कोरोना में सफलता की कहानी:15 हजार से शुरू किया था कारोबार, IT कंपनी खड़ी की, अब अमेरिका के 3.5 लाख करोड़ टर्नओवर वाले ग्रुप में शामिल

(गीतेश द्विवेदी) कोविड दौर में आईटी सेक्टर से बड़ी खबर आई है। इंदौर की आईटी कंपनी नार्थआउट को अमेरिका के बड़े ग्रुप एचआईजी की सहयोगी कंपनी ईज कैसल इंटीग्रेशन ने अधिग्रहित किया है। साढ़े तीन लाख करोड़ के टर्नओवर वाले एचआईजी ग्रुुप की तीन साल से नार्थआउट पर नजर थी। आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस और डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन में नार्थआउट का काम देख एचआईजी ने हाल ही में डील फाइनल कर दी। अब कंपनी अमेरिका और यूरोप के साथ इंदौर कैम्पस का भी विस्तार करेगी। अहम बात ये है कि नार्थआउट सिर्फ 6 साल पहले शुरू हुई थी और इसे इंदौर के मोनेश जैन ने शुरू किया था। इतने कम समय में कंपनी ने अमेरिका और यूरोप में कई बड़ी इंश्योरेंस, फाइनेंस और हेल्थ केयर कंपनियों को सेवाएं दीं। नार्थआउट अमेरिका की टॉप 5 इंश्योरेंस कंपनियों के साथ काम कर रही है। कंपनी के इंदौर कैम्पस में 160 और बोस्टन में 25 आईटी प्रोफेशनल्स काम करते हैं। जिस एचआईजी ग्रुप का हिस्सा नार्थआउट बनी है, उसके अधीन 100 आईटी, इंश्योरेंस, बैंकिंग सेवाएं देने वाली कंपनियां काम करती हैं। साइकिल पर रखकर खजूरी बाजार में कॉपियां पहुंचातेे थे अब मल्टीनेशनल कंपनी एसजीएसआईटीएस से इंजीनियरिंग करने वाले मोनेश ने भाई आशीष के साथ नोटबुक प्रिंट कर बेचने से कारोबार की शुरुआत की थी। मोनेश अखबारी कागज के वेस्ट मटेरियल से नोटबुक बनाकर बेचते। इसमें उन्होंने पिता पारसमल जैन से 15 हजार रु. उधार लिए थे। मोनेश खुद साइकिल से खजूरी बाजार जाते, पीछे कैरियर पर माल लदा होता था। पहले महीने ही उन्होंने 12 हजार रु. कमाए। हालांकि पढ़ाई के चलते काम को बीच में छोड़ दिया। इंजीनियरिंग पूरी करने के बाद वे मास्टर्स डिग्री के लिए टेक्सास गए। 2012-13 में दुनिया की एक बड़ी ग्रोसरी चेन कंपनी के सीईओ बिजनेस चेंज कर सॉफ्टवेयर कंपनी शुरू करने के लिए मददगार कंपनी या स्टार्टअप की तलाश कर रहे थे। उनसे मुलाकात में मोनेश ने सोचा कि ऐसे स्टार्टअप की जरूरत कई कंपनियों को होगी, जो आईटी सेक्टर में शिफ्ट होना चाह रहे हैं। उन्होंने नौकरी छोड़ी और इंदौर में आशीष के साथ स्टार्टअप शुरू कर दिया। मोनेश बताते हैं कि शुरुआत में कई बड़ी सप्लाय चेन, ग्रोसरी कंपनियों के सीईओ से मिले, सब हमारी बातें सुनते थे, पर काम देने में पीछे हट जाते थे। वे बोलते- तुम लोग अभी छोटे हो, इतना बड़ा काम नहीं कर पाओगे। धीरे-धीरे कुछ लोगों ने काम करवाया, उन्हें देख अमेरिका की कुछ और कंपनियों में भरोसा जागा। इस तरह दो लोगों का स्टार्टअप आईटी सेक्टर की कंपनी बन गई। इसके बाद आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में अमेरिका व यूरोप की कई बड़ी कंपनियों के लिए काम किया। सुपर कॉरिडोर व सिंहासा में देखी जमीनें, पांच गुना बढ़ेगा कंपनी का कैम्पस इंदौर के लिहाज से ये करार इसलिए खास है कि ईज कैसल ने विस्तार में यहां के कैम्पस को 5 गुना तक बढ़ाने की बात कही है। मोनेश बताते हैं कि कंपनी के सीईओ जॉन काहले ने आठ महीने में इंदौर के आईटी सेक्टर ग्रोथ की पूरी जानकारी ली है। कंपनी सुपर कॉरिडोर या सिंहासा में नए कैम्पस की प्लानिंग कर रही है। इसमें कम से कम 1 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा। इससे आने वाले दिनों में इंदौर में एक और बड़ी मल्टीशनेशनल कंपनी की इंट्री होगी। sabhar bhaskar.com

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