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रविवार, 30 अगस्त 2015

इंटेल ने भारत में लॉन्च किया हथेली के साइज का NuPc Windows 8.1 कीमत 18,999 रुपये

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WPG दुनिया के सबसे बड़े इलेक्ट्रॉनिक डिस्ट्रिब्यूटर्स में से एक है, इंटेल और माइक्रोसॉफ्ट के साथ मिलकर भारत में अल्ट्रा कॉम्पैक्ट PC लॉन्च किया है। इस PC की सबसे खास बात ये है कि इस PC का साइज एक हथेली के बराबर है। 117*112*35mm साइज का ये पीसी बिजनेस यूजर्स के लिए है।


इंटेल के इस नए पीसी में Intel Core i3 प्रोसेसर लगा हुआ है. यह पीसी सिर्फ 35मिमी चौड़ा है, वहीं 4X4 इंच जगह में यह आ सकता है. वैसे यह  Intel NUC पर बेस्‍ड है जो बिजनेस मैन और होम कंज्‍यूमर्स को टारगेट करेगा. हालांकि इसे इंडिया में एसेंबल किया जा सकेगा. यह पीसी दो वर्जन में उपलब्‍ध है. पहला 2जीबी रैम वाला जिसमें 500जीबी स्‍टोरेज पॉवर है.
sabhar :http://palpalindia.com/

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शनिवार, 29 अगस्त 2015

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भारत का रहस्यमय मंदिर, अंग्रेज इंजीनियर भी नहीं सुलझा सका इसकी गुत्थी

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 मंदिर का पिलर टंगा हुआ है। इसके नीचे से कपड़ा यूं एक तरफ से दूसरे तरफ निकाल दिया जाता है।

अनंतपुर (आंध्रप्रदेश), भारत के दक्षिणी राज्य आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले के एक छोटे से ऐतिहासिक गांव लेपाक्षी में 16 वीं शताब्दी का वीरभद्र मंदिर है। इसे लेपाक्षी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह रहस्यमयी मंदिर है, जिसकी गुत्थी दुनिया का कोई भी इंजीनियर आज तक सुलझा नहीं पाया।
 
ब्रिटेन के एक इंजीनियर ने भी इसे सुलझाने की काफी कोशिश की थी, लेकिन वह भी नाकाम रहा। मंदिर का रहस्य इसके 72 पिलरों में एक पिलर है, जो जमीन को नहीं छूता। यह जमीन से थोड़ा ऊपर उठा हुआ है और लोग इसके नीचे से कपड़े को एक तरफ से दूसरे तरफ निकाल देते हैं।
 
मंदिर का निर्माण विजयनगर शैली में किया गया है। इसमें देवी, देवताओं, नर्तकियों, संगीतकारों को चित्रित किया गया है। दीवारों पर कई पेंटिंग हैं। खंभों और छत पर महाभारत और रामायण की कहानियां चित्रित की गई हैं।
 
मंदिर में 24 बाय 14 फीट की वीरभद्र की एक वाल पेंटिंग भी है। यह मंदिर की छत पर बनाई गई भारत की सबसे बड़ी वाल पेंटिंग है। पौराणिक कथाओं के अनुसार वीरभद्र को भगवान शिव ने पैदा किया था। मंदिर के सामने विशाल नंदी की मूर्ति है। यह एक ही पत्थर पर बनी हुई है और कहा जाता है कि दुनिया में यह अपनी तरह की नंदी की सबसे बड़ी मूर्ति है।
 
वीरभद्र मंदिर का निर्माण दो भाइयो विरन्ना और विरुपन्ना ने किया था। वे विजयनगर साम्राज्य के राजा अच्युतार्य के अधीन सामंत थे।
 
 
लेपाक्षी गांव का रामायण कालीन महत्व है। यहां के बारे में एक किवदंती प्रचलित है कि जब रावण सीता का हरण करके लिए जा रहा था, तब जटायु ने उससे युद्ध किया था। इसके बाद घायल होकर जटायु यहीं गिर गया था। भगवान राम ने जटायु को घायल हालत में यहीं पाया था और उन्होंने उससे उठने के लिए कहा था। ले पाक्षी का तेलुगु में अर्थ है- उठो, पक्षी।

भारत का रहस्यमय मंदिर, अंग्रेज इंजीनियर भी नहीं सुलझा सका इसकी गुत्थी


sabhar : bhaskar.com

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रविवार, 23 अगस्त 2015

मानव मल से बनेगा सोना और खाद

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न्यूयॉर्क। भले ही यह सुनने में अजीब लगे, लेकिन सच है, क्योंकि अमेरिकी शोधकर्ता इंसान के मल से सोना और कई दूसरी कीमती धातुओं को निकालने में लगे हुए हैं। शोधदल ने अमेरिका के मैला निष्पादन संयत्रों में इतना सोना निकालने में कामयाबी हासिल की है जितना किसी खान में न्यूनतम स्तर पर पाया जाता है। एक अंग्रेजी वेबसाइट पर छपी खबर के मुताबिक डेनवर में अमेरिकन केमिकल सोसायटी की 249वीं राष्ट्रीय बैठक में मल से सोना निकालने के बारे में विस्तार से बताया गया है यूएस जिओलॉजिकल सर्वे (यूएसजीएस) के सह-लेखक डॉक्टर कैथलीन स्मिथ के मुताबिक हमने खनन के दौरान न्यूनतम स्तर पर पाई जाने वाली मात्रा के बराबर सोना कचरे में पाया है। उन्होंने बताया कि इंसानी मल में सोना, चांदी, तांबा के अलावा पैलाडियम और वैनेडियम जैसी दुर्लभ धातु भी होती है।शोधदल का मानना है कि अमेरिका में हर साल गंदे पानी से 70 लाख टन ठोस कचरा निकलता है। इस कचरे का आधा हिस्सा खेत और जंगल में खाद के रूप में उपयोग मे लिया जाता है बचे हुए आधो हिस्से को जला दिया जाता है या फिर जमीन भरने के काम में ले लिया जाता है।

धातु निकालने के लिए औद्योगिक खनन प्रक्रियाओं में जिस रासायनिक विधि का प्रयोग किया जाता है वैज्ञानिक उसी विधि से कचरे से धातु निकलने का प्रयोग कर किया जा रहा है। इससे पहले वैज्ञानिकों के एक दूसरे दल ने अनुमान कि आधार पर बताया था कि दस लाख अमेरिकी जितना कचरा पैदा करते हैं उस कचरे में से एक करोड़ तीस लाख डॉलर की धातु निकाली जा सकती है। मल त्यागना हम सबकी दिनचर्या का हिस्सा है. लेकिन क्या इंसानी मल किसी काम आ सकता है? बिल्कुल. जर्मनी में रिसर्चर कहते है कि इससे खाद बनाया जा सकता है जिसका खेती में इस्तेमाल किया जा सकता है. देखिए ये कैसे संभव होता है. sabhat webdunia dw.de

