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शुक्रवार, 31 जनवरी 2014

सालों बाद खोपड़ी के संस्कार के बाद लड़की की आत्मा को मिली मुक्ति!

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सच्ची कहानी पार्ट-5: खोपड़ी के संस्कार के बाद लड़की की आत्मा को मिली मुक्ति!


वाराणसी. एक ऐसी कहानी जिसका राज मृत लड़की की खोपड़ी से जुड़ा था। बड़े-बड़े तंत्र साधक मृत इंसानों की खोपड़ियों को रखकर आत्माओं का आह्वान करते थे। एक ऐसी ही लड़की की सच्ची दास्तां जिसने एक तांत्रिक के चक्कर में आकर आत्महत्या कर ली थी।
 
कोलकाता की इस लड़की का रहस्य बनारस के शमशान घाट पर मिली खोपड़ी के बाद खुला। महेश बाबू (बदला हुआ नाम) 1950 के आस-पास पुनर्जन्म और मृत आत्माओं की सच्चाई पर तांत्रिकों के साथ रिसर्च में जुटे थे। उन्होंने देखा कि ऐसे तांत्रिक हैं जो मनुष्य की मृत खोपड़ी को रखकर क्रिया द्वारा आत्मा को बुला लेते हैं। 
 कोलकाता की मृत लड़की की खोपड़ी कैसे पहुंची काशी 
 
तांत्रिक की साधना को कोई झुठला नहीं सकता। इसी को लेकर महेश बाबू अपने शोष कार्य में लगे थे। कई सालों तक महेश और साधक महेंद्र बाबू (बदला हुआ नाम) अलग-अलग खोपड़ियों की आत्माओं से संपर्क साधते रहे। इन दिन शमशान घाट पर विचरण के दौरान दोनों लोगों को एक खोपड़ी मिली। इसके बाद बंद कमरे में रात को साधना शुरू हुई। एक लड़की की रोने की आवाज आने लगी, तभी सामने एक परछाई दिखती प्रतीत हुई। 

सच्ची कहानी पार्ट-5: खोपड़ी के संस्कार के बाद लड़की की आत्मा को मिली मुक्ति!

 
आगे जानिए सुमन की आत्मा को कैसे मिली मुक्ति

महेंद्र बाबू ने लोहबान को आग में डालते हुए, आत्मा से पूछा कौन हो तुम, बनारस कैसे आई? क्या नाम है तुम्हारा? सिसकती लड़की ने मानो जबाब दिया, 'सुमन (बदला हुआ नाम) नाम है मेरा। मैं कोलकाता की रहने वाली थी। मैं बीमार रहती थी तो मुझे परिवार वाले एक तांत्रिक के पास लेकर गए थे। मेरे ऊपर साया बताकर उसने मुझपर बहुत जुल्म किया। एक दिन परेशान होकर चौबीस साल की उम्र में मैंने नदी में छलांग लगाकर आत्महत्या कर ली। मेरी आत्मा भटकती रही। कुछ सालों बाद नदी से मेरे कपाल को एक दूसरे तांत्रिक ने निकाल लिया और साधना करने के लिए काशी पहुंच गया। तांत्रिक गलत सिद्धियां करना चाहता था, मैंने उसको मंसूबे में कामयाब नहीं होने दिया। अपनी शक्ति से कपाल को गंगा के अंदर पहुंचा दिया। वर्षों बाद मेरा कपाल आप लोगों को मिल गया।' 
कैसे मिली सुमन की आत्मा को मुक्ति
 
सुमन की आत्मा ने साधक से प्रार्थना कि उसे साधना के जरिए मुझे मुक्ति दिला दें। साधक महेंद्र बाबू और रिसर्च कर रहे महेश बाबू ने सुमन को मुक्ति दिलाने की ठान ली। दोनों ने मिलकर विधि विधान के साथ शमशान घाट पर कपाल का संस्कार किया। सुमन की आत्मा उस दिन आखरी बार सामने आई और ये कहकर ओझल हो गई कि तंत्र साधना की सिद्धियां सही दिशा में हो तो वर्षों बाद भी मुक्ति मिल सकती है। 

इसीलिए विधि विधान के साथ अकाल मृत्यु के बाद होना चाहिए संस्कार 
 
हर धर्म और जाती में मनुष्य के मृत्यु के बाद उसका संस्कार किया जाता है। जो लोग अकाल मृत्यु से मरते हैं, उनकी आत्माओं को मुक्ति नहीं मिलती। इसीलिए पिंड दान का भी विधान प्राचीन काल से चला आ रहा है। गया और बनारस उन सिद्ध स्थलियों में से है जहां आत्माओं को बैठाया जाता है। पिशाच मोचन में आज भी पितृ पक्ष के दिन हजारों लोग पितरों की मुक्ति के लिए जाते हैं। 

मरने के 10 साल बाद लौटी प्रेमिका की अतृप्त आत्मा
 
वाराणसी. 1952 की यह कहानी बनारस से जुड़ी है। यहां एक अतृप्त प्रेमिका ने मरने के दस साल बाद प्रेमी के साथ चार दिनों तक रही और अत्यधिक कामुक होने के नाते प्रेमी के साथ पत्नी की तरह भोग भी करती रही। हरिशचंद्र शमसान घाट से इस कहानी की नई शुरुआत होती है। 
 नीलम और मानिक (बदला हुआ नाम) एक साथ पढ़ते थे। पढ़ाई के दौरान दोनों में नजदीकियां बढ़ी और प्यार हो गया। दोनों ने शादी की ठान ली। नीलम कश्मीर की रहने वाली थी, उसके माता पिता वहीं रहते थे। नीलम अपने मामा के घर रहकर पढ़ाई करती थी। उसने कश्मीर जाकर घर वालों से मानिक के प्यार का जिक्र किया और शादी की बात कही। घर वालों ने शादी से इंकार के बाद नीलम को बनारस जाने से रोक दिया।
 
एक दिन अपने प्रेमी की याद में उसने ख़ुदकुशी कर ली। मानिक ने नीलम के बारे में बहुत पता करना चाहा, लेकिन उसे कुछ पता नही चला। नीलम के परिवार वालों ने कश्मीर छोड़ दिया। मानिक भी नीलम के प्यार में बदहवास एक तांत्रिक से मिला। तांत्रिक ने एक मंत्र उसको दिया और कहा शमशान पर रोज बैठो वहीं से तुम्हे नीलम का साथ मिलेगा।
 
दस साल बीत गए, एक दिन एक सुन्दर सी युवती मानिक से मिली और पूछा कैसो हो तुम? मानिक समझ नहीं पाया, थोडी देर बाद रूपवती नाम की इस युवती ने तपाक से बोला 'मैं तुम्हारी नीलम हूं, घर ले चलो मुझे।' 
 
 
आगे जानिए आखिर क्यों 10 साल बाद नीलम उससे सिर्फ चार दिनों के लिए मिलने आई...

क्या मानिक नीलम की आत्मा के साथ रहा चार दिनों तक 
 
मानिक ने समझा उसकी नीलम उसे मिल गई। वह उसको लेकर छोटे से घर में आ गया। मानिक ने कमरे में नीलम से ये जानने कि बहुत कोशिश की वह इतने सालों तक कहा रही। उसने जबाब नहीं दिया बल्कि मानिक को बाहो में भरकर प्यार करने लगी। उसने कहा 'पत्नी को पति ही पूरा कर सकता है और मैं भी पूरी होने तुम्हारे पास आई हूं।' इतना कहकर दोनों वासना में मुद्रित हो गए। चार दिनों तक यह सिलसिला लगातार चलता रहा। अगले दिन मानिक जब बिस्तर से उठा तो देखा कि नीलम गायब थी। कई दिनों तक उसने नीलम को काशी की गलियों और तमाम जगहों पर ढूंढा, लेकिन वह नहीं मिली। मानिक तांत्रिक बाबा के पास पहुंचा और उसने सारी बाते बताई। तांत्रिक बाबा ने चौंकाने वाला सच मानिक को बताया। 

जानिए क्या बताया तांत्रिक बाबा ने 
 
बाबा ने बताया कि मानिक तुम और नीलम एक दूसरे को दस वर्षों पहले पति पत्नी मान चुके थे। तुमसे शादी न होने के कारण नीलम ने आत्महत्या कर ली थी, लेकिन नीलम ने तुमको पति मान लिया था और अपने शरीर को भी सिर्फ तुमको ही सौंपना चाहती थी। मरने की वजह से उसकी आत्मा अतृप्त रह गई। वह पति के रूप में अपने शरीर को तुमको सौंपना चाहती थी। ऐसी अतृप्त आत्माएं स्थूल शरीर को ग्रहण किए भटकती रहती हैं। इनको सुक्ष्म शरीरधारी प्रेतात्माएं कहते हैं। जो इच्छा अनुसार विचरण करती हैं। तांत्रिक बाबा ने बताया कि 'मैंने जो मन्त्र दिया था उसकी शक्ति ने नीलम को तुमसे मिला दिया। नीलम की आत्मा भी पति के रूप में तुमसे शरीर के साथ सहवास कर तृप्त हो गई। अब उसके अगले जन्म का मार्ग खुल गया। जब तक आत्मा तृप्त नहीं होती वह भटकती रहती।' 
क्या यही सच है
 
जीवात्मा अपने स्थूल शरीर को छोड़कर दूसरे स्थूल शरीर में अपनी भोग, वासना, लालसा और अतृप्त इच्छाओं को पूर्ण करने के लिए प्रवेश करती है। यही पर वह सूक्ष्म शरीर के साथ हो जाती हैं। मृत्यु के बाद भी वैसी ही अनुभूति को पाना चाहती हैं। इसी स्थिति में भोग वासना के लिए नीलम की आत्मा भी सूक्ष्म शरीर के साथ आई थी। भोग वासना से तृप्त होकर वह आत्मा फिर चली गई।  
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रविवार, 19 जनवरी 2014

इसी होटल में रुकी थीं सुनंदा पुष्कर, साढ़े 5 लाख रुपए है 1 दिन का किराया

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इसी होटल में रुकी थीं सुनंदा पुष्कर, साढ़े 5 लाख रुपए है 1 दिन का किराया

नई दिल्ली. दिल्ली का चाणक्यपुरी इलाका, यहीं बना है भारत का सबसे आलीशान होटल लीला पैलेस। वही होटल जिसमें केंद्रीय मंत्री शशि थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हुई। इसी होटल में है कमरा नम्बर 345 जिसमें सुनंदा पुष्कर रुकी थीं। कमरा कोई आम कमरा नहीं बल्कि सुइट है। ऐसा ही एक और सुइट कमरा नम्बर 342 भी शशि थरूर के नाम से बुक था। थरूर ने दो कमरो की बुकिंग कराई थी। इसकी खासियत ये है कि आपको बुकिंग के बाद से ही तमाम सुविधाएं मिलती हैं। होटल में सबसे महंगा महाराजा सुइट है। जिसका एक दिन का किराया साढ़े 5 लाख रुपए है। भारत में एक से बढ़कर एक शानदार और महंगे होटल हैं लेकिन दिल्ली का लीला होटल सभी को मात देता।

मुंबई के जाने माने लीला होटल समूह ने इस होटल के लिए जमीन 700 करोड़ रुपए में खरीदी थी। इस फाइव स्टार डीलक्स होटल के निर्माण पर 900 करोड़ रुपए खर्च आया था। इस होटल में 260 कमरे और सुइट हैं। होटल के एक कमरे पर जमीन सहित निर्माण में लगभग 6 करोड़ रुपए का खर्च आया था। अमूमन महानगरों में फाइव स्टार होटल के एक कमरे पर 75 लाख से 1.8 करोड़ रुपए की लागत आती है।

