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मंगलवार, 24 जून 2014

क्रियायें जो आपके मस्तिष्क को दें लाजवाब शक्तियां

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दिमाग को बनायें ताकतवर
अगर आपका मस्तिष्‍क यानी दिमाग मजबूत है तो आप बड़ी से बड़ी मुश्किलों को आसानी से सुलझा सकते हैं। इसलिए जरूरी है कि शरीर के साथ-साथ दिमाग को भी ताकतवर बनायें। कई ऐसी युक्तियां हैं जिनके जरिये आप अपनी याद्दाश्‍त क्षमता को बढ़ा सकते हैं, ये तरीके बहुत ही आसान हैं। तो अभी से अपने दिमाग को मजबूत बनाने वाली क्रियायें शुरू कीजिए।

भविष्‍य के बारे में न सोचें
भविष्‍य की चिंता बहुत अधिक न करें, अपने वर्तमान में ही खुश रहने की कोशिश कीजिए। कई लोग अपने भविष्‍य को लेकर बहुत चिंतित रहते हैं और इस कारण वे अपने वर्तमान को भी दांव पर लगा देते हैं। वर्तमान में खुश रहने की कोशिश कीजिए। क्‍योंकि भविष्‍य को लेकर चिंतित रहने से तनाव होता है और याद्दाश्‍त कमजोर होती
संगीत का जादू
संगीत में जादू होता है। संगीत न केवल मनोरंजन के लिए होता है बल्कि दिमाग को शुकून भी देता है, तनाव से राहत दिलाता है। इसलिए जब भी मौका मिले अपना पसंदीदा गीत सुनने की कोशिश कीजिए। आप ऑफिस में भी काम के साथ-साथ अपना पसंदीदा गाना सुन सकते हैं
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समस्‍याओं को हल निकालिये
कठिनाइयां और चुनौतियां व्‍यक्ति के जीवन का अहम हिस्‍सा हैं, इन्‍हें देखकर घबराना नहीं चाहिए बल्कि ठंडे दिमाग से सोच-समझकर इनका हल निकालने की कोशिश करनी चाहिए। इससे आपके सोचने और समझने की क्षमता का पता भी चलेगा।
पहेलियों को सुलझायें
सोचने और समझने की क्षमता बढ़ाने के लिए जरूरी है दिमागी कसरत कीजिए। इसके लिए तर्कशक्ति वाले सवालों को हल कीजिए, पहेलियों को सुल‍झाइये, सुडोकू में दिमाग लगाइए। फिर देखिये कैसे आपकी तर्कशक्ति बढ़ती है।
भरपूर नींद भी जरूरी
भरपूर नींद लेने से न केवल बीमारियों से बचाव होता है बल्कि दिमाग भी मजबूत होता है। अगर आप नियमित रूप से 7 से 9 घंटे की सामान्‍य नींद लेते हैं तो तनाव से बचते हैं साथ ही पूरे दिन ऊर्जावान भी बने रहते हैं। भरपूर नींद आपके दिमाग के लिए बहुत जरूरी है

खानपान पर ध्‍यान दीजिए
दिमाग को स्‍वस्‍थ बनाने के लिए जरूरी है पौष्टिक आहार का सेवन कीजिए। सुबह-सुबह बादाम खाने से याद्दाश्‍त बढ़ती है। झींगा मछली भी याद्दाश्‍त बढ़ाता है। गाजर और पालक खाने से भी याद्दाश्‍त बढ़ती
लिस्‍ट जरूर बनायें
चीजों की लिस्‍ट बनाकर रखने से भी याद्दाश्‍त मजबूत होती है। हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के प्रोफेसर और कैम्ब्रिज हेल्थ अलाइंस के जेरिएट्रिक्स विभाग के प्रमुख डॉ. अन्ने फैबिनी के अनुसार, “अधिकांश लोग उम्र बढ़ने के साथ थोड़ा ज्यादा भूलने लगते हैं, लेकिन सबसे आसान उपाय ये है कि आप कामों को लिखकर, उनके स्लिप बनाकर रखें, जिससे उन्हें याद रखने में आपको आसानी हो।