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गुरुवार, 13 अगस्त 2015

एलियंस ने परमाणु युद्ध से हमें बचाया

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वाशिंगटन। अमेरिका के एक पूर्व अंतरिक्ष यात्री ने दावा किया है कि अमेरिका और रूस के बीच परमाणु युद्ध रोकने और शांति स्थापित करने के लिए एलियन पृथ्वी पर आए थे। डॉ. एडगर मिचेल नामक यह सज्जन चांद पर पहुंचने वाले छठे व्यक्ति थे। वह 1971 में "अपोलो 14" मिशन से वहां गए थे।
84 वर्षीय मिचेल के अनुसार 16 जुलाई 1945 को न्यू मेक्सिको राज्य के वाइट सैंड्स में परमाणु परीक्षण के दौरान वहां यूएफओ (अज्ञात अंतरिक्ष यान) दिखाई दी थीं। उनके अनुसार एलियन हमारे परमाणु परीक्षणों के स्थानों में गहरी रुचि रखते थे और उन्होंने उस समय दोनों महाशक्तियों- रूस और अमेरिका के बीच परमाणु युद्ध के खतरे को समाप्त किया था। वह कहते हैं कि उस समय वहां मौजूद अमेरिकी सेना के कर्मचारियों के दर्ज बयान उनके दावों को सच्चा साबित करते हैं।
इससे पहले भी मिचेल एलियंस से जुड़े कई रोचक बयान दे चुके हैं। उनके अनुसार हमारी तकनीक उनके जैसी विकसित नहीं है, लेकिन यदि वह उग्र होते तो पृथ्वी पर मानवजाति का नामोनिशान ही नहीं बचता। इसके अलावा, वह पहले यह भी अंदाजा लगा चुके हैं कि शायद एलियन देखने में बहुत-कुछ फिल्मी ईटी की तरह दिखते हैं, यानी वह बड़ी आंखें और बड़े सिर वाले होंगे।
सरकारी दावा
एडगर मिचेल के अजीबोगरीब दावों के जवाब में अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के एक पूर्व शोधकर्ता निक पोप का कहना है कि मिचेल के दावे अधकचरी सूचनाओं के आधार पर तैयार किए गए हैं। हालांकि पोप यह जरूर कहते हैं कि परमाणु संयंत्रों और फौजी छावनियों के आसपास अज्ञात यान देखे गए थे, लेकिन वह यूएफओ थे या कुछ और, कहना कठिन है।
पोप के अनुसार मिचेल के दावों पर यकीन करने वाले वही लोग होते हैं जो इंसान के चांद पर पहुंचने को लेकर शंका जताते रहे हैं और दावे करते हैं कि वह किसी सेट पर बनाई गई फिल्म थी। वहीं यूएफओ में यकीन रखने वालों के अनुसार परमाणु तकनीक के विकसित होने पर बाहरी जगत के प्राणी इसलिए धरती पर पहुंचे थे क्योंकि इससे इंसान की शक्ति में कई गुना इजाफा हो गया था।
नासा का बयान
नासा के एक प्रवक्ता के अनुसार नासा यूएफओ की तलाश में समय नहीं बिताता। नासा कहीं भी एलियन को लेकर किसी तथ्य पर पर्दा भी नहीं डालता। नासा के अनुसार डॉ. एडगर मिचेल एक महान अमेरिकी वैज्ञानिक हैं, लेकिन नासा उनके विचारों से सहमत नहीं है।
अनोखे दावे
एक भौतिकशास्त्री डॉ. जॉन ब्रांडेनबर्ग के अनुसार मंगल ग्रह पर स्थित प्राचीन सभ्यता को एलियन ने ही परमाणु धमाके से खत्म कर दिया था। डॉ ब्रांडेनबर्ग के अनुसार इस नरसंहार के निशान आज तक वहां देखे जा सकते हैं। उन्होंने कुछ वर्ष पहले दावा पेश किया था कि मंगल की लाल सतह वहां हुए परमाणु धमाके के कारण है, जिससे वहां के वातावरण में कई रेडियोधर्मी पदार्थ फैल गए थे।

sabhar :http://naidunia.jagran.com/
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मंगलवार, 11 अगस्त 2015

उड़ने वाला रोबोट

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जर्मनी में वैज्ञानिकों ने ऐसा मशीनी परिंदा बनाया है जो हूबहू पक्षियों की तरह उड़ान भरता है. बहुत ही हल्के इस रोबोट को स्मार्टबर्ड का नाम दिया गया है.

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हल्दी और एंटीबायोटिक्स का मिश्रण कई गुना उपयोगी

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हल्दी और एंटीबायोटिक्स का मिश्रण कई गुना उपयोगी

भारत के हैदराबाद विश्वविद्यालय और रूस के नोवोसिबिर्स्क राजकीय विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक एक अंतर्राष्ट्रीय परियोजना के अंतर्गत ऐसी दवाइयां तैयार करने के काम में जुटे हुए हैं जिनके लिए हल्दी सहित अन्य पारंपरिक भारतीय मसालों का उपयोग किया जा सकता है।

नोवोसिबिर्स्क राजकीय विश्वविद्यालय द्वारा जारी की गई एक सूचना के अनुसार, "प्रोफेसर अश्विनी नानिया के नेतृत्व में हैदराबाद विश्वविद्यालय के भारतीय वैज्ञानिक इस निष्कर्ष पर पहुँचे हैं कि अगर हल्दी और एंटीबायोटिक्स को मिलाकर क्रिस्टल बनाए जाएं और आगे इन क्रिस्टलों को पीसकर दवाइयां बनाई जाएं तो ऐसी दवाइयों का असर कई गुना बढ़ जाएगा।"
इस परियोजना में शामिल रूसी वैज्ञानिकों का नेतृत्व नोवोसिबिर्स्क राजकीय विश्वविद्यालय के ठोस रसायनिक विज्ञान विभाग की प्रमुख और इस विश्वविद्यालय की एक वरिष्ठ शोधकर्ता, प्रोफेसर ऐलेना बोल्दरेवा कर रही हैं।
sabhar http://hindi.sputniknews.com/

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सोमवार, 10 अगस्त 2015

टेलीफोन और मोबाइल के बिना कहीं भी किसी से बात करने की कला

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क्या आप अपनी बातों को बिना मोबाईल, टेलीफोन या दूसरे भौतिक क्रियाओं और साधनों के दूसरों तक पहुंचा सकते हैं। एक बारगी आप कहेंगे ऐसा संभव नहीं है, लेकिन यह संभव है। आप बिना किसी साधन के दूसरों तक अपनी बात पहुंचा सकते हैं यह संभव है दूरानुभूति से, एफडब्ल्यूएच मायर्स ने इस इस बात का उल्लेख किया है इसे टेलीपैथी भी कहते हैं। इसमें ज्ञानवाहन के ज्ञात माध्यमों से स्वतंत्र एक मस्तिष्क से दूसरे मस्तिष्क में किसी प्रकार का भाव या विचार पहुंचता है। आधुनिक मनोवैज्ञानिक दूसरे व्यक्ति की मानसिक क्रियाओं के बारे में अतींद्रिय ज्ञान को ही दूरानुभूति की संज्ञा देते हैं। परामनोविज्ञान में एक और बातों का प्रयोग होता है। वह है स्पष्ट दृष्टि। इसका प्रयोग देखने वाले से दूर या परोक्ष में घटित होने वाली घटनाओं या दृश्यों को देखने की शक्ति के लिए किया जाता है, जब देखने वाला और दृश्य के बीच कोई भौतिक या ऐंद्रिक संबंध नहीं स्थापित हो पाता। वस्तुओं या वस्तुनिष्ठ घटनाओं की अतींद्रिय अनुभूति होती है यह प्रत्यक्ष टेलीपैथी कहलाती है।टेलीपैथी के जरिए किसी को किसी व्यक्ति को कोई काम करने के लिए मजबूर भी किया जा सकता है। ऐसा ही एक मामला तुर्की में आया है। यहां कुछ लोगों को टेलीपैथी के जरिए इतना विवश कर दिया गया कि उन्होंने आत्म हत्या कर लिया sabhar amarujala.com

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टाइप करने का झंझट खत्म, जो बोलोगे वो फटाफट टाइप कर देगा ये एप

