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#संगीत_चिकित्सा का साधन"..
क्योंकि #संगीत भी #चिकित्सा का साधन है..
इसी बात को ध्यान में रखते हुए..
मैं सोच रहा था कि.. क्यों न ग्रुप में.. थोड़ा सा स्थान.. *संगीत चिकित्सा* के लिए भी रखा जाये...
इसके लिए मैंने सोचा है कि..
रोज रात्रि में सोने से पहले..
एक मधुर गीत ग्रुप में पेश किया जाये...
ताकि उसे सुनकर दिनभर की थकान, दौड़धूप और चिक चिक की वजह से होने वाली मानसिक थकान और टेंशन आदि उड़न छू हो जाये..
और मधुर संगीत को सुनकर..
आप सबको थोड़ा सकून सा भी मिले..
मनुष्य... कामकाज की वजह से शारीरिक रूप से उतना नही थकता..
जितना कि वह मानसिक रूप से थक जाता है...
आजकल की जीवन शैली ने हमे शारीरिक रूप से अनेक रोगों का
शिकार बना ही दिया है..
लेकिन अगर ध्यान से देखा जाये तो हम शारीरिक रूप से बाद में बीमार हैं..
पहले हम मानसिक रोग का शिकार हैं..
और.. इस तरफ किसी का ध्यान भी नही जा रहा है..
बीमारियों की असली वजह यह है कि हमारा मस्तिष्क ही हमारे पूरे शरीर के कार्यों और अंगों पर नियंत्रण रखता है.. और यही सबसे ज्यादा हताश और निराश रहता है..
यही हमारे शरीर मे रक्तचाप और हार्मोन्स आदि पर भी नियंत्रण रखता है...
मस्तिष्क के रिलैक्स न रहने की वजह से ही अन्य शारीरिक रोग पनपते जा रहे हैं..
इसलिए...हमे अपने मस्तिष्क को रिलैक्स करने के लिए योग, प्राणायाम, सात्विक भोजन आदि के साथ - साथ.. *मधुर संगीत* सुनने पर भी ध्यान देना चाहिये...
*लेकिन ध्यान रहे...कर्कश ध्वनि या संगीत से भी हमे कोसो दूर रहना चाहिये... क्योंकि कर्कश संगीत भी मानसिक अशांति का ही कारण होता है...*
👉🏻संगीत, मधुर ध्वनि के माध्यम से एक योग प्रणाली की तरह है, जो मानव जीवन के साथ साथ प्रकृति पर भी कार्य करता है..
तथा आत्मज्ञान की हद के लिए उनके उचित कार्यों को जागृत तथा विकसित करती हैं, जोकि हिंदू दर्शन और धर्म का अंतिम लक्ष्य है।
मधुर लय भारतीय संगीत का प्रधान तत्व है...
*राग* का आधार मधुर लय है...
विभिन्न *राग* केन्द्रीय तंत्रिका प्रणाली से संबंधित अनेक रोगों के उपचार में प्रभावी पाये गये हैं..
भारतीय संगीत की प्रमुख विशिष्टता *रागदारी संगीत* है..
राग भारतीय संगीत की आधारशिला है..
इसका अर्न्तनिहित.. स्वर-लय, रस-भाव अपने विशिष्ट प्रभाव से व्यक्ति के मन-मस्तिष्क को प्रभावित करता है..
जिस प्रकार हर रोग का संबंध किसी ना किसी ग्रह विशेष से होता हैं..
उसी प्रकार संगीत के हर सुर व राग का संबंध भी किसी ना किसी ग्रह से अवश्य होता हैं..
यदि किसी इंसान को किसी ग्रह विशेष से संबन्धित रोग हो और उसे उस ग्रह से संबन्धित राग,सुर अथवा गीत सुनाये जायें तो रोगी बहुत जल्दी ही स्वस्थ हो जाता हैं..
स्वर तथा लय की भिन्न-भिन्न प्रक्रिया उसकी शारीरिक क्रियाओं, रक्त संचार, मान्सपेशियों, कंठ ध्वनियों आदि में स्फूर्ति व उर्जा उत्पन्न करते हैं तथा व्याधियों को दूर करते हैं..
👉🏻 *संगीत-मकरंद* ग्रंथ में नारद द्वारा रागों की जातियों के आधार पर रोगी के मन और शरीर पर प्रभाव पड़ने का उल्लेख किया गया है..