एक्सपर्टस का कहना है कि 1700 करोड़ रुपए में 260 कमरों का होटल बनाना न केवल भारत बल्कि सारी दुनिया में संभवत सबसे महंगा है। उनका मानना है कि इसका लागत निकालने के लिए जरुरी है कि होटल में सबसे न्यूनतम प्रति दिन का किराया भी 22,000 रुपए होना चाहिए। हालांकि इसके एक सुइट का एक दिन का किराया साढ़े 5 लाख रुपए है। इस होटल के कमरों का किराया दिल्ली के अन्य होटलों की तुलना में 10-15 प्रतिशत अधिक है। दिल्ली के चाणक्यपुरी में बने इस होटल को एक महल का रुप दिया गया है। नामी गिरामी कलाकर सतीश गुजराल ने इसका म्यूल बनाया है।

इसी होटल में रुकी थीं सुनंदा पुष्कर, साढ़े 5 लाख रुपए है 1 दिन का किराया
इस होटल में एक हजार पीतल के कमल बनाए गए हैं जिन पर 22 कैरट सोने का पानी चढ़ाया गया है। भारत के कई नामी कलाकारों ने इस होटल के लिए काम किया है। इस होटल को आधुनिक कला का अनूठा उदाहरण भी माना जाता है।
इसी होटल में रुकी थीं सुनंदा पुष्कर, साढ़े 5 लाख रुपए है 1 दिन का किराया

करीब 1700 करोड़ की कीमत से बने इस होटल में 260 कमरे और सुइट बने हुए हैं। कमरों और होटल की लागत के मामले में ये भारत का सबसे महंगा होटल है। यहां के 1 कमरे को बनाने के लिए करीब 6.53 करोड़ रुपये खर्च किये गए हैं।
इसी होटल में रुकी थीं सुनंदा पुष्कर, साढ़े 5 लाख रुपए है 1 दिन का किराया
इस होटल के साधारण कमरे में ठहरने का एक रात का किराया कम से कम 20,000 रुपये है। दिल्ली के ओबरॉय और आईटीसी मौर्य के साधारण कमरों का भी किराया इतना नहीं है। इस होटल के निर्माण पर जो लोन लिया गया है उसका सालाना ब्याज 125 करोड़ रुपये होगा।
इसी होटल में रुकी थीं सुनंदा पुष्कर, साढ़े 5 लाख रुपए है 1 दिन का किराया

इसी होटल में रुकी थीं सुनंदा पुष्कर, साढ़े 5 लाख रुपए है 1 दिन का किराया

इसी होटल में रुकी थीं सुनंदा पुष्कर, साढ़े 5 लाख रुपए है 1 दिन का किराया
इसी होटल में रुकी थीं सुनंदा पुष्कर, साढ़े 5 लाख रुपए है 1 दिन का किराया
इसी होटल में रुकी थीं सुनंदा पुष्कर, साढ़े 5 लाख रुपए है 1 दिन का किराया

इसी होटल में रुकी थीं सुनंदा पुष्कर, साढ़े 5 लाख रुपए है 1 दिन का किराया


इसी होटल में रुकी थीं सुनंदा पुष्कर, साढ़े 5 लाख रुपए है 1 दिन का किराया

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सच्ची घटना: पुनर्जन्म

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सच्ची घटना-2: पेंटिंग में बसी थी पिछले जन्म की पत्नी की आत्मा!

वाराणसी. क्या मरने के बाद किसी की आत्मा ऑइल पेंटिंग में सालों तक रह सकती हैं? इस सच्ची घटना में शैलेश बाबू के साथ कुछ ऐसा ही हुआ।
 बात उन दिनों कि है जब शैलेश बाबू डिब्रूगढ़ टी-स्टेट में लोगों के लिए मेस चलाया करते थे। 
हरी बाबू (बदला हुआ नाम) भी उन दिनों काशी से डिब्रूगढ़ काम करने पहुंचे थे।शैलेश बाबू की मेस में हरी बाबू भी लोगों के साथ रहने लगे। 
वहीं शैलेश बाबू की पत्नी की एक बड़ी सी ऑइल पेंटिंग उनके कमरे में टंगी थी। एक रात हरी बाबू ने एक बहुत सुंदर महिला को शैलेश बाबू का पांव बिस्तर पर दबाते देखा, यह देख उनके होश उड़ गए क्योंकि महिला की शक्ल ऑइल पेंटिंग वाली महिला से हूबहू मिल रही थी।
 हरी बाबू 60 के दशक में टी स्टेट में काम करने के लिए डिब्रूगढ़ पहुंचे थे। मेस शैलेश बाबू चलाते थे, अजनबी शहर होने के कारण हरी बाबू ने मेस में ही रहना पसंद किया। 
एक दिन देर रात पूर्णिमा के दिन हरी बाबू ने शाम को शैलेश बाबू के कमरे में रखी ऑइल पेंटिंग को देखा तो उन्हें विचित्र सी रहस्यमय अनुभूति महसूस हुई। उसी रात को नींद न आने पर वह हरी बाबू के कमरे से बाहर आए, तो उन्होंने शैलेश बाबू के पास दो स्त्रियों को देखा। 
दोनों उनकी सेवा कर रही थी। हरी बाबू चीखे, कि शैलेश बाबू गैर औरतों के साथ।इतना कहते ही दोनों स्त्रियां अचानक गायब हो गई। 
नीचे से मेस में ही काम करने वाले जतीन बाबू भी चले आए। शैलेश बाबू उठकर कमरे में गए। हरी बाबू भी कमरे में दाखिल हुए, जैसे ही उनकी नजर ऑइल पेंटिंग पर पड़ी, रौंगटे खड़े हो गए। पेंटिंग में महिला की आंखे (हरी बाबू) को घूर रही थी, मानो कोई साक्षात देख रहा हो।
 उस दिन से उन्हें चित्र से डर लगने लगा। जतीन बाबू ने सुबह बताया कि शैलेश बाबू आपसे बहुत प्यार करते हैं, हरी बाबू का चेहरा उनके दामाद से मिलता है। इसी लिए शैलेश बाबू उनके प्यार करते हैं। उस दिन के बाद से हरी जब भी ऑइल पेंटिंग की ओर देखते, मानो उसे यही लगता कि महिला साक्षात् कुछ कहना चाहती हो।
 क्या संबंध था शैलेश और हरी में, कौन थी दोनों महिलाएं जो शैलेश बाबू की सेवा करती थी

मेस के सारे स्टाफ विजयादशमी पर छुट्टी पर चले गए। 
हरी बाबू ने एक रात फिर देखा कि दो महिलाएं छत पर शैलेश बाबू के पैर दबा रही हैं। वह फिर से चीख पड़े कि पलक झपकते दोनों महिलाए फिर से गायब हो गई।
 बहुत पूछने पर जतीन बाबू ने बताया कि 'वह शैलेश बाबू की बेटी और पत्नी की आत्माएं थी। एक दिन मैं सच जानने के लिए शैलेश बाबू के कमरे में दाखिल हुआ। 
ऑइल पेंटिंग की महिला आखों में अंगार लिए मानो मुझे नुकसान पहुंचाना चाहती थी। 
जतीन बाबू ने मुझे उस दिन बचा लिया।
 कमरे से बाहर आकर जतीन बाबू ने दोनों आत्माओं के रहस्यों को बताया कि ऑइल में शैलेश बाबू की स्वर्गवासी पत्नी और दूसरी महिला उनकी बेटी है, जिसकी हत्या उसके पति ने शराब के नशे में कर दी थी। शैलेश बाबू अपने दामाद को बेहद प्यार करते थे। दामाद की शक्ल तुमसे मिलती है।
 जतीन बाबू ने एक और चौंकाने वाला सच बताया कि दामाद खीरु मेरा ही बेटा था, जिसकी शक्ल तुम्हारी तरह थी। पत्नी और बेटी शैलेश बाबू को मरने के बाद भी प्यार करती रही। ऑइल पेंटिंग में मानों उनकी पत्नी का वास है। इसी कारण से उस पेंटिग कि महिला अपने दामाद के रूप में देख तुमसे चिढ़ती थी।' 
जानिए फिर क्या हुआ

पूरी कहानी सुनने के बाद हरी बाबू ने फैसला लिया कि वह डिब्रूगढ़ छोड़कर कही और चले जाएंगे। 
हरी बाबू अगले दिन कोलकाता की ट्रेन पकड़ने स्टेशन पहुंचे। जतिन बाबू और शैलेश बाबू उनको छोड़ने आए। जतीन ने हरी बाबू से कहा कि आज दूसरी बार उनका बेटा उनसे दूर जा रहा है।
 शैलेश बाबू ने सिर्फ इतना कहा 'कि पिछले जन्म में तुमने सांस और पत्नी के प्यार को नहीं समझा था, 
इसी सीख के लिए इस जन्म में तुम यहां आए थे।' तभी ट्रेन चल पड़ी, ऑइल पेंटिंग वाली महिला मानो सामने खड़ी थी और यही कह रही थी कि इस जन्म में जीवन साथी को बहुत प्यार देना।

 मौत के 25 साल बाद पुनर्जन्म ले वापस लौटी प्रेमिका



सच्ची घटना-1: मौत के 25 साल बाद पुनर्जन्म ले वापस लौटी प्रेमिका


वाराणसी. घटना बनारस के नामी विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले दो प्रेमी युगलों से जुड़ी है।
 आज़ादी के कुछ सालों बाद ग्रेजुएशन कर रहे मनोज (बदला हुआ नाम) और शांति (बदला हुआ नाम) एक-दूसरे से बेहद प्यार करते थे। दोनों एमए के बाद शादी करने वाले थे।

एक दिन अचानक शांति की मौत एक मामूली-सी बीमारी के कारण हो गई।
 मनोज ने शमशान घाट पर अपनी आंखों के सामने प्रेमिका को जलते देखा। शांति ने मानो उसी समय मनोज के कानों में ये कहा - 'मैं वापस आऊंगी और अगले जन्म में तुम्हारी बंनूगी।'

मनोज शांति के मरने के बाद टूट सा गया था। उसने शादी न करने का मन बना लिया।
 वह कोलकाता काम करने चला गया। 25 साल बाद उसकी मुलाकात ऐसे लोगों से हुई जो मृत आत्माओं से संपर्क साध लेते हैं। मनोज शांति की आत्मा से मिलना चाहता था।
मृत आत्माओं से संपर्क साधने वाले मिथलेश बाबू पितृ पक्ष की अमावस्या के दिन अपने घर के बड़े से हॉल में मृत आत्माओं से संपर्क लिए साधना को बैठ गए।
उन्होंने अपनी 20 वर्षीय बेटी मोहिनी (बदला हुआ नाम) को सामने बिठाया और साधना शुरू कर दी। मनोज का मिथलेश बाबू ने मोहिनी से परिचय करवाया।
धीरे-धीरे हॉल का माहौल रहस्यमय होता गया।
 मोहिनी की आवाज भारी होने लगी, उसने उठकर मनोज को गले से लगा लिया और बोलने लगी 'मैं सुरभि हूं, जिसका तुमने शांति के जाने के बाद खूब इस्तेमाल किया और मरने के लिए सड़क पर छोड़ दिया।'
दरअसल, सुरभि शांति की ही सहेली थी।
वह शांति की मौत के बाद मनोज के नजदीक आ गई थी। बाद में मनोज और सुरभि का रोड एक्सीडेंट हुआ, जिसमें सुरभि की मौत हो गई।
जानिए मोहिनी के शरीर से कैसे बाहर निकली सुरभि की आत्मा

