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कोरोना महामारी का खौफ पूरी दुनिया में है, लेकिन इस खौफनाक वायरस से जंग जीतने वाले भी करोड़ों लोग हैं। इस बीच एक ऐसी बीमारी का पता लगा है, जो कोरोना से जंग जीतने वालों को निशाना बना रही है। इस बीमारी का नाम म्यूकोरमाइकोसिस है, जिससे गुजरात के अहमदाबाद में अब तक नौ लोग जान गंवा चुके हैं। वहीं, दिल्ली में भी म्यूकोरमाइकोसिस के 12 मामले सामने आ चुके हैं।
अहमदाबाद में मिले 44 मामले
जानकारी के मुताबिक, म्यूकोरमाइकोसिस बीमारी उन मरीजों को हो रही है, जो कोरोना से ठीक हो चुके हैं, लेकिन डायबिटीज से पीड़ित हैं। ऐसे मरीजों में हृदय, लिवर और ब्रेन स्ट्रोक जैसे मामलों में भी इजाफा हुआ है। अहमदाबाद के सिविल अस्पताल में अब तक म्यूकोरमाइकोसिस के 44 मरीज सामने आ चुके हैं। इनमें से नौ लोगों की मौत हो चुकी है।
ये हैं म्यूकोरमाइकोसिस के लक्षण
बता दें कि म्यूकोरमाइकोसिस एक तरह का फंगस इंफेक्शन है, जो कोरोना से ठीक होने के बाद मरीजों को ज्यादा चपेट में ले रही है। इस बीमारी में सबसे पहले जुकाम होता है, जो दिमाग पर असर डालने लगता है। इसके बाद मरीज धीरे-धीरे अंधेपन का शिकार हो जाता है। यह बीमारी आंखों और दिमाग पर ज्यादा असर डालती है।
ऐसे फैलता है म्यूकोरमाइकोसिस
अहमदाबाद के सिविल अस्पताल की ईएनटी हेड डॉ. बेला प्रजापति के मुताबिक, म्यूकोरमाइकोसिस के अब तक जितने भी मामले मिले हैं, उनमें मरीजों की उम्र 50 साल से ज्यादा है और वे खासतौर पर डायबिटीज या अन्य बीमारियों से पीड़ित हैं। बता दें कि म्यूकोरमाइकोसिस को लेकर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी ट्वीट किए हैं।
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खुशबू का विज्ञान:नींबू की खुशबू तरोताजा और फिट होने का अहसास कराती है, वनीला की महक मोटापा महसूस कराती है
इंग्लैंड की सुसेक्स यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का दावा
कहा- शरीर के लिए हमारी निगेटिव सोच बदल सकती है खुशबू
नींबू की खुशबू आपको तरोताजा और दुबले-पतले होने का अहसास कराती है वहीं, वनीला की महक अहसास कराती है कि आपका वजन ज्यादा है। यह दावा इंग्लैंड का सुसेक्स यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने अपनी रिसर्च में किया है।
सुसेक्स यूनिवर्सिटी की पीएचडी स्कॉलर गियाडा ब्रिआंजा कहती है, हमारी रिसर्च बताती है कि कैसे खुशबू हमारे शरीर के बारे में हमारी निगेटिव सोच को बदल देती है। हमारा चीजों को महसूस करने का तरीका और इमोशंस बदल जाते हैं।
खुशबू भी थैरेपी की तरह
गियाडा कहती हैं, तकनीक और कपड़ों में खुशबू का इस्तेमाल करके बॉडी परसेप्शन डिसऑर्डर का इलाज किया जा सकता है। कई लोग अपने शरीर के बारे में निगेटिव नजरिया रखते हैं, खुशबू की मदद से यह बदला जा सकता है। खासकर है अधिक वजन वाले लोगों की निगेटिव सोच को बदला जा सकता है।
सुसेक्स यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर मारियाना ऑब्रिस्ट कहती हैं, जब नींबू या दूसरी चीजों की खुशबू नाक से होकर गुजरती है तो हमारी अपने शरीर के प्रति सोच बदल जाती है।
