कामसूत्र : रिश्तों की माला जोड़ने वाले 64 सूत्र
आचार्य वात्स्यायन रचित कामसूत्र भारतीय ज्ञान संपदा की एक ऐसी अनमोल और अनूठी विरासत है, जिसकी प्रासंगिकता और उपयोगिता इसके सृजन के शताब्दियों बाद भी बनी हुई है। इसकी रचना कब हुई, इस बारे में अनेक विद्वानों ने अलग-अलग राय व्यक्त की है। इसे लेकर जो मत प्रचलित हैं, उनके अनुसार यह ग्रंथ डेढ़ से ढाई हजार साल पहले रचा गया हो सकता है। रोचक बात यह है कि कामसूत्र स्वयं में कोई मूल ग्रंथ नहीं है, बल्कि ब्रह्मा जी द्वारा धर्म, अर्थ और काम के नियमन और व्यवस्था के लिए तैयार किए गए संविधान के काम वाले हिस्से का संक्षिप्त रूप है। इस संविधान में एक लाख अध्याय थे।
संविधान के धर्म विषय पर आधारित हिस्से को लेकर मनु ने मानवधर्मशास्त्र की रचना की और अर्थ विषय को लेकर आचार्य बृहस्पति ने बार्हस्पत्य अर्थशास्त्र की। इसके बाद बचा काम विषयक अंश। भगवान शिव के सेवक नंदी ने इसका संपादन कर एक हजार अध्यायों में कामशास्त्र की रचना की। नंदी के बाद उद्दालक ऋषि के पुत्र श्वेतकेतु ने इसे और संक्षिप्त कर पांच सौ अध्यायों वाला ग्रंथ बना दिया। इसे और भी संक्षिप्त किया पांचाल देश के विद्वान वाभ्रव्य ने, जिन्होंने इसे डेढ़ सौ अध्यायों में समेट दिया
वाभ्रव्य का यह ग्रंथ अनेक अधिकरणों और प्रकरणों में बंटा हुआ था,जिन्हें लेकर आचार्य दत्तक, आचार्य चारायण, आचार्य घोटकमुख जैसे विद्वानों ने अलग-अलग ग्रंथ तैयार किए। अब यह दो प्रकार से लोगों के लिए उपलब्ध था। एक तो डेढ़ सौ अध्यायों वाले वाभ्रव्य के विशाल ग्रंथ के रूप में। दूसरा, अलग-अलग विद्वानों द्वारा प्रस्तुत अधिकरण या खंड विशेष पर एकाग्र अलग-अलग ग्रंथों के रूप में। दोनों ही रूपों में आम लोगों के लिए इसका समग्र अध्ययन काफी कठिन और श्रमसाध्य था। वात्स्यायन मुनि ने इसके सर्वांगीण और सुगम अध्ययन की आवश्यकता को अनुभव किया और इसका संक्षिप्तीकरण कर कामसू्त्र नाम के नए ग्रंथ की रचना की।
लगभग दो हजार साल पहले रचित सात अधिकरणों, 36 अध्यायों, 64 प्रकरणों और 1250 सूत्रों (श्लोकों) में विभक्त आचार्य वात्स्यायन का यह ग्रंथ हमें पंचेंद्रियों से प्राप्त होने वाले सेक्स-सुख को ग्रैविटी से उठाकर मन और चेतना के गूढ़ जीरो ग्रैविटी क्षेत्र में पहुंचा देता है। कामशास्त्र का यही उद्देश्य है कि वह स्त्री और पुरुष को परस्पर मिलाकर मोक्ष प्राप्ति का अधिकारी बना सके। लगभग दो सौ वर्ष पूर्व ब्रिटिश भाषाविद सर रिचर्ड एफ. बर्टन ने इसका अंग्रेजी में अनुवाद किया, जिसने इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय बनाया। कहा जाता है कि आज दुनिया की लगभग हर भाषा में इसका अनुवाद हो चुका कामसूत्र : रिश्तों की माला जोड़ने वाले 64 सूत्र
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