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बुधवार, 14 नवंबर 2018

Suchira singh ki kalam se

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आदरणीय मेयर उमेश गौतम जी (बरेली), ( भूड़ मोहल्ले में भी कोई बंदर किसी मां का आंचल सूना ना कर दे)

.................आज दैनिक जागरण बरेली के अखबार में एक खबर पढ़कर दिल दहल गया। खबर थी कि एक बंदर मां की गोद से नवजात बच्चा छीनकर ले गया, इससे पहले मां कुछ करती बंदर ने बच्चे को जमीन पर पटक दिया और बच्चे का चेहरा नोच दिया।बच्चे की मौत हो गई। कुछ ऐसा ही आतंक हमारे भूड़ मोहल्ले में बंदरों ने मचा रखा है। यहां छतों पर बंदर हर समय डटे रहते हैं।सड़क पर फैले कूडे के ढेर पर ना जाने कितने बंदर खाने का सामान टटोलते रहते हैं। सड़क से गुजरने वाले राहगीर और बच्चों को बंदर काट खाने को दोड़ते हैं।

स्कूली बच्चे हैं दहशत में
........पास ही छोटे बच्चों का स्कूल है, जिनको बंदर कई बार काट चुके हैं। साथ ही कन्या डिग्री कालेज हैं जहां छात्राएं बंदरों से बचती-बचाती कालेज तक पहुंचती है। मोहल्ले की घर की खिड़की व दरवाजों के सामने बंदर खाने की चीजों को छीनने के लिए बैठे रहते है। जिसके चलते वह घरों में हर समय दरवाजा बंद कर रहने को मजबूर हैं।

माएं अपने नवजातों को आंचल में छुपा लेती हैं
.........मोहल्ले में कुछ नवजात बच्चे हैं जिनकी माएं हमेशा डर के साए में रहती हैं। ना जाने कब बंदर उनके बच्चे को नुकसान पहुंचा दें। काट लें, या उठाकर ले जाएं।

दीवाली पर न हो सकी सजावट
........बंदरों के आतंक के चलते इस बार मोहल्ले के घर दीवाली की सजावट से महरूम रह गए। लोगों ने घरों को अंदर से सजाया, बाहर से नहीं। क्योंकि बंदर सारी सजावट उधेड़ देते हैं।इस बार मोहल्ले वालों की दीवाली फीकी रही। लोगों ने खुद को सुरक्षित करने के लिए जाल लगवा रखे हैं।इंसान पिंजरे में और बंदर खुलेआम घूम रहे हैं।

पूर्व मेयर से काफी बार शिकायत की जा चुकी है।
........पूर्व मेयर डा. आई एस तोमर व सुप्रिया ऐरन से भी इस बावत कई बार शिकायत की जा चुकी है। मगर कोई एक्शन-रिएक्शन या कारवाई नहीं हुई। इस बार मोहल्ले वालों ने आपको मेयर के रूप में चुना है, वो आपसे उम्मीद कर रहे हैं कि शायद आप उनके इस डर को काबू में कर सकें। जिस समस्या का हल पूर्व मेयर ना निकाल सके, आप निकाल लें।

कहीं उपर्युक्त घटना की तरह कोई बंदर किसी मां के आंचल से उसका दुलारा ना छीन जाए और आंचल सूना ना कर दे। (फोटो अगली पोस्ट में)

धन्यवाद
सुचित्रा सिंह
(पत्रकार व एक्ट्रेस)

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24 घंटे' असर करेगी गोली

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  समाचार
'चौबीस घंटे' असर करेगी गोली
यह नई दवाई चौबीस घंटे तक अपना असर बरक़रार रखेगी
यह नई दवाई चौबीस घंटे तक अपना असर बरक़रार रखेगी

नपुंसकता के शिकार पुरुष अब एक नई दवाई की बदौलत रात दिन जब चाहें यौन संबंध क़ायम करने में सक्षम रहेंगे.

सियालिस नाम की इस दवाई को बनाने वालों का दावा है कि इसका असर चौबीस घंटे तक रहेगा.

अब तक काम आने वाली गोली वायग्रा यौन क्रिया शुरू करने से एक घंटे पहले लेनी होती थी और वह सिर्फ़ चार घंटे ही प्रभावी रहती थी.


अब तक इस बाज़ार पर वायग्रा का ही एकाधिकार था
लेकिन वायग्रा की तरह ही यह दवाई भी नुस्ख़े से ही मिलेगी, जो चाहे उसे नहीं.

