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शनिवार, 12 जनवरी 2013

जर्मन एक्टर पर बेटी ने लगाया रेप का आरोप

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दुनिया क्लाउस किंस्की को फिट्जकराल्डो जैसी महान फिल्मों के शानदार हीरो के रूप में याद करती है लेकिन उनकी बेटी ने पिता पर बचपन में 14 साल तक बलात्कार करने का आरोप लगाया है. आरोप का जिक्र बेटी पोला किंस्की की किताब में है.
क्लाउस किंस्की की 1991 में मौत हो गई और तब उनकी उम्र 65 साल थी. उनकी बेटी पोला किंस्की अब 60 साल की हो गई हैं और पिता की मौत के 20 साल बाद उन्होंने इस बारे में अपनी जुबान खोली है. पोला ने बताया, "मैं सालों तक चुप रही क्योंकि वे मुझे इस बारे में बात करने से मना करते थे." पोला के मुताबिक क्लाउस किंस्की ने छह सात साल की उम्र से ही उनके साथ यौन हरकतें शुरू कर दी थी और 9 साल की उम्र में पहली बार सेक्स किया.
पोला किंस्की
14 साल तक एक मशहूर पिता अपनी बेटी के साथ यौन दुराचार करता रहा. बचपन में ही जवान बनने को मजबूर कर दी गई पोला किंस्की इन अत्याचारों की वजह से अपनी जवानी के दिनों में हमेशा गलती और शर्म के अहसास के नीचे दबी रहीं और कभी भी सामान्य जिंदगी नहीं जी सकीं.
क्लाउस अपनी बेटी के साथ सेक्स करते और इसे सामान्य बात बताते. पोला के मुताबिक, "भयानक यह था कि एक बार उन्होंने मुझसे कहा कि यह पूरी तरह से प्राकृतिक है और दुनिया भर के पिता अपनी बेटियों के साथ ऐसा करते हैं." इसी महीने छपने वाली पोला किंस्की की आत्मकथा, "किंडरमुंड" का मतलब है, बच्चों के मुख से. पोला ने बताया है कि क्लाउस पहले उनके साथ बलात्कार करते और फिर उन्हें महंगे तोहफे लाकर देते. स्टर्न नाम की एक पत्रिका से बातचीत में पोला ने कहा, "वह रेशमी गद्दे पर रखे छोटे से सेक्स खिलौने के रूप में मुझे भुगतान कर रहे थे."
फिट्जकराल्डो का एक दृश्य
पोलैंड में जन्मे क्लाउस किंस्की ने जर्मन सेना की तरफ से दूसरे विश्व युद्ध में भी हिस्सा लिया था और उनके मानसिक रूप से बीमार होने की बात रिकॉर्ड में दर्ज है. क्लाउस किंस्की ने कई बार खुदकुशी करने की भी कोशिश की थी. कहीं भी अचानक आक्रामक हो जाना किंस्की की आदत थी. फिल्मी पर्दे पर उन्होंने पागल, उन्मादी और आक्रामक रूपों को जिंदा किया था. ब्लैक एंड व्हाइट नोसेफेरातु में ड्रैकूला बन चुके क्लाउस किंस्की के खाते में रैथ ऑफ गॉड से लेकर कई और भी इस तरह की डरावनी भूमिकाएं हैं और कहा जाता है कि वह निजी जिंदगी में भी ऐसे ही थे.
पोला का का कहना है कि उन्होंने किताब इसलिए लिखी ताकि इस तरह की तकलीफ से गुजर रहे लोगों की मदद कर सकें. साथ ही यह भी सच है कि वो अपने पिता के बारे में अच्छा सुनते सुनते पक चुकी हैं. वो कहती हैं, "मैं अब और नहीं सुनना चाहतीः तुम्हारे पिता कूल, जीनियस थे, मैंने हमेशा उन्हें प्यार किया. मैं हमेशा जवाब देती हां... हां. उनकी मौत के बाद तो हालत और खराब हो गए."
क्लाउस और नस्तास्या किंस्की
पोला को इस बारे में कुछ नहीं पता कि क्या उनके भाई बहनों के साथ ही क्लाउस ने ऐसा ही किया. क्लाउस किंस्की की दूसरी और तीसरी बीवी से एक बेटी और बेटा और हैं. फिल्म स्टार नाताश्या किंस्की और बेटा निकोलाई को मिलाकर उनके तीनों बच्चे अभिनय की दुनिया में हैं. पोला की सौतेली बहन नस्तास्या किंस्की ने अपने बहन की तारीफ की है. जर्मन अखबार बिल्ड के लिए लिखे एक आर्टिकल में उन्होंने लिखा है, मुझे "गहरा सदमा" लगा है.
यह एक कठिन स्थिति है लेकिन नस्तास्या को अपनी बहन पर गर्व है जिन्होंने हिम्मत जुटा कर किताब लिखी, किसी को ऐसे नहीं बताया. उन्होंने यह भी कहा है, "मेरी बहन एक नायिका है क्योंकि उसने अपना दिल, अपनी आत्मा साफ कर ली है और अपने भविष्य को रहस्य के बोझ से मुक्त कर लिया है.
जर्मनी में सबसे ज्यादा बिकने वाले अखबार बिल्ड ने पोला किंस्की के लिए लिखा है कि उन्हें "एक नायिका" समझा जाना चाहिए क्योंकि उन्होंने इस बारे में बात करने का साहस दिखाया है जो शायद हजारों बेटियां कहने की हिम्मत नहीं जुटा पातीं.
एनआर/एमजे (डीपीए, एपी, रॉयटर्स)

