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गुरुवार, 25 मई 2017

सेक्स से एलर्जी

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शर्म और अज्ञान
भारत में हर साल लाखों शादियां होती हैं और शादी के बाद कई महिलाओं और कुछ पुरुषों की तबियत खराब रहने लगती है. शर्म के चलते और जानकारी के अभाव में ज्यादातर मामलों में गलत इलाज होता है. झाड़ फूंक का भी सहारा लिया जाता है. विशेषज्ञों के मुताबिक ऐसे ही मामले दुनिया भर में होते हैं, और कई के लिए एलर्जी जिम्मेदार होती है.


क्या है स्पर्म एलर्जी
बॉन मेडिकल कॉलेज के डेर्माटोलॉजिस्ट और एलर्जी विशेषज्ञ जां पियर अला के मुताबिक, "हर बार सेक्स के बाद कुछ महिलाओं की तबियत खराब हो जाती है. उनके जननांगों में सूजन हो जाती है या खुजली होने लगती है." 35 फीसदी मामलों में इसके लिए शुक्राणुओं से होने वाली एलर्जी जिम्मेदार होती है.

एलर्जी के लक्षण
ज्यादातर महिलाओं में स्पर्म एलर्जी के लक्षण और भी गंभीर होते हैं. सेक्स के बाद उनके पूरे शरीर में सिलसिलेवार तरीके से रिएक्शन होने लगता है. बार बार टॉयलेट जाना, कमजोरी महसूस करना और बदन में खुजली जैसी समस्याएं सामने आती हैं. ज्यादा एलर्जिक रिक्शन होने पर तो सांस लेने में मुश्किल भी होने लगती है.

प्राणघातक लक्षण
एलर्जी विशेषज्ञ जां पियर अला के मुताबिक, एलर्जी अगर इससे भी ज्यादा गंभीर हो तो "इससे शरीर और दिमाग को सदमा पहुंच सकता है जिसके चलते रोगी चक्कर खाकर गिर सकता है, मौत भी हो सकती है." यह खतरा खाने या श्वास संबंधी एलर्जी में भी सामने आता है.

खुद के शुक्राणु से एलर्जी
इस एलर्जी का शिकार सिर्फ महिलाएं नहीं होती हैं. पुरुषों को भी अपने ही शुक्राणुओं से एलर्जी हो सकती है. आम तौर पर शुक्राणु निकलने के बाद अगर पुरुष के जननांगों में खुजली या जलन रहे, पेशाब करने में असुविधा हो सकती है.

वीर्य की जटिल संरचना
शुक्राणुओं में कई तत्वों का जटिल मिश्रण होता है. वीर्य में शरीर के अपने प्रोटीन और प्रोस्टेट स्पेशिफिक एंटीजेन (पीएसए) शामिल होते हैं. म्यूनिख के एलर्जी विशेषज्ञ श्टेफान वाइडिंग्नर और मिषेल कोह्न ने 2005 में इससे जुड़ा शोध प्रकाशित किया.

अंडकोष में छुपी एलर्जी
प्रोस्टेट स्पेशिफिक एंटीजेन (पीएसए) असल में पुरुष के अंडकोष में पाया जाना वाला प्रोटीन है. प्रोस्टेट कैंसर की जांच के लिए भी खून में पीएसए की मात्रा नापी जाती है. पीएसए, वीर्य को तरल और चिकना बनाने का काम करता है ताकि वह शुक्राणुओं को मादा के जननांग में भीतर तक फेंककर अंडाणुओं से मिला सके.

बेहद जरूरी है सावधानी
ब्राजील के मामले का जिक्र करते हुए बॉन मेडिकल कॉलेज के विशेषज्ञ आलां कहते हैं, "पार्टनर को पता था कि उसकी गर्लफ्रेंड को मूंगफली से एलर्जी है, इसलिए उसने टूथपेस्ट से दांत साफ किए और हाथ भी धोए. लेकिन इसके बावजूद एलर्जी पैदा करने वाले तत्व वीर्य के जरिए महिला के शरीर में पहुंच गए." जननांगों के आस पास की त्वचा लाल हो गई, उसमें जलन होने लगी.