नींबू पानी के फायदे : झुर्रियां घटेंगी, कैंसर का खतरा कम होगा
वेबएमडी के मुताबिक, नींबू पानी पीते हैं तो विटामिन-सी की कमी पूरी होती है। यह स्किन पर झुर्रियों और बढ़ती उम्र के असर को कम करता है।
नींबू में फ्लेवेनॉयड्स, फिनॉलिक एसिड और कई ऐसे ऑयल्स पाए जाते हैं तो शरीर की कोशिकाओं को डैमेज करने वाले फ्री-रेडिकल्स से लड़ते हैं।
नींबू पानी पीते हैं तो रोगों से लड़ने की क्षमता यानी इम्युनिटी बढ़ती है जो कई तरह की मौसमी बीमारियों से दूर रखता है।
इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स बोन, लिवर, ब्रेस्ट, कोलोन और स्टमक कैंसर से बचाते हैं।
इसमें खास तरह का केमिकल पाया जाता है तो मस्तिष्क की कोशिकाओं को जहरीले तत्वों से सुरक्षित रखता है। इसलिए अल्जाइमर्स और पार्किंसंस डिसीज का खतरा कम होता है।
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(गीतेश द्विवेदी) कोविड दौर में आईटी सेक्टर से बड़ी खबर आई है। इंदौर की आईटी कंपनी नार्थआउट को अमेरिका के बड़े ग्रुप एचआईजी की सहयोगी कंपनी ईज कैसल इंटीग्रेशन ने अधिग्रहित किया है। साढ़े तीन लाख करोड़ के टर्नओवर वाले एचआईजी ग्रुुप की तीन साल से नार्थआउट पर नजर थी।
आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस और डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन में नार्थआउट का काम देख एचआईजी ने हाल ही में डील फाइनल कर दी। अब कंपनी अमेरिका और यूरोप के साथ इंदौर कैम्पस का भी विस्तार करेगी। अहम बात ये है कि नार्थआउट सिर्फ 6 साल पहले शुरू हुई थी और इसे इंदौर के मोनेश जैन ने शुरू किया था। इतने कम समय में कंपनी ने अमेरिका और यूरोप में कई बड़ी इंश्योरेंस, फाइनेंस और हेल्थ केयर कंपनियों को सेवाएं दीं।
नार्थआउट अमेरिका की टॉप 5 इंश्योरेंस कंपनियों के साथ काम कर रही है। कंपनी के इंदौर कैम्पस में 160 और बोस्टन में 25 आईटी प्रोफेशनल्स काम करते हैं। जिस एचआईजी ग्रुप का हिस्सा नार्थआउट बनी है, उसके अधीन 100 आईटी, इंश्योरेंस, बैंकिंग सेवाएं देने वाली कंपनियां काम करती हैं।
साइकिल पर रखकर खजूरी बाजार में कॉपियां पहुंचातेे थे अब मल्टीनेशनल कंपनी
एसजीएसआईटीएस से इंजीनियरिंग करने वाले मोनेश ने भाई आशीष के साथ नोटबुक प्रिंट कर बेचने से कारोबार की शुरुआत की थी। मोनेश अखबारी कागज के वेस्ट मटेरियल से नोटबुक बनाकर बेचते। इसमें उन्होंने पिता पारसमल जैन से 15 हजार रु. उधार लिए थे। मोनेश खुद साइकिल से खजूरी बाजार जाते, पीछे कैरियर पर माल लदा होता था। पहले महीने ही उन्होंने 12 हजार रु. कमाए। हालांकि पढ़ाई के चलते काम को बीच में छोड़ दिया। इंजीनियरिंग पूरी करने के बाद वे मास्टर्स डिग्री के लिए टेक्सास गए।
2012-13 में दुनिया की एक बड़ी ग्रोसरी चेन कंपनी के सीईओ बिजनेस चेंज कर सॉफ्टवेयर कंपनी शुरू करने के लिए मददगार कंपनी या स्टार्टअप की तलाश कर रहे थे। उनसे मुलाकात में मोनेश ने सोचा कि ऐसे स्टार्टअप की जरूरत कई कंपनियों को होगी, जो आईटी सेक्टर में शिफ्ट होना चाह रहे हैं। उन्होंने नौकरी छोड़ी और इंदौर में आशीष के साथ स्टार्टअप शुरू कर दिया। मोनेश बताते हैं कि शुरुआत में कई बड़ी सप्लाय चेन, ग्रोसरी कंपनियों के सीईओ से मिले, सब हमारी बातें सुनते थे, पर काम देने में पीछे हट जाते थे।