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मंगलवार, 8 जनवरी 2013

ये पांचों ऐप्स हैं या इंसान की जिंदगी बदलने वाले जादूगर...हैरान करने वाली हैं इनकी खूबियां

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ये पांचों ऐप्स हैं या इंसान की जिंदगी बदलने वाले जादूगर...हैरान करने वाली हैं इनकी खूबियां
आज की तारीख में आपकी करीब-करीब हर जरूरत को पूरा करने के लिए ऐप मौजूद हैं। हम ऐसे ही पांच ऐप्स पर नजर डालते हैं, जिन्होंने भारतीय बाजार में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई है।
 
दस वर्षीया श्वेता ने गणित में अपने खराब प्रदर्शन में शानदार सुधार किया है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इसके लिए उसे किसी ट्यूटर ने नहीं, बल्कि एक मोबाइल अप्लीकेशन ‘टैबटर’ से सहायता मिली। ‘टैबटर’ ऐपल के आईओएस प्लेटफार्म पर चलने वाला एक विशेष एजुकेशनल ऐप है। इस ऐप को डेवलप करने वाली कंपनी ‘प्राजऐज’ उन हजारों कंपनियों में से एक है जो देश में स्मार्ट मोबाइल फोन, टैबलेट्स और अन्य गैजेट्स के बढ़ रहे बाजार में अपने लिए संभावनाएं तलाश रहीं हैं।
 
स्मार्टफोन धारकों की बढ़ती संख्या ने इस बाजार को और आकर्षक बना दिया है। एक अनुमान के मुताबिक 2016 तक देश, दुनिया के अग्रणी ऐप बाजारों में शामिल हो जाएगा। भारत, उस समय तक दुनिया की सबसे बड़ी ताकत अमेरिका को भी पीछे छोड़ दे तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए। इंटरनेट और मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया के मुताबिक वर्तमान में देश में ऐप का बाजार करीब 1800 करोड़ रुपए का है।
 
ये पांचों ऐप्स हैं या इंसान की जिंदगी बदलने वाले जादूगर...हैरान करने वाली हैं इनकी खूबियां 