इस दवाई की निर्माता कंपनी लिली यूके का कहना है कि इससे दम्पत्ति अधिक सहज और स्वाभाविक रूप से यौन क्रिया का आनंद ले सकते हैं.

जब चाहे...

उनके लिए कोई समय के बंधन नहीं होंगे.

एक ख़ास बात और. इस दवा का असर तो पूरे दिन रहेगा लेकिन यौन क्रिया की ज़रूरत उत्तेजित होने पर ही महसूस होगी.

पुरुष आमतौर पर तभी उत्तेजित होते हैं जब शारीरिक संपर्क या इस तरह के विचार उनके दिमाग़ में आते हैं.

उस समय एक रासायनिक तत्व पैदा होता है जो उनकी यौनेंद्रिय की रक्त वाहिकाओं को फैला देता है.

एक ख़ास एंज़ाइम

यह रासायनिक तत्व एक विशिष्ट एंज़ाइम से नियंत्रित होते हैं और इस एंज़ाइम की कमी से ही यह नपुंसकता पैदा होती है.


लंबे समय तक असर करने वाली इस गोली की वजह से लोग उन्मुक्त भाव से यौन क्रिया का आनंद ले पाएँगे.
डॉक्टर पैट ग्रिफ़िथ
सियालिस गोली इसी एंज़ाइम को जीवित रखती है और उसकी वजह से रक्त का प्रवाह रुकने नहीं पाता.

डरहम के एक चिकित्सक डॉक्टर पैट ग्रिफ़िथ कहते हैं कि इस गोली की वजह से लोग उन्मुक्त भाव से यौन क्रिया का आनंद ले पाएँगे.

उनका कहना है, "लंबे समय तक असर करने वाली इस गोली का यह फ़ायदा है कि लोग यह भूल जाएँगे कि उन्होंने दवा ली हुई है. इससे यौन संबंधों की स्वाभाविकता बनी रहेगी".

एक मनोचिकित्सक डॉक्टर सिंथिया मैकवी कहती हैं, "किसी हड़बड़ी की ज़रूरत नहीं होगी. लोग आराम से रोमांस कर सकते हैं. पार्क में टहल सकते हैं या साथ बैठ कर भोजन का आनंद ले सकते हैं".

जिन मरीज़ों पर इसका परीक्षण हुआ है उनमें से एक ऐलेन का कहना है, "मेरी उम्र साठ साल से ज़्यादा है लेकिन मुझे लगता है कि मुझे अपनी पत्नी के साथ यौन संबंध क़ायम रखने चाहिए".

"इस दवाई से मनोवैज्ञानिक रूप से मैं बेहतर महसूस कर रहा हूँ".

ब्रिटेन में ही देखा जाए तो लगभग तेइस लाख लोग नपुसंकता से पीड़ित हैं. लेकिन इलाज दस में से एक का ही हो पाता है.
 
 

 असर
बोतल बंद पानी कितना सुरक्षित
?
बिगफ़ुट है या नहीं?


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शनिवार, 3 नवंबर 2018

चीन / दुनिया का पहला फोल्डेबल स्मार्टफोन लॉन्च, 7.8 इंच के टैबलेट को बना सकते हैं 4 इंच का फोन

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worlds first foldable smartphone flexpai launched in china

फोल्डेबल स्मार्टफोन की कीमत 95,400 रुपए से शुरू
अमेरिकी स्टार्टअप कंपनी रोयॉल ने फोल्डेबल स्मार्टफोन लॉन्च किया
सैमसंग और हुवावे जैसी बड़ी कंपनियों से यह उम्मीद थी
Dainik Bhaskar
Nov 02, 2018, 11:16 AM IST
गैजेट डेस्क. अमेरिकी कंपनी रोयॉल ने दुनिया का पहला फोल्डेबल स्मार्टफोन गुरुवार को चीन में हुए एक ईवेंट में लॉन्च कर दिया। इस स्मार्टफोन का नाम 'Flexpai' रखा गया है। तकनीकी तौर पर ये फोन एक टैबलेट की तरह ही है क्योंकि इसमें 7.8 इंच की स्क्रीन दी गई है, लेकिन इसे मोड़कर 4 इंच का फोन बनाया जा सकता है।

