बायजूज़ के 'आकाश' तक पहुंचने और भंवर में फंसने की कहानी
अंशुल सिंह
पदनाम,बीबीसी संवाददाता
29 जून 2023
दुनियाभर की कंपनियों में निवेश करने वाले समूह 'प्रोसस' ने भारत की एडटेक स्टार्ट-अप कंपनी बायजूज़ की वैल्यूएशन को घटाकर 5.1 अरब डॉलर कर दिया है.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक़, नीदरलैंड में लिस्टेड दुनिया के सबसे बड़े टेक्नोलॉजी निवेशक प्रोसस ने बायजूज़ की वैल्यूशन को 22 अरब डॉलर से घटाकर 5.1 अरब डॉलर कर दिया है.
आंकड़ों के लिहाज़ से यह गिरावट 75 फ़ीसद से ज़्यादा है.
प्रोसस समूह बायजूज़ का सबसे बड़ा निवेशक है.
रॉयटर्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि 31 मार्च को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष में प्रोसस ने बायजूज़ में अपनी 9.6 फ़ीसद हिस्सेदारी का मूल्य घटाकर 493 मिलियन डॉलर कर दिया है.
2011 में बनी बायजू रवींद्रन की कंपनी बायजू के लिए फ़िलहाल सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है.
भारत में कंपनी छंटनी कर रही है और विदेश में कर्ज़ को लेकर क़ानूनी लड़ाई लड़ रही है.
बायजूज़ में क्या चल रहा है?
कुछ दिन पहले डेलॉइट हास्किन्स एंड सेल्स ने बायजूज़ के ऑडिटर पद से इस्तीफ़ा दे दिया था, जिसे 2025 तक बायजूज़ का ऑडिट करना था.
डेलॉइट की तरफ़ से बताया गया कि वह कंपनी का ऑडिट नहीं कर पा रहे थे क्योंकि उन्हें साल 2021-22 के लिए वित्तीय विवरण नहीं मिले थे.
डेलॉइट हास्किन्स एंड सेल्स ने बायजूज़ को लिखे पत्र में कहा, ''हमें आज़ तक ऑडिट पर कोई टिप्पणी नहीं मिली है. इसके चलते ऑडिटिंग मानकों के अनुसार ऑडिट की योजना बनाने, डिज़ाइन करने, प्रदर्शन करने और पूरा करने की हमारी क्षमता पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा. इसी के मद्देनजर, हम तत्काल प्रभाव से कंपनी के ऑडिटर के रूप में अपना इस्तीफ़ा दे रहे हैं.''
रॉयटर्स के मुताबिक़, ऑडिटर के जाने के बाद कंपनी ने निवेशकों से कहा है कि इस साल के सितंबर महीने में साल 2022 की आय और दिसंबर तक 2023 की आय के ब्यौरे दाख़िल करेंगे.
फ़िलहाल कंपनी को नया ऑडिटर मिल गया है. कंपनी ने बीडीओ (एमएसकेए एंड एसोसिएट्स) की पांच सालों के लिए ऑडिटर के रूप में नियुक्ति की है.
अंग्रेज़ी समाचार पत्र 'द हिन्दू बिजनेस लाइन' की एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि बायजूज़ के कई पूर्व कर्मचारियों ने कंपनी पर ईपीएफ जमा नहीं करने का आरोप लगाया है.
आरोप है कि कंपनी ने सैलरी से हर महीने पीएफ काटा, लेकिन इस धनराशि को कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) खाते में जमा नहीं कर रही थी.
रिपोर्ट सामने आने के बाद बायजूज़ की पैरेंट कंपनी 'थिंक एंड लर्न प्राइवेट लिमिटेड' ने अगस्त 2022 से मई 2023 तक 10 महीने के ईपीएफ का भुगतान किया है.
इस भुगतान में 123.1 करोड़ रुपए जमा किए गए जबकि कंपनी ने शेष 3.43 करोड़ रुपए को कुछ दिनों में भुगतान की बात कही है.
बीते हफ़्ते अंग्रेज़ी अख़बार 'द इकोनॉमिक टाइम्स' की रिपोर्ट में कंपनी के बोर्ड से तीन डायरेक्टर्स के इस्तीफ़े की पुष्टि की गई थी.
रिपोर्ट में लिखा गया कि बोर्ड से पीक एक्सवी पार्टनर्स के जीवी रविशंकर, चैन जुकरबर्ग के विवियन वू और प्रोसस के रसेल ड्रेसेनस्टॉक ने इस्तीफ़ा दिया है.
हालांकि, बायजूज़ की ओर से इस तरह की सभी रिपोर्ट्स का खंडन किया गया है.