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नई दिल्ली। माइक्रोसॉफ्ट ने स्मार्टफोन यूजर्स के लिए नया और शानदार एप माइक्रोसॉफ्ट ट्रांसलेटर लॉन्च किया है। फिलहाल इस एप को एंड्रॉयड और आईओएस दोनों के लिए उपलब्ध कराया गया है। यह एप स्मार्टफोन के साथ-साथ स्मार्टवॉच (एप्पल वॉच) पर भी काम करता है। इसके अलावा यह भाषा ट्रांसलेशन का काम भी करता है। इस मामले में यह एप गूगल ट्रांसलेट एप पर भारी पड़ता नजर आ रहा है।
50 भाषाओं को करता है सपोर्ट
माइक्रोसॉफ्ट का यह एप 50 तरह की भाषाओं को सपोर्ट करता है। इसके अलावा इस एप में वॉयस को सुनकर टेक्स्ट टाइप करने का फीचर भी दिया गया है। यानी यूजर्स जो बालेंगे वह यह एप चंद सेकेंड में ही टाइप कर देगा।
गूगल ट्रांसलेट पर भारी
भाषा ट्रांसलेशन के मामले ये माइक्रोसॉफ्ट ट्रांसलेटर एप गूगल ट्रांसलेट पर भारी पड़ सकता है। क्योंकि गूगल ट्रांसलेट सिर्फ 27 भाषाओं को सपोर्ट करता है, जबकि यह एप 50 भाषाओं को सपोर्ट करता है।
पॉपुलर हुआ
माइक्रोसॉफ्ट ट्रांसलेटर को अब तक हजारों लोग लाइक कर चुके हैं। यूजर्स द्वारा इएप को गूगल प्ले स्टोर पर 4.5 रेटिंग दी गई है। इस एप का कुल साइज 5.3 एमबी है तथा इसका मौजूदा वर्जन 0.9.5.009 है। इस एप को एंड्रॉयड 4.3 या उससे ऊपर के वर्जन वाले गैजेट्स में डाउनलोड कर इंस्टॉल किया जा सकता है।
- See more at: http://www.patrika.com/news/apps/microsoft-translator-app-with-50-languages-support-launched-1081568/#sthash.z5ph3nvt.dpuf

नई दिल्ली। माइक्रोसॉफ्ट ने स्मार्टफोन यूजर्स के लिए नया और शानदार एप माइक्रोसॉफ्ट ट्रांसलेटर लॉन्च किया है। फिलहाल इस एप को एंड्रॉयड और आईओएस दोनों के लिए उपलब्ध कराया गया है। यह एप स्मार्टफोन के साथ-साथ स्मार्टवॉच (एप्पल वॉच) पर भी काम करता है। इसके अलावा यह भाषा ट्रांसलेशन का काम भी करता है। इस मामले में यह एप गूगल ट्रांसलेट एप पर भारी पड़ता नजर आ रहा है।
50 भाषाओं को करता है सपोर्ट
माइक्रोसॉफ्ट का यह एप 50 तरह की भाषाओं को सपोर्ट करता है। इसके अलावा इस एप में वॉयस को सुनकर टेक्स्ट टाइप करने का फीचर भी दिया गया है। यानी यूजर्स जो बालेंगे वह यह एप चंद सेकेंड में ही टाइप कर देगा।
गूगल ट्रांसलेट पर भारी
भाषा ट्रांसलेशन के मामले ये माइक्रोसॉफ्ट ट्रांसलेटर एप गूगल ट्रांसलेट पर भारी पड़ सकता है। क्योंकि गूगल ट्रांसलेट सिर्फ 27 भाषाओं को सपोर्ट करता है, जबकि यह एप 50 भाषाओं को सपोर्ट करता है।
पॉपुलर हुआ
माइक्रोसॉफ्ट ट्रांसलेटर को अब तक हजारों लोग लाइक कर चुके हैं। यूजर्स द्वारा इएप को गूगल प्ले स्टोर पर 4.5 रेटिंग दी गई है। इस एप का कुल साइज 5.3 एमबी है तथा इसका मौजूदा वर्जन 0.9.5.009 है। इस एप को एंड्रॉयड 4.3 या उससे ऊपर के वर्जन वाले गैजेट्स में डाउनलोड कर इंस्टॉल किया जा सकता है।
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नासा की खींची हुई फोटो में दिखा एलियन का अंतरिक्ष यान

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Alien Spacecraft appears in Photo caputured by NASA Photo

वाशिंगटन। एलियन वास्तव में है या नहीं अभी तक यह रहस्य ही है, लेकिन नासा के एक अंतरिक्ष यान द्वारा साल 1960 में ली गई एक तस्वीर में एलियन का यान दिखने की बात कही जा रही है। नासा के इस अंतरिक्ष या न द्वारा ली गई�तस्वीर�में एक अस्पष्ट वस्तु दिखाई गई है जिसे एक वैज्ञानिक ने एलियन का यान होना बताया है।
प्रोजेक्ट मर्करी के दौरान भेजी गई थी तस्वीर-
यह तस्वीर प्रोजेक्ट मर्करी के दौरान भेजी गई थी। स्कॉट सी-वेरिंग का कहना है कि नासा के अंतरिक्ष यान द्वारा 1960 में ली गई इस तस्वीर में दिख रही एक अस्पष्ट वस्तु एलियन का अंतरिक्षयान हो सकती है। वेरिंग का कहना है कि शुरू आत से ही अंतरिक्ष एलियन के प्रेक्षक मनुष्यों के मिशन पूरी निगाह रख रहे हैं। अंतरिक्ष यान मर्करी-रेडस्टोन वन ए द्वारा 19 दिसंबर, 1960 में ली गई इस तस्वीर में तस्वीर में उन्होंने यह विसंगति देखी थी।
ब्लॉग के जरिए दी जानकारी-
वेरिंग ने अपने ब्लॉग पर लिखा है कि मर्करी मिशन की कुछ तस्वीरों में उन्होंने एक तस्तरीनुमा वस्तु पाई है। यह मिशन मर्करी था जो दिसंबर 1960 में शुरू हुआ था। उनका कहना है कि हो सकता है मानव इतिहास के इस ऎतिहासिक पल को देखने में एलियन दिलचस्पी ले रहे हों। हालांकि अंतरिक्षयान मानवरहित था इसलिए एलियन यह चिंता नहीं थी कि कोई उन्हें देख लेगा, इसलिए पृथ्वी के काफी नजदीक आ गए थे। गौरतलब है कि प्रोजेक्ट मर्करी अमरीका का पहला अंतरिक्ष मिशन था।
-sabhar :http://www.patrika.com/

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रविवार, 9 अगस्त 2015

बाइक जो चलती है पानी से, 1 लीटर में 500 किमी.

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पेट्रोल और डीजल के लगातार बढ़ते दामों से हर व्यक्ति परेशान है। काश! कुछ ऐसा हो कि पानी से ही सब वाहन चलने लगे। तो खुश हो जाइये क्योंकि ऐसा हो चुका है, ब्राजील के साओ पोलो में रहने वाले एक व्यक्ति ने यह कारनामा कर दिखाया है।
साओ पोलो में रहने वाले रिकार्डो एजवेडोइस नाम के व्यक्ति ने एक ऐसी बाइक का निर्माण किया है जो एक लीटर पानी में 500 किमी. तक की दूरी तय कर सकती है। इसका एक वीडियो भी यूट्यूब पर अपलोड किया गया है।
रिकार्डो ने अपनी इस बाइक का नाम टी पॉवर एच2ओ रखा है। इस बाइक में एक बैटरी लगी है। पानी डालने पर इस बैटरी के जरिए हाइड्रोजन बनती है। इसी हाइड्रोजन से बाइक चलती है। बाइक के इंजन में इस हाइड्रोजन को ईधन के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। रिकार्डो अपनी बाइक की टेस्टिंग के लिए तैयार हैं।
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फ़ोन हाथ में लेते ही हैक करने वाला शख़्स

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  • 20 जून 2015
यदि आप सेथ व्हाल के हाथ में अपना मोबाइल दें, तो वो क्षण भर में अपकी तस्वीरें, फ़ोटो, पासवर्ड चोरी कर लेते हैं. लेकिन ये कैसे संभव है?
सेथ व्हाल उन लोगों में से हैं जिनके शरीर में चिप लगा हुआ. व्हाल अमरीकी नेवी के पूर्व अधिकारी हैं. लेकिन अब वे एपीए वायरलेस कंपनी के साथ इंजीनियर हैं और उनका काम बायो-हैंकिंग है.
व्हाल की बात आगे बढ़ाने से पहले एक सवाल. क्या आपको पिछले दिनों आई फ़िल्म पीके याद है? इसमें एलियन का रोल कर रहे आमिर किसी लड़की का हाथ पकड़कर उसके मन की सारी बातें, भाषा-बोली, दिमाग में मौजूद हर बात जान लेते हैं ! ये भी कुछ ऐसा ही है.
व्हाल अब साइबर सिक्योरिटी पर काम कर रहे हैं. वो अपने साथी रॉड सोटो के साथ दिखाते हैं कि केवल टच करते ही वे फ़ोन को हैक कर सकते हैं.
ये दोनों अपने चिप का इस्तेमाल किसी आपराधिक काम के लिए नहीं, बल्कि जागरूकता फैलाने के लिए कर रहे हैं.
उनका मक़सद ये बताया है कि किस तरह से आने वाले दिनों में हमारे फोन और कंप्यूटर की जानकारी आसानी से हैक होगी और हमें इसका एहसास तक नहीं होगा.

