मां बनने की नहीं होती कोई उम्र

एक चीनी महिला ने 60 साल की उम्र में दोबारा मां बनकर दुनिया की सबसे वृद्ध मांओं की सूची में जगह बना ली है और दिखा दिया है कि मां बनने के लिए ममता की जरूरत होती, इसका उम्र से कोई लेना देना नहीं.



शेंग हाइलिन अपनी एकलौती बेटी को खोने के बाद फिर से मां बनना चाहती थीं. उनकी बेटी करीब 30 साल की होने वाली थी. तभी 2009 में जहरीली गैस की वजह से हुई एक दुर्घटना में उसने अपनी जान गवां दी. 60 साल की उम्र में इस अरमान को पूरा करने के लिए शेंग को आईवीएफ तकनीक की मदद लेनी पड़ी.
वह बताती हैं, "जीने के लिए और अपने अकेलेपन से छुटकारा पाने के लिए मैंने इस उम्र में एक और बच्चा पैदा करने की ठान ली." चीन के पूर्वी शहर हेफेई के एक सैनिक अस्पताल में 2010 में शेंग ने दो जुड़वा बच्चियों को जन्म दिया.
एक बच्चे की नीति में बदलाव
शेंग का मामला एक और वजह से असाधारण है. चीन में लम्बे समय से एक बच्चे का नियम लागू है. चीन में परिवार नियोजन का यह कानून करीब 30 सालों से है. इस कानून को कई बार माता पिता की इच्छा के विरूद्ध भी बहुत सख्ती से मनवाया जाता है. गांव के किसी परिवार में अगर पहली संतान एक लड़की हो, अल्पसंख्यक समुदायवासी या फिर अगर माता पिता दोनों ही अपने अपने परिवारों की एकलौती संतान हों, तो उन्हें इस कानून में अपवाद बन कर एक से ज्यादा बच्चों की आज्ञा है.
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एक अनुमान के मुताबिक 1979 में चीन में इस कानून के आने के बाद से करीब दस लाख लोग अपने वंशज खो चुके हैं और अगले 20 से 30 सालों में इस फेहरिस्त में करीब 40 से 70 लाख लोग और शामिल हो जाएंगे. ऐसे परिवारों में बुजुर्गों की देखभाल और उनकी तबीयत खराब होने पर इलाज का खर्च उठाने के लिए भी कोई नहीं होता. साथ ही वे जीवन में अकेलेपन की समस्या से भी जूझते रहते हैं.
इन सब समस्याओं को ध्यान में रखते हुए चीन की प्रमुख कानूनी समिति 'एक बच्चे की नीति' वाले कानून में कुछ और अपवादों को मान्यता देने जा रही है. इस नए कानून के अंतर्गत वे दंपत्ति भी दो बच्चे पैदा कर सकेंगे जिनमें से कोई एक अपने माता पिता की एकलौती संतान हो.sabhar :http://www.dw.de/

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