नारद जी ने *संगीताध्याय..* के प्रकरण में विभिन्न दशाओं में रागों के गायन-वादन का निर्धारण किया है..
*आयुधर्मयशोवृद्धिः धनधान्य फलम् लभेत् ।*
*रागाभिवृद्धि सन्तानं पूर्णभगाः प्रगीयते ॥*
*अर्थात्...* आयु, धर्म, यश वृद्धि, सन्तान की अभिवृद्धि, धनधान्य, फल-लाभ इत्यादि के लिये पूर्ण रागों का गायन करना चाहिये..
👉🏻वेदों में संगीत को मोक्ष प्राप्ति का सर्वोत्कृष्ट साधन माना गया है...
*ऋग्वेद* में... *गाथपति* नामक चिकित्सक का उल्लेख है..
जिसका तात्पर्य संगीत चिकित्सक से है..
*सामवेद..* में..
जिसे भारतीय संगीत का वेद माना जाता है..
रोग-निवारण के लिये राग-गायन का विधान मिलता है..
*अथर्ववेद* में.. ऋक, यजुष और साम के ऐसे मंत्र थे, जो जीवन से व्यवहार से और स्वास्थ्य से सम्बन्धित थे...
*ब्रह्मा जी..* रत्न विशेषज्ञ, संगीतज्ञ एवं वैद्य आदि सभी के गुणों को धारण करते थे..
यज्ञों के माध्यम से अपने आपको.. शारीरिक, मानसिक व व्यवहारिक रूप से संतुलित रखने का प्रावधान था..
*मंत्र-मणि* एवं *औषधि..*
तीनों द्वारा अथर्ववेद में उपचार बताया गया है..
मंत्र-संगीत (साम) रत्न-मणी, तथा औषधि ने आगे चलकर *आयुर्वेद* का रूप धारण किया..
*आयुर्वेद..* में देह धारण की तीन धातुयें बताई गई हैं...
*वात, पित्त और कफ..*
अतः इन तीनों धातुओं का सन्तुलन बनाये रखने के लिये..
शब्द शक्ति, मंत्र शक्ति और गीत शक्ति का भी प्रयोग होता रहा है.. ऋषि-मुनियों द्वारा संगीत व मंत्र साधना ओऽम् द्वारा अनेक प्रकार की सिद्धियों व चमत्कारों पर अधिकार प्राप्त करना संगीत के प्रभाव का बोध कराता है..
संगीतार्षि.. *तुम्बरू* को प्रथम संगीत चिकित्सक माना जाता है.. उन्होंने अपनी पुस्तक.. *संगीत-स्वरामृत..* में उल्लेख किया है कि ऊँची और असमान ध्वनि का *वात्* पर..
गम्भीर व स्थिर ध्वनि का *पित्त* पर..
तथा कोमल व मृदु ध्वनियों का *कफ़* के गुणों पर प्रभाव पड़ता है...
यदि सांगीतिक ध्वनियों द्वारा इन तीनों को संतुलित कर लिया जाये तो बीमारियों की सम्भावनायें ही खत्म हो जायेगी..
👉🏻योग के सिद्धान्त के अनुसार.. श्वासों से जुड़ना अर्न्तमन से जुड़ना है और व्यक्ति जब अन्तर्मन से जुड़ जाता है तो ऋणात्मक संवेग कम हो जाता है और धनात्मक संवेग स्थायी होने लगते हैं..
ये धनात्मक संवेग मनोविकारों से व्यक्ति को दूर रखते हैं..
👉🏻किंवदन्ती है कि समुद्र गुप्त जब वीणा वादन करता था तो उसके उपवन में बसंत ऋतु का आभास होता था..
संगीत द्वारा पेड़ पौधों को रोग-ग्रस्त होने से बचाया जा सकता है.. बहेलियों के बीन बजाने पर मृग व सर्प मोहित हो जाते हैं..
आजकल कनाडा में मधुर संगीत सुनाकर गायों से अधिक दूध प्राप्त किया जाता है..
👉🏻विभिन्न रोगों के लिये संगीतज्ञों एवं संगीत चिकित्सकों तथा मनोवैज्ञानिकों ने कुछ राग निश्चित किये हैं, जो उन रोगों को दूर करने में सहायक सिद्ध हुये हैं..