हैकमियामी में प्रदर्शन

इसकी शुरुआत हुई जब सिक्यूरिटी रिसर्चर और इवेंट हैकमियामी के दौरान व्हाल आयोजक सोटो के साथ पिज्जा खा रहे थे. सोटो ने बताया, "सेथ उस वक्त पिज्जा खा रहे थे. मैंने उनसे ऐसे ही कहा कि आप कंप्यूटर पसंद करने वाले दिखते हो, और पाया कि उनके हाथ में तो चिप लगा हुआ है."
सेथ व्हाल के हाथ में आरएफआईडी चिप लगा हुआ है, जो अपने पास आने वाले उपकरणों से डाटा हैक कर सकता है. सोटो मुख्य तौर पर सॉफ़्टवेयर और हार्डवेयर हैकिंग से जुड़े हैं. उन्होंने व्हाल को 2014 में हैकमियामी में अपनी प्रिजेंटेशन देने को कहा.
दोनों ने तय किया कि किसी मैलवेयर यानी वायरस वाले सॉफ़्टवेयर को वो किसी मोबाइल में भेजने का प्रयोग करेंगे.
कुछ महीनों के अंदर दोनों ने मिलकर पूरी व्यवस्था डिज़ाइन कर ली और जैसे ही किसी का फ़ोन व्हाल के हाथ में दिया गया, उन्होंने वायरस वाला सॉफ़्टवेयर उसमें आसानी से भेज दिया.
व्हाल ने बताया, "अमूमन ऐसी चीजें पहली बार कामयाब नहीं होतीं." इनका हैकिंग सिस्टम कुछ इस तरह से काम करता है- व्हाल के हाथ में लगे आरएफआईडी चिप में एक नियर फ़ील्ड कम्यूनिकेशन (एनएफसी) एंटीना लगा होता है, जिससे निकलनी वाली रेडियो फ्रीक्वेंसी एनएफसी एनेब्लड डिवाइस जैसे मोबाइल से बात कर सकती हैं.

एनएफसी डिवाइस पर कमाल

ऐसे में जब व्हाल के हाथ में किसी का फोन आता है तो उनका चिप डिवाइस को एक संकेत देता है. अगर फोन इस्तेमाल करने वाला हां करता है तो, तो फोन एक दूर स्थित सर्वर से कनेक्ट हो जाता है. व्हाल बताते हैं, "यूज़र से संकेत मिलने पर वह फ़ोन जैसे मेरे काबू में आ जाता है."
सोटो के मुताबिक व्हाल के हाथ में कुछ देर तक फोन रहने पर उसकी सारी फ़ाइल हम डाउनलोड कर सकते हैं. व्हाल और सोटो आपस में मिलकर डिवाइस को और ज़्यादा प्रभावी बनाने की कोशिशों में जुटे हैं ताकि डिवाइस में आने वाला पॉपअप किसी सिस्टम अपडेट जैसा लगे या फिर कैंडी क्रश नोटिफ़िकेशन जैसा. ऐसे फोन को हैक करना आसान हो जाता है.
दरअसल बायो-हैकिंग समुदाय, सॉफ़्टवेयर और हार्डवेयर हैकिंग समुदाय में अभी लिंक्डअप नहीं हैं. लेकिन हैकमियामी 2015 में कुछ ही बायो हैकर नज़र आए, जबकि सॉफ़्टवेयर और हार्डवेयर हैकिंग करने वाले सैकड़ों हैकर मौजूद थे.

हैकरों की अलग दुनिया

व्हाल कहते हैं, "निश्चित तौर पर दो दुनिया है. बायो-हैकर कोई नुकसान नहीं पहुंचाते, उनमें उतनी तकनीकी कुशलता भी नहीं होती. वहीं दूसरी ओर हैकिंग करने वाला समुदाय में काफी प्रतिभाशाली लोग होते हैं. कुछ तो बहुत स्मार्ट लोग होते हैं, वे क्रेज़ी चीजें कर लेते हैं."
हालांकि व्हाल और सोटो के प्रयोग एक तरह से शरीर के अंदर इम्पलांट करके हैकिंग करने की शुरुआत है. फोन के अलावा क्रेडिट कार्ड सिस्टम, मोबाइल पेमेंट्स, एप्पल पे, गूगल वेलेट, कीकार्ड और मेडिकल डिवाइस के साथ भी यह संभव हो सकता है.
एनएफसी एनेब्लड कम्यूनिकेशन उपकरणों को चिप से हैक करने के लिए आपको बस उस डिवाइस के नजदीक पहुंचना होता है.
वैसे बायो-हैकिंग इतनी आसान भी नहीं है. हाथ में आरएफआईडी चिप को इमप्लांट कराना मुश्किल काम है. आप इसे झटके से नहीं करा सकते और हर दूसरा आदमी बायो हैकर भी नहीं होता.
व्हाल ने एक टैटू आर्टिस्ट से चिप अपने हाथ में इंप्लांट करवाया है. अंगूठे और उसकी बगल वाली अंगुली के बीच में.

कानून का उल्लंघन नहीं

व्हाल कहते हैं, "काफ़ी तकलीफ़ हुई थी, थोड़े समय तक काफी दर्द हुआ था."
अपने प्रदर्शन के दौरान सोटो और व्हाल की जोड़ी किसी कानून का उल्लंघन नहीं करती. वे व्हाल के फ़ोन का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन प्रिंस्टन के सेंटर फॉर इन्फोर्मेशन टेक्नोलॉजी पॉलिसी की प्रोफ़ेसर और कानूनी जानकार आंद्रेया मात्वाश्यान कहती हैं कि अगर इन लोगों ने किसी को अपना शिकार बनाया तो ये मुश्किल में फंस सकते हैं.
अमरीका में हाल ही में कंप्यूटर फ्रॉड एंड एब्यूज़ एक्ट लागू किया गया है. लेकिन सोटो और व्हाल के लिए मामला लोगों के फोन से तस्वीरें और जानकारियां चुराने भर का नहीं है. उनका उद्देश्य उन ख़तरों पर ध्यान आकर्षित करना है जो लोगों के रोजमर्रा के उपयोग के उपकरणों से जुड़े हैं.
दोनों का कहना है कि तकनीक के इस्तेमाल से वे दिखाना चाहते हैं कि कोई भी आपके उपकरण से सारी जानकारियां उड़ा सकता है.
साभार : http://www.bbc.com/

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दिमाग़ का बैक-अप और अमर होने की चाह..