पढ़ने की आदत डालें
दिमाग को मजबूत बनाने के लिए जरूरी है पढ़ने की आदत डालिये। किसी चीज को बार-बार पढ़ने से वो आसानी से याद हो जाती है और पढ़ने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि आपका ज्ञान भी बढ़ता है। image source - getty
ध्‍यान लगायें
मेडिटेशन करने से याद्दाश्‍त बढ़ती है। मेडिटेशन बौद्धिक कार्यों को प्रभावशाली तरीके से करने में मदद करता है। अपने मस्तिष्क को आराम करने का समय दीजिएये। इसके बाद महत्वपूर्ण बातों को याद करने का प्रयास करें।
एक्‍सरसाइज कीजिए
नियमित व्‍यायाम करने से न केवल शरीर मजबूत होता है बल्कि यह दिमाग के लिए भी फायदेमंद है। नियमित रूप से शारीरिक गतिविधियां करने से दिमाग स्‍वस्‍थ रहता है
आदतें बुरी होती हैं, स्वभाव नहीं
हम सभी चाहते हैं कि अपने जीवन में सफलता प्राप्त करें, लेकिन कभी-कभी अपनी ही कुछ आदतों की वजह से हमारा खुद का अक्स हमसे दूर चला जाता है और हम अपनी ख्वाहिशों से दूर होते जाते हैं। दरसल हमारे स्वभाव और आदतों से मिलकर हमारे व्यक्तित्व का वह महत्वपूर्ण हिस्सा तैयार होता है, जिससे हम अपना सांसारिक जीवन चलाते हैं। तो आप जीवन में कुछ भी बनें लेकिन सबसे पहले एक बेहतर इंसान बनें। और इसके लिए आपको खुद को कुछ बुरी आदतों से दूर करना होगा। कैसे.... ? चलिये जानें...
क्यों ज़रूरी है बदलाव
आदत के मामले में अत्यधिक सजगता रखनी चाहिए, क्योंकि आपका शरीर आदतों से संचालित होता है और ये इतनी हावी हो जाती हैं कि शरीर और मन पूरी तरह इनका मजबूर हो जाता है। बुरी आदतें प्राकृतिक जीवन-शैली से विपरीत दिशा में खींचती हैं। उदाहरण के तौर पर हमें सुबह जल्दी उठना चाहिये लेकिन आदत कहती है, देर से उठो। ऐसी कितनी ही आदतें हैं जो हमें सहज जीवनशैली से दूर ले जाती हैं और हमारे समाजिक जीवन को प्रभावित करती हैं। इसलिए बुरी अदतें जितनी जल्दी बदल दी जाएं उतना ही बेहतर होता
दूसरों से अपनी तुलना करना छोड़ें
खुद की दूसरों से तुलना करने पर आप खुद ही अपने अंदर के उत्साह को कम करते हैं। ध्यान रखें कि हर इंसान में अपनी कुछ खासियत होती है। किसी और से खुद की तुलना करने पर आप अपनी ऊर्जा और समय दोनों ही नष्ट करते हैं।
खुद को उत्साहित न करने की आदत
आगे बढ़ने के लिए उत्साहवर्धन बेहत जरूरी होता हैं। दूसरे लोग आपको उत्साहित करें तो अच्छी बात है लेकिन आपको खुद अपने आपको भी उत्साहित करना होगा। खुद को नाकात्मक सोच में डुबाने की आदत से दूर रखें।
आराम न करने की आदत
अक्सर लोग आगे बढ़ने की हसरत में नींद के साथ समझौता करने लगते हैं। लेकिन ऐसा करना न सिर्फ उनको शरीरिक रूप से बल्कि मानसिक रूप से भी कमजोर बनाता है। तो इस बुरी आदत को भी बाहर का रास्ता जल्द दिखाएं।
-नए विचारों की कमी
आज के दौर में नयापन आपकी खासयत होती है। आपके काम में जब तक नयापन रहेगा लोग आपको चाहेंगे भी और सराहेंगे भी। जहां आप के काम में पुरानापन आने लगा तो समझिए आपका मुश्कित वक्त शुरू हो सकता है। इसलिए हमेशा कुछ ना कुछ नया सोचते और करते रहें।
जीवन में लक्ष्य न बनाने की आदत
बिनी लक्ष्य के जीवन बिना स्टेयरिंग की कार की तरह होती है। ऐसी गाड़ी चलती तो है पर उसकी कोई दिशा नहीं होती। तो अगर आपने अपनी जिंदगी में कुछ करने, कुछ पाने की चाहत नहीं रखी है तो इस आदत को दूर करें और अपने लिए लक्ष्य निर्धारित करें और पूरी तैयारी के साथ उस दिशा में आगे बढ़ें
-दूसरों को जीतने की कोशिश करने की आदत
वे लोग जो आपका अपमान करते हैं या आपको नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं उनको सबक सिखाने की चाह रखने और उस दिशा में काम कर खुद को परेशान करने की आदत छोड़ें। ऐसे लोगों को अपने जीवन में महत्व देने के बजाय उन चीजों पर ध्यान देना चाहिए जो आपको सफलता और खुशी देती हों
खुद पर कम और दूसरों पर ज्यादा ध्यान देने की आदत
कई बार आप दूसरों की सफलता से प्रभावित होते हैं और उन्हें ही सब कुछ मानने लगते हैं। आपको लगने लगता है कि आप वैसा कुछ कर ही नहीं सकते जैसा उन्होंने कर दिखाया। लेकिन यह सोचना छोड़कर अपने काम पर ध्यान देने से आपको ज्यादा फायदा होगा। आगे बढ़ते हुए दूसरों की सफलता से डरकर कभी भी आपको फायदा नहीं हो सकता। दूसरों पर फोकस रखने की आदत को जितनी जल्दी बदलेंगे उतना ही आगे बढ़ने में मदद मिलेगी।
मुश्किलों से घबराने की आदत
एक बात हमेशा याद रखें कि आपका काम और जिंदगी हमेशा आपके अनुसार नहीं चलती। उसमें मुश्किलें और अप्रत्याशित घटनाएं होती ही रहती हैं, जिन पर कई बार आपका बस नहीं चलता। लेकिन इन घटनाओं को आपके जीवन को प्रभावित न होने दें। इन मुश्किलों और प्रतिकूलताओं के बीच सामंजस्य की आदत डालें।
सवालों के जवाब
जीवन में आये बदलाव या आपके आचरण से जुड़ी चीजों के बारे में आसपास के लोगों के कई प्रकार के सवाल होते है। यहीं नहीं हर विषय पर टीका-टिप्पणी करना वह अपना अधिकार मानते हैं। चाहे वह परिवार का सदस्‍य हो, चाहे आपका दोस्‍त या कोई अजनबी, हर चीज पर उसकी अपनी एक राय होती है। इससे उन्‍हें कोई फर्क नहीं पड़ता कि इस तरह के व्‍यवहार से आपको कैसा लग सकता है। कई चीजों के बारे में जवाब देने पर आपको बाध्य महसूस हो सकता है। लेकिन कुछ चीजें वास्‍तव में ऐसी होती है जिनसे किसी को कुछ लेना देना नहीं होता, लेकिन फिर भी वह आपसे उसके बारे में पूछते है। यहां पर ऐसी ही कुछ बातों के बारे में बताया गया है जिनका आप किसी को भी स्‍पष्‍टीकरण नहीं देना चाहते।
जीवन की स्थिति के लिए स्‍पष्‍टीकरण न देना
आप आपने प्रेमी या प्रेमिका के साथ रह रहें है या नहीं, या फिर आप अपने माता पिता के साथ क्‍यों नहीं रहना चा‍हते। इस बारे में आप किसी को भी समझाने की जरूरत नहीं समझते हैं। क्‍योंकि आप समझते हैं कि आप अपने जीवन की स्थिति से पूरी तरह अवगत हैं, इस स्थिति में रहने का आपका स्‍वयं का फैसला है। इससे किसी को भी कोई मतलब नहीं होना चाहिए।
-जीवन की प्राथमिकताओं के लिए स्पष्टीकरण न देना
चीजों के बारे में आपके अपने विचार हैं जो आपको और आपके प्रियजनों को सही मायने में आरामदायक और खुश महसूस करवाते होगें और यह आपकी मुख्‍य प्राथमिकता है। इस प्रकार हर व्‍यक्ति के अपने विशिष्ट विचार, विभिन्न मूल्य, सपने और आकांक्षाएं है। अपनी इन मुख्‍य प्राथमिकताओं के बारे में आप किसी कोई भी स्‍पष्‍टीकरण नहीं देना चाहते हैं
माफी न मांगने पर पछतावे का अभाव
अगर आप अपनी किसी चीज को गलत नहीं मानते और मानते हैं कि इसके लिए दूसरा जिम्‍मेदार है तो आप उनकी माफी के लिए ज्‍यादा परवाह नहीं करते और अपने कार्यों के लिए आपको पछतावा नहीं होता हैं। कुछ लोग जल्‍दी से घावों को भरने के लिए माफी मॉग लेते हैं लेकिन आप कभी भी मॉफी नहीं मांगते अगर आप किसी बात को लेकर सच में खेद नहीं है।
अकेले समय की आवश्यकता
जब आप योजना या अन्‍य दायित्‍वों को रद्द करते हैं, क्‍योंकि आपको एक अच्छी किताब का आनंद लेने के लिए अकेले कुछ समय की जरूरत है। हालांकि अकेले समय बिताना, पूरी तरह से सामान्‍य, प्राकृतिक और आवश्‍यक अभ्‍यास है। आप विश्वास से अपने अकेले समय को इंजॉय करें क्‍योंकि आपको किसी को भी इसके लिए स्‍पष्‍टीकरण देने की जरूरत नहीं है।
-निजी मान्यताओं पर सहमति
अपनी निजी मान्‍याताओं को यदि कोई पूरी भावना के साथ बताता है तो इसका मतलब यह नहीं है कि कुछ भी करने की स्‍वीकृति में आपको सिर का इशारा देना हैं। आप उसके विचारों से सहमत नहीं है या अन्‍य व्‍यक्ति के विचार अनुचित है तो खुद के विचारों और भावनाओं को दबाने और सहमत होने का नाटक करने की जरूरत नहीं है। 
किसी भी बात में हां कहना जरूरी नहीं है
अगर हां कहने के लिए कोई बाध्यकारी कारण नहीं है तो आपको न कहने का पूरा अधिकार है। वास्तव में, दुनिया में सबसे सफल लोगों को न कहने की कला में महारत हासिल है। अन्य लोगों की दया को स्वीकार करें और इसके लिए उनके आभारी भी रहें, लेकिन कुछ भी अस्वीकार करने के लिए डरे नहीं। विनम्रता से दूर अपने मूल लक्ष्यों और प्राथमिकताओं पर ध्‍यान दें। यहीं आगे बढ़ने के लिए सहीं है।