लेकिन उनका वर्णन करने से लेख का विस्तार हो जायेगा...
इसलिए इस विषय मे फिर कभी लिखूँगा...
फिलहाल तो इतना सब लिखने का मेरा उद्देश्य इतना सा है कि आप सब सोने से पहले मधुर संगीत का आनंद अवश्य लें..
ताकि हर प्रकार के मानसिक व शारीरिक रोगों से बचाव होता रहे..
और अगर कोई मानसिक रोग हो भी तो वह भी धीरे धीरे समाप्त हो जाये..
मेरे अनुसार मधुर संगीत महिलाओं में होने वाले.. हार्मोनल असंतुलन, हिस्टीरिया, डिप्रेशन तथा अन्य बहुत सी मानसिक बीमारियों का सर्वोत्तम उपचार है...
✍🏻...
*कौनसा राग किस रोग में लाभदायक है...!*
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विभिन्न रोगों के लिये संगीतज्ञों एवं संगीत चिकित्सकों तथा मनोवैज्ञानिकों ने कुछ राग निश्चित किये हैं, जो उन रोगों को दूर करने में सहायक सिद्ध हुये हैं..
लेकिन उनका वर्णन करने से लेख का विस्तार हो जायेगा...
इसलिए इस विषय मे फिर कभी लिखूँगा...
फिलहाल आप यह जानिये की कौनसा राग किस रोग के उपचार हेतु प्रयोग में लाया जाता है..
प्रस्तुत है कुछ उदाहरण...
👉🏻 *रक्तचाप...*
ऊंचे रक्तचाप मे धीमी गति.. और.. निम्न रक्तचाप मे तीव्र गति का गीत संगीत लाभ देता है..
शास्त्रीय रागों मे.. *राग भूपाली..* को विलंबित व तीव्र गति से सुना या गाया जा सकता है..
*ऊंचे रक्तचाप मे...*
👇🏻
*चल उडजा रे पंछी कि अब ये देश..* (भाभी),
*ज्योति कलश छलके..*(भाभी की चूड़ियाँ ),
*चलो दिलदार चलो..*(पाकीजा ), *नीले गगन के तले..*(हमराज़) जैसे गीत.. व..
*निम्न रक्तचाप मे..*
👇🏻
*ओ नींद ना मुझको आये..*(पोस्ट बॉक्स न॰ 909),
*बेगानी शादी मे अब्दुल्ला दीवाना..* (जिस देश मे गंगा बहती हैं ),
*जहां डाल डाल पर..*(सिकंदरे आजम ),
*पंख होते तो उड़ आती रे..*
(सेहरा)
👉🏻 *हृदय रोग...*
इस रोग मे.. *राग दरबारी व राग सारंग..* से संबन्धित संगीत सुनना लाभदायक है..
*इनसे संबन्धित फिल्मी गीत निम्न हैं..*
👇🏻
*तोरा मन दर्पण कहलाये..*(काजल),
*राधिके तूने बंसरी चुराई..*(बेटी बेटे),
*झनक झनक तोरी बाजे पायलिया..* (मेरे हुज़ूर),
*बहुत प्यार करते हैं तुमको सनम..* (साजन),
*जादूगर सइयां छोडो मोरी.*
(फाल्गुन),
*ओ दुनिया के रखवाले..*(बैजू बावरा),
*मोहब्बत की झूठी कहानी पे रोये..* (मुगले आजम)
👉🏻 *मनोरोग अथवा डिप्रेसन...*
इस रोग मे.. *राग बिहाग व राग मधुवंती...*
सुनना लाभदायक होता है..
*इन रागों के प्रमुख गीत इस प्रकार से हैं..*
👇🏻
*तुझे देने को मेरे पास कुछ नहीं..* (कुदरत नई),
*तेरे प्यार मे दिलदार..*(मेरे महबूब),
*पिया बावरी...*(खूबसूरत पुरानी), *दिल जो ना कह सका...*
(भीगी रात),
*तुम तो प्यार हो...*(सेहरा),
*मेरे सुर और तेरे गीत..* (गूंज उठी शहनाई),
*मतवारी नार ठुमक ठुमक चली जाये...*(आम्रपाली),
*सखी रे मेरा तन उलझे मन डोले..* (चित्रलेखा)
👉🏻 *याददाश्त..*
जिन लोगों की याददाश्त कम हो या कम हो रही हो, उन्हे..