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आइंस्टीन की गुरुत्वीय तरंगों का पता लगाने की नई तकनीक

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न्यूयॉर्क। वैज्ञानिकों ने ऐसी नई तकनीक ईजाद की है जिसके जरिए गुरुत्वीय तरंगों का पता लगाना संभव होगा। गुरुत्वीय तरंगें ऐसी अदृश्य तरंगें हैं, जिनका जिक्र अल्बर्ट आइंस्टीन ने अपने सापेक्षता के सिद्धांत में किया था।
न्यूयॉर्क में अमेरिकन म्यूजियम ऑफ नैचुरल हिस्ट्री के भौतिकविद् बैरी मैक करनन ने कहा, ‘गुरुत्वीय तरंगें त्वरित द्रव्यों से निकलती हैं।’ इन गुरुत्वीय तरंगों को सीधे तौर पर पहचानने का कोई माध्यम नहीं है। मैक करनन और उनके सहयोगियों का कहना है कि गुरुत्वीय तरंगों का पदार्थ पर उससे ज्यादा प्रभाव पड़ता है, जितना पहले माना जाता था। शोधकर्ताओं का कहना है कि ऐसे तारे जो अपने करीब से गुजरने वाली गुरुत्वीय तरंगों के समान आवृत्ति पर कंपन करते हैं वे इन हलचलों से बड़ी मात्रा में ऊर्जा ग्रहण कर सकते हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि चुनौती इस बात का पता लगाने की है कि चिह्नित किए गए तारे की चमक गुरुत्वीय तरंगों के कारण है या इसका कोई अन्य कारण है।
क्या है उम्मीद
उन्होंने कहा, ‘जब ब्लैक होल्स करीब आएंगे तो उनके द्वारा उत्पन्न होने वाली गुरुत्वीय तरंगों की आवृत्ति बढ़ेगी। ऐसे में हम छोटे तारों के चमकने की उम्मीद करते हैं।’ वैज्ञानिकों का मानना है कि कई तारों के बीच में अगर बड़े तारों के बाद छोटे तारों में चमक दिखाई देती है तो यह गुरुत्वीय तरंग के कारण हो सकता है। इस स्थिति में गुरुत्वीय तरंग का अध्ययन संभव होगा। साभार :http://virsachannel.com/

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शनिवार, 8 अगस्त 2015

मानव - मस्तिष्क

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संकल्प शक्ति- सुपर चेतन मन -विज्ञान

मानव - मस्तिष्क इतनी विलक्षणताओं का केंद्र है जिसके आगे वर्तमान में अविष्कृत हुए समस्त मानवकृत उपकरण एवं यंत्रों का एकत्रीकरण भी हल्का पड़ेगा. अभी तक मस्तिष्क के 1/10 भाग की ही जानकारी मिल सकी है, 9 /10 भाग अभी तक शरीर शास्त्रियों और वैज्ञानिकों के लिए चुनौती बना हुआ है. मस्तिष्क के इस 9/10 भाग में असीमित क्षमताएं भरी पड़ी हैं. मस्तिष्क में अगणित चुम्बकीय केंद्र हैं जो विविध-विधि रिसीवरों और ट्रांसफ़ॉर्मरों का कार्य सम्पादित करती हैं. मानव मस्तिष्क में असीमित रहस्यात्मक असीम शक्ति हैं जिसके विषय में हमें हलकी-फुलकी सतहीय सत्तर की जानकारी हैं. योग साधना का एक उदेश्य इस चेतना विद्युत -शक्ति का अभिवर्धन करना भी है. इसे मनोबल, प्राणशक्ति और आत्मबल भी कहते हैं. संकल्प शक्ति और इच्छा शक्ति के रूप में इसके चमत्कार देखे जा सके हैं. मनोविज्ञान के समूचे खजाने में दो चीजें भरी हैं सूत्र [ Formula ] और तकनीक [Technique ] . सूत्रों में स्थिति का विवेचन होने के साथ तकनीकों के संकेत भी हैं.तकनीकों द्वारा स्थिति को ठीक करने के प्रयास किये जातें हैं. संकल्प शक्ति संकल्प शक्ति मस्तिष्क के वे हाई momentum वाले विचार हैं जिनकी गति अत्यंत तीब्र और प्रभाव अति गहन होतें हैं और अत्यंत शक्तिशाली होने के कारण उनके परिणाम भी शीघ्रः प्राप्त होतें है. मन के तीन भाग या परतें भावना, विचारणा और व्यवहार मानवीय व्यक्तितिव के तीन पक्ष हैं उनके अनुसार मन को भी तीन परतों में विभक्त किया जा सकता है : भौतिक जानकारी संग्रह करने वाले चेतन - मस्तिष्क [Conscious- Mind ] और ऑटोनोमस नर्वस सिस्टम को प्रभावित करने वाले अचेतन - मस्तिष्क [Sub- Conscious - Mind] अभी अभी विज्ञान की परिधि में आयें हैं. पर अब अतीन्द्रिय - मस्तिष्क [Super-Conscious -Mind] का अस्तित्व भी स्वीकारा जाता हैं . हुना [Huna] हुना [Huna] का अर्थ हवाई द्वीप [ Phillippines ] में गुप्त या सीक्रेट है. शरीर , मन और आत्मा के एकीकरण पर आधारित हुना -तकनीक लगभग 2000 वर्ष पुरानी परामानोविज्ञानिक रहस्यवादी स्कूल हैं. इस गूढ़ और गुप्त तकनीक के प्रयोग से एक साधारण मनुष्य अपनी संकल्प शक्ति द्वारा अपने अन्तराल में प्रसुप्त पड़ी क्षमताओं को जगा कर और विशाल ब्रह्माण्ड में उपस्थित शक्तिशाली चेतन तत्त्वों को खीचकर अपने में धरण कर अपने आत्मबल को इतना जागृत कर सकता हैं की वह अपने व्यक्तिगत और सामाजिक परिस्थितिओं में मनचाहा परिवर्तन ला सके . हुना के अनुसार मन की तीन परतें Llower –Self [Unconsious- Mind]----- यह Rib-Cage में स्थित है.Middle -Self [Consious -Mind] ------यह भ्रूमध्य में पीनल ग्लैंड में स्थित है.Higher –Self [Super-Consious-Mind] -------यह सर से लगभग 5 फीट की उच्चाई पर स्थित है.  Lower –Self : यह हमारा अचेतन मन है.समस्त अनुभवों और भावनाओं का केंद्र है. Middle -Self द्वारा इसे निर्देश और आदेश देकर कार्य करवाया जा सकता है. समस्त जटिल गिल्ट , कोम्प्लेक्सेस , तरह - तरह की आदतें, आस्थाएं, सदेव Lower -Self में संचित रहतें हैं. Lower -Self स्वयं कोई भी तार्किक या बुद्धि पूर्ण निर्णय लेने में पूर्ण रूप से असमर्थ है. Middle -Self : यह हमारा चेतन मन है जिससे हम सोच-विचार करते हैं और निर्णय लेते हैं. यह हमारे बुद्धि के स्तर को दर्शाता है. Higher- Self : मानव मस्तिष्क का वह भानुमती का पिटारा है जिसमें अद्भुत और आश्चर्य जनक क्षमताएं भरी पड़ी हैं, , जिन्हें अगर जीवंत-जागृत कर लिया जाए तो मनुष्य दीन -हीन स्थिति में न रह कर अनंत क्षमताओं को अर्जित कर सकता है. Higher-Self में किसी भी समस्या या परिस्थिति का समाधान करने की असाधारण क्षमता है. यह तभी संभव हो पाता है जब हम उससे मदद मांगें. Higher - Self कभी भी मानव के साधारण क्रिया-कलापों में दखलांदाजी नहीं करा है जब तक विशेष रूप से उससे मदद न मांगी जाये. हुना द्वीप वासी किसी देवी-देवता की जगह अपने कार्यों या प्रयोजनों की सिद्धि के लिए अपने Higher – Self पर पूर्ण रूप से आश्रित होतें हैं और उसीसे से ही प्रार्थना करते हैं.  Aka - Chord यह अदृश्य चमकीली - चाँदी की ओप्टिकल फाइबर के समान कॉर्ड या वायर है जो Lower -Self को Higher - Self से और Middle - Self को Lower -Self से जोडती है, . Higher -Self और Middle -Self प्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए नहीं होते हैं. प्राण प्राण ही वह तत्व हैं जिसके माध्यम से Higher –Self हमरे अभीष्ट लक्ष्य की पूर्ति करता है. प्राण तत्व की अधिकता गहरी साँस द्वारा संभव है. चेतन मस्तिष्क या Middle-Self द्वारा प्राण तत्व वायु द्वारा ग्रहण किया जाता है. फिर इस प्राणतत्व को Lower-Self अत्यंत उच्च विद्युत –वोल्टेज़ में परिवर्तित कर देता है पुनः इस हाई – वोल्टेज़ का प्रयोग हमारा Higher- Self अभीष्ट की लक्ष्य प्राप्ति के लिए करता है. संकल्प ध्यान की Technique 1. सुख आसन या सुविधजनक जनक स्थिति में बैठ जायें. अपनी आंखें बंद करे, धीमें और गहरी 10 सांसें लें और प्रत्येक साँस के साथ प्राण शक्ति को अपने अन्दर जाता महसूस करे.2. अब ग्रहण किये प्राण शक्ति को अपने सोलर प्लेक्सस [Rib Cage] में एक चमकीली हाई वोल्टेज सिल्वर गेंद के रूप में Visualize करें.3. अब उस गेंद से अत्यंत तीब्र सिल्वर सफ़ेद प्रकाश निकलता देखें जिसे एक सक्रीय ज्वालामुखी से लावा निकलता है , या जैसे दिवाली के अवसर पर जलाये जाने वाले आतिशबाजी आनार से तीब्र गामी प्रकाश निकलता है.4. सफ़ेद प्रकाश को अपने सिर से 5 फीट की ऊंचाई तक जाता देखें .5. अब इस सफ़ेद प्रकाश को सर की ऊपर एक चमकीले सिल्वर रंग के विशाल गोले का रूप धरते देखें .6. इस गोले में अपनी लक्ष्य की विस्तृत और इच्क्षित पूर्ति देखे. आप का लक्ष्य एकदम सपष्ट और निश्चित होना चाहिए.7. अपने इच्क्षित लक्ष्य की अत्यंत बारीक़ और विस्तृत पूर्ति देखें.8. उस सफ़ेद गोले में अपने लक्ष्य को पूरा हुआ देखें और विश्वाश करे की आप का वह कार्य पूर्ण रूपेण , सफलता पूर्वक सम्पादित हो चूका है.9. मन में संकल्प करे की आपका वह इच्क्षित कार्य पूरा हो चूका है.10. प्रक्रिया के अंत में अपने Higher-Self को अपने संकल्प की पूर्ति के लिए धन्यवाद कहें.11. प्रतिदिन यह प्रक्रिया करें , जब तक आप का वह इच्क्षित कार्य पूर्ण नहीं हो जाता है.12. अपने Higher - Self पर विश्वाश करे जो आप के अन्दर ईश्वर के D.N.A. का प्रतिनिधितित्व करता है. वह आपको कभी धोखा नहीं देगा. अतीन्द्रिय विज्ञान और गूढ़ -विज्ञान में ऐसी संभावनाएं हैं जो मानवीय कष्टों को मिटा कर , किसी भी मानव की वर्तमान क्षमता में अधिक वृद्धि कर उसे अधिक सुखी और सफल बना सके. इसके लिए हमें अपना मस्तिष्क खुला रखना चाहिए. बिना अंध-विश्वास और अविश्वासी बने तथ्यों का अन्वेषण करना चाहिए. उपेक्षित और लुप्त प्रायः आत्म-विज्ञान को यदि अन्वेषण और प्रयोगों का क्षेत्र मान कर उसके लिए भौतिक-विज्ञानियों जैसी तत्परता बरती जाय तो अगले दिनों ऐसे अनेक उपयोगी रहस्य उद्घाटित हो सकते हैं , जो भौतिक अविष्कारों से भी अधिक उपयोगी सिद्ध होंगें.
द्वारा गीता झा