वे बोलते- तुम लोग अभी छोटे हो, इतना बड़ा काम नहीं कर पाओगे। धीरे-धीरे कुछ लोगों ने काम करवाया, उन्हें देख अमेरिका की कुछ और कंपनियों में भरोसा जागा। इस तरह दो लोगों का स्टार्टअप आईटी सेक्टर की कंपनी बन गई। इसके बाद आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में अमेरिका व यूरोप की कई बड़ी कंपनियों के लिए काम किया।
सुपर कॉरिडोर व सिंहासा में देखी जमीनें, पांच गुना बढ़ेगा कंपनी का कैम्पस
इंदौर के लिहाज से ये करार इसलिए खास है कि ईज कैसल ने विस्तार में यहां के कैम्पस को 5 गुना तक बढ़ाने की बात कही है। मोनेश बताते हैं कि कंपनी के सीईओ जॉन काहले ने आठ महीने में इंदौर के आईटी सेक्टर ग्रोथ की पूरी जानकारी ली है। कंपनी सुपर कॉरिडोर या सिंहासा में नए कैम्पस की प्लानिंग कर रही है। इसमें कम से कम 1 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा। इससे आने वाले दिनों में इंदौर में एक और बड़ी मल्टीशनेशनल कंपनी की इंट्री होगी। sabhar bhaskar.com
किशमिश के फायदे के बारे में आपने पहले भी जरूर पढ़ा होगा लेकिन यहां पर वैज्ञानिक रिसर्च पर आधारित कुछ ऐसे बेहतरीन फैक्ट बताए जा रहे हैं जो शादीशुदा पुरुषों की जिंदगी को खुशनुमा बना सकते हमारे घर में कई ऐसे खाद्य पदार्थ मौजूद होते हैं जिनका हम किसी विशेष पकवान के जरिए ही सेवन करते हैं। इन्हीं में से एक ऐसा ही खाद्य पदार्थ किशमिश है जो ड्राई फ्रूट की श्रेणी में आता है। इसका सेवन आमतौर पर लोग दूध के साथ ज्यादा करते हैं। जबकि शादीशुदा पुरुषों के द्वारा अगर किशमिश का सेवन एक अन्य फूड के साथ किया जाए तो यह बेहतरीन और जबर्दस्त फायदे पहुंचा सकता है। देखा जाए तो ज्यादातर घरों में यह चीज हमेशा मौजूद रहती है और लोग उसे अलग-अलग तरह से खाने में इस्तेमाल करते हैं।आइए अब सबसे पहले यह जानते हैं कि किशमिश का किस चीज के साथ सेवन करना है जिससे शादीशुदा पुरुषों को बेहतरीन फायदे मिल सकते हैं।: शादीशुदा पुरुष किशमिश के साथ करें इस 1 चीज का सेवन, होते हैं ये जबर्दस्त 6 फायदे" किशमिश के साथ शहद का सेवन किया जाए तो शादीशुदा पुरुषों को बेहतरीन फायदा मिल सकता है। इसके वैज्ञानिक कारण को अगर समझने की कोशिश की जाए तो यह और भी आसान हो जाएगा। दरअसल, किशमिश और शहद दोनों ही टेस्टोस्टोरोन बूस्टिंग फूड्स की श्रेणी में गिने जाते हैं। यह एक ऐसा हार्मोन है जो पुरुषों की सेक्सुअल समस्याओं को दूर करने और उनकी विभिन्न शारीरिक समस्याओं को दूर करने के लिए प्रभावी रूप से कार्य करता है। इसी गुण के कारण यह शादीशुदा पुरुषों के लिए और भी बेहतरीन साबित हो जाता है ऑफिस का वर्क लोड और कई सारी जिम्मेदारियां कुछ पुरुषों पर भारी पड़ जाती है। इसका असर न केवल शारीरिक स्वास्थ्य पर बढ़ता है बल्कि पौरुष शक्ति कमजोर हो जाने के कारण रोमांटिक लाइफ में भी खलल बढ़ जाता है। इस समस्या को दूर करने के