शारीरिक उपस्थिति के लिए स्पष्टीकरण न देना
आपको अपनी शारीरिक उपस्थिति के लिए किसी को भी स्‍पष्‍टीकरण देने की जरूरत नहीं है। आप पतले, मोटे, लंबे, छोटे, सुंदर, सादे या जो कुछ भी हो सकते हैं, लेकिन आप कैसे दिखते हैं और इसके लिए क्या करते हैं यह किसी को भी समझाने की जरूरत नहीं है। आपके हावभाव अपना खुद का मामला है और इसके लिए केवल खुद को बाध्य कर सकते हैं। शारीरिक उपस्थिति से स्वयं के मूल्य को निर्धारित नहीं किया जाना चाहिए
धार्मिक या राजनीतिक विचारों के लिए स्पष्टीकरण न देना
आप एक डेमोक्रेट, रिपब्लिकन, कैथोलिक, प्रोटेस्टेंट या मुसलमान हैं, यह आपकी खुद की निजी पसंद है। आप किसी को भी आप क्या कर रहे हैं, क्यों कर रहे हैं, क्या आप मानते हैं, किस पर विश्वास नहीं करते, के लिए एक स्पष्टीकरण देने की जरूरत नहीं है। आप जो कर रहे हैं उसके लिए अगर आप को स्वीकार नहीं कर सकता हैं, तो यह आपकी अपने निजी हठधर्मिता नहीं है। 
अभी तक सिंगल होने का स्‍पष्‍टीकरण न देना
आप अभी तक अकेले क्‍यों है, इसका किसी से कोई लेना देना नहीं होना चाहिए। एकल होना कोई व्‍यक्तितव विकार नहीं है। एक रिश्‍ते में रहना या नहीं इस बारे में आप बिल्‍कुल स्‍वतंत्र हैं। इसके अलावा, सिंगल रहना उन सामाजिक लेबल की तरह है जिसपर सच में किसी को ध्‍यान नहीं देना चाहिए।
शादी के बारे में आपका निर्णय
आप शादी करना चाहते हैं या अविवाहित रहना, या फिर बच्‍चे चाहते हैं या नहीं, यह आपका खुद का निजी फैसला है। मां का शादी या पोते के लिए दबाव डालना गलत हो सकता है क्‍योंकि यह हर किसी का व्‍यक्तिगत फैसला होता है और हर किसी के लिए उपयुक्त नहीं है। मां के निर्णय का सम्‍मान करना चाहिए लेकिन स्‍वयं पर बोझ लेकर नहीं।
ऐसे बढ़ायें अपनी याद्दाश्‍त
सीखना तो उम्र भर चलता रहता है। लगातार सीखते रहने और उसका लाभ उठाने की यह प्रवृत्ति ही तो इनसान को बाकी जीवों से अलग करती है। इनसान की बुद्धि और विवेक ही उसे बाकियों से बेहतर बनाती है। इसलिए अपने हुनर को लगातार मांझते रहना बहुत जरूरी है। यहां हम कुछ ऐसे प्‍वाइंट्स बता रहे हैं, जो आपको अपनी याद्दाश्‍त को मजबूत बनाने में मदद करेंगे।
-चीजों को जोड़ना सीखिये
आप जो चीजें, बातें नयी सीख रहे हैं, उन्‍हें पुरानी बातों से जोड़ना सीखें। उदाहरण के लिए यदि आपको यमुना की लंबाई (1376 किलोमीटर) के बारे मे पता चला है, तो आप उसे ताजमहल से जोड़ सकते हैं। इससे आपको दोनों के बारे में जरूरी चीजें याद रहेंगी।
-दोहरायें
जब आप किसी चीज को मन ही मन दोहराते हैं, तो आपके लिए उसे याद रखना आसान हो जाता है। या तो आप चीज को अपने मन में दोहराते रहें। आप चाहें तो उन बातों को लगातार कागज पर लिखकर भी याद कर सकते हैं। इससे आपको उन शब्‍दों को याद रखने में आसानी होगी।
-तरीके आजमायें
यदि आप‍ किसी घटनाक्रम को याद करने का प्रयास कर रहे हैं, तो कुछ तरकीब भी आजमा सकते हैं। मान लीजिये आपको अंग्रेजी में नवग्रहों के नाम याद करने हैं, तो आप `My Very Educated Mother Just Showed Us Nine Planets’, का तरीका आजमा सकते हैं। इसमें हर शब्‍द के पहले अक्षर से ग्रह का आता है
-कार्ड पर लिख लें
जब आप महत्‍वपूर्ण ऐतिहासिक तारीख, फॉर्म्‍यूले आदि को याद करना हो, तो आप इसके लिए फ्लैश कार्ड पर उन्‍हें लिख सकते हैं। और जब भी आपको जरूरत महसूस हो, आप उन कार्डस को देख सकते हैं।
-गाएं और याद्दाश्‍त बढ़ायें
अपनी लयबद्धता के कारण संगीत आसानी से आपके दिमाग में समा जाता है। अपने पसंदीदा गाने की धुन पर उन चीजों को सेट कर लीजिये, जिन्‍हें आप याद करना चाहते हैं। इससे आप तथ्‍यों को लंबे समय तक याद रख पाएंगे।
जो पढ़े उसे महसूस करें
आप जो भी पढ़ें मस्तिष्‍क में उसकी एक तस्‍वीर बनाने की कोशिश कीजिये। इससे आप चीजों को अधिक लंबे समय तक याद रख पाएंगे। जब आप पढ़ रहे हों, तो साथ-साथ उन शब्‍दों के बारे में सोचना शुरू कर दें। सोचें कि वह चीज कैसी दिखती होगी, उसकी सुगंध कैसी होगी अथवा उसका स्‍वाद कैसा हो सगता है।
-उदाहरण दें
जब आप किसी चीज को असल जिंदगी के उदाहरणों से जोड़कर देखते हैं, तो मस्तिष्‍क के लिए उन चीजों को दोहराना आसान हो जाता है। हमारा मस्तिष्‍क उन तथ्‍यों को आसानी से याद रख पाता है। कहा जाता है कि मानव जीवन भर अपने मस्तिष्‍क का बामुश्‍किल पांच से सात फीसदी ही इस्‍तेमाल कर पाता है। बाकी हिस्‍सा अनछुआ ही रह जाता है। लेकिन, अपनी याद्दाश्‍त को सुधारने के लिए आपको मस्तिष्‍क का व्‍यायाम जरूर करना चाहिये।
बाइपोलर डिसऑर्डर पर नियंत्रण
बाइपोलर डिसऑर्डर को नियंत्रित करने के लिए तनाव का स्‍तर कम होना चाहिए। इसके साथ ही मरीज को भरपूर नींद के साथ ही नशीले पदार्थो के सेवन से दूर और अपने आत्‍मविश्‍वास को मजबूत रखना चाहिए। साथ ही ऐसे रोगियों की दवा, मनोवैज्ञानिक इलाज और पारिवारिक काउंसलिंग आदि महत्वपूर्ण बातों का ध्‍यान रखना चाहिए।
-तनाव का प्रबंधन
बाइपोलर डिसऑर्डर का प्रमुख कारण तनाव है इसलिए तनाव कम से कम लें। तनाव के स्‍तर को कम करने के लिए सबसे पहले आपको यह जानना जरूरी है कि तनाव का क्‍या कारण है। कारण जानने के बाद तनाव से छुटकारा पाने की कोशिश करें। सा‍थ ही आपको अपनी भावनात्मक एवं शारीरिक प्रतिक्रिया पर भी गौर करना चाहिए। यह समझकर समस्या को नजरअंदाज न करें कि यह खुद ठीक हो जाएगी। ऐसा करने से स्थिति बिगड़ सकती है।
नशीले पदार्थों के सेवन से बचें
बाइपोलर डिसऑर्डर की समस्‍या उनमें भी पाई जाती है जो नशीले पदार्थो का सेवन डिप्रेशन से छुटकारा पाने या दिमाग को शांत रखने के लिए करते हैं। नशीले पदार्थों से दूर रहें क्‍योंकि सिगरेट या शराब के सेवन से तनाव घटने की बजाय बढ़ता है और तनाव बाइपोलर डिसऑर्डर को बढाता है।
-नींद की समस्‍या
बाइपोलर डिसऑर्डर में लोगों को नींद की समस्‍या होना आम है। डिप्रेशन के कारण या तो वे बिल्‍कुल नहीं सो पाते या बहुत ज्‍यादा सोते हैं। ऐसे लोग बहुत अधिक थकान भी महसूस करते हैं। हालांकि कुछ घंटे ठीक से सोने के बाद वे खुद को फ्रेश महसूस करते हैं। इसलिए निर्धारित समय पर सोना जरूरी है और यह भी सुनिश्चित करें कि आपकी नींद में खलल न पड़े।
-खान-पान में सुधार
असंतुलित भोजन दिनचर्या आपके तनाव को बढ़ाती है। तनाव के ज्‍यादा बढ़ने से बाइपोलर डिसऑर्डर की समस्‍या बनती है। इसलिए स्‍वस्‍थ खान-पान को अपनी आहार दिनचर्या में शामिल करें। फास्‍ट फूड और हमेशा कुछ चबाते रहने की आदत से छुटकारा पाने की कोशिश करें।
-कसरत है जरूरी
बाइपोलर डिसऑर्डर की समस्‍या से छुटकारा पाने के लिए नियमित व्‍यायाम बेहतर उपाय है। व्‍यायाम को अपनी दिनचर्या में शामिल करें। अपनी सुविधानुसार आप कोई भी व्‍यायाम कर सकते हैं। व्‍यायाम करने से शरीर में इंडॉर्फिन रिलीज होता है, जिससे आप बेहतर महसूस करते हैं।
-योजनाबद्व तरीके से कार्य करें
किसी भी कार्य को पूरा करने में असमर्थ महसूस करना बाइपोलर डिसऑर्डर का लक्षण है। ऐसे व्यक्ति अपनी पूरी ऊर्जा काम में नहीं लगा पाते और न ही एक समय में एक से ज्यादा काम कर पाते है। इसलिए जरूरी है कि अपने दिनभर के कार्यो की योजना बनाएं। इससे आप उस कार्य के लिए पूरी रूप रेखा तैयार कर पाएंगे और जरूरी तैयारी भी कर पाएंगे।
तनाव की चर्चा
बाइपोलर डिसऑर्डर में कई बार तनाव इतना बढ़ जाता है कि व्‍यक्ति अपना मानसिक संतुलन खो बैठता है। इसलिए तनाव के ज्‍यादा बढ़ने से पहले ही इसके कारणों की चर्चा अपने विश्‍वास पात्र व्यक्ति से करें। विश्‍वास योग्य व्यक्तियों में कोई भी हो सकता है जैसे आपकी पत्नी या पति, मित्र-हितैषी या कोई निकटतम संबंधी।
नकारात्मक पहलुओं के बारे में न सोचें
बाइपोलर डिसऑर्डर में तनाव उस समय और बढ़ जाता है जब व्‍यक्ति घटित घटनाओं के बारे में सोचता है। यदि आपके साथ कुछ ऐसा हुआ है, जिसे सोचकर आप तनाव में आ जाते हैं तो बेहतर होगा कि आप जिंदगी के नकारात्मक पहलुओं से खुद को दूर रखें और उनके बारे में न सोचें।
-वॉकिंग
तनाव दूर करने का सबसे आसान और प्रभावी उपाय है सुबह के वक्‍त टहलना। सुबह के समय टहलने से आप न केवल प्रकृति की सुंदरता का आनंद लेते हैं बल्कि रोजमर्रा के तनाव से भी आपको राहत मिलती है। पक्षियों की चहक सुनने और सूरज को निकलते हुए देखने से आप अपने अन्‍दर बदलाव महसूस करते हैं।
-योग
योग के माध्‍यम से भी आप तनाव से दूर रह सकते हैं। योग करना मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है। ऐसे भी योग हैं जिनका कुछ मिनटों का अभ्‍यास आपको तनाव से तुरंत राहत देता है।
ध्यान या मेडिटेशन
योग की तरह ध्‍यान से भी आप तनाव मुक्‍त महसूस करते हैं। मेडिटेशन एक अच्‍छी क्रिया है और नियमित तौर पर किया गया मेडिटेशन आपको सेहतमंद भी रखता है। ध्‍यान के परिणाम सामने आने में कुछ समय लग सकता है।
गहरी सांस लेना
तनाव को धीमी गति से सांस लेने से जोड़ा गया है। गहरी और धीमी गति से लिया गया सांस तनाव दूर करने में मदद कर सकता है। इसके लिए 3 से 4 सेकंड पर गहरी सांस लें और उसी समय इसे धीरे-धीरे छोड़ें।
थोड़ी सी मस्‍ती
अपनी नियमित गतिविधियों में से कुछ ऐसी गतिविधियों का चुनाव करें, जिनमें आपको अन्‍य के मुकाबले अच्‍छा म‍हसूस होता है। अपनी हॉबी को दोहराएं, किसी क्लब में शामिल हो या फिर आप कोई खेल भी खेल सकते हैं। साथ ही यदि आपको बागवानी, टहलना, टीवी देखना, संगीत सुनना, समाचार पत्र पढ़ना या लेखन आदि पसंद है तो इनमें से कुछ करके आप तरोताजा महसूस कर सकते हैं।
-sabhar :
http://www.onlymyhealth.com/

