क्या पिछड़े तबके के छात्रों से शिक्षण संस्थानों में भेदभाव? खुदकुशी के आंकड़े दे रहे गवाही

 


नई दिल्ली: 

बीते दिनों आईआइटी हैदराबाद के एक छात्र ने बैकलॉग एग्जाम पास नहीं कर पाने के कारण समुद्र में डूबकर खुदकुशी कर ली. छात्र 17 जुलाई से गायब था.19 जुलाई को एक सीसीटीवी फुटेज में समुद्र के खतरनाक किनारे पर उसे देखा गया. इसके बाद 20 जुलाई को उसका शव मिला, जिसकी शिनाख्त हो गई.

सुसाइड करने वाला छात्र धनवत कार्तिक नलगोंडा का रहने वाला था. वह पढ़ाई में पिछड़ रहा था. अपने परिवार से उसने इस बारे में बात भी की थी. धनवत आदिवासी भी था. धनवत की कहानी उन कई बच्चों से मिलती-जुलती है जो आदिवासी या अनुसूचित जाति से आते हैं. आरक्षण के सहारे आईआईटी-आईआईएम जैसे संस्थानों में पहुंचते हैं. आरक्षण को लेकर वो अपने साथियों का गलत बर्ताव भी झेलते हैं. जब वो सबकुछ सह नहीं पाते, तो या तो संस्थान छोड़ देते हैं या दुनिया ही छोड़ देते 


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2014 से 2021 के बीच केंद्र से वित्तीय मदद वाले उच्च शिक्षण संस्थानों में कुल 122 छात्रों ने खुदकुशी की. इनमें से 24 छात्र अनुसूचित जाति से थे. 3 छात्र अनुसूचित जनजाति से थे. 41 छात्र ओबीसी से ताल्लुक रखते थे.

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देश  Reported by नग़मा सहर, Written by अंजलि कर्मकार
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