लिए शहद और किशमिश के साथ आप चाहे तो दूध का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। एक हफ्ते तक लगातार इसका सेवन करने के बाद आपको खुद ही इससे होने वाले फायदे को महसूस करने लगेंगे। स्पर्म काउंट को बढ़ाने में जिन पुरुषों को लो स्पर्म काउंट की शिकायत है उन्हें सबसे पहले अल्कोहल और स्मोकिंग को पूरी तरह से छोड़ देना चाहिए। इसके बाद उन्हें अपने खाने पीने पर विशेष ध्यान देने की भी जरूरत होती है। वहीं, शहद और किशमिश का एक साथ किया गया सेवन प्रभावी रूप से स्पर्म काउंट को बढ़ाने में सक्रियरूप से अपना असर दिखाता है। आपको यह जानकर हैरानी होगी लेकिन यह सच है कि इसकी कई प्रकार की क्वालिटी भी होती है। पतला स्पर्म मोटेलिटी की क्रिया में काफी धीमा होता है और इससे प्रजनन क्षमता पर भी विपरीत असर पड़ सकता है। जबकि शहद और किशमिश में ऐसे विशेष औषधीय गुण पाए जाते हैं जो स्पर्म की क्वालिटी को बेहतरीन बनाने में प्रभावी रूप से मददगार हो सकते हैं।पुरुषों को प्रोस्टेट कैंसर का खतरा सबसे ज्यादा होता है और इसकी चपेट में कई सारे लोग आ भी जाते हैं। जबकि वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार शहद और किशमिश दोनों में एंटी कैंसर गुण पाया जाता है। एंटी कैंसर गुण शरीर के किसी भी अंग में कैंसर सेल्स को विकसित होने से रोकती हैं और आपको कैंसर की चपेट में आने से बचाए भी रख सकती हैं। इस कैंसर से बचने के लिए भी आपको किशमिश और शहद के फायदे काफी लाभ पहुंचा सकते हैं।शरीर के विभिन्न अंगों का विकास होना बहुत जरूरी है। मांसपेशियों और कोशिकाओं के निर्माण के लिए हमें बेहद जरूरी और पावरफुल पौष्टिक तत्वों की जरूरत होती है। सेहतमंद बने रहने के लिए शहद और किशमिश का सेवन काफी लंबे समय से किया जा रहा है। जबकि इनमें मौजूद टेस्टोस्टेरोन हार्मोन बूस्टिंग का गुण शारीरिक विकास को बढ़ावा देने में भी विशेष रूप से सहयोग प्रदान कर सकता है ब्लड प्रेशर की समस्या महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों को ज्यादा परेशान करती है और यह उनकी दिनचर्या में शामिल खराब आदत व खानपान पर ठीक तरह से ध्यान न देने के कारण भी होता है। इससे बचे रहने के लिए शहद और किशमिश में मैग्नीशियम की मात्रा पाई जाती है जो ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में बेहतरीन पोषक तत्व की भूमिका निभाती है। आप इसे नियमित रूप से भी अपनी डायट में शामिल कर सकते हैं।
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2016 में लुकबान के एक फेस्टिवल में शामिल होने पहुंचे फोटोग्राफर टोफर क्वींटो रीता की खूबसूरती से प्रभावित हुए
टोफर ने तस्वीर खींचकर सोशल मीडिया पर डाली, तस्वीर वायरल हुई जिसने रीता की जिंदगी बदल दी
दैनिक भास्करApr 09, 2020, 10:16 AM IST