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कंप्यूटर से जुड़ेगा दिमाग का रिश्ता

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एक नई तकनीकी की मदद से कंप्यूटर जल्द ही यूजर के दिमाग को समझने लगेंगे. साइंस फिक्शन लगने वाली यह बात फ्लाइट सिमुलेटर में किए गए अपने पहले असली टेस्ट में कामयाब रही है

Hirngesteuertes Fliegen Experiment TU München EINSCHRÄNKUNG


विमान उड़ाना सिर्फ कंट्रोल पैनल संभालना नहीं होता, लेकिन हाल ही में एक फ्लाइट सिमुलेटर में बैठे पायलट को हाथ का इस्तेमाल किए बिना विमान को अपने रास्ते पर रखने में कामयाबी मिली है. पायलट ने दिमागी गतिविधियों को मापने वाला इलेक्ट्रोड कैप पहन रखा था और पायलट ने दिमागी आंख में जॉय स्टिक की मदद से विमान का उड़ानपथ तय किया. हालांकि इस परीक्षण ने साइंस फिक्शन स्टाइल के दिमागी कंट्रोल को हकीकत बना दिया है लेकिन इस तकनीकी का इस्तेमाल अभी सालों दूर है. और वह भी सिर्फ असमर्थ पायलटों के लिए होगा.
यूरोपीय संघ की वित्तीय मदद से हुए ब्रेन फ्लाइट प्रोजेक्ट के पांच दलों को अलग अलग जिम्मेदारी सौंपी गई थी. म्यूनिख के फ्लाइट सिस्टम डायनामिक्स इंस्टीट्यूट के समन्वयक टिम फ्रीके ने बताया, "मैं समझता हूं कि इस तकनीकी को दूसरे इलाकों में इस्तेमाल करना महत्वपूर्ण है और निश्चित तौर पर इसका इस्तेमाल पहले दूसरे इलाकों में ही होगा."
लोगों की दिलचस्पी
ब्रेनफ्लाइट प्रोजेक्ट के प्रेस रिलीज में प्रोजेक्ट की ओर लोगों का ध्यान खींचने के लिए साइंस फिक्शन वाले मामले को उठाया गया था. टिम फ्रीके मानते हैं कि ऐसा जानबूझ कर किया गया. एरोप्लेन वाले स्टंट से पहले ब्रेन फ्लाइट प्रोजेक्ट के लिए बहुत सारा शोध किया गया था लेकिन फ्रीके का कहना है कि प्रयोगशालाओं में होने वाले शोध में मीडिया की दिलचस्पी नहीं होती. भले ही रिपोर्टरों के लिए लैब को दिखाना दिलचस्प न हो, लेकिन फ्रीके और उनके साथियों द्वारा विकसित तकनीक के लिए अच्छी संभावनाएं हैं. यह कंप्यूटर को ब्रेन कम्प्यूटर इंटरफेस के जरिए हमारे विचारों और भावनाओं तक पहुंच की संभावना देकर उन पर काम करना और आसान बना सकता है.
बर्लिन की तकनीकी यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर थॉर्स्टन सांडर का मानना है कि इस प्रोजेक्ट का यही मकसद भी था. "मैं समझता हूं कि हम नए इंटरफेस बना सकते हैं जो आवाज की लय, संकेतों और नकल करने की आदतों जैसी यूजर की बहुत सारी सूचनाओं को इस्तेमाल करते हैं." उनका कहना है कि इस समय हम टाइप कर या कर्सर घुमाकर सीधे कमांड के साथ कम्प्यूटर के साथ कम्युनिकेट करते हैं.
कंप्यूटर कुछ सही न होने पर किसी यूजर की झल्लाहट को रिकॉर्ड नहीं करता है और न ही प्रोग्राम के धीमे चलने पर होने वाली बेचैनी को दर्ज करता है. सांडर कहते हैं कि ब्रेन कंप्यूटर इंटरफेस के साथ इस तरह की खोई हुई सूचनाएं कंप्यूटर को दी जा सकेगी. "मशीन यह तय कर लेगी कि क्या मैं इस समय व्यस्त हूं, क्या मैं स्थिति से संतुष्ट हूं, क्या मैं समस्याओं से परिचित हूं." यह तकनीकी माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस प्रोग्राम के एनिमेटेड पेपरक्लिप प्रोग्राम क्लिपी का स्मार्ट वर्जन होगा.
ब्रेन कंप्यूटर इंटरएक्शन का परीक्षण
मरीजों की मदद
ब्रेन फ्लाइट प्रोजेक्ट के कॉर्डिनेटर टिम फ्रीके बताते हैं कि अतीत में अक्सर विमानन के क्षेत्र में हुए रिसर्च का फायदा नई तकनीकी विकास में होता रहा है. वह ब्रेनफ्लाइट के नतीजों को अस्पतालों में इस्तेमाल होते देखना चाहते हैं. वे इस समय एक ऐसे सिस्टम पर काम कर रहे हैं जिसमें सर्जन ऑपरेशन थिएटर में ब्रेन कंप्यूटर इंटरफेस की मदद ले पाएंगे. योजना यह है कि एक कंप्यूटर सर्जन की दिमागी हालत का आकलन करेगा और उसे उसके सहायकों को बताएगा.
सांडर बताते हैं, "अगर सर्जन किसी चीज पर ध्यान केंद्रित कर रहा है या कोई जटिल ऑपरेशन कर रहा है तो इसे एक छोटी लाल बत्ती के जरिए दिखाया जा सकता है ताकि सहायकों को पता होगा कि उस समय कोई सवाल नहीं करना है." इस सिस्टम के जरिए मानव दिमाग के बारे में सीधे संवाद या बोले बिना कंप्यूटर को बताया जा सकता है.
ब्रेन कंप्यूटर इंटरएक्शन का परीक्षण सिर्फ हवाई उड़ान के मामले में ही नहीं हुआ है. उसका कार ड्राइवरों के दिमाग की गतिविधि मॉनीटर करने के लिए प्रयोग हुआ है. ब्रिटेन की कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के न्यूरो साइंस विभाग के एलन ब्लैकवेल कहते हैं, "कार निर्माताओं की दिलचस्पी इस बात का पता करने में है कि किस समय ड्राइवर कार चलाते हुए ध्यान एकदम केंद्रित नहीं कर रहा है, क्योंकि वह सो जा रहा है." टेस्ट ड्राइवरों पर इलेक्ट्रोड कैप या चमड़े से लगे कंडक्टर के जरिए रिसर्च की गई है लेकिन पाया गया है कि आंखों पर लक्षित कैमरे सबसे सटीक होते हैं.
कुछ कारों में इस बीच वह तकनीक बेची जा रही है जो ड्राइवर को उनींदे होने की स्थिति में चेतावनी देता है. ब्लैकवेल चेतावनी देते हैं कि रिसर्चरों को अपने समय से बहुत आगे नहीं होना चाहिए. "मैं समझता हूं कि तकनीक हमारे लिए भविष्य में क्या कर सकता है, यह सोचना बहुत महत्वपूर्ण है, लेकिन हमें अपना दिमाग बादलों में और पांव जमीन पर रखना होगा."
रिपोर्ट: मार्कुस कोस्टेलो/एमजे
संपादन: ए जमाल sabhar :http://www.dw.de/

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ओलिम्पिक खेलों के साथ रोबोट ओलिम्पिक भी हों : शिंजो आबे

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ओलिम्पिक खेलों के साथ रोबोट ओलिम्पिक भी हों : शिंजो आबे

जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने यह प्रस्ताव दिया है कि सन् 2020 में टोकियो में न केवल ग्रीष्म ओलिम्पिक खेल हों, बल्कि रोबोट ओलिम्पिक भी आयोजित किए जाएँ|

देश में रोबोटनिर्माण के द्रुत विकास को देखते हुए प्रधानमंत्री ने यह सुझाव दिया है| उनके मत में इस असाधारण आयोजन से इस उद्योग का परिमाण तीन गुना बढ़कर 24 अरब डालर तक पहुँच सकता है| प्रधानमंत्री ने यह बात उस कारखाने की यात्रा के समय कही, जहाँ औद्योगिक रोबोट तथा रोगियों की देखभाल करने वाले रोबोट बनाए जाते हैं| “हम यह चाहते हैं कि रोबोट हमारे देश की अर्थव्यवस्था के विकास का एक मुख्य आधार-स्तंभ बनें,” आबे ने कहा| अभी कुछ समय पहले जापान में एसा रोबोट पेश किया गया है जो इसके रचियताओं के अनुसार मनुष्य की भावनाएं पहचान सकता है|sabhar :http://hindi.ruvr.ru/
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भारतीय वैदिक गणित और अध्यात्म

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क्या भारत में गणित का संबंध जीवन, मृत्यु और निर्वाण के दर्शन से रहा है? बीबीसी के विज्ञान कार्यक्रम के लिए इसी विषय की पड़ताल कर रहे हैं गणित से जुड़े विषयों पर लिखने वाले लेखक एलेक्स बेलौस.
भारत के गणितज्ञों को संख्याओं की शुरुआत करने का श्रेय जाता है. सदियों पहले भारत ने दुनिया को संख्याओं का चमत्कारिक तोहफा दिया था.

