हिंदू धर्म, संभोग से समाधि संभव है

हिंदू धर्म में आद्यात्मिक काम विज्ञानं का बहुत महत्व है तंत्र विद्या जिसके जनक भगवान शिव माने जाते है पुरुष और प्रकृति के सयोग पे आधारित है सम्भोग से समाधी में जो विचार शून्यता की अनुभूति सेक्स के चरम पे होती है वही विचार शून्यता की अनुभूति समाधी में होती है धयान की ११२ विधियों में से सम्भोग से समाधी भी एक बिधि है सम्भोग के चरम में जब विचार शून्य हो जाते है स्त्री पुरुष को शिव शक्ति का स्वरुप मानकर साधना मन को एकाग्र करने के लिए की जाती है यानि ऋणात्मक शक्ति धनात्मक शक्ति एक हो जाती है जो की ब्रम्ह की अवस्था है हर कण कण में शिव और शक्ति का वास है काम सूत्र की रचना नंदी ने शिव और पार्वती के प्रणय सम्बाद पे आधारित भगवान शिव की इच्छा पे संसार के लिए किया ताकि लोगो को आध्यात्मिक काम का ज्ञान मिल सके इसी पे आधारित वात्सायन ने काम सूत्र की रचना की और चंदेल राजाओ ने खजुराहो के काम मंदिर की स्थापना की आगे चल के ओशो ने सम्भोग से समाधी का समर्थन किया और इसकी विवेचना की

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