कुत्ता जिसने दुनिया को परमाणु युद्ध से बचा लिया

पुशिंका

शीतयुद्ध के दौरान सोवियत नेता ख्रुश्चेव और अमरीकी राष्ट्रपति जॉन एफ़ कैनेडी नियमित रूप से पत्राचार कर रहे थे. दोनों देशों के बीच जारी शत्रुता के बीच इन दोनों नेताओं ने उपहारों का लेन-देन भी किया. इन उपहारों में पुशिंका नाम का कुत्ता भी शामिल था, जिसकी माँ लाइका अंतरिक्ष में जाकर जीवित लौटने वाली पहली कुतिया थी.
जापान में अमरीका की राजदूत क्लिक करेंकैरोलिन कैनेडी कहती हैं, "मेरी माँ ने मुझे एक मज़ेदार कहानी सुनाई थी." वे करीब पचास साल पहले व्हाइट हाऊस में एक बच्ची के रूप में बड़ी हो रही थीं.

कहां से आया पिल्ला
कैरोलिन कैनेडी वियना में आयोजित एक सरकारी भोज के दौरान ख्रुश्चेव के बगल में बैठी थीं. वह ढेर सारी चीज़ों के बारे में लगातार बातें कर रही थीं, उन्होंने कुत्ते स्ट्रेलका के बारे में भी पूछा, जिसे रूस ने अंतरिक्ष में भेजा था. इस बातचीत के दौरान मेरी माँ ने स्ट्रेका के पिल्लों के बारे में पूछा.
"पुश्किना काफ़ी आकर्षक और रोयेंदार थी, वास्तव में अपने रूसी नाम के अर्थ की तरह काफी नर्म रोयें वाली थी."
कैरोलिन कैनेडी, जॉन एफ़ कैनेडी की बेटी
कुछ महीनों बाद मेरे घर एक पिल्ला आया और मेरे पिता को पता नहीं था कि वह कहाँ से आया है और उनको यक़ीन नहीं हो रहा था कि मेरी माँ ने इसे मुमकिन बनाया है.
वह पिल्ला स्ट्रेलका का था जिसका नाम था पुशिंका, जिसे उसके आधिकारिक पंजीकरण प्रमाणपत्र में संकर प्रजाति का बताया गया था.
कैनेडी कहती हैं, "पुशिंका काफ़ी आकर्षक और रोयेंदार थी, वास्तव में अपने रूसी नाम के अर्थ की तरह काफी नर्म रोयें वाली थी."
कैनेडी ने ख्रुश्चेव को 21 क्लिक करेंजून 1961 के लिखे पत्र में सुंदर उपहार के लिए शुक्रिया कहा है.
इतिहासकार मार्टिन सैंडलेर ने कैनेडी के पत्रों का दो संग्रह प्रकाशित किया है. वह कहते हैं, "पत्रों में संवाद की गर्माहट काफ़ी रोचक है. उन दोनों को पता है कि वे दुनिया के सबसे ताकतवर व्यक्ति हैं."
लेकिन वह कहते हैं, "पूरे पत्राचार के दौरान दोनों एक-दूसरे पर हावी होने की कोशिश करते हैं."

आगे निकलने की होड़

जॉन एफ़ कैनेडी और निकिता ख्रुशचेव
जॉन एफ़ कैनेडी और निकिता ख्रुशचेव के बीच शीत युद्ध के दौरान लगातार संवाद जारी था.
कैनेडी साल 1960 के अंत तक चाँद की धरती पर एक इंसान को उतारने की कोशिश के बाद काफ़ी ख़ुश थे. स्पुतनिक के जाने के बाद बाकी अमरीकियों की तरह वह ख़ुशी से अभिभूत थे.
पुशिंका की माँ स्ट्रेलका और एक अन्य कुत्ता बेल्का धरती से अंतरिक्ष में जाने वाले और जीवित रहने वाले पहले प्राणी थे. इससे यह तथ्य रेखांकित होता है कि सोवियत यूनियन अंतरिक्ष की दौड़ में अमरीका से काफ़ी आगे था.
एक कर्मचारी ट्रैफ्स ब्रायन के मुताबिक़, पुशिंका जल्दी ही व्हाइट हाऊस में पहुंचा दी गई थी.
ब्रायन ने जॉन एफ़ कैनेडी प्रेसिडेंशियल लायब्रेरी एण्ड म्युज़ियम को बताया कि पुशिंका सीढ़ियां चढ़कर कैरोलाइन प्लेहाऊस तक जा सकती थी."
उन्होंने बताया, "राष्ट्रपति कैनेडी ने मुझसे पूछा कि मैंने उसे सीढ़ियों पर चढ़ना कैसे सिखाया? तो मैंने बताया कि हर स्टेप पर मूँगफली रखकर उसे सीढ़ियां चढ़ना सिखाया. जब मैंने उन्हें तस्वीरें दिखायीं तो वो हँस पड़े थे."