मिथलेश बाबू ने मोहिनी को बैठने को कहा तो शरीर में प्रवेश सुरभि की आत्मा चीखने लगी - 'मनोज मेरा है।'
 साधना फिर से शुरू करते हुए उन्होंने कुछ मंत्रों को पढ़ा और मोहिनी गिर पड़ी। चंद मिनटों बाद वह तपाक से फिर खड़ी हो गई। मोहिनी के कंठ से निकला - 'बेटा क्या कर रहे हो, सुरभि अतृप्त आत्मा है।
 वह तुम्हारा जीवन बर्बाद कर देगी। अमावस्या की वजह से मैंने तुम्हें बचा लिया।' यह मनोज की मां थी। मां की आत्मा मोहिनी के शरीर में अचानक खूब जोर-जोर से हंसने लगी। मोहिनी के मुख से भारी आवाज आई - तुझे तेरा प्यार मिल गया, जिसकी वजह से तू 25 सालों तक भटकता रहा।
 मोहिनी ही तेरी शांति है, जिसने इस जन्म में तुझे अपने पास बुला लिया है। मां की आत्मा मोहिनी के शरीर से निकलते ही मोहिनी को सबकुछ याद आ गया।
मिथलेश बाबू ने बताया कि मोहिनी ने ही शांति का जन्म लिया है।
 मनोज को सहज ही विश्वास नहीं हो पा रहा था। मोहिनी ने जब कुछ पुरानी बातों का जिक्र मनोज से किया तो वह समझ गया कि शांति का पुनर्जन्म हुआ है। उम्र के फासले के बाद भी दोनों विवाह को तैयार हो गए।
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शुक्रवार, 10 जनवरी 2014

अमेरिकी किशोर वेटलिफ्टर :उम्र 14 साल लेकिन ताकत उम्र से दोगुनी

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उम्र 14 साल लेकिन ताकत उम्र से दोगुनी, जानें यह कैसे हुआ...

शक्तिशाली बनना हर बच्चे का सपना होता है। जैक शेलेनश्लेगर इस सपने के काफी करीब पहुंच चुके हैं। 14 साल के इस बच्चे का चेहरा अभी भी मासूम है, मगर शरीर किसी बॉडी बिल्डर का है। छोटी उम्र में अपने पिता को जिम करते देख इन्हें प्रेरणा मिली। तब से ही जैक ने वर्कआउट शुरू कर दिया।
 
14 साल की उम्र में यह अमेरिकी किशोर वेटलिफ्टर बन चुका है। वजन उठाने की प्रतिस्पर्धा में जैक अपने आयु वर्ग के कई विश्व रिकॉर्ड तोड़ चुका है। पिछले वर्ष पावरलिफ्टिंग बैंच प्रेस चैंपियनशिप पेनसिल्वेनिया में जैक ने 136 किलोग्राम वजन उठाकर अपनी आयु और वजन के सभी लोगों को काफी पीछे छोड़ दिया।
 
जैक कहता है, पिछले ढाई साल में एक दिन भी नहीं बीता जब उसने ट्रेनिंग नहीं की हो। मुझे अपने पिता से प्रेरणा मिलती है वे सुपर स्ट्रॉन्ग हैं। जैक के ट्रेनर का कहना है यह बच्चा मानसिक रूप से शक्तिाशाली है। यह हार नहीं मानता। जो आंतरिक शक्ति इसमें है वह अधिक उम्र के लोगों में भी नहीं होती। 
उम्र 14 साल लेकिन ताकत उम्र से दोगुनी, जानें यह कैसे हुआ...

उम्र 14 साल लेकिन ताकत उम्र से दोगुनी, जानें यह कैसे हुआ...

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पुनर्जन्म की वैज्ञानिक संभावना

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Journey of Souls



एक न्यूरोसर्जन के पास मौत के अनुभव

डॉ. एबेन अलेक्जेंडर बोस्टन में हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में 25 साल सहित अधिक 15 साल के लिए एक शैक्षिक न्यूरोसर्जन कर दिया गया है. 2008 के नवम्बर में, वह अपने जीवन बदल गया है और उसे वह मानव मस्तिष्क और चेतना के बारे में पता था कि वह सोचा था कि सब कुछ पर पुनर्विचार करने का कारण है कि एक के पास मौत के अनुभव था. एलेक्स Tsakiris के साथ हाल ही में एक साक्षात्कार में, डॉ. एबेन अलेक्जेंडर वह उसे क्या हुआ के लिए किसी भी शारीरिक विवरण के साथ आने में असमर्थ रहा है और मन मस्तिष्क से स्वतंत्र है निष्कर्ष निकाला है कि कैसे बताते हैं. नीचे दिए गए साक्षात्कार के लिए सुनो और पर एक प्रतिलिपि पढ़ें Skeptico.com.

महिला के पास मौत के अनुभव के बाद कैंसर का इलाज


अनीता Moorjani देर चरण के कैंसर के कारण एक कोमा में गिर गई. उसका पति वह (उसके अंगों नीचे बंद थे) जीना 36 घंटे से भी कम था कि डॉक्टरों ने कहा था. सभी जबकि, अनीता, एक के पास मौत के अनुभव हो रहा था उसके शरीर पर लौटने या, तो सबसे उल्लेखनीय चिकित्सा कभी प्रलेखित किया था, उसे अपनी जिंदगी खत्म करने का फैसला नहीं करने का विकल्प दिया गया था. उन्होंने कहा कि यह उसके शरीर से बाहर होना चाहते हैं और अतीत और भविष्य, अनुभव timelessness देखने के लिए उसकी क्षमता भी शामिल है कि अन्य दायरे में, उसके जीवन का उद्देश्य पता है कि दूसरों की भावनाओं को महसूस करते हैं, और यह भी पता था कि क्या हमारे साथ साझा करने में सक्षम है पहली जगह में उसके जीवन के लिए खतरा बीमारी का कारण क्या है. यह समझने के बाद उसके स्वास्थ्य की कुल वसूली के लिए नेतृत्व किया. अपनी नई किताब मुझे सावधान करने के लिए मर रहा है अनुभव बताता है.
आत्मा की यात्रा
तुम मृत्यु से डरते हो? क्या आप मरने के बाद आप के लिए होने जा रहा है पता नहीं क्या है? यह आप डरते हैं क्योंकि आप कहीं और है और आपके शरीर यह सिर्फ इच्छाधारी सोच मर जाता है, या होने के बाद वहां से वापस आ जाएगी से आया है जो एक जगह है संभव है?
यह मनुष्य, अकेले धरती के सभी प्राणियों की, सामान्य जीवन जीने के क्रम में मृत्यु के भय को दबाने चाहिए कि एक विरोधाभास है. फिर भी हमारे जैविक वृत्ति हमें हमारे होने के लिए इस परम खतरे भूल जाते हैं कभी नहीं देता है. जैसे हम बड़े होते, मौत की काली छाया हमारी चेतना में उगता है. यहां तक ​​कि धार्मिक लोगों personhood के अंत के रूप में मौत का डर है. मौत का हमारा सबसे बड़ा भय परिवार और दोस्तों के साथ सारे संगठनों का अंत हो जाएगा कि मौत की शून्यता के बारे में विचार लाता है. मरने हमारे सभी सांसारिक लक्ष्यों लक्ष्यों को व्यर्थ लगता है.
मौत के बारे में हमें सब कुछ का अंत हो गया, तो जीवन वास्तव में अर्थहीन होगा. हालांकि, हमारे भीतर कुछ शक्ति मैं एक उच्च शक्ति और यहां तक ​​कि एक शाश्वत आत्मा के साथ एक कनेक्शन की भावना करने के लिए कर रहा हूँ एक इसके बाद के गर्भ धारण करने के लिए मनुष्य के लिए सक्षम बनाता है. हम वास्तव में एक आत्मा है, तो यह कहाँ मौत के बाद जाना है? हमारे भौतिक जगत के बाहर बुद्धिमान आत्माओं से भरा स्वर्ग में किसी प्रकार का वास्तव में है क्या? यह कैसा दिखता है? हम वहाँ मिलता है जब हम क्या करते हैं? इस स्वर्ग के आरोप में एक सर्वोच्च जा रहा है? इन सवालों में ही मानव जाति और हम में से ज्यादातर के लिए एक रहस्य बना के रूप में पुराने हैं.
मृत्यु के बाद जीवन के रहस्य को सच जवाब ज्यादातर लोगों के लिए एक आध्यात्मिक दरवाजे के पीछे बंद रहते हैं. हम अपने एकमात्र पहचान आत्मा और मानव मस्तिष्क के विलय में है, जो एक सचेत स्तर पर, एड्स के बारे में भूलने की बीमारी में बनाया गया है, क्योंकि यह है. पिछले कुछ वर्षों में आम जनता अस्थायी एक लंबी सुरंग, चमकदार रोशनी, और अनुकूल आत्माओं के साथ भी संक्षिप्त मुठभेड़ों देखने के बारे में बताने की मृत्यु हो गई और फिर वापस जीवन के लिए आया था, जो लोगों के बारे में सुना है. लेकिन इन खातों में से कोई भी हमें मृत्यु के बाद जीवन के बारे में पता करने के लिए सब वहाँ की एक झलक से अधिक दिया गया है.


माइकल न्यूटन की किताब, आत्माओं की यात्रा भावना दुनिया के बारे में एक अंतरंग पत्रिका है. यह पृथ्वी पर जीवन खत्म हो गया है क्या हमारे पास होता स्पष्ट विस्तार से पता चलता है जो वास्तविक मामले इतिहास की एक श्रृंखला प्रदान करता है. आप आध्यात्मिक सुरंग से परे और वे अंत में एक और जीवन में पृथ्वी पर लौटने से पहले आत्माओं के लिए क्या transpires जानने के लिए आत्मा दुनिया में ही लिया जाएगा.

