समलैंगिक विवाह: 'मेरे माँ-बाप मुझे जान से मारने को तैयार थे'

 पैदाइश के वक्त लड़की करार दिए गए “मनोज” ने, जब 17 साल की उम्र में अपने परिवार को बताया कि वे पुरुष जैसा महसूस करते हैं और एक औरत से प्यार करते हैं, तो उनकी जान पर बन आई.

मनोज ने मुझे बताया कि उनके माँ-बाप इस बात को स्वीकार करने को तैयार ही नहीं थे. उन्होंने हाथ-पैर बांधकर बुरे तरीके से मारा और घर के एक कोने में बंद कर दिया. पिता ने मनोज के हाथ की नस काट दी और जान से मारने की धमकी दी.

मनोज बोले, “इतनी मारपीट होगी, ये मेरी सोच से परे था. मैंने सोचा था कि जैसा भी हो, अपने बच्चों के लिए परिवार मान ही जाता है. पर मेरा परिवार अपनी इज़्ज़त के लिए मुझे मारने को तैयार था.”

गांवों में औरत की ज़िंदगी पर पहले ही कई बंदिशें होती हैं. औरत अगर कहे कि वो मर्द जैसा महसूस करती है और अब उसे ट्रांस-मैन मानाबिहार के एक गांव के रहने वाले मनोज बताते हैं कि उनका स्कूल छुड़वाकर, दोगुनी उम्र के आदमी के साथ उनकी जबरन शादी कर दी गई. जाए, तो इसकी तीखी प्रतिक्रिया हो सकती है.

उन्होंने कहा, “मैं अपनी जान लेने को भी तैयार था, पर मेरी गर्लफ्रेंड ने मेरा साथ नहीं छोड़ा. आज मैं ज़िंदा हूं और हम साथ हैं तो इसलिए कि उसने कभी हार नहीं मानी.”

अब 22 साल के हो चुके मनोज और उनकी 21 साल की गर्लफ्रेंड, “रश्मि” एक बड़े शहर में छिपकर रह रहे हैं.

इस बीच उन्होंने याचिका दायर कर सुप्रीम कोर्ट से समलैंगिकों की शादी का क़ानूनी अधिकार मांगा है और अब फैसले का इंतज़ार कर रहे हैं.

शादी का अधिकार

साल 2018 में, एक लंबी कानूनी लड़ाई के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने दो वयस्कों के बीच सहमति से बनाए गए समलैंगिक यौन संबंध को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया था.

लेकिन समलैंगिकों में शादी को अब तक क़ानूनी मान्यता नहीं मिली है.

इस साल सुप्रीम कोर्ट ने इसकी मांग करने वाली 21 याचिकाओं की सुनवाई की और अब जल्द ही फैसला आने की संभावना है.

याचिकाओं में ज़्यादातर ने शादी की मांग एक मौलिक अधिकार के रूप में की है. Sabhar BBC.COM 


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