भारत में हिंदू, बुद्ध और जैन धर्म में संख्याओं और निर्वाण के आपसी संबंध की अलग-अलग व्याख्या की गई है.शून्य का आविष्कार भी भारत में ही हुआ, जिसके आधार पर गणित की सारी बड़ी गणनाएँ होती हैं.
लेकिन क्या वाकई गणित की संख्याओं और निर्वाण का आपस में कोई संबंध है?

शून्य और ध्यान

"यदि आप शून्य के भाव को देखें तो आप देखेंगे कि शून्य का अपना एक महत्व है. बौद्ध धर्म में इसके महत्व का वर्णन किया गया है जो कि बहुत प्रसिद्ध भी है."
प्रोफेसर कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम, आईआईटी मुंबई
भारत के प्रतिष्ठित गणितज्ञ और आईआईटी मुंबई के प्रोफेसर एसजी दानी गणित और निर्वाण के संबंध में कहते हैं, ''आमतौर पर बातचीत के दौरान भी हम संख्याओं का प्रयोग करते हैं. 10 से 17 तक की संख्याओं को 'परार्ध' कहा गया है और इसका अर्थ होता है स्वर्ग यानी मुक्ति का आधा मार्ग तय होना.''
प्रो. दानी कहते हैं, ''बौद्ध धर्म में तो एक के बाद 53 शून्य लगाकर (जिन्हें 'लक्षण' कहा गया है) चिंतन, ध्यान लगाया जाता है. यह एक बहुत बड़ी संख्या है, जबकि इसकी तुलना में जैन धर्म में अनंत संख्याओं को अध्यात्म से जोड़ा गया है. हम कह सकते हैं कि ये एक प्रकार से संतुष्टि हासिल करने का एक तरीका है, इसका कोई प्रायोगिक कारण नहीं है.''
मैनचेस्टर विश्वविद्यालय में गणित के इतिहासकार जॉर्ज गैवगीज जोसेफ के मुताबिक ''भारत द्वारा दी गई गणित की पद्धति अद्भुत है. जैसे यदि हम 111 लिखते हैं तो इसमें पहला 'एक' इकाई को दर्शाता है, जबकि दूसरे 'एक' का मतलब दहाई से और तीसरे 'एक' का मतलब सैकड़े से है. अर्थात् भारतीय गणित पद्धति में किसी एक संख्या के स्थान से ही उसकी स्थानिक मान का निर्धारण होता है.''
भारतीय गणित पद्धति से हम बड़ी से बड़ी संख्या को बहुत आसानी से और कम से कम संख्या के प्रयोग से व्यक्त कर सकते हैं. जबकि ग्रीक या रोमन पद्धति इतनी विकसित नहीं है.

शून्य का प्रयोग

भारतीय गणित में शून्य को दर्शाने के लिए वृत्त का प्रयोग करने के पीछे भी दार्शनिक कारण हो सकते हैं.
संख्याओं के बारे में अपनी उत्सुकता के चलते मैं मध्य प्रदेश के ग्वालियर भी गया. यहाँ के एक प्राचीन मन्दिर की एक दीवार पर '270' लिखा है, यह एक हस्तलिखित अभिलेख है. माना जाता है कि इसका अर्थ 'हस्तास्त' है जिसका मतलब भूमि माप से है.
इस अभिलेख का अर्थ जानने के लिए कई विद्वानों और इतिहासकारों ने पहले भी कई शोध किए हैं. ऐसा माना जाता है कि बाकी दुनिया को जब शून्य का पता भी नहीं था तब भारत में 75वीं ईसवी में शून्य का चलन बहुत ही आम था.
लगभग डेढ़ हज़ार साल पहले गणितज्ञ ब्रह्मगुप्त ने शून्य के प्रयोग से जुड़ी एक किताब लिखी. जिसमें उन्होंने शून्य के प्रयोग के बारे में विस्तार से बताते हुए इसके आधारभूत सिद्धांतों की जानकारी भी दी.
शून्य के आविष्कार पर आईआईटी मुंबई में संस्कृत के प्रोफेसर कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम कहते हैं, ''यदि आप शून्य के भाव को देखें तो आप देखेंगे कि शून्य का अपना एक महत्व है. बौद्ध धर्म में इसके महत्व का वर्णन किया गया है जो कि बहुत प्रसिद्ध भी है. शून्य को ही बाद में जीरो कहा गया. ''
वो कहते हैं, "प्राचीन भारतीय शास्त्रों और इतिहास के श्लोकों में गणित के तथ्य छिपे हुए हैं."

कुछ न होकर भी सब कुछ

ग्वालियर के जीवाजी विश्वविद्यालय में गणित की प्रोफेसर रेणु जैन कहती हैं, ''जीरो कुछ भी प्रदर्शित नहीं करता है. लेकिन भारत में इसकी उत्पत्ति शून्य की अवधारणा से हुई. यह एक तरह की मुक्ति को दिखाता है. जब व्यक्ति अपने चरम पर होता है तो वह निर्वाण चाहता है. जब उसकी सारी इच्छाएँ पूरी हो चुकी होती हैं. शून्य कुछ भी नहीं है और सब कुछ है. हम कह सकते हैं कि कुछ भी न होना ही सब कुछ है.''
शून्य के लिए वृत्त या गोले का प्रयोग करने के पीछे भी दार्शनिक कारण हो सकते हैं.
पुरी के वर्तमान शंकराचार्य संख्याओं और अध्यात्म के संबंध पर कहते हैं, ''वेदांतों में जिसे ब्रह्म और परमात्मा कहा गया है, वह शून्य परमात्मा का प्रतीक है. अनंत का नाम ही शून्य है. गणित के अभ्यास से निर्वाण प्राप्त किया जा सकता है.''

गणितज्ञों और धार्मिक गुरुओं दोनों का ही मानना है कि गणित की संख्याओं और निर्वाण यानी मुक्ति के बीच संबंध है.sabhar :http://www.bbc.co.uk/

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मैंने मंगल पर बिताए हैं 17 साल', पूर्व अमेरिकी नौसैनिक का अजीबोगरीब दावा

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'मैंने मंगल पर बिताए हैं 17 साल', पूर्व अमेरिकी नौसैनिक का अजीबोगरीब दावा

वाशिंगटन। अमेरिका के एक पूर्व नौसैनिक ने बड़ा ही दिलचस्प दावा किया है उनका कहना है कि पोस्टिंग के तहत 17 साल तक वो मंगल ग्रह पर रह चुका है। अपना नाम कैप्टन काय बताने वाले पूर्व नौसैनिक ने कहा कि मंगल ग्रह पर पोस्टिंग के दौरान उन्होंने पांच इंसानी कॉलोनियों की मंगल ग्रह के निवासियों से रक्षा की। 
 
इतना ही नहीं, काय का ये भी दावा है कि इसके बाद उन्होंने तीन साल एक गुप्त ऑपरेशन के लिए अंतरिक्ष बेड़े में बिताए। काय ने बताया कि वो अंतरिक्ष के लिए बनी एक गुप्त नौसेना का हिस्सा था, जिसे अर्थ डिफेंस फोर्स नाम की मल्टीनेशनल ऑर्गेनाइजेशन द्वारा चलाया जा रहा है। ये संस्था अमेरिका, रूस और चीन के सैन्य कर्मियों की भर्ती करती है। 
 
एक निजी चैनल के जरिए जारी बयान में कैप्टन काय ने कहा कि उसे तीन अलग-अलग तरह के स्पेस फाइटर और तीन लड़ाकू विमान चलाने की ट्रेनिंग दी गई है। काय का कहना है कि इसके लिए ट्रेनिंग उसे अंतरिक्ष के अलग-अलग ग्रहों पर दी गई। 
 
काय का एक दावा ये भी है कि 20 साल की इस ड्यूटी के बाद रिटायरमेंट पर उनका विदाई समारोह चंद्रमा पर किया गया। साथ उन्हें पूर्व रक्षा सचिव डोनाल्ड रम्सफेल्ड की तरह ही वीआईपी लोगों में शामिल किया गया है। sabhar :bhaskar .com

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रविवार, 22 जून 2014

ये है अमेजन का पहला स्मार्टफोन, देता है 3D का मजा

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अमेजन फायर स्मार्टफोन

अमेजन फायर स्मार्टफोन


लंबे समय अमेजन स्मार्टफोन पर लगाए जाने वाले कयासों पर विराम लगा चुका है। ई कॉमर्स कंपनी अमेजन ने अपना पहला स्मार्टफोन अमेजन फायर लॉन्च कर दिया है।

कंपनी ने इस स्मार्टफोन को गोरिल्‍ला ग्लास डिस्‍प्ले को रबर के फ्रेम से सुरक्षित किया है। अमेजन डॉट कॉम के चीफ एक्जिक्यूटिव ऑफिसर जेफ बेजोस ने बताया कि ये स्मार्टफोन 3डी टेक्नोलॉजी पर काम करेगा जिसमें स्क्रीन 3D कैपेबल होगी, आप 3D साउंड और 3D वीडियो का मजा उठा सकते हैं।
हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर

हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर

4.7 इंच डिस्प्ल का कयास एक दम सही रहा, कंपनी ने अमेजन फायर स्मार्टफोन को 4.7 इंच डिस्‍प्ले के साथ पेश किया है जो 720पी रेजल्यूशन पर काम करता है।

प्रोसेसर की बात करें तो एड्रीनो 300 जीपीयू सहित 2.2 गीगाहर्ट्ज क्वालकॉम स्नैपड्रेगन प्रोसेसर और 2जीबी रैम के साथ काम करता है। सॉफ्टवेयर की बात करें तो ये फायर ओएस 3.5 के साथ है।

कैमरा, स्टोरेज और बैटरी

कैमरा, स्टोरेज और बैटरी

फोन का मुख्य कैमरा 13 मेगापिक्सल का है ‌जबकि सेकेंड्री कैमरा 2.1 मेगापिक्सल है। फोन 32जीबी और 64 जीबी इंटरनल स्टोरेज वर्जन में मौजूद है।

बैटरी की बात करें तो कंपनी ने अमेजन फायर में 2,400 एमएएच बैटरी इस्तेमाल की है। कंपनी का दावा है कि ये 22 घंटे टॉक टाइम और 285 घंटे स्टैंडबाई बैटरी बैकअप देने में सक्षम है।

कमाल के फीचर्स

कमाल के फीचर्स

3D डिस्प्ले होने के कारण इस फोन की पिक्चर क्वालिटी बेहद शानदार होगी। इसमें चार फ्रंट फेसिंग कैमरा हैं जो यूजर के कमांड के अनुसार काम करेंगे।

यूएस यूजर्स के लिए इस फोन में एक्स रे फीचर को शामिल किया गया है जो अमेजन प्राइम वीडियो और म्यूजिक सर्विस के लिए साथ काम करेगा।

कीमत और उपलब्‍धता

अमेजन फायर यूएस ने 25 जुलाई से बिक्री के लिए मौजूद होगा। एटी एंड टी नेटवर्क अनुबंध के साथ 32जीबी फोन की कीमत 199 डॉलर है।

कंपनी ने अभी इस बारे में कोई घोषणा नहीं की है कि अमेजन फायर स्मार्टफोन भारत में कब तक उपलब्‍ध होगा। sabhar :http://www.amarujala.com/



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2030 तक एलियंस का पता लगा लेगा दुनिया का सबसे बड़ा दूरबीन!

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2030 तक एलियंस का पता लगा लेगा दुनिया का सबसे बड़ा दूरबीन!


लंदन. एलियंस होते हैं या नहीं, इसका पता लगाने के लिए नासा नई योजना पर काम कर रहा है। वैज्ञानिकों की योजना अंतरिक्ष में अभी तक का सबसे बड़ा दूरबीन लगाने की है, जिससे लाखों मील दूर दूसरे ग्रहों पर जीवन की संभावनाओं का पता लगाया जा सके।
 
खास बात यह है कि यह दूरबीन इतना बड़ा होगा कि इसे धरती से रॉकेट की मदद से नहीं ले जाया जा सकेगा, इसलिए अंतरिक्ष में ही इसे तैयार किया जाएगा। इस काम के लिए नासा जल्द ही अंतरिक्ष में लाखों मील दूर एस्ट्रोनॉट्स की एक टीम भेजना वाला है। यह प्रोजेक्‍ट 2030 तक तैयार हो सकता है।
 
एडवांस्ड टेक्नोलॉजी लार्ज अपर्चर स्पेस टेलिस्कोप (एटीएलएसटी) दुनिया का सबसे शक्तिशाली दूरबीन होगा। ये दूरबीन ग्रहों के वातावरण और 30 प्रकाश वर्ष दूर तक की सौर प्रणाली का विश्लेषण करने में सक्षम होगा। माना जा रहा है कि ये दूरबीन एस्ट्रोनोमर्स के लिए निर्णायक साबित होगा।
 
दुनिया का सबसे बड़ा दूरबीन
दूरबीन के जरिए ये पता लगाना आसान होगा कि अंतरिक्ष के अनदेखे क्षेत्रों में अलौकिक जीवन मौजूद है या नहीं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ग्रहों का विश्लेषण करने में सक्षम ये दूरबीन 44 फीट वाले हबल स्पेस टेलिस्कोप से चार गुना ज्यादा बड़ा होगा।
 
दूरबीन के अंदर 52 फीट व्यास का एक शीशा होगा, जो धरती पर किसी भी मानव द्वारा निर्मित सबसे बड़ा आइना होगा। चूंकि दूरबीन का आकार इतना बड़ा है कि इसे कोई भी रॉकेट स्पेस में ले जाने में अक्षम है। लिहाजा, नासा ओरियन रॉकेट के जरिए अंतरिक्ष में एस्ट्रोनॉट की एक टीम भेजेगी, जो वहां जाकर दूरबीन को असेम्बल करेगी। बता दें कि ये दूरबीन धरती से 10 लाख मील की दूरी पर होगा।
 
2030 तक तैयार होगा दूरबीन
नासा के इस प्रोजेक्ट की डिटेल का खुलासा, इस हफ्ते पोर्ट्समाउथ में होने वाली नेशनल एस्ट्रोनॉमी मीटिंग में किया जाएगा। ये जानकारी रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी के अध्यक्ष मार्टिन बार्स्तो देंगे। बार्स्तो के मुताबिक, ये टेलिस्कोप एस्ट्रोनोमर्स को लगभग 60 नए ग्रहों को एक्सप्लोर करने में मदद करेगा। साथ ही ऑक्सीजन और अन्य गैसों के स्तर के बारे में जानकारी प्रदान कर वहां संभावित जीवन होने का संकेत भी देगा।
 
बार्स्तो ने एक अंग्रेजी अखबार को बताया, "यह टेलिस्कोप जीवन की संभावनाओं के लिए पृथ्वी जैसे ग्रहों की पड़ताल करेगा। यह कितना शक्तिशाली होगा इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यह 30 प्रकाश वर्ष की दूरी तक के ग्रहों का विश्‍लेषण करने में सक्षम होगा। उन्‍होंने कहा क‍ि सबसे बड़ी अंतरिक्ष एजेंसी होने के नाते नासा के लिए इस प्रोजेक्‍ट को लीड करना जरूरी है और हमें उम्‍मीद है क‍ि यह प्रोजेक्ट 2030 तक पूरा हो जाएगा। sabhar : bhaskar.com
 

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शनिवार, 21 जून 2014

रूपकुंड का भयावह रहस्य

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रूपकुंड का भयावह रहस्य

पिछले सत्तर से भी अधिक बरसों से वैज्ञानिक हिमालय पर्वतमाला में पांच हज़ार मीटर की ऊंचाई पर छिपी हिमानी झील रूपकुंड का रहस्य बूझने की कोशिश कर रहे हैं| वर्तमान उत्तराखंड राज्य में स्थित इस स्थान पर 1942 में लगभग पांच सौ नर-कंकाल मिले थे जिनकी आयु 1100 साल आंकी गई थी|

