछ नहीं है। इसी कारण श्रुति ने तय किया कि वह मामले की तह तक जाएंगी और उन्होंने पुलिस में इसकी शिकायत करवाई। sabhar :http://www.amarujala.com/
उनके नजदीकी बताते हैं कि इन तस्वीरों की सबसे बुरी बात श्रुति को यह लगी कि लोगों ने सोचा वह सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए यह सब कर रही हैं। जबकि ऐसा कुछ नहीं है। इसी कारण श्रुति ने तय किया कि वह मामले की तह तक जाएंगी और उन्होंने पुलिस में इसकी शिकायत करवाई। sabhar :http://www.amarujala.com/
गुरुवार, 22 मई 2014
जब मरने वाले ने खुद बताया कि उसकी लाश कहां दबी है?
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मई 22, 2014 in जब मरने वाले ने खुद बताया कि उसकी लाश कहां दबी है?
जब लौटकर नहीं आया पति
घटना घटना मध्यप्रदेश के काशीपुर गांव की है। गौरी बाई के बेटे की तीन साल पहले आंख निकाल ली गई थी। इस दर्द से वह निकल भी नहीं पाई थी कि 24 मार्च को उसका पति गायब हो गया। गौरी बाई ने अपने पति की खूब तलाश की लेकिन वह नहीं मिला।
इसके बाद पीड़ित महिला ने 2 अप्रैल को 65 वर्षीय पति छोटेलाल सेन की गुमशुदगी की रिपोर्ट मतगुआं थाने में लिखवाई। लेकिन पुलिस को छोटेलाल की कोई खबर नहीं मिली।
इसके बाद पीड़ित महिला ने 2 अप्रैल को 65 वर्षीय पति छोटेलाल सेन की गुमशुदगी की रिपोर्ट मतगुआं थाने में लिखवाई। लेकिन पुलिस को छोटेलाल की कोई खबर नहीं मिली।
सपने में देखा पति का शव
इस बीच गौरी ने एक सपना देखा कि उसके पति की लाश गांव के बाहर एक कुएं में है। गौरी पुलिस के पास गई और सपने में जो देखा था पुलिस को बताई। गौरी के कहने पर जब पुलिस ने कुएं की जांच कराई तो छोटे लाल का शव कुएं से बरामद हुआ।
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पुलिस भी हैरान है सपने की सच्चाई से
पुलिस कप्तान ललित शक्यवर कहते हैं कि सपने में शव का कुएं में देखना और तलाश करने पर उसका मिल जना। यह ऐसी घटना है जिससे हम लोग हैरान हैं। छोटे लाल का शव फोरेंसिक जांच के लिए भेज दिया गया है और कातिल की तलाश की जा रही है।
गौरी का दबा है जिन लोगों ने तीन साल पहले उसके बेटे की आंख निकाल ली थी उन लोगों ने ही उसके पति की हत्या की है। हत्या का कारण जमीन विवाद को माना जा रहा है। sabhar : http://www.amarujala.com/
गौरी का दबा है जिन लोगों ने तीन साल पहले उसके बेटे की आंख निकाल ली थी उन लोगों ने ही उसके पति की हत्या की है। हत्या का कारण जमीन विवाद को माना जा रहा है। sabhar : http://www.amarujala.com/
किशोरावस्था में सामूहिक दुष्कर्म का शिकार हुई थीं पामेला
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मई 22, 2014 in किशोरावस्था में सामूहिक दुष्कर्म का शिकार हुई थीं पामेला

कान। कनाडाई-अमेरिकी अभिनेत्री पामेला एंडरसन ने खुलासा किया है कि जब वह नौवीं क्लास में थीं तब उनके ब्वॉयफ्रेंड ने अपने छह दोस्तों के साथ मिलकर उनसे सामूहिक दुष्कर्म किया था। पामेला के अनुसार वह बचपन से ही यौन उत्पीड़न का शिकार होती रही हैं।
पामेला एंडरसन फाउंडेशन की लांचिंग के मौके पर उन्होंने यहां कहा, 'मैं मर जाना चाहती थी, लेकिन जानवरों के प्रति लगाव ने मुझे बचा लिया। मुझे लगता है कि अब उम्र के इस पड़ाव पर अपने गुजरे जीवन के सबसे कटु अनुभवों के बारे में बात करना चाहिए।' 46वर्षीय पामेला ने बताया कि छह से दस साल की उम्र तक उनकी महिला आया ही उनसे छेड़खानी करती रही। 12 साल की उम्र में एक सहेली के ब्वॉयफ्रेंड के 25 वर्षीय भाई ने उनसे दुष्कर्म किया। 'बेवॉच' स्टार के अनुसार प्यार करने वाले मां-बाप के बावजूद उनका बचपन बेहद दुखदायी रहा।
पामेला ने कहा, इन कटु अनुभवों की वजह से इंसानों से मेरा भरोसा उठ गया था। मैंने इन घटनाओं के बारे में अपनी मां को भी कुछ नहीं बताया। ऐसे में जानवरों के साथ आत्मीय लगाव ने मेरे जीवन को दिशा दी। जानवरों को सच्चा मित्र बताते हुए पामेला ने उनके संरक्षण पर काम करने का वादा किया है।
sabhar :http://www.jagran.com/
शुक्रवार, 9 मई 2014
People You Won’t Believe Actually Exist
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मई 09, 2014 in People You Won’t Believe Actually Exist
Tall Model From Brazil



2 FOOT ROUND OF BOOTILICOUSNESS: THE WORLD’S WIDEST HIPS
It’s no secret that men love curves. Curvy, voluptuous women have no trouble getting attention – especially if those curves are combined with confidence and a healthy amount of sass.






THE DIRTIEST MAN ALIVE
Meet Amoo Hadij, a peculiar 80-year-old man who has not bathed himself once in more than 60 years. Amoo Hadij lives in a small abandoned brick hut in the village of Dezhgah, completely alone, surrounded by garbage, dirt, and animal feces. A bit of a loner, Amoo likes to keep to himself, and rarely has the opportunity to interact with other people. This is probably due to the fact that he smells to high heaven and has the outward appearance of a troll.

GOOD PHOTOS GONE WRONG – FUNNY OPTICAL ILLUSIONS!










GIRL WEARS A CORSET FOR 3 YEARS IN A ROW



साभार :http://viralious.com/
No one understands the plight of the tall girl more than Elisany da Cruz Silva, a 17-year-old girl from Brazil who currently stands at six feet, nine inches in height. Elisany is a remarkable girl with a very rare form of gigantism caused by a tumor on her pituitary gland. She has been experiencing great leaps in height growth since her late childhood.
2 FOOT ROUND OF BOOTILICOUSNESS: THE WORLD’S WIDEST HIPS
It’s no secret that men love curves. Curvy, voluptuous women have no trouble getting attention – especially if those curves are combined with confidence and a healthy amount of sass.
THE DIRTIEST MAN ALIVE
Meet Amoo Hadij, a peculiar 80-year-old man who has not bathed himself once in more than 60 years. Amoo Hadij lives in a small abandoned brick hut in the village of Dezhgah, completely alone, surrounded by garbage, dirt, and animal feces. A bit of a loner, Amoo likes to keep to himself, and rarely has the opportunity to interact with other people. This is probably due to the fact that he smells to high heaven and has the outward appearance of a troll.
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साभार :http://viralious.com/
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