"उसे मूँगफली मत खिलाओ"

"उनके पिता ने सोचा कि यह उपहार परिवार के लिए बेहद सुंदर होगा और राजनीति के लिए भी अच्छा होगा."
सर्गेई ख्रुशचेव, निकिता ख्रुशचेव के बेटे
ब्रायन ने बताया,"कैरोलिन ने मुझसे एक बार कहा कि पुशिंका को मूँगफली मत खिलाओ. जानवरों के डॉक्टर का कहना है कि यह उसके लिए अच्छा नहीं है. तबसे मैंने उसे मूँगफली खिलाना छोड़ दिया."
राजदूत कैरोलिन ने बताया, ''कैनेडी के एक अन्य कुत्ते से पुशिंका को पिल्ले होने पर मैं बेहद ख़ुश थी. मैंने उनको ब्लैकी, व्हाइट टिप्स, बटरफ्लाई और स्ट्रीकर जैसे नाम दिए.''
राष्ट्रपति कैनेडी उन्हें 'द पपनिक्स' कहकर बुलाते थे. ब्रायन ने बताया कि उन्हें पिल्लों के बारे में सवाल पूछना अच्छा लगता था. वो कई सवाल पूछते थे जैसे, "कब तक उनकी आँखें बंद रहेंगी? कब वे खाना शुरू करेंगे? कितने दिनों में वे चलने लगेंगे? वे घास के लॉन में खेलने कब तर जा सकेंगे? उनके बाल छोटे होंगे या बड़े?"
राष्ट्रपति ने ब्रायन से कहा कि एक दिन वह पुशिंका और उसके पिल्लों को घर लाएं ताकि बच्चों को हैरान किया जा सके.
उन पिल्लों को पाने के लिए करीब पाँच हज़ार लोगों ने व्हाइट हाउस को पत्र लिखा. इसके कारण बटरफ्लाई और स्ट्रीकर को मिडवेस्ट के बच्चों को दे दिया गया, जबकि टिप्स और ब्लैकी को परिवार के मित्रों के घर पहुंचा दिया गया.

उपहार और कूटनीति

जॉन एफ़ कैनेडी अपने परिवार के साथ
जॉन एफ़ कैनेडी अपने परिवार के साथ पुशिंका के बच्चों के साथ.
पुशिंका ने परिवार के लोगों के साथ खेलने का समय कम कर दिया था.
जापान में राजूदत रहीं कैरोलिन ने बताया कि पुशिंका को एक साइंस लैब में विकसित किया गया था.
इस बीच सर्गेई ख्रुश्चेव और कैनेडी के बीच लगातार बातचीत आगे बढ़ रही थी जो अक्सर काफ़ी गुप्त तरीके से होती थी.
निकिता ख्रुश्चेव के बेटे, सर्गेई ख्रुश्चेव जो अमरीका में रहते हैं उन्होंने बताया, "उनके पिता ने सोचा कि यह उपहार परिवार के लिए बेहद सुंदर होगा और राजनीति के लिए भी अच्छा होगा."
उन्होंने कहा, "मेरे पिता लोगों से नियमित रूप से संवाद करते थे क्योंकि वो तनाव को कम करना चाहते थे और नाभिकीय परीक्षणों को रोकना चाहते थे."
सर्गेई ख्रुश्चेव ने उन मीडिया ख़बरों को ख़ारिज कर दिया कि उनके पिता कैनेडी को कमज़ोर और अनुभवहीन समझते थे. उन्होंने कहा कि वास्तव में उनके पिता साल 1961 में कैनेडी की तरफ़ से वियना वार्ता तोड़ने की बात न कहने के कारण काफ़ी सम्मान करते थे.

नाभिकीय विनाश का ख़तरा

वियना वार्ता के ठीक 16 महीनों बाद अक्टूबर 1962 में अमरीका और सोवियत यूनियन परमाणु युद्ध की कगार पर खड़े थे, इसके थोड़े दिनों बाद पुशिंका को अमरीका पहुंचाया गया था.
अमरीका के पास तस्वीरें थीं कि रूस की मिसाइलें क्यूबा में तैनात थीं और ये हथियार वॉशिंगटन और अमरीका के अन्य शहरों को तबाह करने में सक्षम थीं.
आख़िर में ख्रुश्चेव मिसाइलों को वापस लेने पर सहमत हो गए और मिसाइलों को सोवियत यूनियन भेज दिया गया था.
इसके बदले में अमरीका ने वादा किया था कि वह क्यूबा पर हमला नहीं करेगा.
सैंडलर मानते हैं कि दोनों नेताओं के बीच होने वाले संचार और उपहारों के आदान-प्रदान (जिसमें यह कुत्ता भी शामिल है) से काफ़ी फर्क़ पड़ा.

आख़िर में वह कहते हैं कि इसने दुनिया को नाभिकीय विनाश से बचा लिया.  sabhar :http://www.bbc.co.uk

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