विक्टर Zammit द्वारा पुस्तक के अध्याय 29 से अंश, एक वकील Afterlife के लिए प्रकरण प्रस्तुत
पुनर्जन्म intelligences से महत्वपूर्ण संदेश बार बार हमें सूचित पिछले कुछ दशकों में इस धरती पर हमें मनुष्य के लिए विभिन्न देशों में फैलता है कि, (संक्षेप में कहें):
  • सभी मनुष्य अपने विश्वासों के बावजूद शारीरिक मौत, जीवित रहते हैं.
  • मौत के बिंदु पर हम सब अपने अनुभवों, हमारे चरित्र और हमारे आकाशीय (आत्मा) के शरीर के साथ हमारे मन ले - जो पृथ्वी शरीर की नकल है. यह मौत के बिंदु पर पृथ्वी को शरीर से बाहर आता है और एक चांदी के तार से पृथ्वी शरीर से जुड़ा है. चांदी की हड्डी भौतिक शरीर से कटे है जब मौत होती है. रजत बिर्च, नौ से अधिक पुस्तकें प्रेषित किया है जो पुनर्जन्म से एक उच्च खुफिया, पुनर्जन्म में आकाशीय शरीर और हमारे आसपास हमारी दुनिया अब हमें लगता है बस के रूप में ठोस हो जाएगा कि हमें बताते हैं.
  • स्वर्ग के रूप में ऐसी बात या "नीचे" नरक "आकाश में" वहाँ कोई नहीं: पुनर्जन्म का स्थान पृथ्वी तल से बदल नहीं है. सबसे कम करने के लिए उच्चतम कंपन से - एक ही कमरे में अलग दुनिया या "क्षेत्रों" या "विमानों" अंतर - घुसना भीतर अलग रेडियो फ्रीक्वेंसी कर रहे हैं बस के रूप में.
  • विभिन्न स्तरों या पुनर्जन्म में "क्षेत्रों" कर रहे हैं - सबसे कम कंपन से उच्चतम करने के लिए. शारीरिक मौत पर हम पृथ्वी पर हमारे जीवन भर में जमा कंपन समायोजित कर सकते हैं, जो इस क्षेत्र के लिए जाना. सरल शब्दों में कहें, सबसे आम लोगों "तीसरे" क्षेत्र के लिए जाने की संभावना है - कुछ लोगों को यह कहते कंपन अधिक है, की स्थिति बेहतर "Summerland." - यह उच्च क्षेत्रों से हमें ले जाएगा. हम उच्च क्षेत्रों की कल्पना भी करने के लिए बहुत सुंदर हैं कि सूचित कर रहे हैं. बहुत, बहुत कम कंपन के साथ उन लोगों के लिए बहुत गंभीर समस्या मौजूद है.
  • अनंत काल और अनन्त फटकार के लिए नर्क अनजान के दिल और दिमाग में हेरफेर करने के लिए पुरुषों द्वारा आविष्कार किया गया था - वे मौजूद नहीं है. विशेष रूप से, अंधेरे अप्रिय और भी भयावह हैं कि पुनर्जन्म में निचले क्षेत्रों Whilst वहाँ - अनंत काल के लिए वहाँ नहीं है नीचे समाप्त - कुछ उन्हें "नरक" कहते हैं. हमेशा दया और unselfishness का सबक सीखने के लिए तैयार किसी भी आत्मा के लिए उपलब्ध मदद है.
  • आप शरीर से मुक्त और पुनर्जन्म में प्रवेश कर रहे हैं, आप भारी लपट की भावना का अनुभव करेंगे. कुछ संचारकों मिलाना यह एक भारी गोताखोरों 'सूट दूर ले जा रही है.
  • मौत के बिंदु पर मन की स्थिति महत्वपूर्ण है. कुछ होश में अधिक से गुजारें और नई आगमन के स्वागत के लिए आने वाले लोगों को प्यार की पूरी तरह से वाकिफ हैं, दूसरों को बेहोश कर रहे हैं और rest.In की एक खास जगह पर ले जाया जाता है हमारी दुनिया के सबसे नजदीक क्षेत्रों, मन वास्तविकता बनाता है. तो कुछ भी पाने की उम्मीद जो लोग अच्छी तरह से गहरी नींद में रह सकते हैं.
  • कुछ समय के लिए बीमार हो गया है जो उन लोगों को खुद के अपने मानसिक तस्वीर बदल सकते हैं और उनके दिमाग के साथ एक स्वस्थ आकाशीय शरीर बनाने के लिए मदद की जरूरत हो सकती. "अस्पताल" इस purpose.Ordinary उचित लोगों को अपने प्रियजनों से मुलाकात कर रहे हैं के लिए मौजूद हैं - आत्मा के साथी जुड़ रहे हैं. हायर ज्ञान afterlife में हमारी उपस्थिति हमारे लिए सबसे अच्छा उम्र के लिए वापसी कर सकते हैं कि हमें सूचित - ज्यादातर लोगों के लिए, मध्य बिसवां दशा के लिए जल्दी से.
  • नास्तिक, अज्ञेयवादी और दूसरों के उच्च क्षेत्रों पर गुजर से भारग्रस्त नहीं किया जा सकता है - वे महत्वपूर्ण हो जाएगा था क्या के लिए अपने जीवन और प्रेरणा में क्या किया था, वे अंदर विश्वास नहीं क्या
  • धार्मिक अनुष्ठानों, जैसे बपतिस्मा और बयान में भाग लेने, और creeds और dogmas में गैर विश्वास नहीं उच्च आध्यात्मिकता और उच्च पुनर्जन्म क्षेत्रों को प्राप्त करने से उलझाना नहीं किसी को भी करता है.
  • जल्द ही खत्म पार करने के बाद आप एक जीवन की समीक्षा का अनुभव होगा. अपने जीवन की समीक्षा में आप अपने विचारों, शब्दों और कर्मों और वे दूसरों पर पड़ा प्रभाव से सभी का अनुभव होगा. नहीं, शरीर न्यायाधीशों तुम. आप बाहर सेट करना है के साथ अपने जीवन की वास्तविकता और दूसरों पर था प्रभाव की तुलना द्वारा अपने आप को न्यायाधीश.
  • पुनर्जन्म से लोगों को प्यार करता था, हाल ही में पहुंचे और दूसरों को अभी भी पृथ्वी और उनमें से कुछ भी उनके 'गाइड' बन सकता है पर रहने वाले लोगों को प्यार की यात्रा करने की शक्ति है.
  • पुनर्जन्म में संप्रेषण दूर संवेदन द्वारा किया जाता है. दूर संवेदन द्वारा किया जाता है (और किया जा रहा है) हो सकता है और afterlife में उन लोगों के साथ earthplane को संचार.
  • आमतौर पर संक्रमण के तीन महीने के भीतर हाल में पहुंचे प्रियजनों, नेत्रहीन हस्तांतरित करने की अनुमति दी जाती है - सपनों के माध्यम से या प्रेत और अन्य तरीकों से - वे अभी भी जीवित हैं कि सबूत. कई शारीरिक विकलांग लोगों को पृथ्वी पर था, अपने स्वयं केfunerals.Any गायब हो जाएगा भाग लेने के लिए चुनते हैं. एक बार जब वे विकृति, बीमारी, अंधापन या प्रतिकूल पृथ्वी पर उन्हें प्रभावित करने वाले किसी भी अन्य चीज के रूप में ऐसी कोई बात नहीं होगी मानसिक रूप से समायोजित किया है.
  • मन afterlife में भारी शक्ति है. यह बात वहाँ बना सकते हैं और शरीर सोचा की गति से यात्रा करने के लिए पैदा कर सकता है, यदि आप दुनिया में किसी भी स्थान पर हैं और आप तुरंत वहाँ कल्पना उदा. पृथ्वी पर कुछ लोगों को दूसरों की तुलना में पुनर्जन्म के लिए एक बेहतर संक्रमण है. हम पुनर्जन्म के बारे में अधिक ज्ञान, संक्रमण आसान. यह भी आप अपने मन पर नियंत्रण करने में सक्षम हैं, सकारात्मक लगता है और एक समय में एक बात पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है.
  • कुछ लोगों को "दो दुनियाओं के बीच." अटक जाते हैं वे अभी भी खुद को ठोस लग रहा है, क्योंकि वे वास्तव में मृत्यु हो गई है कि स्वीकार नहीं करते. कुछ प्रकाश के लिए जा रहा से डर रहे हैं. कई मानसिक भ्रम की स्थिति में मिलता है और दशकों के लिए और भी हजारों साल के लिए खो दिया हो सकता है.
  • पुनर्जन्म में, खाने या पीने या सोने के लिए जाने की कोई जरूरत नहीं है. कोई रात का समय, कोई बारिश या खराब मौसम है. सभी प्रकाश है.
  • आप एक ही कंपन के अन्य लोगों के साथ मिश्रण और सहकारी प्रयासों में उनके साथ शामिल होने का अवसर होगा.
  • आप आमतौर पर अपने जीवन से पसंदीदा घर की अक्सर सटीक प्रतिकृति, एक घर में अपने आप मिल जाएगा. यदि आप हमेशा चाहती है घर का एक स्पष्ट मानसिक तस्वीर है और आप इसे अर्जित किया है अगर, आप इसे बना सकते हैं.
  • सभी जानवरों को भी मौत के जीवित रहते हैं. आप आने तक आम तौर पर आप के पास किसी के लिए परवाह कर रहे हैं प्यार करता था जो पालतू जानवर के साथ फिर से होने की उम्मीद कर सकते हैं. Undomesticated जानवरों को अपने अपने क्षेत्रों में मौजूद रहेंगे.
  • आप अपने पसंदीदा हितों को आगे बढ़ाने के लिए जारी रख सकते हैं. आप पढ़ने के कला, संगीत का आनंद लें, संगीत कार्यक्रम में भाग लेने या खेल खेलने के लिए जारी रख सकते हैं. या फिर आप बागवानी कर सकते हैं.
  • एक अभी भी अधिक है, और भी सुंदर क्षेत्रों के लिए पुनर्जन्म और प्रगति में आध्यात्मिक सबक सीख सकते हैं.
  • उन पर पार या दूसरों को कम सूचित की मदद करने में मदद करने के - तुम भी सीखने के हॉल के पास जाओ, और आध्यात्मिक काम करने के लिए जारी करने का अवसर होगा. आप बचाव के काम करने के लिए तरह हो सकता है - गहरे स्थानों और जो प्रकाश की ओर आने के लिए प्रकाश के क्षेत्र में होने की अर्हता में खो उन बताए. आप अपना समय खर्च में रचनात्मक कैसे हो सकता है.
  • आप आध्यात्मिक परिष्कृत करने के लिए जारी रखने और परिस्थितियों और अधिक सुंदर और इससे पहले कि आप में थे एक से बेहतर होगा, जहां एक उच्च दायरे में स्नातक करने के लिए वृद्धि की आध्यात्मिकता से अपने कंपन को बढ़ाने के लिए है जब अंत में, वहाँ एक समय आएगा.
  • अगले क्षेत्र के लिए यह "परिवर्तन" धीरे - धीरे और स्वाभाविक रूप से होता है. तुम अपने आप को एक गहरी नींद में जा पाते हैं और अगले level.In उच्च क्षेत्रों को जगाने, आप अपने अस्तित्व तीन dimensionally के किसी भी अवधि में किसी भी घटना को याद करते हैं और देखने में सक्षम हो जाएगा.
  • प्रेम, बिना शर्त प्यार, ब्रह्मांड में जाना जाता है सबसे शक्तिशाली बल है. यह पुनर्जन्म में अपने प्रियजनों के साथ लिंक है.
  • आप या कोई भी न्यायाधीशों के निचले क्षेत्रों के लिए आप की निंदा करता है. आप पृथ्वी पर जीवन के दौरान अर्जित कम कंपन (कम आध्यात्मिकता) से कम भीषण क्षेत्रों ("नरक") करने के लिए अपने आप को निंदा करते हैं. लगातार बुरे थे जो लोग हैं, उनके संक्रमण पर, या तो अकेले छोड़ दिया या बहुत ही कम कंपन के उन अन्य लोगों के द्वारा और एक ही बहुत कम आध्यात्मिकता के साथ मुलाकात कर रहे हैं. वे स्वाभाविक रूप से गहरा निचले क्षेत्रों की ओर आकर्षित कर रहे हैं. हालांकि प्रगति की सार्वभौमिक कानून सुनिश्चित करता है कि भविष्य में कुछ समय में कम कंपन के साथ उन अंततः, यह समय के eons लेता है - भले भी सदियों या वर्षों के हजारों - उच्च कंपन और उच्च क्षेत्रों से स्नातक प्राप्त करते हैं.
  • स्वार्थ आध्यात्मिकता के खिलाफ सबसे बड़ी अपराधों में से एक है और बहुत ही कर्म है.
  • ऊर्जा - सकारात्मक या नकारात्मक - एक 'वापसी है. "आप किसी के प्रति अच्छा ऊर्जा बाहर भेजते हैं, तो अच्छा है कि ऊर्जा अभी या बाद में वापस आ रहा है. आप गलत तरीके से किसी के खिलाफ बेईमान जा रहा है, या धोखाधड़ी के द्वारा,, परेशान, बदनाम झूठ बोल रही है या किसी को नुकसान के कारण से नकारात्मक ऊर्जा बाहर भेजने के लिए, नकारात्मक ऊर्जा का उस तरह का अनिवार्य रूप से आप के लिए वापस आ जाएगी.
  • "तुम क्या बोना काटना होगा" - कारण और प्रभाव के कानून - मान्यता प्राप्त सार्वभौमिक आध्यात्मिक कानून है. कर्मा आप इसे से दूर नहीं होगा. अन्य लोगों के खिलाफ सभी नकारात्मक कर्मों के प्रयोजन के लिए अनुभव किया जाना है "निरंतर आध्यात्मिक शोधन."
  • बिजली और अन्य लोगों के व्यवस्थित उत्पीड़न का स्वार्थ, शोषण सबसे कर्म के कार्यों में से दो हैं. भीषण कर्म जिसका काम समाज की रक्षा के लिए था, लेकिन खुद को जान - बूझकर उनकी सत्ता का दुरुपयोग, इरादतन अपराधों में लिप्त हैं और दूसरों को नुकसान और चोट के कारण उन इंतजार कर रहा है.
  • आप सिर्फ आदेश का पालन कर रहे थे कि दावा करके अपने बुरे व्यवहार के लिए माफ नहीं किया जाएगा.
  • क्रूरता - मानसिक या मनुष्य या पशुओं के खिलाफ शारीरिक - अत्यधिक कर्म है और न्यायोचित नहीं है.
  • जो लोग लगातार गाली दी और परेशान दूसरों माफी माँगने के लिए पुनर्जन्म में अपने शिकार का सामना करना पड़ेगा. गंभीर प्रतिकार के बाद, अपराधियों वे किसी भी प्रगति करने की अनुमति दी जाती है इससे पहले पीड़ितों से माफी माफी माँगता हूँ और की तलाश करनी होगी.
  • ड्रग्स, शराब, जुआ, तंबाकू, या सेक्स में overindulgence - - पृथ्वी पर गहरा बहुत मजबूत व्यसनों में फंस गए हैं जो लोग उन्हें संतुष्ट करने की कोशिश कर रहा सूक्ष्म स्तर पर पकड़ा प्राप्त कर सकते हैं.
  • एक चेतावनी: कुछ hallucinogenic दवाओं भौतिक शरीर की नकल बाहर लिफ्ट करने के लिए शक्ति है. पुनर्जन्म, दवा लेने वाला "से संस्थाओं द्वारा देखा ... वे कोई आत्मा था मानो दयनीय लग रहा है ... वे आंखों के पीछे खाली पड़े हैं. शरीर के बाहर, अन्य निचली संस्थाओं दवा लेने के शरीर में प्रवेश करने का प्रयास करते हैं - तो आपको अधिकार है ".
  • मृत्युशय्या रूपांतरण? हम कर दिया गया है और हम बार बार उच्च सूत्रों ने सूचित किया जा रहा है कि हम अपने कंपन को बदल नहीं है मरने के तुरंत बाद - नहीं, भले ही एक पश्चाताप शीघ्र ही मृत्यु से पहले. हम हमारे साथ हम पृथ्वी पर हमारे पूरे जीवनकाल के दौरान प्राप्त या खो संचित कंपन (अध्यात्म) ले. पश्चाताप के रूप में बपतिस्मा मौत के तुरंत बाद "एक बेहतर सौदा 'होने का एक तरीका के रूप में पूरी तरह से बेमानी है.
  • रजत बिर्च - क्या आप पृथ्वी पर अपने वजूद को दिया होता सच्चे ज्ञान प्राप्त करने के लिए सिर्फ एक व्यक्ति की मदद की है.
  • हर कोई "अवतार." करने के लिए है न
  • आप एक सपना चलाने के लिए इस दुनिया में नहीं आते - दर्द के बिना, समस्याओं के बिना, पीड़ित. अधिक अपने अनुभव, कई गलतियों से अधिक शिक्षा, अधिक मूल्यवान अपने जीवनकाल विविध.
  • आप में से कई को धोखा दिया जाएगा, बदनाम, गलत तरीके से परेशान ... लेकिन न्याय किया जाएगा ... अपनी दुनिया में, हो सकता है, लेकिन निश्चित रूप से दुनिया में आने के लिए नहीं. सार्वभौमिक कानूनों आप उन के बारे में पता कर रहे हैं या नहीं, कार्य करते हैं.
  • पुनर्जन्म से संस्थाओं के साथ संवाद स्थापित करने में कुछ निहित खतरों रहे हैं. पुनर्जन्म से वे कभी कभी हमारे मन पढ़ सकते हैं और हमारे मन में विचार और विचारों को रख सकते हैं. लोअर, शरारती संस्थाओं नकारात्मक विचार और विचारों को रख सकते हैं और सकारात्मक अधिक प्रबुद्ध संस्थाओं सकारात्मक विचार और विचारों के साथ सहायता करते हैं. एक बड़ा सौदा मर्जी से व्यायाम करने के लिए छोड़ दिया है.
  • हम अपनी रोजमर्रा की समस्याओं के साथ मुकाबला करने में हमारी मदद करने के लिए पुनर्जन्म से शक्तिशाली संरक्षक कॉल करने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन वे हमारे लिए निर्णय लेने के लिए नहीं होगा.
  • पदार्थवादी और दूसरों को पृथ्वी पर अपने पिछले दस या बीस साल के बारे में चिंता बहुत अधिक समय खर्च करते हैं और अगले दस, बीस हजार साल, पचास हजार साल में उन्हें होने जा रहा है जो उनकी सोच समय के एक छोटे अंश खर्च नहीं करते ... और बहुत, बहुत बहुत लंबे समय तक.
  • क्या आत्महत्या चीजों की एक संख्या पर निर्भर करेगा जो एक व्यक्ति को कुछ नहीं होगा. प्रेरणा हमेशा बहुत महत्वपूर्ण है. क्योंकि एक अपरिहार्य मृत्यु और आत्महत्याएं जिम्मेदारियों से बचने के लिए एक है जो की आत्महत्या अगर उदाहरण के लिए, एक बड़ा अंतर हो जाएगा. समस्याओं और जिम्मेदारियों से बचने के लिए अपनी जान ले जो लोग पुनर्जन्म में उनकी समस्याओं और जिम्मेदारियों में वृद्धि की संभावना है.
  • प्रगति के कानून के अनुरूप है, अंत में, यह समय के eons लेता है, भले ही सभी उच्च क्षेत्रों से प्रगति करेगा.
  • पुनर्जन्म में की तरह आकर्षित करती है जैसे. पृथ्वी तल पर विपरीत, कम कंपन के साथ उन उच्च क्षेत्रों में उन लोगों के साथ आसानी से मिश्रण नहीं कर सकते.
  • स्व जिम्मेदारी - अंत में, आप अपने आप को पृथ्वी तल पर अपने समय के दौरान सभी कार्य करता है और चूक के लिए जिम्मेदार हैं.
  • पुनर्जन्म में रहते थे होने के लिए जीवन की तरह - सौंदर्य, शांति, प्रकाश और सबसे अच्छे लोगों को इंतजार है कि प्यार - अकल्पनीय है. sabhar :trans4mind.com