बायजूज़ ने कहा, ''बायजूज़ बोर्ड के सदस्यों के इस्तीफे़ की ख़बर देने वाली एक हालिया मीडिया रिपोर्ट पूरी तरह से काल्पनिक है.
बायजूज़ इन दावों का दृढ़ता से खंडन करता है और मीडिया संस्थानों से अनवेरीफ़ाइड जानकारी फैलाने या
बताया जा रहा है कि बायजूज़ के फाउंडर शेयरधारकों की बगावत रोकने के लिए निवेशकों से फंड जुटाने की कोशिश में लगे हैं.
अमेरिकी मीडिया संस्थान 'ब्लूमबर्ग' की रिपोर्ट के मुताबिक़, बायजूज़ नए शेयरधारकों से एक अरब डॉलर का फंड जुटाने की कोशिश में आख़िरी दौर की बातचीत कर रहा है.
कंपनी की कोशिश है कि इससे फाउंडर बायजू रवींद्रन के कंपनी पर नियंत्रण को कम करने के कुछ निवेशकों के प्रयास को रोका जा सकेगा.
अंग्रेज़ी अख़बार 'मिंट' में छपी रिपोर्ट के मुताबिक़, इस साल जून के महीने में लगभग एक हज़ार कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया गया.
इससे पहले बायजूज़ ने पिछले साल तीन हज़ार कर्मचारियों को नौकरी से निकाला था. फ़िलहाल कंपनी में लगभग पचास हज़ार लोग काम कर रहे हैं.
इसके अलावा बायजूज़ अमेरिका की अदालत में कानूनी लड़ाई भी लड़ रही है.
अमेरिका में बायजूज़ ने 1.2 अरब डॉलर के कर्ज़ को लेकर एक मामला न्यूयॉर्क सुप्रीम कोर्ट में दायर किया है.
कंपनी को इस कर्ज का भुगतान करना था, लेकिन कंपनी फिलहाल इस स्थिति में नहीं हैं.
बायजू रवींद्रन का कहना है कि उन पर टर्म लोन बी (टीएलबी) के पुनर्भुगतान में तेजी लाने के लिए अपने ऋणदाता रेडवुड कंपनी द्वारा दबाव बनाया जा रहा है.
जब बायजूज़ ने ख़ूब तरक़्क़ी की
मार्च 2020 में कोरोना महामारी के चलते भारत में देशव्यापी लॉकडाउन लगा था.
स्कूल, कॉलेज से लेकर दुकान और ऑफ़िस सब बंद थे. इस दौरान लोगों की दुनिया अपने घर और इंटरनेट पर सिमट गई थी.
महामारी के चलते स्कूल बंद हुए तो बच्चों का दाखिला ऑनलाइन एडटेक कंपनियों में होने लगा और फिर अचानक से बायजूज़ की ग्रोथ होने लगी.
कंपनी ने एक साल के भीतर बाजार से एक अरब डॉलर से अधिक धन जुटाया.
इस धन से कंपनी ने अपने एक दर्जन प्रतिस्पर्धियों का अधिग्रहण करते हुए उन्हें बाज़ार से हटा दिया है.
इसमें आकाश एजुकेशनल सर्विसेस, ग्रेट लर्निंग और व्हाइट हैट जूनियर जैसे अधिग्रहण शामिल हैं.
ऐसा करते ही कंपनी बच्चों के लिए कोडिंग क्लास से लेकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने वाली एक 'अंब्रेला होल्डिंग कंपनी' बन गई.
विज्ञापन पर ख़र्च करने के मामले में भी कंपनी पीछे नहीं रही. एक समय बायजूज़ संभवत: भारत के टीवी चैनलों पर सबसे अधिक दिखने वाला ब्रांड था.
बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख़ ख़ान कंपनी के ब्रांड एंबेसडर हैं.
जबकि बायजूज़ के कोडिंग प्लेटफॉर्म व्हाइट हैट जूनियर के ब्रांड एंबेसडर ऋतिक रोशन थे.
कंपनी इतने पर ही नहीं रुकी और फिर नवंबर 2022 में छंटनी के माहौल में बायजूज़ ने जाने-माने फुटबॉल खिलाड़ी लियोनेल मेसी को ग्लोबल ब्रांड एंबेसडर बनाया.
इसके अलावा भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई), आईसीसी और फ़ीफा के साथ भी ब्रांडिंग पार्टनरशिप की थी.
लगभग तीन सालों तक बायजूज़ बीसीसीआई की लीड स्पॉन्सर रही और फीफा वर्ल्ड कप 2022 को स्पॉन्सर करने वाली पहली भारतीय कंपनी बनी थी.
फ़िलहाल बायजूज़ ने तीनों संस्थाओं के साथ अपनी ब्रांडिंग पार्टनरशिप ख़त्म कर दी है.sabhar BBC.com
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