भ्रम में डालने वाले लक्षण
वीर्य से होने वाली एलर्जी बहुत ही जटिल और भ्रम पैदा करने वाली भी होती है. आलां कहते हैं, "रोगियों ने ऐसे लक्षण भी बताए हैं जो एलर्जी से बिल्कुल भी मेल नहीं खाते. जैसे सिरदर्द, थकान, फ्लू जैसे लक्षण और ये वीर्य के संपर्क में आने के बाद दो दिन से लेकर हफ्ते भर तक बने रहते हैं."


शर्म ने बिगाड़े हालात
इस पर बहुत ज्यादा शोध भी नहीं हुआ है क्योंकि महिलाएं डॉक्टर के सामने भी खुलकर बात करने में शर्माती हैं. दूसरी ओर डॉक्टर भी अक्सर इस रोग को पकड़ने के बजाए इनफेक्शन की दवा दे देते हैं.

एलर्जी पहचानने के तरीके
स्किन एलर्जी टेस्ट, पीओआईएस में एलर्जिक रिक्शन टेस्ट के जरिये इसका पता लगाया जा सकता है. इन टेस्टों में पता चला है कि कई पुरुषों को अपने ही वीर्य के प्रोटीन से एलर्जी होती है. वैसे भी बार बार सर्दी, जुकाम, सांस आदि की परेशानी होने पर भी एलर्जी टेस्ट करवाना चाहिए. हमें पता होना चाहिए कि हमारा शरीर क्या खाने या क्या सूंघने से गड़बड़ाता है

एलर्जी विशेषज्ञ की अहमियत
विशेषज्ञों की सलाह है कि अगर सेक्स के बाद आपकी या आपके पाटर्नर की तबियत गड़बड़ाती है तो एलर्जी एक्सपर्ट से मिलें. सावधानी के लिए कंडोम का इस्तेमाल किया जा सकता है, हालांकि यह भी 100 फीसदी सुरक्षित नहीं है.

स्पर्म एलर्जी से कैसे बचें
एलर्जिक रिएक्शन के बावजूद बच्चा चाहने वाले जो़ड़ों के पास तीन विकल्प हैं. आलां कहते हैं, अगर पूरे बदन के बजाए एक ही जगह पर एलर्जिक लक्षण हों तो "वे एलर्जिक रिक्शन कम करने वाले एंटीहिस्टेमाइंस ले सकते हैं. यह एलर्जिक रिएक्शन को कम करेगा."

सावधानी ही सुरक्षा
दूसरा विकल्प है: कम से कम तीन दिन के अंतराल में सेक्स करना. शुरुआत में सेक्स के दौरान पार्टनर के जननांगों में कम से कम वीर्य छोड़ना. विशेषज्ञ कहते हैं कि अगर तीन दिन नहीं रुके तो एलर्जी भड़केगी और अगर तीन दिन से ज्यादा देर कर दी तो एलर्जी टॉलरेंस पावर नष्ट हो जाएगी. एक्सपर्ट्स के मुताबिक इलाज के जरिये ऐसा करना ज्यादा सरल और सुरक्षित है.

लैब का रास्ता
संतान की चाह रखने वाले जोडो़ं के लिए तीसरा विकल्प है: लैब फर्टिलिटी के जरिये. इस प्रक्रिया में वीर्य से पीएसए निकाल दिया जाता है और फिर शुक्राणुओं को महिला के अंडाणु में डाला जाता है.

पानी फायदेमंद
जब कभी जननांगों, पेट और गुर्दों में एलर्जिक रिएक्शन या फिर इनफेक्शन सा लगे, तो खूब पानी पीजिए. पानी शरीर में मौजूद विषैले तत्वों को मूत्र के साथ बाहर कर देता है. जिन पुरुषों को प्रोस्टेट की समस्या हो, वे ऐसा न करें.