अभी तक इन लोगों की मृत्यु का सही कारण तय नहीं किया जा सका है| हाल ही में लंदन के क्वीन मेरी विश्वविद्यालय और पूना विश्विद्यालय के वैज्ञानिकों ने मिलकर यहाँ जो शोधकार्य किया है उसके नतीजे जानकर तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं| वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इन लोगों की मृत्यु एक बिलकुल सरल रासायनिक अस्त्र से हुई!
यहाँ मिले अवशेषों का विश्लेष्ण करके वैज्ञानिक इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि सभी लोग एक साथ पलांश में ही मारे गए| यही नहीं सबके कपाल के पिछले भाग में दरारे हैं, कइयों के तो कपाल टूटे भी हुए हैं| इसकी व्याख्या करने के लिए वैज्ञानिकों ने विभिन्न प्राक्कल्पनाएं की हैं – आनुष्ठानिक नर-बलि से लेकर असाधारण ओला-वृष्टि तक| किंतु इनमें कोई भी कल्पना विश्वासप्रद नहीं प्रतीत होती| भारत में कभी भी नर-बलि का, सो भी सामूहिक नर-बलि का प्रचलन नहीं रहा है| अगर यह माना जाए कि पथिकों का दल असाधारण ओला-वृष्टि का शिकार हुआ तो ऐसा होने पर उनके शरीर के दूसरे हिस्सों पर लगी चोटों के निशान भी बचने चाहिए थे|
अब इन अवशेषों के रासायनिक विश्लेषण से पता चला है कि सभी कंकालों में नाइट्रोजन की मात्रा अस्वाभाविकतः अधिक है| वैज्ञानिक जानते हैं कि मानव-शरीर में नाइट्रोजन की मात्रा तेज़ी से बढ़ जाने पर रक्त खौलने लगता है| सो, एक और प्राक्कल्पना प्रस्तुत की गई है: इन लोगों पर किसी तरह का बाहरी प्रभाव नहीं पड़ा था| पलक झपकते ही रक्त में बढ़ गई नाइट्रोजन की मात्रा ने इन अभागों के कपाल अन्दर से फोड़ दिए| यदि ऐसा है तो हमें यह मानना पडेगा कि एक हज़ार साल से भी पहले कई सौ लोग सुदूर झील के तट पर रासायनिक हमले के शिकार हुए थे|
जिस स्थान पर नाइट्रोजन की अत्यधिक मात्रा वाले ये अवशेष मिले हैं वह हिमालय पर्वतमाला में पांच हज़ार मीटर की ऊंचाई पर स्थित है| वहां से निकटतम बस्ती सौ किलोमीटर से भी अधिक की दूरी पर है| इस हिमानी झील तक पहुंचना आज भी दुर्गम है, 1100 साल पहले तो यह बिलकुल ही बियाबान स्थान रहा होगा| तो यहाँ बड़ी संख्या में नर-कंकाल कहाँ से आए?
रासायनिक हमले की प्राक्कल्पना के समर्थक इस बात की ओर ध्यान दिलाते हैं कि यह स्थान सारे संसार से बिलकुल अलग-थलग है| उनके मत में इस झील के तट प्राचीन युग में एक प्रकार की परीक्षण-स्थली हो सकते थे जहां नए अस्त्रों के परीक्षण किए जाते थे|
यदि हम यह मानते हैं कि यहाँ मारे गए लोग रासायनिक अस्त्र के शिकार हुए थे तो यह भी मानना पड़ेगा कि नौंवी सदी ईसवी में भारत में रहनेवाले लोगों के पास तत्संबंधी प्रौद्योगिकी और कौशल थे| इतिहासकारों का कहना है कि भारत में उन दिनों भौतिकी और रसायन शास्त्र काफी विकसित थे| ज्ञात है कि इसी सदी में हुए शंकराचार्य का दूसरे विद्वानों से परमाणु की प्रकृति पर शास्त्रार्थ होता रहा था, जबकि परमाणुवाद के सिद्धांत का प्रतिपादन तो तीसरी सदी ईसवी पूर्व में ही महात्मा बुद्ध के वरिष्ठ समसामयिक कात्यायन ने कर दिया था|
अपने व्यापक ज्ञान के आधार पर प्राचीन विद्वान कुछ रासायनिक तत्वों का संश्लेषण भी करने में सक्षम रहे होंगे| ऐसा वैज्ञानिक कार्य के लिए भी किया जा सकता था और सामरिक लक्ष्यों के लिए भी| रूपकुंड पर रासायनिक हमले के समर्थकों का कहना है कि 1100 साल पहले एक भयानक त्रासदी हुई थी| उनका अनुमान है कि उस युग के लिए असाधारण शक्तिशाली रासायनिक अस्त्र की खोज कर लेने पर प्राचीन विद्वान स्वयं ही इस खोज पर भयभीत हो गए थे| और तब उन्होंने अपनी इस खोज के सभी साक्ष्य नष्ट कर देने का निर्णय किया और सभी प्रत्यक्षदर्शियों को भी|
सभी शोधकर्ता इस प्राक्कल्पना को विश्वासजनक नहीं मानते| किंतु यह भी स्वीकार करना होगा कि इस सिद्धांत के आधार पर पांच सौ लोगों की रहस्यमय मृत्यु की कोई तो व्याख्या हो सकती है, दूसरी कोई भी प्राक्कल्पना कोई उत्तर नहीं पेश करती...
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अच्छा तो यहां है क्षीर सागर जहां शेषनाग पर रहते हैं भगवान विष्णु

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जहां रहते हैं भगवान विष्णु देवी लक्ष्मी के साथ

जहां रहते हैं भगवान विष्णु देवी लक्ष्मी के साथ


शास्त्रों पुराणों में भगवान शिव का निवास कैलाश पर्वत बताया गया है। और विष्णु का निवास स्थान क्षीर सागर बताया गया है। यह क्षीर सागर कहां है यह आप जरुर जानना चाहते होंगे।

आपकी इस चाहत का ध्यान रखते हुए आइये ले चलते हैं आपको क्षीर सागर के दर्शन करवाने।


दर्शन कीजिए क्षीर सागर का

दर्शन कीजिए क्षीर सागर का

क्षीर सागर के दर्शन के लिए चल पड़े हैं तो क्यों न मार्ग में क्षीर सागर के कुछ चमत्कारी गुणों को जान लें। पुराणों की मानें तो क्षीर सागर की एक परिक्रमा करने वाला व्यक्ति एक जन्म में किए पाप और कर्म बंध से मुक्त हो जाता है।

जो व्यक्ति इसकी दस परिक्रमा कर लेता है उसे दस हजार जन्मों के पापों से मुक्ति मिल जाती है। क्षीर सागर की 108 परिक्रमा करने वाला व्यक्ति जीवन मरण के चक्र से मुक्त होकर परमपिता परमेश्वर में लीन हो जाता है।

जो इस झील के मीठे जल का पान करता है वह शिव के बनाए स्वर्ग में स्थान पाने का अधिकारी बन जाता है। यहीं कुबेर ने भगवान शिव की तपस्या करके शिव का सखा और ईश्वरीय खजाने का खजांची होने का वरदान प्राप्त किया था।
चलिए डुबकी लगाएं क्षीर सागर में

चलिए डुबकी लगाएं क्षीर सागर में

यह पवित्र क्षीर सागर भगवान शिव की जटा से निकलने वाली गंगा के वेग निर्मित हुआ माना जाता है। भगवान शिव के निवास स्थान कैलाश पर्वत से करीब 40 किलोमीटर की दूरी पर क्षीर सागर है जिसे मानसरोवर झील के नाम से जाना जाता है।

ऐसी मान्यता है कि इस झील में एक बार डुबकी लगाने मात्र से रुद्रलोक में स्थान प्राप्त होता है। कैलाश पर्वत की यात्रा के दौरान मार्ग में यह पवित्र सरोवर स्थित है। यहां से श्रद्घालु कैलाश पर्वत के दर्शन करके अपनी यात्रा को सफल मानते हैं। sabhar :
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बिहारः किसान का 'बाल संत' बेटा बिना स्‍कूल गए ही 14 साल में बनेगा आईआईटीयन

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बिहारः किसान का 'बाल संत' बेटा बिना स्‍कूल गए ही 14 साल में बनेगा आईआईटीयन

पटना. बिहार के रोहतास जिले का रहने वाला 14 साल का शिवानंद बिना रेगुलर स्कूल गए ही आईआईटी में दाखिला लेने का हकदार हो गया है। शिवानंद ने आईआईटी-जेईई (एडवांस) में 2587वां रैंक हासिल किया है। वह बेटे को 'बाल संत' कह कर बुलाते हैं। 
प्रतिभा को मिला सहारा तो हुआ कमाल  
धरमपुरा गांव के रहने वाले शिवानंद का कहना है, ''2010 तक मेरा पढ़ाई की ओर बिल्कुल भी झुकाव नहीं था, मैं बस गणित के सवाल हल किया करता था। इसके बाद मुझे किसी ने कहा कि तुम IIT के लिए तैयारी करो, फिर मुझे दिल्ली की एक एकेडमी से मदद मिली।'' एकेडमी ने शिवानंद की प्रतिभा देख उसकी पढ़ाई का सारा इंतजाम किया। एकेडमी ने शिवानंद का स्कूल में दाखिला कराया और 10वीं-12वीं की तैयारी कराई। सात साल की उम्र में ही वह दसवीं के गणित के सवाल हल कर लेता था। 
10वीं के लिए कोर्ट ने दी अनुमति
आमतौर पर 10वीं परीक्षा के लिए निर्धारित उम्र 14 से 16 साल के बीच होनी चाहिए, लेकिन शिवानंद ने कोर्ट की अनुमति लेकर 12 साल की उम्र में ही यह परीक्षा पास कर ली। 

रामायण-महाभारत याद
शिवानंद के पिता कमल कांत तिवारी पेशे से किसान है। वह बताते हैं, ''उसे बचपन से धार्मिकता पसंद थी, जिसके चलते उसने रामायण, महाभारत, भगवदगीता और कई पुराण पढ़ डाले। वह कई आयोजनों में इन धार्मिक ग्रंथों में लिखी बातें सुनाता भी है।'' 
भौतिकी में विशेष दिलचस्‍पी 
आईआईटी-जेईई की तैयारी के दौरान शिवानंद ने स्वामी विवेकानंद को भी पढ़ा। उसका कहना है कि वह आध्यात्मिकता और विज्ञान को एक साथ जोड़ना चाहता है और वैज्ञानिक बनकर देश सेवा करना चाहता है। शिवानंद की भौतिकी (फिजिक्‍स) में बड़ी दिलचस्‍पी थी। वह आईआईटी कानपुर से इस विषय से जुड़ी रिसर्च करना चाहते थे।

उसे दोबारा पढ़ने की जरूरत नहीं-

शिवानंद ने सीबीएसई की 12वीं परीक्षा 93.4% से इसी साल पास की। शिवानंद के मेंटर और पढ़ाई के शुरुआती दिनों में उसे कोचिंग देने वाले दीपक कुमार बताते हैं, ''उसे याद करने के लिए कुछ भी दो बार पढ़ने की जरूरत नहीं पड़ती।'' sabhar : bhaskar.com

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गुरुवार, 19 जून 2014

सौर ऊर्जा को सूर्य नमस्कार

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कोयले की कमी ने भारत में कई कंपनियों की हालत खराब की. लेकिन जब कोई हल नहीं निकला तो कुछ कंपनियों ने सौर ऊर्जा का रुख किया. इस तरह देश में दुर्घटनावश ही सही, लेकिन चुपचाप ऊर्जा क्रांति की शुरुआत हो गई.