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प्रोफेसर स्वर्णलता तिवारी से मिलकर आपको इस बात यकीन हो जाएगा कि पुनर्जन्म होता है

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पुनर्जन्म की बातों पर लोग एक बारगी विश्वास नहीं करते, क्योंकि ऐसी बातें यदा कदा ही होती हैं। लेकिन ऐसा नहीं कि जो इस धरती से गया है वह वापस लौटकर नहीं आता। गीता में भगवान श्री कृष्ण ने स्वयं ही कहा कि आत्मा अमर है और यह शरीर बदलता रहता है।

लेकिन ऐसा भी नहीं है कि आत्मा को अपने पूर्व जन्म की बातें याद नहीं होती हैं। आत्मा को अपने कई-कई जन्मों की बातें याद रहती हैं। भोपाल के एमवीएम कॉलेज से प्रिंसिपल के पद से रिटायर हुईं प्रोफेसर स्वर्णलता तिवारी से मिलकर आपको इस बात यकीन हो जाएगा कि पुनर्जन्म होता है और आत्मा को कई जन्मों की बातें याद रहती हैं।




story prebirth memory paranormal story
इन्होंने अपने पूर्व जन्म के परिवारजनों को पहचान लिया और पिछले जन्म के रिश्तेदारों ने भी इनकी बात को सच माना है। इसलिए पिछले जन्म के रिश्ते भी यह निभा रही हैं।

स्वर्णलता तिवारी का कहना है कि इनका पूर्व जन्म मध्यप्रदेश के कटनी में हुआ था। पिछले जन्म के भाई जब कटनी से मिलने इनके घर भोपाल पहुंचे तो इन्होंने झट से उन्हें पहचान लिया। यह अपने पूर्व जन्म के घर पर गई तो अपने पड़ोसियों को भी बिना किसी दिक्कत के पहचान लिया।

बचपन में यह एक दिन अचानक ही असमिया भाषा में गीत गाने लगी। इन्हें असमिया भाषा में गाते सुनकर लोग बड़े हैरान हुए। तब इन्होंने बताया कि इनका दूसरा जन्म असम के सिलहट में हुआ था। उस जन्म में जब वह आठ-नौ साल की थीं तब एक सड़क हादसे में इनकी मौत हो गई।

वहीं बचपन में एक दिन अचानक बैठे-बैठे उन्हें अपना दूसरा जन्म भी याद आ गया। उनका दूसरा जन्म सिलहट में हुआ था, जहां वो महज आठ-नौ साल की थीं और स्कूल जाते वक्त एक सड़क हादसे में उनकी मौत हो गई थी।

अमेरिकी वैज्ञानिक डॉ. स्टेफन ने स्वर्णलता के केस का अध्ययन किया है और इसे एक्स्ट्रा मेमोरी का नाम दिया है। स्वर्णलता में एक अद्भुत शक्ति यह भी है वह आने वाली घटनाओं को पहले ही जान लेती हैं। इनके अनुसार विवाह से पहले ही इन्होंने अपने होने वाले ससुराल का घर देख लिया था।sabhar :http://www.amarujala.com

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कुत्ता जिसने दुनिया को परमाणु युद्ध से बचा लिया

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पुशिंका

शीतयुद्ध के दौरान सोवियत नेता ख्रुश्चेव और अमरीकी राष्ट्रपति जॉन एफ़ कैनेडी नियमित रूप से पत्राचार कर रहे थे. दोनों देशों के बीच जारी शत्रुता के बीच इन दोनों नेताओं ने उपहारों का लेन-देन भी किया. इन उपहारों में पुशिंका नाम का कुत्ता भी शामिल था, जिसकी माँ लाइका अंतरिक्ष में जाकर जीवित लौटने वाली पहली कुतिया थी.
जापान में अमरीका की राजदूत क्लिक करेंकैरोलिन कैनेडी कहती हैं, "मेरी माँ ने मुझे एक मज़ेदार कहानी सुनाई थी." वे करीब पचास साल पहले व्हाइट हाऊस में एक बच्ची के रूप में बड़ी हो रही थीं.