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कुण्डलिनी - दी सर्पेंट पॉवर

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ब्रह्माण्ड में दो प्रकार की शक्तियां कार्य करती हैं, एक फिजिकल जो पदार्थों में गतिशीलता और हलचल पैदा करती हैं दूसरी मेटाफिजिकल जो चेतना के रूप में प्राण धारीओं में इच्छाओं और अनुभूतियों का संचार करती हैं.

अक्सर हम लोग केवल प्रत्यक्ष शक्तियों का प्रमाण आधुनिक उपकरणों के माध्यम से प्राप्त कर लेतें हैं और सजहता से उनकी सत्ता भी स्वीकार कर लेते हैं. इसमें हीटलाइटमग्नेटिकइलेक्ट्रिसिटीसाउंड और मकैनिकलइनर्जी आती हैं.

मानव शरीर एक जीता-जागता बिजलीघर हैं

ऊर्जा के सहारे यंत्र चलते हैं, मानव शरीर भी एक प्रकार का यंत्र हैं इसके संचालन  में जिस ऊर्जा का प्रयोग होता हैं उसे जीव -विद्युत कहा जाता हैं.

ऋण या negative तथा धन या positive धाराओं के मिलाने से बिजली उत्पन्न होती हैं और उससे यंत्र चलते हैं.

                                    
मेरुदंड या spinal chord शरीर की आधारशिला हैं. मेरुदंड के अन्दर पोले भाग में विद्युत प्रवाह के लिए अनेक नाड़ियाँ  हैं जिनमें इडा, पिंगला और सुषुम्ना  मुख्य हैं.इडा बाई नासिका से सम्बंधित negative  या चन्द्र नाड़ी हैं और पिंगला दाहिनी नासिका से सम्बंधित positive या सूर्य नाड़ी हैं.
  
जीव-विद्युत और मानस शक्ति विभिन्न नाड़ीओं द्वारा संचरण करती हैं. इनकी संख्या  72,000 हैं लेकिन इनमे से प्रमुख इडापिंगला औरसुषुम्ना  हैं.  इडा और पिंगला के मिलने से सुषुम्ना की सृष्टि होती हैं और जीव-विद्युत का उत्पादन होता हैं.

शरीर गत महत्वपूर्ण गतिविधियाँ मेरुदंड से निकल कर सर्वत्र फ़ैलाने वाले स्नायु मंडल [nervous system] से संचालित हैं और उनका संचालन  सुषुम्ना नाड़ी करती हिं जिसे वैज्ञानिक वेगस नर्व भी मानतें हैं जो एकautonomus nervous system हैं जिसका सीधा सम्बन्ध अचेतन मन से हैं.
अतःकुण्डलिनी जागरण अचेतन मन का ही जागरण हैं.

मानव शरीर भी एक बिजलीघर हैं. शरीर में इफ्रेंट और ओफरेंट नर्वस का जाल फैला हुआ हैं जो बिजली की तारों के सामान विद्युत के संचरण और प्रसारण में सहयोग करती हैं.

इसी विद्युत शक्ति के आधार पर शारीरक क्रिया-कलाप यथा पाचन-तंत्र, रक्ताभिशरण, निद्रा,जागरण और विजातीय पदार्थों का विसर्जन , मानसिक और बौद्धिक क्रियाकलाप सम्पादित होते हैं.

मानवीय शरीर में यह जीव- विद्युत दो स्थिति में रहती हैं

सक्रिय विद्युत --- शरीर में उपस्थित जीव-विद्युत का केवल 10 % ही प्रयोग सामान्य मानसिक एवं शारीरिक क्रियाकलापों के सञ्चालन हेतु किया जाता हैं, इसे सक्रिय विद्युत कहतें हैं.

निष्क्रिय विद्युत---जीव-विद्युत का 90 % भाग कुण्डलिनी शक्ति के रूप में रीढ़ के निचले सिरे में सुप्त अवस्था में विधमान रहती हैं, इसे निष्क्रिय विद्युत कहतें हैं.  
          
कई लोग आशंका करते हैं यदि शरीर में विद्युत का संचरण होता हैं तो हमें कर्रेंट क्यों नहीं लगता हैं. इसका उत्तर हैं की शरीर की विद्युत का हम एक नगण्य अंश [10 %] ही सामान्य रूप से व्यवहार में लातें हैं शेष अधिकांश भाग [90 %] शरीर के कुछ विशिष्ट चक्रोंग्रंथियों और endocrine glandsमें स्टोर रहती हैं.

कुण्डलिनी क्या हैं ?