*राग शिवरंजनी..* सुनने से बहुत लाभ मिलता है...
*इस राग के प्रमुख गीत इस प्रकार से हैं...*
👇🏻
*ना किसी की आँख का नूर हूँ...* (लालकिला),
*मेरे नैना...*(महबूबा),
*दिल के झरोखे मे तुझको..*(ब्रह्मचारी),
*ओ मेरे सनम ओ मेरे सनम...*(संगम )
*जीता था जिसके..* (दिलवाले), *जाने कहाँ गए वो दिन..*(मेरा नाम जोकर)
👉🏻 *अनिद्रा...*
यह रोग हमारे जीवन मे होने वाले सबसे साधारण रोगों में से एक है..
इस रोग के होने पर.. *राग भैरवी व राग सोहनी..*
सुनना लाभकारी होता है..
*इसके प्रमुख गीत निम्न प्रकार से हैं..*
👇🏻
*रात भर उनकी याद आती रही..*(गमन),
*नाचे मन मोरा..* (कोहिनूर),
*मीठे बोल बोले बोले पायलिया..* (सितारा),
*तू गंगा की मौज मैं यमुना..* (बैजू बावरा),
*ऋतु बसंत आई पवन..*(झनक झनक पायल बाजे), *सावरे सावरे..*(अंनुराधा),
*चिंगारी कोई भड़के...*(अमर प्रेम),
*छम छम बजे रे पायलिया..*(घूँघट)..
*झूमती चली हवा..*(संगीत सम्राट तानसेन),
*कुहूु कुहू बोले कोयलिया..*(सुवर्ण सुंदरी )
👉🏻 *एसिडिटी...*
इस रोग के होने पर..
*राग खमाज..* सुनने से लाभ मिलता है...
*इस राग के प्रमुख गीत निम्न प्रकार से हैं...*
👇🏻
*ओ रब्बा कोई तो बताये प्यार..* (संगीत),
*आयो कहाँ से घनश्याम..*(बुड्ढा मिल गया),
*छूकर मेरे मन को..*(याराना),
*कैसे बीते दिन कैसे बीती रतिया...* (ठुमरी-अनुराधा),
*तकदीर का फसाना गाकर किसे सुनाये..*(सेहरा),
*रहते थे कभी जिनके दिल मे..* (ममता),
*हमने तुमसे प्यार किया हैं इतना..* (दूल्हा दुल्हन),
*तुम कमसिन हो नादां हो..*(आई मिलन की बेला)
👉🏻 *कमजोरी...*
यह रोग शारीरिक शक्तिहीनता से संबन्धित है..
इस रोग से पीड़ित व्यक्ति कुछ भी काम कर पाने मे खुद को असमर्थ महसूस करता है...
इस रोग के होने पर राग.. *जय जयवंती..*
सुनना या गाना लाभदायक होता है.. *इस राग के प्रमुख गीत निम्न हैं..*
👇🏻
*मनमोहना बड़े झूठे..*(सीमा), *बैरन नींद ना आये..*(चाचा ज़िंदाबाद),
*मोहब्बत की राहों मे चलना संभलके..* (उड़न खटोला),
*साज हो तुम आवाज़ हूँ मैं..* (चन्द्रगुप्त),
*ज़िंदगी आज मेरे नाम से शर्माती हैं..* (दिल दिया दर्द लिया),
*तुम्हें जो भी देख लेगा किसी का ना..* (बीस साल बाद)
👉🏻 *खून की कमी...*
इस रोग से पीड़ित होने पर व्यक्ति का चेहरा निस्तेज व सूखा सा रहता है.. स्वभाव में भी चिड़चिड़ापन होता है.. ऐसे में.. *राग पीलू..* से संबन्धित गीत सुनने से लाभ पाया जा सकता हैं..
*इस राग के प्रमुख गीत निम्न हैं..*
👇🏻
*आज सोचा तो आँसू भर आये...* (हँसते जख्म),
*नदिया किनारे...*(अभिमान), *खाली हाथ शाम आई है...*(इजाजत),
*तेरे बिन सूने नयन हमारे..*(लता रफी),
*मैंने रंग ली आज चुनरिया..*(दुल्हन एक रात की), *मोरे सैयाजी उतरेंगे पार..*(उड़न खटोला),
👉🏻 *अस्थमा...*
इस रोग मे आस्था-भक्ति पर आधारित गीत संगीत सुनने व गाने से लाभ होता है..
