आदरणीय मेयर उमेश गौतम जी (बरेली), ( भूड़ मोहल्ले में भी कोई बंदर किसी मां का आंचल सूना ना कर दे)
.................आज दैनिक जागरण बरेली के अखबार में एक खबर पढ़कर दिल दहल गया। खबर थी कि एक बंदर मां की गोद से नवजात बच्चा छीनकर ले गया, इससे पहले मां कुछ करती बंदर ने बच्चे को जमीन पर पटक दिया और बच्चे का चेहरा नोच दिया।बच्चे की मौत हो गई। कुछ ऐसा ही आतंक हमारे भूड़ मोहल्ले में बंदरों ने मचा रखा है। यहां छतों पर बंदर हर समय डटे रहते हैं।सड़क पर फैले कूडे के ढेर पर ना जाने कितने बंदर खाने का सामान टटोलते रहते हैं। सड़क से गुजरने वाले राहगीर और बच्चों को बंदर काट खाने को दोड़ते हैं।
स्कूली बच्चे हैं दहशत में
........पास ही छोटे बच्चों का स्कूल है, जिनको बंदर कई बार काट चुके हैं। साथ ही कन्या डिग्री कालेज हैं जहां छात्राएं बंदरों से बचती-बचाती कालेज तक पहुंचती है। मोहल्ले की घर की खिड़की व दरवाजों के सामने बंदर खाने की चीजों को छीनने के लिए बैठे रहते है। जिसके चलते वह घरों में हर समय दरवाजा बंद कर रहने को मजबूर हैं।
माएं अपने नवजातों को आंचल में छुपा लेती हैं
.........मोहल्ले में कुछ नवजात बच्चे हैं जिनकी माएं हमेशा डर के साए में रहती हैं। ना जाने कब बंदर उनके बच्चे को नुकसान पहुंचा दें। काट लें, या उठाकर ले जाएं।
दीवाली पर न हो सकी सजावट
........बंदरों के आतंक के चलते इस बार मोहल्ले के घर दीवाली की सजावट से महरूम रह गए। लोगों ने घरों को अंदर से सजाया, बाहर से नहीं। क्योंकि बंदर सारी सजावट उधेड़ देते हैं।इस बार मोहल्ले वालों की दीवाली फीकी रही। लोगों ने खुद को सुरक्षित करने के लिए जाल लगवा रखे हैं।इंसान पिंजरे में और बंदर खुलेआम घूम रहे हैं।
पूर्व मेयर से काफी बार शिकायत की जा चुकी है।
........पूर्व मेयर डा. आई एस तोमर व सुप्रिया ऐरन से भी इस बावत कई बार शिकायत की जा चुकी है। मगर कोई एक्शन-रिएक्शन या कारवाई नहीं हुई। इस बार मोहल्ले वालों ने आपको मेयर के रूप में चुना है, वो आपसे उम्मीद कर रहे हैं कि शायद आप उनके इस डर को काबू में कर सकें। जिस समस्या का हल पूर्व मेयर ना निकाल सके, आप निकाल लें।
कहीं उपर्युक्त घटना की तरह कोई बंदर किसी मां के आंचल से उसका दुलारा ना छीन जाए और आंचल सूना ना कर दे। (फोटो अगली पोस्ट में)
धन्यवाद
सुचित्रा सिंह
(पत्रकार व एक्ट्रेस)
.................आज दैनिक जागरण बरेली के अखबार में एक खबर पढ़कर दिल दहल गया। खबर थी कि एक बंदर मां की गोद से नवजात बच्चा छीनकर ले गया, इससे पहले मां कुछ करती बंदर ने बच्चे को जमीन पर पटक दिया और बच्चे का चेहरा नोच दिया।बच्चे की मौत हो गई। कुछ ऐसा ही आतंक हमारे भूड़ मोहल्ले में बंदरों ने मचा रखा है। यहां छतों पर बंदर हर समय डटे रहते हैं।सड़क पर फैले कूडे के ढेर पर ना जाने कितने बंदर खाने का सामान टटोलते रहते हैं। सड़क से गुजरने वाले राहगीर और बच्चों को बंदर काट खाने को दोड़ते हैं।
स्कूली बच्चे हैं दहशत में
........पास ही छोटे बच्चों का स्कूल है, जिनको बंदर कई बार काट चुके हैं। साथ ही कन्या डिग्री कालेज हैं जहां छात्राएं बंदरों से बचती-बचाती कालेज तक पहुंचती है। मोहल्ले की घर की खिड़की व दरवाजों के सामने बंदर खाने की चीजों को छीनने के लिए बैठे रहते है। जिसके चलते वह घरों में हर समय दरवाजा बंद कर रहने को मजबूर हैं।
माएं अपने नवजातों को आंचल में छुपा लेती हैं
.........मोहल्ले में कुछ नवजात बच्चे हैं जिनकी माएं हमेशा डर के साए में रहती हैं। ना जाने कब बंदर उनके बच्चे को नुकसान पहुंचा दें। काट लें, या उठाकर ले जाएं।
दीवाली पर न हो सकी सजावट
........बंदरों के आतंक के चलते इस बार मोहल्ले के घर दीवाली की सजावट से महरूम रह गए। लोगों ने घरों को अंदर से सजाया, बाहर से नहीं। क्योंकि बंदर सारी सजावट उधेड़ देते हैं।इस बार मोहल्ले वालों की दीवाली फीकी रही। लोगों ने खुद को सुरक्षित करने के लिए जाल लगवा रखे हैं।इंसान पिंजरे में और बंदर खुलेआम घूम रहे हैं।
पूर्व मेयर से काफी बार शिकायत की जा चुकी है।
........पूर्व मेयर डा. आई एस तोमर व सुप्रिया ऐरन से भी इस बावत कई बार शिकायत की जा चुकी है। मगर कोई एक्शन-रिएक्शन या कारवाई नहीं हुई। इस बार मोहल्ले वालों ने आपको मेयर के रूप में चुना है, वो आपसे उम्मीद कर रहे हैं कि शायद आप उनके इस डर को काबू में कर सकें। जिस समस्या का हल पूर्व मेयर ना निकाल सके, आप निकाल लें।
कहीं उपर्युक्त घटना की तरह कोई बंदर किसी मां के आंचल से उसका दुलारा ना छीन जाए और आंचल सूना ना कर दे। (फोटो अगली पोस्ट में)
धन्यवाद
सुचित्रा सिंह
(पत्रकार व एक्ट्रेस)