टैबटर
 
कठिन सवाल करे चुटकियों में हल
 
बिट्स पिलानी और आईआईटी के पूर्व छात्रों ने टैबटर ऐप को विकसित किया है, जिसके एडॉप्टिव लर्निग सॉफ्टवेयर को अमेरिका और भारत के 14 स्कूलों के छात्र इस्तेमाल कर रहे हैं। प्राजऐज नामक कंपनी ने इस ऐप की डिजाइन को अपने चेन्नई और बेंगलुरू स्थित डेवलपमेंट सेंटर में तैयार किया है। जीईएआर इनोवेटिव इंटरनेशनल स्कूल में गणित की टीचर संध्या खांडेकर कहती हैं, ‘हम भी बच्चों की तरह ही उत्साहित हैं।’ बेंगलुरू के इसी स्कूल में बच्चे आईपैड्स के जरिए पढ़ाई करते हैं। इस स्कूल के संस्थापक और चेयरमैन एम. श्रीनिवासन का कहना है, ‘यहां तक कि जो छात्र विषय में कमजोर हैं वो भी तेजी से प्रॉब्लम सॉल्व करने लगे हैं।’ उनका कहना है कि हमारा उद्देश्य हर किसी को अपना लक्ष्य खुद हासिल करने के योग्य बनाना है। ‘हम किसी छात्र पर उसी गति और मार्ग पर चलने के लिए दबाव नहीं बनाते जिस मार्ग और गति से दूसरे जाते हैं।’ इस स्कूल की योजना अन्य विषयों जैसे अंग्रेजी और विज्ञान को भी इस ऐप में कस्टमाइज करने की है। प्राजऐज एक कस्टमाइज वर्शन क्रिएट कर उसे मोनेटाइज करना चाहता है। 
 
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म्यूजिगुरु
 
यात्रा के दौरान सिखाए संगीत
 
काम के दबाव में अक्सर यात्रा करने वाले पेशेवरों को ध्यान में रखकर इस ऐप को बनाया गया है। ऐसे लोगों को अपनी पसंद की चीजों के लिए समय नहीं मिलता। म्यूजिगुरु एक मोबाइल अप्लीकेशन है, जिसे बेंगलुरू की एक कंपनी लेविटम सॉफ्टवेयर सिस्टम ने लॉन्च किया है। यह एक वीडियो आधारित लर्निग प्लेटफार्म है, जहां यूजर्स को संगीत सिखाया जाता है। आईओएस प्लेटफार्म पर आधारित यह ऐप यूजर्स को यात्रा करते समय या घर से बाहर रहते हुए म्यूजिक सीखने का मौका देता है। इसके सह संस्थापक अरविंद कृष्णास्वामी के मुताबिक यह उन म्यूजीशियन और टीचर्स के लिए भी यह शानदार ऐप है जो अपना कंटेंट और ब्रांड बेचना चाहते हैं। इस ऐप को डेवलप करने वालों की योजना, इसमें संगीत देने वाले म्यूजीशियन को कमाई बांटना हैं। इनकी योजना कंटेंट को एक्सेस करने के लिए विभिन्न म्यूजिक कॉलेजों के साथ समझौता करने की भी है। 
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जाना केयर
 