मनीला. इंसान की तकदीर बदलने के लिए एक तस्वीर ही काफी है। 13 की रीता गैवियोला इसकी उदाहरण हैं। 4 साल पहले रीता फिलीपींस की सड़कों पर भीख मांगती नजर आती थीं लेकिन आज फैशन मॉडल और ऑनलाइन सेलेब्रिटी हैं। इंस्टाग्राम पर एक लाख से अधिक फॉलोवर हैं। कहानी 2016 में शुरू हुई जब फिलीपींस के लुकबान शहर में फोटोग्राफर टोफर क्वींटो पहुंचे। टोफर रीता की नेचुरल ब्यूटी से प्रभावित हुए और तस्वीर ली। उन्होंने तस्वीर को सोशल मीडिया पर पोस्ट किया, यह वायरल हो गई और रीता की जिंदगी बदल गई। रीता के 5 भाई-बहन हैं। मां घरों में काम करती हैं और पिता कबाड़ इकट्ठा करते हैं।
मॉडलिंग के साथ एक्टिंग में भी बनाया करियर
4 साल पहले जब फोटोग्राफर टोफर क्वींटो ने रीता तस्वीर को सोशल मीडिया पर पोस्ट किया तो उसे कई ब्यूटी क्वींन ने पसंद किया और आर्थिक रूप से मदद भी की। तस्वीर वायरल हुई तो कई फैशन ब्रांड ने रीता को मॉडलिंग असानमेंट ऑफर किए। कुछ समय बाद रीता टीवी शोज में भी नजर आईं। रीता बेडजाओ नाम की अल्पसंख्यक समुदाय हैं इसलिए सोशल मीडिया यूजर ने उनका नाम बेडजाओ गर्ल रखा। रियल्टी शो बिग ब्रदर में काम किया
मिस वर्ल्ड फिलीपींस 2015, मिस इंटरनेशनल फिलीपींस 2014 और मिस अर्थ 2015 ने सोशल मीडिया पर रीता के फिगर और नेचुरल ब्यूटी की तारीफ की। रीता जब चर्चा में आईं तो उन्हें रियल्टी शो बिग ब्रदर ऑफर किया गया। इस शो ने उन्हें नई ऊंचाइयां दीं और परिवार को आर्थिकतौर पर मजबूत बनाया।
अमेरिकी फैन ने गिफ्ट किया नया घर
2018 में रीता ने यूट्यूब पर एक वीडियो अपलोड किया था। जिसमें उन्होंने अपने नए घर की जानकारी दी थी। इस घर को बनवाने में उनके अमेरिकी फैन ग्रेस ने आर्थिक मदद की थी। रीता इन दिनों सोशल मीडिया पर अपनी तस्वीरों से चर्चा में बनी रहती हैं। फिलहाल उनकी प्राथमिकता पढ़ाई पूरी करना है। sahar : bhaskar.com
नई दिल्ली.. कोरोना से लड़ने के लिए चीन समेत दुनियाभर के कई देश रोबोट्स की मदद ले रहे हैं। यह न सिर्फ हॉस्पिटल्स को सैनेटाइज का काम कर रहे हैं बल्कि पीड़ितों तक खाना और दवा भी पहुंचा रहे हैं। भारत में कोरोना के अबतक 4 हजार से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं और 130 लोगों की मौत हो चुकी है। ऐसे में भारत भी कोरोना को हराने में इन रोबोट्स की मदद लेने की तैयारी कर रहा है, ताकि जल्द से जल्द इस महामारी पर काबू पाया जा सके।
दुनियाभर के हेल्थ वर्कर, शोधकर्ता और सरकारें इस महामारी पर काबू पाने की कोशिश में लगी हैं। कोरोना अबतक 200 से ज्यादा देशों को अपनी चपेट में ले चुका है। अबतक 12 लाख से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं और 69 हजार से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन संक्रमण से बचने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग रखने की सलाह दे चुका है। इंसानों के लिए घरों तक जरूरी सामान पहुंचाना और हाई रिस्क एरिया में पीड़ितों का इलाज करना एक बड़ी चुनौती बन गई है, ऐसे में यह रोबोट्स संक्रमितों का बेहतर तरीके से ट्रीटमेंट करने में काफी मददगार साबित हो रहे हैं।
महामारी को रोकने के लिए चीन के वुहान शहर में होंगशैन स्पोर्ट्स सेंटर में 14 फील्ड हॉस्पिटल स्टॉफ के साथ 14 रोबोट तैनात किए गए। इन रोबोट्स को बीजिंग की रोबोटिक्स कंपनी क्लाउडमाइंड ने बनाया है। यह न सिर्फ साफ-सफाई करते हैं बल्कि पीड़ितों तक दवाईयां पहुंचाते हैं और उनके शरीर का तापमान भी चेक करते हैं।