सैमसंग, हुवावे जो नहीं कर पाए वह स्टार्टअप ने कर दिखाया
सैमसंग पहली और हुवावे दुनिया की दूसरी बड़ी स्मार्टफोन कंपनी है। यह उम्मीद की जा रही थी कि इन दोनों में से कोई एक दुनिया का पहला फोल्डेबल स्मार्टफोन पेश करेगी। लेकिन, 6 साल पुरानी अमेरिकी स्टार्टअप कंपनी रॉयोल ने ऐसा कर दिखाया।

पहला फोन जिसमें 7nm स्नैपड्रैगन 8150 प्रोसेसर का इस्तेमाल
Flexpai न सिर्फ दुनिया का पहला फोल्डेबल स्मार्टफोन है बल्कि ये दुनिया का ऐसा पहला फोन भी है जिसमें 7nm स्नैपड्रैगन 8150 प्रोसेसर का इस्तेमाल हुआ है।
इसके अलावा इसमें कंपनी की आरओ-चार्जिंग टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है और कंपनी का दावा है कि इसकी मदद से बैटरी को 0-80% तक चार्ज होने में सिर्फ एक घंटे का समय लगेगा।



सिर्फ फ्रंट में ही कैमरा, उसी से ले सकेंगे फोटो : इसके फ्रंट में ड्युअल कैमरा दिया गया है जिसका प्राइमरी सेंसर 16 मेगापिक्सल और सेकेंडरी सेंसर 20 मेगापिक्सल का है। इसके जरिए ही सेल्फी और फोटो ले सकते हैं।

95,400 रुपए से शुरू है इसकी कीमत
Flexpai को तीन वैरिएंट में लॉन्च किया गया है, जिसका 6 जीबी रैम, 128 जीबी स्टोरेज वाला वैरिएंट 8,999 युआन (करीब 95,400 रुपए) से शुरू होता है।
वहीं 8 जीबी रैम, 128 जीबी स्टोरेज वैरिएंट की कीमत 9,998 युआन (करीब 1.06 लाख रुपए) और 8 जीबी रैम, 512 जीबी स्टोरेज वाले वैरिएंट की कीमत 12,999 युआन (करीब 1.38 लाख रुपए) रखी गई है।

स्पेसिफिकेशन
डिस्प्ले 7.8 इंच
प्रोसेसर 7nm स्नैपड्रैगन 8150
रैम 6 जीबी/ 8 जीबी
स्टोरेज 128 जीबी/ 512 जीबी
कैमरा 16+20 मेगापिक्सल
बैटरी 3,800mAh
ओएस एंड्रॉयड 9.0
सिक्योरिटी फिंगरप्रिंट सेंसर
sabhar :bhaskar.com

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रविवार, 4 मार्च 2018

तो क्या रोबोट छीन लेंगे ये नौकरियां?

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Erstes Roboter-Restaurant in Dhaka (Asaduzzaman Pramanik)