कहां से आया पिल्ला
कैरोलिन कैनेडी वियना में आयोजित एक सरकारी भोज के दौरान ख्रुश्चेव के बगल में बैठी थीं. वह ढेर सारी चीज़ों के बारे में लगातार बातें कर रही थीं, उन्होंने कुत्ते स्ट्रेलका के बारे में भी पूछा, जिसे रूस ने अंतरिक्ष में भेजा था. इस बातचीत के दौरान मेरी माँ ने स्ट्रेका के पिल्लों के बारे में पूछा.
"पुश्किना काफ़ी आकर्षक और रोयेंदार थी, वास्तव में अपने रूसी नाम के अर्थ की तरह काफी नर्म रोयें वाली थी."
कैरोलिन कैनेडी, जॉन एफ़ कैनेडी की बेटी
कुछ महीनों बाद मेरे घर एक पिल्ला आया और मेरे पिता को पता नहीं था कि वह कहाँ से आया है और उनको यक़ीन नहीं हो रहा था कि मेरी माँ ने इसे मुमकिन बनाया है.
वह पिल्ला स्ट्रेलका का था जिसका नाम था पुशिंका, जिसे उसके आधिकारिक पंजीकरण प्रमाणपत्र में संकर प्रजाति का बताया गया था.
कैनेडी कहती हैं, "पुशिंका काफ़ी आकर्षक और रोयेंदार थी, वास्तव में अपने रूसी नाम के अर्थ की तरह काफी नर्म रोयें वाली थी."
कैनेडी ने ख्रुश्चेव को 21 क्लिक करेंजून 1961 के लिखे पत्र में सुंदर उपहार के लिए शुक्रिया कहा है.
इतिहासकार मार्टिन सैंडलेर ने कैनेडी के पत्रों का दो संग्रह प्रकाशित किया है. वह कहते हैं, "पत्रों में संवाद की गर्माहट काफ़ी रोचक है. उन दोनों को पता है कि वे दुनिया के सबसे ताकतवर व्यक्ति हैं."
लेकिन वह कहते हैं, "पूरे पत्राचार के दौरान दोनों एक-दूसरे पर हावी होने की कोशिश करते हैं."

आगे निकलने की होड़

जॉन एफ़ कैनेडी और निकिता ख्रुशचेव
जॉन एफ़ कैनेडी और निकिता ख्रुशचेव के बीच शीत युद्ध के दौरान लगातार संवाद जारी था.
कैनेडी साल 1960 के अंत तक चाँद की धरती पर एक इंसान को उतारने की कोशिश के बाद काफ़ी ख़ुश थे. स्पुतनिक के जाने के बाद बाकी अमरीकियों की तरह वह ख़ुशी से अभिभूत थे.
पुशिंका की माँ स्ट्रेलका और एक अन्य कुत्ता बेल्का धरती से अंतरिक्ष में जाने वाले और जीवित रहने वाले पहले प्राणी थे. इससे यह तथ्य रेखांकित होता है कि सोवियत यूनियन अंतरिक्ष की दौड़ में अमरीका से काफ़ी आगे था.
एक कर्मचारी ट्रैफ्स ब्रायन के मुताबिक़, पुशिंका जल्दी ही व्हाइट हाऊस में पहुंचा दी गई थी.
ब्रायन ने जॉन एफ़ कैनेडी प्रेसिडेंशियल लायब्रेरी एण्ड म्युज़ियम को बताया कि पुशिंका सीढ़ियां चढ़कर कैरोलाइन प्लेहाऊस तक जा सकती थी."
उन्होंने बताया, "राष्ट्रपति कैनेडी ने मुझसे पूछा कि मैंने उसे सीढ़ियों पर चढ़ना कैसे सिखाया? तो मैंने बताया कि हर स्टेप पर मूँगफली रखकर उसे सीढ़ियां चढ़ना सिखाया. जब मैंने उन्हें तस्वीरें दिखायीं तो वो हँस पड़े थे."

"उसे मूँगफली मत खिलाओ"

"उनके पिता ने सोचा कि यह उपहार परिवार के लिए बेहद सुंदर होगा और राजनीति के लिए भी अच्छा होगा."
सर्गेई ख्रुशचेव, निकिता ख्रुशचेव के बेटे
ब्रायन ने बताया,"कैरोलिन ने मुझसे एक बार कहा कि पुशिंका को मूँगफली मत खिलाओ. जानवरों के डॉक्टर का कहना है कि यह उसके लिए अच्छा नहीं है. तबसे मैंने उसे मूँगफली खिलाना छोड़ दिया."
राजदूत कैरोलिन ने बताया, ''कैनेडी के एक अन्य कुत्ते से पुशिंका को पिल्ले होने पर मैं बेहद ख़ुश थी. मैंने उनको ब्लैकी, व्हाइट टिप्स, बटरफ्लाई और स्ट्रीकर जैसे नाम दिए.''
राष्ट्रपति कैनेडी उन्हें 'द पपनिक्स' कहकर बुलाते थे. ब्रायन ने बताया कि उन्हें पिल्लों के बारे में सवाल पूछना अच्छा लगता था. वो कई सवाल पूछते थे जैसे, "कब तक उनकी आँखें बंद रहेंगी? कब वे खाना शुरू करेंगे? कितने दिनों में वे चलने लगेंगे? वे घास के लॉन में खेलने कब तर जा सकेंगे? उनके बाल छोटे होंगे या बड़े?"
राष्ट्रपति ने ब्रायन से कहा कि एक दिन वह पुशिंका और उसके पिल्लों को घर लाएं ताकि बच्चों को हैरान किया जा सके.
उन पिल्लों को पाने के लिए करीब पाँच हज़ार लोगों ने व्हाइट हाउस को पत्र लिखा. इसके कारण बटरफ्लाई और स्ट्रीकर को मिडवेस्ट के बच्चों को दे दिया गया, जबकि टिप्स और ब्लैकी को परिवार के मित्रों के घर पहुंचा दिया गया.

उपहार और कूटनीति

जॉन एफ़ कैनेडी अपने परिवार के साथ
जॉन एफ़ कैनेडी अपने परिवार के साथ पुशिंका के बच्चों के साथ.
पुशिंका ने परिवार के लोगों के साथ खेलने का समय कम कर दिया था.
जापान में राजूदत रहीं कैरोलिन ने बताया कि पुशिंका को एक साइंस लैब में विकसित किया गया था.
इस बीच सर्गेई ख्रुश्चेव और कैनेडी के बीच लगातार बातचीत आगे बढ़ रही थी जो अक्सर काफ़ी गुप्त तरीके से होती थी.
निकिता ख्रुश्चेव के बेटे, सर्गेई ख्रुश्चेव जो अमरीका में रहते हैं उन्होंने बताया, "उनके पिता ने सोचा कि यह उपहार परिवार के लिए बेहद सुंदर होगा और राजनीति के लिए भी अच्छा होगा."
उन्होंने कहा, "मेरे पिता लोगों से नियमित रूप से संवाद करते थे क्योंकि वो तनाव को कम करना चाहते थे और नाभिकीय परीक्षणों को रोकना चाहते थे."
सर्गेई ख्रुश्चेव ने उन मीडिया ख़बरों को ख़ारिज कर दिया कि उनके पिता कैनेडी को कमज़ोर और अनुभवहीन समझते थे. उन्होंने कहा कि वास्तव में उनके पिता साल 1961 में कैनेडी की तरफ़ से वियना वार्ता तोड़ने की बात न कहने के कारण काफ़ी सम्मान करते थे.

नाभिकीय विनाश का ख़तरा

वियना वार्ता के ठीक 16 महीनों बाद अक्टूबर 1962 में अमरीका और सोवियत यूनियन परमाणु युद्ध की कगार पर खड़े थे, इसके थोड़े दिनों बाद पुशिंका को अमरीका पहुंचाया गया था.
अमरीका के पास तस्वीरें थीं कि रूस की मिसाइलें क्यूबा में तैनात थीं और ये हथियार वॉशिंगटन और अमरीका के अन्य शहरों को तबाह करने में सक्षम थीं.
आख़िर में ख्रुश्चेव मिसाइलों को वापस लेने पर सहमत हो गए और मिसाइलों को सोवियत यूनियन भेज दिया गया था.
इसके बदले में अमरीका ने वादा किया था कि वह क्यूबा पर हमला नहीं करेगा.
सैंडलर मानते हैं कि दोनों नेताओं के बीच होने वाले संचार और उपहारों के आदान-प्रदान (जिसमें यह कुत्ता भी शामिल है) से काफ़ी फर्क़ पड़ा.

आख़िर में वह कहते हैं कि इसने दुनिया को नाभिकीय विनाश से बचा लिया.  sabhar :http://www.bbc.co.uk

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'ॐ' के प्रणव नाम से जुड़ी शक्तियों, स्वरूप व प्रभाव के गहरे रहस्य

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'ॐ' में समाई इन अद्भुत शक्तियों के बारे में कई लोग नहीं जानते

सनातन धर्म और ईश्वर में आस्था रखने वाला हर व्यक्ति देव उपासना के दौरान शास्त्रों, ग्रंथों में या भजन और कीर्तन के दौरान 'ॐ' महामंत्र को कई बार पढ़ता, सुनता या बोलता है। धर्मशास्त्रों में यही 'ॐ' प्रणव नाम से भी पुकारा गया है। असल में इस पवित्र अक्षर व नाम से गहरे अर्थ व दिव्य शक्तियां जुड़ीं हैं, जो अलग-अलग पुराणों और शास्त्रों में कई तरह से उजागर हैं।
खासतौर पर शिवपुराण में 'ॐ' के प्रणव नाम से जुड़ी शक्तियों, स्वरूप व प्रभाव के गहरे रहस्य बताए हैं। अगली स्लाइड्स पर क्लिक कर जानिए शिवपुराण के अलावा अन्य धर्मग्रंथों की मान्यता व विज्ञान के नजरिए से 'ॐ' बोलने के शुभ प्रभाव क्या हैं-  
'ॐ' में समाई इन अद्भुत शक्तियों के बारे में कई लोग नहीं जानते

शिवपुराण में प्रणव यानी  'ॐ' के अलग-अलग शाब्दिक अर्थ, शक्ति और भाव बताए गए हैं। इनके मुताबिक-  
- प्र यानी प्रपंच, न यानी नहीं और व: यानी तुम लोगों के लिए। सार यही है कि प्रणव मंत्र सांसारिक जीवन में प्रपंच यानी कलह और दु:ख दूर कर जीवन के सबसे अहम लक्ष्य यानी मोक्ष तक पहुंचा देता है। यही वजह है कि ॐ को प्रणव नाम से जाना जाता है। 
- दूसरे अर्थों में प्रनव को 'प्र' यानी यानी प्रकृति से बने संसार रूपी सागर को पार कराने वाली 'नव' यानी नाव बताया गया है। 
- इसी तरह ऋषि-मुनियों की दृष्टि से 'प्र' - प्रकर्षेण, 'न' - नयेत् और 'व:' युष्मान् मोक्षम् इति वा प्रणव: बताया गया है। इसका सरल शब्दों में मतलब है हर भक्त को शक्ति देकर जनम-मरण के बंधन से मुक्त करने वाला होने से यह प्रणव है। 
- धार्मिक दृष्टि से परब्रह्म या महेश्वर स्वरूप भी नव या नया और पवित्र माना जाता  है। प्रणव मंत्र से उपासक नया ज्ञान और शिव स्वरूप पा लेता है। इसलिए भी यह प्रणव कहा गया है।