*राग मालकोस व राग ललित..* से संबन्धित गीत इस रोग मे सुने जा सकते हैं..
*जिनमें प्रमुख गीत निम्न हैं...*
👇🏻
*तू छुपी हैं कहाँ..*(नवरंग),
*तू है मेरा प्रेम देवता..*(कल्पना), *एक शहँशाह ने बनवा के हंसी ताजमहल..*(लीडर),
*मन तड़पत हरी दर्शन को आज..* (बैजू बावरा ),
*आधा है चंद्रमा..*(नवरंग)
👉🏻 *सिरदर्द...*
इस रोग के होने पर.. *राग भैरव...* सुनना लाभदायक होता है..
*इस राग के प्रमुख गीत इस प्रकार से हैं...*
👇🏻
*मोहे भूल गए सावरियाँ..* (बैजू बावरा),
*राम तेरी गंगा मैली..*(शीर्षक), *पूंछों ना कैसे मैंने रैन बिताई...*(तेरी सूरत मेरी आँखें), *सोलह बरस की बाली उमर को सलाम...*(एक दूजे के लिए)
👉🏻 *नोट:-* रागों के संबंध में मुझे समुचित जानकारी नही है..
इस लेख को लिखने में.. *All India Radio, Delhi* के मेरे मित्र *ज्वाला प्रसाद* और उनके पुत्र.. *माधव..* ने सहायता की है..
इसके लिए ये दोनों विशेष रूप से धन्यवाद के पात्र हैं..
ज्वाला प्रसाद जी *All India Radio..* में.. मुख्य संगीतकए है.
भारतीय शास्त्रीय संगीत के विविध राग और उन्हें सुनने से फायदे :
1. राग दुर्गा – आत्मविश्वास बढानेवाला.
2. राग यमन – कार्यशक्ति बढानेवाला.
3. राग देसकार – उत्थान व संतुलन साधनेवाला
4. राग बिलावल – अध्यात्मिक उन्नति व संतुलन साधनेवाला.
5. राग हंसध्वनि – सत्य असत्य को परिभाषित करनेवाला राग.
6. राग शाम कल्याण – मुलाधार उत्तेजित करनेवाला और आत्मविश्वास बढानेवाला.
7. राग हमीर – आक्रामकता बढानेवाला, यश देनेवाला, शक्ति और उर्जा निर्माण करनेवाला.
8. राग केदार – स्वकर्तृत्व पर पूर्ण विश्वास, भरपूर उर्जा निर्माण करनेवाला और मुलाधार उत्तेजित करनेवाला.
9. राग भूप – शांति निर्माण, संतुलन साधकर अहंकार मिटाता है.
10. राग अहिर भैरव – शुद्ध इच्छा, प्रेम एवं भक्ति भाव निर्माण करता है व आध्यात्मिक उन्नति, पोषक वातावरण निर्मित कारक.
11. राग भैरवी – भावना प्रधान राग, सर्व सदिच्छा पूर्ण कर प्रेम सशक्त और वृद्धि करता है.
12. राग मालकौस – अतिशय शांत एवं मधुर राग. प्रेमभाव निर्माण करता है व संसारिक सुख में वृद्धि करेगा.
13. राग भैरव – शांत वृत्ति व शुध्द इच्छा निर्माण करता है. आध्यात्मिक प्रगति के लिये पोषक एवं शिवत्व जागृत करनेवाला राग.
14. राग जयजयवंती – सुख समृद्धि और यश देने वाला राग. समस्या दूर करनेकी क्षमता.
15. राग भीम पलासी - संसार सुख व प्रेम देता है.
16. राग सारंग – अति मधुर राग. कल्पना शक्ति व कार्यकुशलता बढाकर नवनिर्मित ज्ञान प्रदान करता है, आत्मविश्वास बढाकर परिस्थिति का ज्ञान देता है.
17. राग गौरी – गुण वर्घक राग - शुद्ध ईच्छा, मर्यादाशीलता, प्रेम, उत्थान ,समाधान कारक.
विविध प्रकार के मकरन्दों (पुष्परस) से आसव, मद्य आदि की ज्ञान कराया जाता था। साभार 🙏🏼 soniya singh Facebook wall