क्लाउमाइंड कंपनी का रोबोट जो कोरोना से लड़ने में चीन की मदद कर रहा है
देश के कई हिस्सो में चल रही टेस्टिंग, स्टार्टअप कंपनियां बना रही रोबोट
भारत में भी कोरोना से लड़ने के लिए रोबोट्स की मदद लेने की तैयारी चल रही है। जयपुर के सरकारी हॉस्पिटल सवाई मान सिंह में भी ह्यूमनोइड रोबोट को लेकर ट्रायल चल रहा है, जिसमें यह देखा जा रहा है कि यहां एडमिट कोरोना संक्रमितों तक दवाई और खाना पहुंचाने के लिए इन रोबोट्स का इस्तेमाल किया जा सकता है या नहीं। आधिकारियों का कहना है कि इससे हॉस्पिटल स्टाफ को संक्रमित होने से बचाया जा सकेगा।
इसके अलावा केरल की स्टार्टअप कंपनी एसिमोव रोबोटिक्स ने तीन पहियों वाला रोबोट तैयार किया है। कंपनी का कहना है कि यह रोबोट आइसोलेशन वार्ड में संक्रमितों के सहायक की तरह काम करेंगे। यह पीड़ितों तक खाना और दवाईयां पहुंचाएंगे जो अबतक नर्स और डॉक्टर कर रहे हैं थे, जिससे उनके संक्रमित होने का खतरा बढ़ जाता है।
हालांकि, इंसानों की जगह रोबोट्स की मदद लेना लोगों को नौकरी के प्रति असुरक्षित महसूस करवा सकता है लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि रोबोट के इस्तेमाल से न सिर्फ मेडिकल स्टॉफ को थोड़ा आराम मिलेगा बल्कि उनके संक्रमित होने के खतरे को भी कम किया जा सकेगा।
साइंस रोबोटिक्स जर्नल में पब्लिश हु्ए एक लेख के मुताबिक, रोबोट्स न सिर्फ जगहों को संक्रमण रहित करने का काम कर रहे हैं, बल्कि पब्लिक एरिया में जाकर लोगों का टेम्परेचर चेक करने का भी काम कर रहे हैं। इसके अलावा क्वारैंटाइन व्यक्ति को अकेलापन महसूस ने हो इसके लिए उन्हें सोशल सपोर्ट भी दे रहे हैं। शोधकर्ताओं के मुताबिक, यह टेस्टिंग के लिए लोगों के नाक और गले का सैंपल भी कलेक्ट काम भी कर रहे हैं।
फ्रांस और चीन में शुरूआती अध्ययनों में कोविड-19 के खिलाफ इन दवाओं से काफी उम्मीद बंधी है, जिसकी वजह से अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने इसी हफ्ते इन्हें भगवान की तरफ से एक तोहफा बताया.
क्या एक दशक पुरानी सस्ती दवाओं की जोड़ी नई कोरोना वायरस महामारी का इलाज हो सकती है? दुनिया भर के देशों के शोधकर्ता हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन (ऐछसीक्यू) और क्लोरोक्विन (सीक्यू) तक पहुंच बढ़ा रहे हैं. ये दोनों सम्बंधित कंपाउंड हैं और क्विनीन के सिंथेटिक रूप हैं. क्विनीन सिनकोना पेड़ों से आने वाला एक पदार्थ है जिसका सैकड़ों सालों से मलेरिया के इलाज के लिए इस्तेमाल होता आया है.
ऐछसीक्यू दोनों में से कम जहरीला है और इसका इस्तेमाल एंटी-इंफ्लेमेटरी दवा के रूप में गठिया और ल्यूपस के इलाज के लिए भी किया जाता है.
फ्रांस और चीन में शुरूआती अध्ययनों में कोविड-19 के खिलाफ इन दवाओं से काफी उम्मीद बंधी है, जिसकी वजह से अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने इसी हफ्ते इन्हें भगवान की तरफ से एक तोहफा बताया. हालांकि विशेषज्ञ तब तक सावधानी बरतने को कह रहे हैं जब तक ट्रायल में इनकी प्रभावकारिता की पुष्टि नहीं हो जाती.