'ॐ' में समाई इन अद्भुत शक्तियों के बारे में कई लोग नहीं जानते

शिवपुराण की तरह अन्य हिन्दू धर्मशास्त्रों में भी प्रणव यानी ॐ ऐसा अक्षर स्वरूप साक्षात् ईश्वर माना जाता है और मंत्र भी। इसलिए यह एकाक्षर ब्रह्म भी कहलाता है। धार्मिक मान्यताओं में प्रणव मंत्र में त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और शिव की सामूहिक शक्ति समाई है। यह गायत्री और वेद रूपी ज्ञान शक्ति का भी स्त्रोत माना गया है। 
'ॐ' में समाई इन अद्भुत शक्तियों के बारे में कई लोग नहीं जानते

आध्यात्मिक दर्शन है कि प्रणय यानी ॐ बोलने या ध्यान से शरीर, मन और विचारों पर शुभ प्रभाव होता है। वैज्ञानिक नजरिए से भी प्रणव मंत्र यानी ॐ बोलते वक्त पैदा हुई शब्द शक्ति और ऊर्जा के साथ शरीर के अंगों जैसे मुंह, नाक, गले और फेफड़ो से आने-जाने वाली शुद्ध वायु मानव शरीर के स्वास्थ्य के लिए जरूरी अनेक हार्मोन और खून के दबाव को नियंत्रित करती है। 
इसके असर से मन-मस्तिष्क् शांत रहने के साथ ही खून के भी स्वच्छ होने से दिल भी सेहतमंद रहता है। जिससे मानसिक एकाग्रता व कार्य क्षमता बढ़ती है। व्यक्ति मानसिक और दिल की बीमारियों से मुक्त रहता है।
'ॐ' में समाई इन अद्भुत शक्तियों के बारे में कई लोग नहीं जानते

इसी तरह देव पूजा-पाठ के दौरान आपने गौर किया होगा कि वैदिक, पौराणिक या बीज मंत्र सभी की शुरुआत ऊँकार से होती है। असल में, मंत्रों के आगे 'ॐ' लगाने के पीछे का रहस्य धर्मशास्त्रों में मिलता है। अगली स्लाइड्स पर जानिए – 
शास्त्रों के मुताबिक पूरी प्रकृति तीन गुणों से बनी है। ये तीन गुण है - रज, सत और तम। वहीं 'ॐ' को एकाक्षर ब्रह्म माना गया है, जो पूरी प्रकृति की रचना, स्थिति और संहार का कारण है। इस तरह इन तीनों गुणों का ईश्वर 'ॐ' है। चूंकि भगवान गणेश भी परब्रह्म का ही स्वरूप हैं। उनके नाम का एक मतलब गणों के ईश ही नहीं गुणों का ईश भी है। 
यही वजह है कि 'ॐ' को प्रणवाकार गणेश की मूर्ति भी माना गया है। 

'ॐ' में समाई इन अद्भुत शक्तियों के बारे में कई लोग नहीं जानते

श्रीगणेश मंगलमूर्ति होकर प्रथम पूजनीय देवता भी हैं। इसलिए 'ॐ' यानी प्रणव को श्री गणेश का प्रत्यक्ष रूप मानकर वेदमंत्रों के आगे विशेष रूप से लगाकर उच्चारण किया जाता है, जिसमें मंत्रों के आगे श्रीगणेश की प्रतिष्ठा, ध्यान और नाम जप का भाव होता है, जो पूरे संसार के लिए बहुत ही मंगलकारी, शुभ और शांति देने वाला होता है। 

'ॐ' में समाई इन अद्भुत शक्तियों के बारे में कई लोग नहीं जानते
इसी तरह देव पूजा-पाठ के दौरान आपने गौर किया होगा कि वैदिक, पौराणिक या बीज मंत्र सभी की शुरुआत ऊँकार से होती है। असल में, मंत्रों के आगे 'ॐ' लगाने के पीछे का रहस्य धर्मशास्त्रों में मिलता है। अगली स्लाइड्स पर जानिए – 
शास्त्रों के मुताबिक पूरी प्रकृति तीन गुणों से बनी है। ये तीन गुण है - रज, सत और तम। वहीं 'ॐ' को एकाक्षर ब्रह्म माना गया है, जो पूरी प्रकृति की रचना, स्थिति और संहार का कारण है। इस तरह इन तीनों गुणों का ईश्वर 'ॐ' है। चूंकि भगवान गणेश भी परब्रह्म का ही स्वरूप हैं। उनके नाम का एक मतलब गणों के ईश ही नहीं गुणों का ईश भी है। 
यही वजह है कि 'ॐ' को प्रणवाकार गणेश की मूर्ति भी माना गया है। 



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गुरुवार, 9 जनवरी 2014

इंसानी दिमाग़ के रहस्य

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आंखों से ज्यादा देख सकता है मस्तिष्क

नए अध्ययन के मुताबिक एक जटिल तस्वीर को देखने के लिए दृष्टि के मुकाबले मस्तिष्क द्वारा प्रकाश के बिन्दुओं का विश्लेषण करने की क्षमता ज्यादा महत्वपूर्ण है।

वर्जिनिया विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि मक्खी के लार्वा की महज 24 फोटोरिसेप्टर वाली आंखें पर्याप्त मात्रा में प्रकाश या फिर तस्वीरों का इनपुट भेजती हैं जिन्हें मस्तिष्क विश्लेषित कर तस्वीरों में बदल देता है।

अनुसंधानकर्ता बेरी कोड्रोन ने कहा, ‘यह दृष्टि के प्रति हमारी समझ को बढ़ाता है। यह बताता है कि देखने के लिए विजुअल इनपुट इतना महत्वपूर्ण नहीं हो सकता है जितना कि उसके पीछे काम करने वाला मस्तिष्क। इस मामले में तो मस्तिष्क बहुत कम मात्रा में मिले विजुअल इनपुट से भी काम चला सकता है।’ इन अनुसंधान के परिणाम ‘नेचर कम्युनिकेशंस’ नामक पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं। (भाषा)

इटली के वैज्ञानिकों ने आखिरकार मस्तिष्क के उन हिस्सों का पता लगाने में कामयाबी हासिल कर ली है। जहाँ से पारलौकिक ज्ञान उत्पन्न होता है। इससे यह बात संभवतः प्रमाणित हो गई है कि मस्तिष्क के कुछ विशेष हिस्सों से ईश्वरीय ज्ञान की अनुभूति होती है।

इटली के उदीन विश्वविद्यालय के संवेदी तंत्रिका विज्ञानी कोसिमो उरगेसी, रोम के सैपिएंजा विश्वविद्यालय के संवेदी तंत्रिका विज्ञानी साल्वातोर एग्लिओती ने मस्तिष्क ट्यूमर के 88 मरीजों के साथ साक्षात्कार के बाद यह निष्कर्ष निकाला है। इन मरीजों से ऑपरेशन से पहले और उसके बाद कुछ सच्चे या झूठे सवाल पूछकर उनके आध्यात्मिक स्तर का आकलन किया गया। उनसे पूछा गया कि क्या उन्होंने खुद को कालातीत अनुभव किया। किसी अन्य व्यक्ति और प्रकृति के साथ उन्हें तादात्म्य की अनुभूति हुई और क्या वह किसी उच्च सत्ता में विश्वास रखते हैं।

अध्ययन से पता चला कि मस्तिष्क ट्यूमर के जिन मरीजों के पैरिएटल कोर्टेक्स (पार्श्विक प्रांतस्था) में मस्तिष्क के पिछले हिस्से से ट्यूमर हटा दिया गया। उन्होंने ऑपरेशन के तीन से सात दिन के बाद दिव्य ज्ञान की गहरी अनुभूति होने की बात कही, लेकिन जिन मरीजों के मस्तिष्क के आगे के हिस्से से ट्यूमर निकाला गया था। उनके साथ यह घटना नहीं हुई।

एग्लिओती ने कहा कि यह माना जाता था कि पारलौकिक ज्ञान का चिंतन दार्शनिकों और नए जमाने के झक्की लोगों का विषय है, लेकिन यह वास्तव में आध्यात्मिकता पर पहला गहन अध्ययन है। हम एक जटिल तथ्य का अध्ययन कर रहे हैं, जो मनुष्य होने का सारतत्व समझने के करीब की बात है।

ND
शोधकर्ताओं ने मस्तिष्क के दो हिस्सों की तरफ इशारा किया है, जो नष्ट होने पर आध्यात्मिकता के विकास की तरफ ले जाते हैं। पहला है- कान के पास बगल में नीचे की तरफ का हिस्सा और दूसरा है- दाहिनी तरफ कोणीय जाइरस (कर्णक)। ये दोनों मस्तिष्क के पिछले भाग में स्थित हैं और इन्हीं से पता लगता है कि व्यक्ति आकाशीय तत्व में अपने शरीर को बाहरी दुनिया से किस तरह जोड़ लेता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि उनके निष्कर्ष अलौकिक अनुभवों और शरीर से अलग होने पर होने वाली अनुभूति के बीच संबंध को प्रमाणित करते हैं।

पहले के अध्ययनों में बताया गया था कि मस्तिष्क के आगे और पीछे का एक व्यापक संजाल धार्मिक विश्वासों को रेखांकित करता है, लेकिन ऐसा लगता है कि पारलौकिक ज्ञान में मस्तिष्क के वही हिस्से शामिल नहीं है जिनसे धार्मिक ज्ञान का पता लगता है। तंत्रिका विज्ञानियों ने पहले भी क्षतिग्रस्त मस्तिष्क वाले मरीजों में आध्यात्मिक बदलावों का निरीक्षण किया है, लेकिन इसका वह व्यवस्थित ढंग से मूल्यांकन नहीं कर पाए थे।

बेल्जियम के ल्यूवेन में गैस्थुइसबर्ग मेडिकल विश्वविद्यालय के तंत्रिका विज्ञानी रिक वंडेनबर्ग का कहना है। हम सामान्यतः इससे दूर ही रहे। इसलिए नहीं कि यह महत्वपूर्ण विषय नहीं है बल्कि इसकी वजह यह थी कि यह नितांत व्यक्तिगत मामला है। हालाँकि यह शोध काफी दिलचस्प है, लेकिन कई पुरोगामी अध्ययनों की तरह इससे भी कई सवाल उठते हैं। आँकडों का सावधानी के साथ विश्लेषण कि या जाना चाहिए। यह बड़ी असंभावित बात है कि इंद्रियातीत ज्ञान का मस्तिष्क के केवल दो हिस्सों में स्थान निर्धारित किया जाए।

वह कहते हैं कि पारलौकिक ज्ञान एक अमूर्त धारणा है और विभिन्न लोग अलग-अलग तरीके से इसका मतलब लगाते हैं। परानुभूति की बात कहने वाला मरीज हमेशा सही नहीं हो सकता। अधिक कड़े व्यावहारिक उपायों से आध्यात्मिकता और उन विशेष विचारों और भावनाओं का ठीक-ठीक पता लगाना, जो इसे बनाते हैं। निश्चित रूप से अगला कदम होगा।

विस्कांसिन मैडिसन विश्वविद्यालय के संवेदी तंत्रिका विज्ञानी रिचर्ड डेविडसन का भी कुछ यही मत है। उनका कहना है कि शोधकर्ताओं ने जिस तरीके से इंद्रियातीत अनुभव को मापा है, वह संभवतः इस अध्ययन का सबसे चिन्ताजनक पहलू है। सबसे महत्वपूर्ण यह मानना है कि पूरा अध्ययन आत्मानुभूति के एक मापदंड में आए बदलावों पर आधारित है। जो एक अपरिष्कृत मापदंड है और जिसमें कुछ अजीबोगरीब बातें हैं। डेविडसन कहते हैं कि भविष्य में यह समझना महत्वपूर्ण होगा कि क्यों पैरिएटल कोर्टेक्स में क्षति से इस पैमाने पर बदलाव हो जाता है। (वार्ता) sabhar :webdunia.com

खुल जाएंगे दिमाग़ के रहस्य


इंसानी दिमाग


सदियों से इंसानी दिमाग़ एक रहस्य रहा है. हालांकि पिछले कुछ दशकों में वैज्ञानिक इसके कुछ रहस्यों से पर्दा उठाने में सफल रहे हैं.
हाल के कुछ सालों में नई तकनीक और शक्तिशाली कंप्यूटरों की मदद से कुछ प्रमुख खोजें हो सकी हैं.