लगातार छह साल तक भारत के कोयला उत्पादक मांग को पूरा नहीं कर पाए. इसकी वजह से बिजली बनाने वाले संयंत्रों की हालत खराब हो गई. शुरुआत में उन्होंने कुछ महीनों तक विदेशों से कोयला खरीदा लेकिन दाम ज्यादा होने की वजह से देर सबेर ये खरीद बंद हो गई. ऊर्जा संकट के घने बादलों के बीच कुछ कंपनियों ने सौर ऊर्जा में निवेश करना शुरू किया. देखा देखी दूसरों ने भी की और धीरे धीरे भारत में बाबा आदम के जमाने का ऊर्जा ढांचा बदलने लगा.
तीन साल पहले भारत की सौर ऊर्जा क्षमता लगभग शून्य थी. लेकिन आज यह क्षमता 2.2 गीगावॉट है. इतनी बिजली से 20 लाख घरों की जरूरत पूरी की जा सकती है. इस साल क्षमता को और दो गीगावॉट बढ़ाने की योजना है. भारत ने 2017 तक 15 गीगावॉट वैकल्पिक ऊर्जा बनाने का लक्ष्य तय किया है. हिंदुस्तान पावर प्रोजेक्ट्स के चैयरमैन रातुल पुरी कहते हैं, "मैंने कोयला प्लांट विकसित करने बंद कर दिए हैं. यहां पर्याप्त कोयला ही नहीं है और मैं बाहर के कोयले पर निर्भर नहीं रहने वाला हूं. ये बहुत जोखिम भरा है."
हिंदुस्तान पावर सौर ऊर्जा से बिजली बनाने वाले दो संयंत्र लगा चुकी है. उत्पादन इसी साल शुरू हो जाएगा. कंपनी भविष्य में भी सौर ऊर्जा में तीन अरब डॉलर का निवेश करने जा रही है. 2017 तक उत्पादन 350 मेगावॉट से बढ़ाकर एक गीगावॉट करने का लक्ष्य है.
कोयले में छुपी कालिख
भारत के कोयला उत्पादन में सरकारी कंपनी कोल इंडिया का एकाधिकार है. बीते सालों में कोयला घोटाले जैसे बड़े मामले सामने आए हैं. बिजली कंपनियों को लगता है कि कोल इंडिया के तौर तरीकों में बदलाव की उम्मीद करने के बजाए सौर ऊर्जा के रास्ते पर बढ़ना ज्यादा आसान विकल्प है. कोल इंडिया काफी कोयला निकाल चुकी है. बाकी का कोयला शहरों, जंगलों या फिर रिजर्व पार्कों के नीचे हैं. उसे निकालना पर्यावरण के लिहाज से भी ठीक नहीं.
कोयला खदानों में नियम भी ताक पर
भारत में अब भी 30 करोड़ लोगों के पास बिजली नहीं है. करोड़ों लोगों को दिन में कुछ ही घंटे बिजली मिल पाती है. देश की कुल बिजली उत्पादन क्षमता 234 गीगावॉट है. इसमें कोयला प्लांटों की हिस्सेदारी 59 फीसदी है. भारत 2017 तक कोयले से और 70 गीगावॉट बिजली बनाना चाहता है लेकिन इसके लिए फिलहाल निवेशक नहीं मिल रहे हैं.
भारतीय रिजर्व बैंक भी विदेशों से कोयला खरीदने पर अलार्म बजा चुका है. आरबीआई के मुताबिक कोयला आयात की वजह से देश को 18 अरब डॉलर का नुकसान हो रहा है.
सरकार से सहायता
सौर ऊर्जा के विकास में सरकार की योजनाएं भी सहायक साबित हो रही हैं. सौर ऊर्जा योजनाओं को जल्द प्रशासनिक अनुमति मिल रही है. छह से 12 महीने के भीतर बिजली बनाने का काम शुरू हो जा रहा है. इसके उलट कोयला पावर प्लांट को तैयार करने में करीब आठ साल लग जाते हैं. सरकारी सब्सिडी की वजह से भी सौर ऊर्जा सस्ती पड़ रही है. सौर ऊर्जा से बनी बिजली जहां सात रुपये किलोवॉट घंटा पड़ती है, वहीं कोयले की बिजली की लागत 5-6 रुपये किलोवॉट घंटा है.
विशेषज्ञों को लगता है कि भारत 2022 तक वैकल्पिक स्रोतों से 15 फीसदी बिजली बनाने के लक्ष्य को आराम से पार कर जाएगा. फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के सीनियर डायरेक्टर विवेक पंडित कहते हैं, "कोयले की कमी है. निवेशक चिंता में है. अगर भारत में कोयला कम पड़ा तो ऊर्जा संकट होगा. इसका असर औद्योगिक विकास पर पड़ेगा."
गुजरात में सौर ऊर्जा के बड़े प्लांट
पर्यावरण को भी फायदा
सौर और पवन ऊर्जा जैसे वैकल्पिक स्रोतों से पर्यावरण को भी फायदा है. भारत में प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है. 2005 से 2012 के बीच देश मेंसल्फर डाय ऑक्साइड (एसओटू) का उत्सर्जन 60 फीसदी बढ़ा है. इसके चलते अम्लीय वर्षा और सांस संबंधी बीमारियां बढ़ी हैं. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा को आंकड़ों के मुताबिक एसओटू के उत्सर्जन के मामले में भारत अमेरिका को पीछे छोड़ चुका है. चीन के बाद भारत इस दूषित गैस का दूसरा बड़ा उत्सर्जक है.
सिडनी का आर्क्स इनवेस्टमेंट मैनेजमेंट हरित ऊर्जा नाम का फंड चलाता है. संस्थान के विश्लेषक टिम बाकले के मुताबिक भारत को जल्द कोयले के रास्ते से हटाना होगा, वरना उसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे. सौर ऊर्जा योजनाएं बाकले में कुछ उम्मीदें जगाती हैं, "यह एक बुरा समय है लेकिन हमेशा सुबह से पहले अंधेरा होता है."
ओएसजे/एमजे (एपी)sabhar :http://www.dw.de/

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बुधवार, 18 जून 2014

अरबपतियों की रईसी, 'गल्फस्ट्रीम' से भरा दिल, तो खरीदने लगे LUXURY 'बोइंग'

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अरबपतियों की रईसी, 'गल्फस्ट्रीम' से भरा दिल, तो खरीदने लगे LUXURY 'बोइंग'
इंटरनेशनल डेस्क। सऊदी के राजकुमार, ऑयल मैग्नेट्स और रूसी अरबपति सरीखे लोग ऐश्वर्य पसंद होते हैं। ये विमान से जहां भी यात्रा करते हैं, उनके साथ दर्जनों प्रतिनिधिमंडल भी साथ होता है। ऐसे में इन धनकुबेरों को कभी सबसे ज्यादा पसंद आने वाला गल्फस्ट्रीम (दुनिया का सबसे एडवांस्ड बिजनेस जेट एयरक्राफ्ट) भी छोटा लगने लगा है। यही वजह है कि अरबपति गल्फस्ट्रीम की बजाए मनमुताबिक तैयार किए गए लग्जरियस बोइंग को तरजीह देना शुरू कर दिया है।

अंग्रेजी वेबसाइट 'वायर्ड' की रिपोर्ट के मुताबिक, जंबो जेट (747 और ए380) निर्माता ने राजकुमारों व अरबपतियों की पसंद-नापसंद का ख्याल रखते हुए खुशी-खुशी लग्जरियस जंबो जेट्स डिजाइन करना शुरू कर दिया है।
 
एयरबस भी इस बिजनेस में इस कदर रुचि ले रहा है कि उसने अरबपतियों पर अध्ययन करा डाला। 'बिलियनेयर स्टडी' नाम से इस अध्ययन में ये बात सामने आई कि ऑयल मैग्नेट, चीनी बिजनेसमैन, रूसी अरबपति अपने साथ दर्जनों लोगों के साथ यात्रा करते हैं।
 
वेबसाइट के मुताबिक, 65 मिलियन डॉलर (भारतीय मुद्रा में लगभग 4 अरब रुपए) का गल्फस्ट्रीम G650, निजी जेट मार्केट में शिखर पर हो सकता है, लेकिन यह उन अरबपतियों के लिए परफेक्ट नहीं, जो अपने साथ कई लोगों को लेकर चलना पसंद करते हैं। 
अरबपतियों की रईसी, 'गल्फस्ट्रीम' से भरा दिल, तो खरीदने लगे LUXURY 'बोइंग'


अरबपतियों की रईसी, 'गल्फस्ट्रीम' से भरा दिल, तो खरीदने लगे LUXURY 'बोइंग'

अरबपतियों की रईसी, 'गल्फस्ट्रीम' से भरा दिल, तो खरीदने लगे LUXURY 'बोइंग'


अरबपतियों की रईसी, 'गल्फस्ट्रीम' से भरा दिल, तो खरीदने लगे LUXURY 'बोइंग'

अरबपतियों की रईसी, 'गल्फस्ट्रीम' से भरा दिल, तो खरीदने लगे LUXURY 'बोइंग'
 sabhar :bhaskar.com



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