रोबोट अब ऑपरेशन थिएटर में भी पहुंच गए हैं. लेकिन इन्हें चलाना तो डॉक्टरों को ही पड़ता है. और अगर रोबोट को संभालने के लिए मुश्किल सॉफ्टवेयर से जूझना पड़े, तो यह मदद की जगह परेशानी का सबब बन सकते हैं.
आने वाले सालों में 40 फीसदी नौकरियां रोबोट के हाथों में होंगी. जानिए वह कौन कौन सी नौकरियां हैं, जो इन मशीनों ने करनी शुरू भी कर दी हैं या फिर जल्द करने वाले हैं और जहां शायद भविष्य में इंसानों की कोई जरूरत ना रह जाए.
जर्मनी की डाक सेवा डॉयचे पोस्ट ने इनका इस्तेमाल शुरू कर दिया है. पीले रंग के रोबोट डाक ले कर लोगों के घर तक जाते हैं. हालांकि क्योंकि अभी इन्हें सीढ़ियां चढ़ना नहीं आता है, इसलिए एक व्यक्ति मदद के लिए इनके साथ रहता है.
तो क्या रोबोट छीन लेंगे ये नौकरियां?
सेल्समैन
आप दुकान में पहुंचें और एक रोबोट आपसे पूछे कि बताइए, मैं आपकी क्या मदद कर सकता हूं. यह किसी फिल्म का सीन नहीं है, बल्कि ऐसा होने लगा है. जर्मनी में पॉल नाम का रोबोट इलेक्ट्रॉनिक्स के स्टोर पर काम करता है.
पिज्जा के लिए मशहूर डॉमिनोज काफी समय से डिलीवरी वाले रोबोट पर काम कर रहा है. बहुत जल्द आपके घर पिज्जा की डिलीवरी रोबोट किया करेगा. और हो सकता है कि यह उड़ता हुआ ड्रोन के रूप में आप तक पहुंचे.
पुलिस
इन्हें पब के बाहर बॉडीगार्ड के रूप में भी खड़ा किया जा सकता है और घरों के बाहर सुरक्षा के लिए भी तैनात किया जा सकता है. दुबई में बुर्ज खलीफा के बाहर खड़ा यह रोबोट पुलिस का काम कर रहा है.
ऑपरेशन थिएटर में रोबोट का इस्तेमाल अब कई सालों से हो रहा है. डॉक्टर किसी वीडियो गेम की तरह रोबोट को चलाता है. उसे स्क्रीन पर सब कई गुना बड़ा नजर आता है.
बारटेंडर
अगर रोबोट खाना खिला सकता है, तो ड्रिंक्स भी तो पिला सकता है. बोतल खोल कर ग्लास में बियर डालने का काम रोबोट बखूबी कर लेते हैं, और तो और इन्हें टिप भी नहीं देना पड़ता.
सफाई
बाजार में इस तरह के कई रोबोट उपलब्ध हैं, जो खुद ही आपके घर की सफाई कर सकते हैं. ये दरअसल वैक्यूम क्लीनर हैं, जिन्हें आपको पकड़ने की कोई जरूरत नहीं है. ये खुद ही घर में घूमते रहते हैं और कूड़ा जमा करते रहते हैं.
खेती
फसल को काटने का काम भी रोबोट करते हैं. इन्हें बता दिया जाता है कि कहां तक खेत हैं, इन्हें किस दायरे में घूमना है और कटाई जमीन से कितने सेंटीमीटर ऊपर से करनी है. सारी मेहनत ये मशीनें खुद ही कर लेती हैं.
ऑनलाइन कंपनी एमेजॉन के गोदाम में पैकेजिंग का काम रोबोट करते हैं. ये रोबोट खुद ही तय कर लेते हैं कि किस पैकेट को कहां रखना है. सब कुछ ऑटोमेटेड है.
आने वाले समय में इस पेशे पर भी खतरा है. कई जगह रिपोर्ट बनाने के लिए रोबोट का इस्तेमाल होने भी लगा है, खास कर खेल जगत में. रोबोट समाचार एजेंसियों द्वारा मिली सामग्री को मिला जुला कर इंसानों की ही तरह रिपोर्ट लिख सकता है.
टीचर
बहुत मुमकिन है कि भविष्य में क्लासरूम में टीचर की जगह रोबोट खड़ा मिले. क्या क्या पढ़ाना है, यह रोबोट में प्रोग्राम किया जा सकता है. ऑनलाइन यूनिवर्सिटी आज हकीकत हैं. लोग स्क्रीन के आगे बैठ कर तो पढ़ाई करते ही हैं, रोबोट के आगे भी किया करेंगे.
पेंटर
रोबोट कलात्मक काम भी करते हैं. इस रोबोट का नाम बसकर है और यह इंसानों की ही तरह पेंटिंग बनाता है. हर कैनवास पर अलग चित्र, अलग अंदाज. क्या पता भविष्य में रोबोट की पेंटिंग्स की प्रदर्शनी भी लगा करे.
रसोइया
फ्रिज में क्या क्या सामान रखा है, इसे देख कर रोबोट खुद ही तय कर सकता है कि खाने में क्या बनेगा. अगर आपकी कोई खास फरमाइश है, तो रोबोट दुकान पर सामग्री का ऑर्डर भी दे सकता है.
नागरिकता भी
सोफिया पहली ऐसी ह्यूमनॉइड रोबोट है जिसे किसी देश की नागरिकता मिल गयी है. 2017 में सऊदी अरब ने इसे अपना पासपोर्ट दिया. यह भारत समेत कई देश घूम चुकी है.

और भी बहुत कुछ
बहुत कुछ मुमकिन है. पब में बारटेंडर से ले कर वकीलों के दफ्तर में रिसर्च करने वाले पैरालीगल तक, सब काम रोबोट संभाल सकते हैं. तो क्या साइंस फिक्शन फिल्मों की तरह भविष्य में इंसान रोबोट से घिरा दिखा करेगा? यह तो वक्त ही बताएगा.

रिपोर्ट: ईशा भाटिया  sabhar dw:de


























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