साफ रहो, सुखी रहो
अच्छी सेहत में साफ सफाई बड़ी भूमिका निभाती है और यह बात सेक्स पर भी लागू होती है. शारीरिक संबंध बनाने से पहले, मुंह, हाथों और जननांगों की अच्छे से सफाई करना कई समस्याओं से बचा सकता है. सेक्स के बाद भी इनकी सफाई होनी चाहिए. बेहतर तो है कि नहाकर अंतवस्त्र भी बदले जाएं.
रिपोर्ट: फाबियान श्मिट, ओंकार सिंह जनौटी

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बहुत कम जानकारी

स्पर्म एलर्जी की खोज 1958 में हॉलैंड के एक डॉक्टर ने की. लेकिन कई दशक गुजरने के बाद भी लोग इसके बारे में करीब करीब अंजान हैं. सेक्स को लेकर बात करने में शर्मिंदगी की आदत ने हालात और बदत्तर किये हैं.

क्याएलर्जी के लक्षणक्या है स्पर्म एलर्ज

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ऐसा भी होता है! इस महिला को याद है जन्म के बाद की हर बात

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ऐसा भी होता है! इस महिला को याद है जन्म के बाद की हर बात

नई दिल्ली : हमें अपने जीवन और आसपास हुई कुछ अहम घटनाओं के अलावा शायद ही कोई बीती बात याद रहती है, लेकिन ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड की रबेका शैरॉक (27) के पास अद्भुत स्मरणशक्ति है. उनके मुताबिक, 12 दिन की उम्र से लेकर अब तक की हर दिन की बात याद है. यहां तक कि उन्होंने किस दिन क्या पहना था और उस दिन का मौसम कैसा था तक बता देती हैं.रबेका बताती हैं कि उनके जन्म के 12वें दिन उनके माता-पिता ने उन्हें ड्राइविंग सीट पर रखा था और उनकी तस्वीर ली थी. रबेका को अपना पहला जन्मदिन भी याद है. उन्होंने बताया कि वह जन्मदिन पर रोने लगी थीं, क्योंकि उनकी ड्रेस उन्हें असहज लग रही थी.डेली मेल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, रबेका के पास हाइली सुपीरियर ऑटोबायॉग्रफिकल मेमोरी (एचएसएएम) है. ऐसी स्मरणशक्ति वाले लोगों के पास असाधारण यादें संजोकर रखने की क्षमता होती है. बताया जा रहा है कि दुनियाभर में सिर्फ 80 लोगों के पास ऐसी स्मरणशक्ति है. रबेका को हैरी पॉटर बुक का एक-एक शब्द याद है. उनकी अपने जीवन से जुड़ी सबसे पहली बात जो याद है वह उनका जन्म है. उन्हें याद कि उनके पहले जन्मदिन पर उन्हें क्या गिफ्ट मिला था. उन्होंने ये सारी बातें अपने ब्लॉग पर लिखी हैं.
ज़ी न्यूज़ डेस्क 
sabhar :http://zeenews.india.com/