मधुमेह के मरीजों की करे जांच
 
जाना केयर को विकसित करने का खर्च मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) और हार्वड बिजनेस स्कूल के एक पूर्व छात्रों के संगठन ने उठाया था। यह मधुमेह के मरीजों की सहायता के लिए विकसित किया गया एक शानदार ऐप है। बेंगलुरू स्थित सेंटर में डेवलप किए गए इस ऐप से मधुमेह के मरीज अपना ब्लड ग्लूकोज लेवल और हेल्थ पैरामीटर को एक सेंसर में प्लगइन कर चेक कर सकते हैं। आपके मोबाइल फोन के लिए इस सेंसर को जाना केयर ने ही डेवलप किया है। इस ऐप ने आपके स्मार्टफोन को एक बेहद सस्ती जांच डिवाइस में बदल दिया है। हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के पूर्व छात्र सिद्धांत जेना और एमआईटी के रिसर्चर माइकल डेपा ने इस ऐप के फंडिंग संयुक्त रूप से की है। इस कंपनी के सलाहकार बोर्ड में हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के प्रोफेसर तरुण खन्ना और नारायण हृदयालय के संस्थापन और जाने माने हृदय रोग विशेषज्ञ देवी शेट्टी सलाहकार हैं। कंपनी की योजना इस साल के शुरुआत में इस प्रोड्क्ट को बाजार उतारने की है। इस तरह अगर आप या आपके घर में कोई व्यक्ति मधुमेह रोग से पीड़ित है तो उन्हें हर समय ग्लूकोज लेवल  की जांच करवाने के लिए किसी पैथोलॉजी जाने की जरूरत नहीं है। 
 
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शॉप सर्किल 
 
खरीदारी बनाए किफायती
 
इस ऐप को बेंगलुरू की एक डाटा कंपनी एक्टिव क्यूब्स ने डेवलप किया है। इसका उद्देश्य उपभोक्ताओं को किसी उत्पाद की कीमत के बारे में जानकारी देना है। इस तरह इस ऐप की मदद से शॉपिंग काफी आसान बन जाती है। इस ऐप की मदद से कोई उपभोक्ता अपने 10 किलोमीटर के दायरे में उस विशेष उत्पाद पर मिल रहे ऑफर्स को देख सकता है। एक्टिव क्यूब्स के सीईओ और सह संस्थापक राजेश वैरियर का कहना है कि अब ग्राहकों को उत्पाद की कीमत पता करने के लिए अपना बाजार की हर दुकान पर जाकर कीमती समय खर्च करने की जरूरत नहीं है। इस ऐप की मदद से आप घर बैठे विभिन्न खुदरा स्टोर्स से प्राप्त कीमत की तुलना कर अपने लिए किफायती स्टोर की पहचान कर सकते हैं, जिसके बाद आप सीधे उक्त दुकान से सामान मंगवा सकते हैं। हाल में बाजार में आए इस ऐप को कई हजार लोगों ने डाउनलोड किया है। इस ऐप को बनाने वाली कंपनी का उद्देश्य रिटेलर्स को इस ऐप से जोड़कर विज्ञापन के जरिए पैसा कमाना है।
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तवांग
 
संगीत का शानदार खजाना
 
तवांग को डेवलप करने वालों के मुताबिक अच्छी गुणवत्ता के म्यूजिकल कंटेंट को वैध तरीके से उपलब्ध कराना ही, इस ऐप को इस समूह के अन्य ऐप्स से अलग करता है। बीते साल नवंबर में इस ऐप को लॉन्च किया गया, जिसे साउंड वेंचर्स ने डेवलप किया है। ऐप के जरिए दुनिया के लोगों को अच्छा म्यूजिक उपलब्ध कराने के लिए जाने-माने 50 संगीतकारों से उनके संगीत को उपभोक्ताओं तक पहुंचाने के लिए समझौता किया गया है। साउंड वेचर्स के सह संस्थापक विष्णु रानेड के मुताबिक यह ऐप ऐसा म्यूजिक आपके पास पहुंचाता हैं जो आसानी उपलब्ध नहीं हैं। इस फ्री ऐप की मदद से आप छह हजार से अधिक अलबम के 75 हजार से अधिक गाने सुन सकते हैं। इन गानों में चार हजार से अधिक कलाकार शामिल हैं। डेवलपर्स की योजना इस ऐप में गानों की संख्या एक लाख से अधिक करने की है। साथ ही कंपनी नए साल में इस ऐप के नए वर्शन भी ला सकती है। ऐसे में अगर आप खास तरह के म्यूजिक को पसंद करते हैं तो इस ऐप को  आजमा सकते हैं। 
 
 sabhar : bhaskar.com

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