हालांकि इंसान के दिमाग़ के बारे में अभी भी बहुत कुछ समझना बाक़ी है. यहाँ हम आपको उन पांच महत्पूर्ण विषयों के बारे में बता रहे हैं जिनके पता लगने पर इंसानी दिमाग़ के अनसुलझे रहस्यों का राज़ जाना जा सकता है.
इंसानी दिमाग
वैज्ञानिक डॉ एटीकस हैंसवर्थ का कहना है कि दिमाग के व्हाइट मैटर और इसमें होने वाली ख़ून की सप्लाई महत्वपूर्ण है.
जब हम सोचते हैं, चलते हैं, बोलते हैं, सपने देखते हैं और जब हम प्रेम करते हैं तो यह सब दिमाग़ के ग्रे मैटर में होते हैं. लेकिन हमारे क्लिक करेंदिमाग़ में केवल ग्रे मैटर ही नहीं है बल्कि व्हाइट मैटर की भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है.
डिमेंशिया नाम की बीमारी के बारे में जब शोध किया जाता है तो क्लिक करेंदिमाग़ में मौजूद ग्रे मैटर के भीतर बीटा एमिलॉइड और टाउ प्रोटीन के एक दूसरे के साथ होने वाले रिएक्शन पर ग़ौर किया जाता है.
लेकिन एक ब्रितानी वैज्ञानिक डॉ. एटीकस हैंसवर्थ का कहना है कि दिमाग़ के व्हाइट मैटर और इसमें होने वाली ख़ून की सप्लाई भी उतनी ही महत्वपूर्ण है.
व्हाइट मैटर तंत्रिका कोशिका के आख़िरी छोर 'एक्जॉन' के आसपास चर्बी के कारण बनता है. एक्जॉन तंत्रिका कोशिकाओं को एक दूसरे से जोड़ते हैं. यही तंत्रिका तंत्र को आपस में तालमेल बिठाने में मदद करते हैं.
डॉ. एटीकस हैंसवर्थ इसके बारे में अधिक जानकारी का पता लगाने के लिए ऑक्सफ़ोर्ड और शीफ़ील्ड में दान दिए गए क्लिक करेंमस्तिष्क के बैंक का प्रयोग कर रहे हैं.
वह कहते हैं, "कुछ मामलों में हमारे पास सीटी स्कैन और एमआरआई मौजूद हैं. इनसे हमें यह पता लगाने में मदद मिल सकती है कि क्या बीमारी की वजह व्हाइट मैटर था और अगर था तो इसकी क्या वजह हो सकती है ?
अगर डिमेंशिया की वजह ख़ून ले जाने वाली नाड़ियों में रिसाव है तो यह नई चिकित्सा प्रणालियों के लिए नया रास्ता मुहैया करा सकती है.

होनहार कैसे बनें ?

इंसानी दिमाग
कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के तंत्रिका तंत्र पर काम करने वाली वैज्ञानिक बारबरा सहाकियान ऐसी दवाइयों का पता लगा रही हैं जो हमें और बुद्दिमान बना सकती हैं.
कई सालों तक सतर्कता बढ़ाने के लिए कैफ़ीन का प्रयोग होता था. कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के तंत्रिका तंत्र पर काम करने वाली वैज्ञानिक बारबरा सहाकियान ऐसी दवाओं का पता लगा रही हैं, जो हमें और बुद्धिमान बना सकती हैं.
वह इस बात का अध्ययन कर रही हैं कि इन दवाओं का प्रयोग कर सर्जनों और पायलेटों का प्रदर्शन कैसे सुधारा जा सकता है और क्या इनसे आम इंसान की काम करने की क्षमता में भी बढ़ोतरी की जा सकती है ?
लेकिन वह चेतावनी देती हैं कि इन दवाओं का लंबे समय तक इस्तेमाल करने का बुरा असर भी हो सकता है. एक समाज के तौर पर हमें इस बारे में चर्चा करने की आवश्यकता है.
उनका कहना है कि मस्तिष्क में डोपामाइन और नॉरएड्रीनलीन जैसे रसायनों के बनने को प्रभावित करने वाली दवाओं से सामने आई वैज्ञानिक और नैतिक चुनौतियों पर बहस की आवश्यकता है. इस बहस में किसी परीक्षा से पहले परीक्षा देने वाले का टेस्ट होना भी शामिल है, जिसमें पता लगाया जाएगा कि कहीं उसने इन दवाओं का प्रयोग तो नहीं किया है.
डॉक्टर सहाकियान कहती हैं, "मैं विद्यार्थियों से इन दवाओं के बारे में अक्सर बात करती हूँ और बहुत से विद्यार्थी पढ़ने और परीक्षा देने के लिए यह दवाएं खाते हैं."
साथ ही उन्होंने कहा, "मगर बहुत से विद्यार्थी इससे नाराज़ होते हैं. उन्हें लगता है कि दवाएं लेने वाले विद्यार्थी बेईमानी कर रहे हैं."

अवचेतन से काम कैसे लें?

इंसानी दिमाग
बार बार संगीत की एक ही धुन बजाने से उसके सबसे मुश्किल हिस्से को भी बेहतरीन ढंग से बजाया जा सकता है.
किसी वाद्ययंत्र को बजाने के लिए या किसी बम को निष्क्रिय करने जैसे काम के लिए बहुत अच्छी कुशलता चाहिए होती है.
शोध यह बताते हैं कि हमारा अवचेतन दिमाग़ हमें सबसे बेहतर प्रदर्शन करने में मदद कर सकता है.
बार-बार संगीत की एक ही धुन बजाने से उसके सबसे मुश्किल हिस्से को भी बेहतरीन ढंग से बजाया जा सकता है.
लंदन के रॉयल कॉलेज ऑफ म्यूज़िक के सेंटर फॉर परफॉर्मेस साइंस में काम करने वाली सेलिएस्ट तानिया लिस्बोआ कहती हैं, "इससे संगीत की धुन का सबसे मुश्किल हिस्सा हमारे दिमाग़ के चेतन हिस्से से अवचेतन हिस्से में भी चला जाता है."
वह कहती हैं, "कई घंटे तक रियाज़ करने के बाद एक पारंगत संगीतज्ञ के दिमाग़ के पिछले हिस्से सेरेब्रम में इसकी जानकारी चली जाती है."
ससेक्स विश्विद्यालय के तंत्रिका वैज्ञानिक प्रोफ़ेसर अनिल सेठ कहते हैं," सेरेब्रम में दिमाग़ के बाक़ी हिस्से की तुलना में ज़्यादा ब्रेन सेल होती हैं. "

सपने किसके लिए?

इंसानी दिमाग
प्रोफ़ेसर रॉबर्ट स्टिकगोल्ड का मानना है कि याददाश्त से संबंधित कार्य को आगे बढ़ाने में सपनों की अहम भूमिका होती है.
सपनों को लेकर हमारा आकर्षण तक़रीबन पांच हज़ार साल पुराना है. प्राचीन मेसोपिटामिया की सभ्यता के दौरान मान्यता थी कि सपने में हम जिस जगह को देखते हैं वहाँ हमारी आत्मा सोते हुए शरीर से निकलकर विचरण करती है.
बोस्टन के बेथ इस्राइल डिएकोनेस मेडिकल सेंटर फ़ॉर स्लीप एंड कॉग्निशन के प्रोफ़ेसर रॉबर्ट स्टिकगोल्ड का मानना है कि याददाश्त से संबंधित कार्य को आगे बढ़ाने में सपनों की अहम भूमिका होती है.
वह जापान की स्कैनिंग रिसर्च के मुरीद हैं. इसमें वैज्ञानिक किसी एमआरआई स्कैन की तरह सपनों को पढ़ सकते हैं.
लेकिन उनका कहना है कि शोर-शराबे वाले महंगे स्कैनर में किसी व्यक्ति को सुलाना मुश्किल है.
तो भविष्य में क्या? प्रोफ़ेसर रॉबर्ट स्टिकगोल्ड कहते हैं, " मैं ऐसे अध्ययन होते देखना चाहूँगा, जहाँ सपनों के बनने के नियम पता लगाए जा सकें और यह पता लगाया जाए कि नींद के दौरान याददाश्त कैसे काम करती है?"
अगर ऐसा होता है, तो यह भी पता लगा सकते हैं कि केवल अच्छे सपने कैसे देखें और बुरे सपनों से कैसे बचें?

दर्द दूर हो सकता है?

इंसानी दिमाग
बहुत तेज़ दर्द से निपटना चिकित्सा विज्ञान के सामने सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है.
बहुत तेज़ दर्द से निपटना चिकित्सा विज्ञान के सामने सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है.
सर्जक अब इस सिद्धांत का परीक्षण कर रहे हैं कि डीप ब्रेन स्टिमुलेशन से दर्द से राहत दिलाई जा सकती है.
डीप ब्रेन स्टिमुलेशन मस्तिष्क के ऑपरेशन की वह तकनीक है, जिसमें दिमाग़ के भीतर गहरे में अपने लक्ष्य तक पहुँचने के लिए दिमाग़ में इलेक्ट्रोड्स डाले जाते हैं.
इससे पहले इस तकनीक का प्रयोग पर्किंसन और अवसाद जैसी बीमारियां ठीक करने में किया गया है. अब इसका प्रयोग ऑब्सेसिव कम्पल्सिव डिसऑर्डर और असहनीय दर्द को ठीक करने में भी किया जा रहा है.
ऑक्सफ़ोर्ड के जॉन रेडक्लिफ अस्पताल के प्रोफ़ेसर टीपू अज़ीज़ इस तकनीक की शुरुआत करने वालों में से एक हैं. इस तकनीक के प्रयोग से वह अपने मरीज़ों का दर्द भी काफ़ी हद तक दूर कर रहे हैं.
वह कहते हैं, "दिमाग़ में इलेक्ट्रोड डालकर याददाश्त सुधारी जा सकती है या फिर आप सैनिकों पर इसका प्रयोग कर उन्हें ख़तरे से बेख़बर भी बना सकते हैं.
sabhar : bbc.co.uk





































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