चीन ने सीक्यू का इस्तेमाल फरवरी में एक ट्रायल के दौरान 134 मरीजों पर किया था और अधिकारियों का कहना है कि वो बीमारी की तीव्रता कम करने में प्रभावकारी सिद्ध हुई थी. लेकिन इन नतीजों को अभी छापा नहीं गया है. चीन में सांस के विशेषज्ञ जौंग नानशान ने पिछले सप्ताह एक प्रेस वार्ता में कहा था कि इस ट्रायल के डाटा को व्यापक रूप से सार्वजनिक किया जाएगा. नानशान महामारी की रोकथाम के तरीकों पर काम करने के लिए गठित एक सरकारी टास्क फोर्स का नेतृत्व कर रहे हैं.
फ्रांस में शोधकर्ताओं की एक टीम ने पिछले सप्ताह बताया कि उन्होंने कोविड-19 के 36 मरीजों का अध्ययन किया और पाया कि एक समूह को देने के बाद उस समूह में वायरल लोड भारी मात्रा में गिर गया. इस टीम का नेतृत्व मार्सेल स्थित आईऐछयू-मेडितेरानी इन्फेक्शन के दिदिएर राऊल कर रहे हैं. टीम ने पाया कि परिणाम विशेष रूप से साफ तब थे जब इसका इस्तेमाल एजिथ्रोमाइसिन के साथ किया गया. एजिथ्रोमाइसिन एक आम एंटीबायोटिक है जिसका इस्तेमाल दूसरे दर्जे के बैक्टीरियल संक्रमण का अंत करने के लिए किया जाता है.
यह भी साबित हो चुका है कि ऐछसीक्यू और सीक्यू एसएआरएस-सीओवी-2 वायरस के खिलाफ लैब में कारगर साबित हुए थे और पिछले सप्ताह सेल डिस्कवरी में छपे एक लेख में चीन की एक टीम ने एक संभावित कार्य विधि भी बताई.
रिवरसाइड में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में सेल बायोलॉजी के प्रोफेसर करीन ल रोक ने समझाया कि ऐछसीक्यू और सीक्यू दोनों मिलकर वायर की सेल में घुसने की क्षमता पर असर डालने की कोशिश करते हैं और उन्हें बढ़ने से भी रोकते हैं. लेकिन उन्होंने यह भी कहा, "मैं अभी भी बड़े क्लीनिकल ट्रायल के परिणामों के छपने का इन्तजार कर रही हूं जिनमें ऐछसीक्यू की प्रभावकारिता साबित की गई हो."
अमेरिका के राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान के संक्रामक बीमारियों के विभाग के मुखिया एंथोनी फॉसी का कहना है, "उम्मीद का मतलब सबूत नहीं होता है और जो छोटे अध्ययन अभी तक किये गए हैं उनसे सिर्फ "ऐनिकडोटल" सबूत निकला है."
इसके अलावा चीन में 30 मरीजों पर हुए एक छोटे अध्ययन ने दिखाया कि ऐछसीक्यू सामान्य देख-रेख से कुछ भी बेहतर नहीं था.वैज्ञानिकों का कहना है कि पक्के तौर पर जानने का एकमात्र तरीका है रैंडमाइज्ड क्लीनिकल ट्रायल करना.
नई दिल्ली. एनआरसी और एनपीआर को लेकर देशभर में जारी विरोध के बीच सरकार एक और रजिस्टर बनाने जा रही है। यह नेशनल बिजनेस रजिस्टर होगा। इसमें हर जिले के सभी छोटे-बड़े बिजनेस की जानकारी होगी। वर्तमान में जारी सातवीं आर्थिक जनगणना के आधार पर इस रजिस्टर के लिए जानकारी जुटाई जाएगी। इस रजिस्टर में माल, सेवा के उत्पादन/वितरण में लगी सभी बिजनेस इकाइयों और संस्थानों की जिलेवार जानकारी होगी। इसको जीएसटी नेटवर्क, कर्मचारी राज्य बीमा निगम, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन और कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय से मिलने वाले आंकड़ों से नियमित आधार पर अपडेट किया जाएगा। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इस रजिस्टर में जुटाए गए डिजिटल डेटा से नेशनल अकाउंट्स की गुणवत्ता में सुधार आएगा।