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आध्यात्मिक काम विज्ञान

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यद्यपि भारतीय धर्मग्रन्थों में ब्रह्मचर्य पालन की बड़ी महिमा बरवान की गयी है। परंतु आध्यात्म द्वारा नियन्त्रित जीवन में कामेच्छा की उचित भूमिका को अस्वीकार नहीं किया गया है। उसकी उचित मांग स्वीकार की गयी है किंतु उसे आवश्यकता से अधिक महत्व देने से इंकार किया गया है। जब व्यक्ति आध्यात्मिक परिपक्वता प्राप्त कर लेता है तब यौन-आकर्षण स्व्यं ही विलीन हो जाता है; उसका निग्रह करने के लिए मनुष्य को प्रयत्न नहीं करना पड़ता, वह पके फल की भाँति झड जाता है। इन विषयों में मनुष्य को अब और रूचि नहीं रह जाती। समस्या केवल तभी होती है जब मनुष्य चाहे सकारात्मक चाहे नकारात्मक रूप में कामेच्छा में तल्लीन या उससे ग्रस्त होता है।) दोनों ही परिस्थितियों में मनुष्य यौन चिंतन करता है व ऊर्जा का उपव्यय करता रहता है।इस संदर्भ में श्री अरविन्द कहते हैं कि जब हम यौन ऊर्जा के सरंक्षण की या ब्रह्मचर्य की बात करते हैं तब प्रश्न यह नहीं होता कि कामवृत्ति बुरी है या अच्छी, पाप है या पुण्य। यह तो प्रकृति की एक देन है। प्रत्येक मानव शरीर में कुछ द्रव्य होते हैं, ज्यों-ज्यों शरीर का विकास होता है वे संचित होते जाते हैं शारीरिक विकास की एक विशेष अवस्था आने पर प्रकृति जोर लगाने व दबाव डालने का तरीका काम में लेती है ताकि वे यौन द्रव्य बाहर निक्षिप्त कर दिए जांए और मानव जाति की अगली कडी (पीढ़ी) का निर्माण हो सकें। अब जो व्यक्ति प्रकृति का अतिक्रमण करना चाहता है, प्रकृति के नियम का अनुसरण करने, और प्रकृति की सुविधाजनक मंथर गति आगे बढ़ने से संतुष्ट नहीं होता वह अपनी शक्ति के संचय संरक्षण के लिए यत्नशील होता है, जिसे वह बाहर निक्षिप्त नहीं होने देता। यदि इस शक्ति की तुलना पानी से की जाए तो जब यह संचित हो जाती है तब शरीर में गरमी की, उष्णता की एक विशेष मात्रा उत्पन्न होती हैं यह उष्णता ‘तपस्’ प्रदीप्त ऊष्मा कहलाती है। वह संकल्प शक्ति को, कार्य निष्पादन की सक्रिय शक्तियों को अधिक प्रभावशाली बनाती है। शरीर में अधिक उष्णता, अधिक ऊष्मा होने से मनुष्य अधिक सक्षम बनता है, अधिक सक्रियतापूर्वक कार्य संपादन कर सकता है और संकल्प शक्ति की अभिवृद्धि होती है। यदि वह दृढ़तापूर्वक इस प्रयत्न में लगा रहे, अपनी शक्ति को और भी अधिक संचित करता रहे तो धीरे-धीरे यह ऊष्मा प्रकाश में, ‘तेजस्’ में रूपांतरित हो जाती है। जब यह शक्ति प्रकाश में परिवर्तित होती है तब मस्तिष्क स्वयं प्रकाश से भर जाता है, स्मरणशक्ति बलवान हो जाती है और मानसिक शक्तियों की वृद्धि और विस्तार होता है। यदि रूपातंर की अधिक प्रारंभिक अवस्था में सक्रिय शक्ति को अधिक बल मिलता है तो प्रकाश में परिवर्तन रूपांतर की इस अवस्था में मन की, मस्तिष्क की शक्ति में वृद्धि होती है। इससे भी आगे शक्ति-संरक्षण की साधना से ऊष्मा और प्रकाश दोनों ही विद्युत् में, एक आंतरिक वैद्युत् शक्ति में परिवर्तित हो जाते हैं जिसमें संकल्प शक्ति और मस्तिष्क दोनों की ही प्रवृद्ध क्षमताएं संयुक्त हो जाती है। दोनों ही स्तरों पर व्यक्ति को असाधारण सामथ्र्य प्राप्त हो जाती है। स्वाभाविक है कि व्यक्ति और आगे बढ़ता रहेगा और तब यह विद्युत् उस तत्व में बदल जाती है जिसे 'ओजस्' कहते हैं। ओजस् अस आद्या सूक्ष्म ऊर्जा ‘सर्जक ऊर्जा’ के लिये प्रयुक्त संस्कृत शब्द है जो भौतिक सृष्टि की रचना से पूर्व वायुमडंल में विद्यमान होती है। व्यक्ति इस सूक्ष्म शक्ति को जो एक सृजनात्मक शक्ति है, प्राप्त कर लेता है और वह शक्ति उसे सृजन की व निर्माण की यह असाधारण क्षमता प्रदान करती है। (सुंदर जीवन, माधव पण्डित पाण्डिचरी)

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