कुण्डलिनी सुप्त जीव-विद्युत उर्जा हैं जो spinal -column के मूल में निवास करती हैं. यह विश्व-जननी और सृष्टि - संचालिनी शक्ति हैं.

यह ईश्वर प्रदत मौलिक शक्ति हैं. प्रसुप्त स्थिति में यह अविज्ञात बनी रहती हैं और spinal -chord के निचले सिरे में प्रसुप्त सर्पनी के रूप में निवास करती  हैं. कुण्डलिनी सर्पेंट पॉवर, जीवनी-शक्ति, फायर ऑफ़ लाइफ के नाम से भी जानी जाती हैं.  

चक्र

सुषुम्ना  मार्ग पर 6 ऐसे प्रमुख केंद्र हैं जिनमे असीमित प्राणशक्ति और अतीन्द्रिय क्षमता का आपर वैभव प्रसुप्त स्थिति में पड़ा रहता हैं. इन्हें चक्र या प्लेक्सेस कहते हैं. इन केन्द्रों में नर्वस  अधिक मात्रा में उलझे रहते हैं . इन्हीं चक्रों के माध्यम से ब्रह्मांडीय ऊर्जा और जीव-ऊर्जा का आदान -प्रदान चलता रहता हैं.


सुषुम्ना  में भूमध्य से लेकर रीढ़ के आधार पर 6 चक्र अवस्थित हैं. भूमध्य में आज्ञाचक्र, कंठ में विशुद्धि [सर्विकलरीजन ], वक्ष   में अनाहत डोर्सलरीजन ], नाभि के ऊपर मणिपुर [लम्बर रीजन], नाभि के नीचे स्वाधिष्ठान[सेक्रेल रीजन] और रीढ़ के अंतिम सिरे पर मूलाधार [कक्सिजियल रीजनचक्र स्थित  हैं. सुषुम्ना के शीर्ष पर सहस्त्रार  इसे चक्रों की गिनती मेंनहीं रखा जाता  हैं. ] हैं, यह सिर के सर्वोच्च शीर्षभाग में स्थित हैं. यह  चेतना का सर्वोच्च शिखर हैं. प्राण शक्ति सहस्त्रार से मूलाधार की और आते समय घटती हैं. इन चक्रों या कुण्डलों से होकर विद्युत शक्ति के प्रवाहित होने के कारण इसे कुंडलिनी शक्ति भी कहा जाता हैं. कुण्डलिनी जागरण यात्रा मूलाधार से आरंभ हो कर सहस्त्रद्वार में जा कर समाप्त होती हैं.

शक्ति के स्टोर हाउस - चक्र -शरीर के अत्यंत संवेदनशील भागों में स्थिति रहते हैं. इनका जागरण विशिष्ठ  साधनों द्वारा संभव हैं. कुंडलिनी योग इन्हीं शक्तिओं को जागृत कर उन्हें नियंत्रित कर व्यक्ति विशेष को  अनंत शक्ति का स्वामी बना देती हैं.

कुण्डलिनी जागरण के विभिन्न चरण

नाड़ी  शुद्धि       
चक्र  शुद्धि/जागरण
इडा-पिंगला  शुद्धि/ संतुलन
सुषुम्ना जागरण या कुण्डलिनी का सुषुम्ना नाड़ी में प्रवेश एवं ऊर्ध्गमन .

कुण्डलिनि जागरण की विभिन्न विधियाँ

योग, ध्यान, प्राणायाम , मंत्रोचार , आसन एवं मुद्रा ,शक्तिपात, जन्म से पूर्वजन्म -संस्कार द्वारा , भक्ति पूर्ण  - शरणागति, तपस्या, तंत्र मार्ग इत्यादि .

कुण्डलिनी जागरण के लाभ

कुंडलिनी जागरण की प्रक्रिया में सुप्त जीव- शक्ति का आरोहन किया जाता हैं. उर्ध्व दिशा में गति करने से जैसे जैसे चक्रों का भेदन होता हैं , अज्ञान के आवरण हटाने लग जातें हैं. दिव्यता बड़ने लग जाती हैं.


शरीर पर इसका प्रभाव बलिष्ठता , निरोगिता, स्फूर्ति, क्रियाशीलता, उत्साह और तत्परता के रूप में दिखाई देता हैं , मानसिक  प्रभाव में तीव्र बुद्धि , समरण शक्ति, दूरदर्शिता, कल्पना, कुशलता और निर्णय लेने की क्षमता के रूप में दिखती  हैं. भावना क्षेत्र  में श्रद्धा, निष्ठा, आस्था, करुणा , अपनेपन का भाव, संवेदना इत्यादि  के रूप में दिखती  हैं.


हम कह सकतें हैं की कुंडलिनी -जागरण उच्य- स्तरीय उत्कृष्टता की दिशा में मानवीय चेतना को ले जाती हैं. इससे अनेक शक्तिओं, सिद्धियों और क्षमताओं का जागरण होता हैं और अंत  में आत्मा- सत्ता परमात्मा -सत्ता से जुड़ जाती हैं.

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इन कारणों से छोटी होती है जिंदगी

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टीवी
ब्रिटिश जर्नल ऑफ स्पोर्ट्स एंड मेडिसिन में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार टीवी का हर एक घंटा आपके जीवन से 22 मिनट कम कर रहा है. यानि अगर आप औसतन हर रोज छह घंटे टीवी देखते हैं, तो आपके जीवन से पांच साल कम हो सकते हैं.

सेक्स
ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में छपी एक रिपोर्ट बताती है कि जो पुरुष महीने में कम से कम एक बार भी सेक्स नहीं करते, उनके मरने का खतरा उन पुरुषों की तुलना में दोगुना होता है जो हफ्ते में एक बार सेक्स करते हैं.

नींद
सोना शरीर के लिए जरूरी है लेकिन बहुत ज्यादा सोने से आपकी उम्र कम हो सकती है. आठ घंटे से ज्यादा बिस्तर पर पड़े रहने से फायदा कम और नुकसान ज्यादा होता है. इसलिए नियमित रूप से सोएं, लेकिन आठ घंटे से ज्यादा नहीं.
बैठे रहना
क्या आपको दफ्तर में कई घंटे बैठना पड़ता है? जामा इंटरनल मेडिसिन की रिसर्च बताती है कि दिन में ग्यारह घंटे बैठने से मौत का खतरा 40 फीसदी बढ़ जाता है. इसलिए काम के बीच में ब्रेक लें और हो सके तो कुछ देर खड़े रह कर काम करें.

अकेलापन
इंसान के लिए किसी का साथ, किसी से बातचीत करना जरूरी है. कुछ लोग तनाव से दूर रहने के लिए अकेले रहना पसंद करते हैं. लेकिन दरअसल वे खुद को दुनिया की खुशियों से वंचित कर रहे हैं. अवसाद उम्र कम होने की एक बड़ी वजह है.
बेरोजगारी
15 देशों में 40 साल तक दो करोड़ लोगों पर चले एक शोध के अनुसार बेरोजगार लोगों के अचानक मौत का खतरा नौकरीपेशा लोगों की तुलना में 63 फीसदी ज्यादा होता है.

कसरत
शरीर के लिए कसरत बेहद जरूरी है लेकिन सिर्फ शौक के चलते जरूरत से ज्यादा कसरत करना नुकसानदेह है. बेहतर होगा अगर डॉक्टर या फिजिकल ट्रेनर की राय के मुताबिक कसरत की जाए.
लंबी छुट्टी
यह सही है कि आपको काम से छुट्टी की जरूरत है ताकि शरीर को आराम मिल सके. लेकिन बहुत ज्यादा आराम नुकसानदेह हो सकता है. काम के बाद अचानक लंबे वक्त तक आराम इम्यून सिस्टम को कमजोर कर देता है.

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शुक्रवार, 7 अगस्त 2015

दुनिया में पहली बार जापान में रोबोट्स की शादी

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दुनिया में पहली बार कोई रोबोट जोड़ा शादी के बंधन में बंध गया है। यह शादी जापान की राजधानी तोक्यो में हुई। रोबोट दूल्हे का नाम फ्रायोस और दुल्हन का नाम युक्रिन था। दोनों ने पारंपरिक परिधान पहन रखे थे।
यह आयोजन मावा डेंकी नामक कंपनी ने करवाया था। इलेक्ट्रॉनिक एक्सेसरीज बनाने वाली इस कंपनी ने फ्रायोस को डिजाइन किया है। युक्रिन की शक्ल काफी कुछ जापान की पॉप स्टार युकी काशीवागी से मिलती है लेकिन कार्यक्रम में उसे रोबोरिन के नाम से ही संबोधित किया गया। जानकारों के अनुसार, ऐसा कॉपीराइट की कानूनी अड़चनों से बचने के लिए किया गया।
शादी के कार्ड
शादी में शामिल हुए लोगों के अनुसार, इस कार्यक्रम के लिए शादी के कार्ड भी छपवाए गए थे। इसमें एक दिल में दोनों रोबोट की फोटो एक साथ छापी गई थी।
तोक्यो में हुए इस फंक्शन में दूल्हे फ्रायोस और दुल्हन युक्र...

परंपरागत पहनावे
तोक्यो में हुए इस फंक्शन में दूल्हे फ्रायोस और दुल्हन युक्रिन ने पारंपरिक परिधान पहन रखे थे। फंक्शन में कुल 100 अलग-अलग तरह के रोबोट्स दोनों ओर से शामिल हुए थे। इनमें से ज्यादातर को परंपरागत परिधान पहनाए गए थे। इनमें साफ्टबैंक का प्रसिद्ध रोबोट पेपर भी था। शादी पेपर ने ही करवाई।
रोबोट जोड़े के कई दोस्त भी फंक्शन में पहुंचे

केक काटा, किस किया
शादी की रस्मों के बाद फ्रायोस और युक्रिन ने केक काटा और फिर एक-दूसरे को किस भी किया। हालांकि यह नहीं पता है कि यह केक असली था या नकली। शादी के बाद ऑटोमेटेड ऑक्रेस्ट्रा ने दोनों के फर्स्ट डांस के लिए गाना भी बजाया।
फ्रायोस और युक्रिन ने केक काटा और एक-दूसरे को किस भी किया
 
इसके अलावा एक छोटा रोबोट पाल्मी भी था जो माइक पर कार्यक्रम का संचालन कर रहा था। दुल्हन युक्रिन के साथ एक ब्राइड्समेड भी थी।

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रीढ़ की हड्डी में होता है छोटा दिमाग

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वॉशिंगटन

अमेरिकी शोधकर्ताओं ने मनुष्यों की रीढ़ की हड्डी में एक छोटे मस्तिष्क का पता लगाया है। यह हमें भीड़ के बीच से गुजरते वक्त या सर्दियों में बर्फीली सतह से गुजरते वक्त संतुलन बनाने में मदद करती है और फिसलने या गिरने से बचाती है। इस तरह के कार्य अचेतन अवस्था में होते हैं।

हमारी रीढ़ की हड्डी में मौजूद तंत्रिका कोशिकाओं के समूह संवेदी सूचनाओं को इकट्ठा कर मांसपेशियों के आवश्यक समायोजन में मदद करते हैं। कैलिफोर्निया स्थित एक स्वतंत्र वैज्ञानिक अनुसंधान संस्थान 'साल्क' के जीवविज्ञानी मार्टिन गोल्डिंग के मुताबिक 'हमारे खड़े होने या चलने के दौरान पैर के तलवों के संवेदी अंग इस छोटे दिमाग को दबाव और गति से जुड़ी सूचनाएं भेजते हैं।'

गोल्डिंग ने कहा, 'इस अध्ययन के जरिए हमें हमारे शरीर में मौजूद 'ब्लैक बॉक्स' के बारे में पता चला। हमें आज तक नहीं पता था कि ये संकेत किस तरह से हमारी रीढ़ की हड्डी में इनकोड और संचालित होते हैं।'

प्रत्येक मिलिसेकंड पर सूचनाओं की विभिन्न धाराएं मस्तिष्क में प्रवाहित होती रहती हैं, इसमें शोधकर्ताओं द्वारा खोजे गए संकेतक भी शामिल हैं। अपने अध्ययन में साल्क वैज्ञानिकों ने इस संवेदी मोटर नियंत्रण प्रणाली के विवरण से पर्दा हटाया है। अत्याधुनिक छवि प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से इन्होंने तंत्रिका फाइबर का पता लगाया है, जो पैर में लगे संवेदकों की मदद से रीढ़ की हड्डी तक संकेतों को ले जाते हैं।

इन्होंने पता लगाया है कि ये संवेदक फाइबर आरओआरआई न्यूरॉन्स नाम के तंत्रिकाओं के अन्य समूहों के साथ रीढ़ की हड्डी में मौजूद होते हैं। इसके बदले आरओआरआई न्यूरॉन मस्तिष्क के मोटर क्षेत्र में मौजूद न्यूरॉन से जुड़े होते हैं, जो मस्तिष्क और पैरों के बीच एक महत्वपूर्ण संबंध हो सकते हैं।

गोल्डिंग की टीम ने जब साल्क में आनुवांशिक रूप से परिवर्धित चूहे की रीढ़ की हड्डी में आरओआरआई न्यूरॉन को निष्क्रिय कर दिया तो पाया कि इसके बाद चूहे गति के बारे में कम संवेदनशील हो गए।

गोल्डिंग की प्रयोगशाला के लिए शोध करने वाले शोधकर्ता स्टीव बॉरेन ने कहा, 'हमें लगता है कि ये न्यूरॉन सभी सूचनाओं को एकत्र कर पैर को चलने के लिए निर्देश देते हैं।'

यह शोध तंत्रिकीय विषय और चाल के नियंत्रण की निहित प्रक्रियाओं व आस-पास के परिवेश का पता लगाने के लिए शरीर के संवेदकों पर विस्तृत विचार पेश करती है। यह शोध 'सेल' पत्रिका में प्रकाशित किया गया है।

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क्या थम सकती है हमारी उम्र?

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लंदन
हमेशा जवान बने रहने की ख्वाहिश आखिर किसे नहीं होती! लेकिन चेहरे की झुर्रियां और ढीली होती हमारी मांसपेशियां इस ख्वाहिश पर जबर्दस्त आघात सी लगती हैं। लेकिन हो सकता है, कि आने वाले कुछ समय में ये तमन्ना हकीकत में तब्दील हो जाए।

उम्र को रोक कर रखने वाली एक नई दवा पांच साल के भीतर आ सकती है । ये कहना है उन वैज्ञानिकों का जिन्होंने एक ऐसे एन्जाइम का पता लगाया है, जो हमारी उम्र संबंधी परेशानियों को बढ़ाने और मसल्स को कमजोर करने के लिए जिम्मेदार होता है।

बर्मिंघम यूनिवर्सिटी के इन शोधकर्ताओं के अनुसार यदि इस एन्जाइम के प्रभाव को एक समय के बाद रोक दिया जाए, तो उम्र पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ना बंद हो जाएगा। इस एन्जाइम का नाम '11 बीटा-एचएसडी 1' है। यह शरीर की मसल्स को समय के साथ-साथ ढीला और कमजोर करने का काम करता है। हाल ही में किए गए शोध में इसी एन्जाइम की भूमिका को पूरी तरह से समझा गया है।

शोध में पाया गया कि '11 बीटा-एचएसडी 1' एन्जाइम का उत्सर्जन 20 से 40 साल की महिलाओं की तुलना में 60 साल से ऊपर की महिलाओं में 2.72 गुना ज्यादा हो जाता है। जैसे-जैसे एन्जाइम शरीर में बढ़ता है, वैसे-वैसे शरीर ढीला पड़ने लगता है, प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और बॉडी कमजोर होती जाती है। हालांकि शोध में पुरुषों के भीतर इस एन्जाइम में कोई बदलाव नहीं देखा गया। इसके कारणों का फिलहाल पता नहीं चल सका है।

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