मध्ययुग में प्रताड़ना के खौफनाक तरीके, देखें तस्वीरें

मध्ययुग में प्रताड़ना के 10 खौफनाक तरीके, देखें तस्वीरें


मध्ययुग को कभी अच्छा नहीं माना गया। यूं कह लें कि बर्बरता का दूसरा नाम था 'मध्ययुग'। शरीर के अंगों पर जानलेवा प्रहार करने से लेकर उसे छिन्न-भिन्न करने का आदेश देना उन दिनों आम बात हुआ करती थी। किसी ने गलती से भी अगर जुर्म कर दिया और जुर्माना देने में असमर्थ साबित होता, तो उसे खौफनाक अंजाम से गुजरना पड़ता था। व्यक्ति की जीभ-होठ काट दिए जाते थे।
 
प्रताड़ना की ये तो इंतिहा है
 
पीड़ित को बेरहमी से मौत के घाट उतारा जाता था। इस युग के अधिकांश लोग गरीबी व बीमारी के चपेट में थे। उन पर जमींदारों का जोर चलता था। इसके अलावा वे जमींदारों के गुलाम हुआ करते थे। आइए, नजर डालते हैं मध्ययुग में प्रताड़ना के 10 खौफनाक तरीकों पर, जिसे पढ़कर आपकी भी रूह कांप उठेगी। 
 
धारदार पोल घुसेड़ देते
 
15वीं सदी में व्लाद तृतीय वालाशिया का राजकुमार था। व्लाद को ड्रैकुला नाम से भी जाना जाता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि वह बेहद निर्दयी था। अपराध सिद्ध होने पर वह धारदार पोल को पीड़ित की शरीर के आर-पार करने का हुक्म सुनाता था। पोल की मोटाई इतनी होती थी कि उसे देख किसी भी इंसान की रूह कांप उठे।
 
जिस शख्स को ये सजा मिलती थी, उसे जबरन धारदार पोल पर बैठने के लिए मजबूर किया जाता था। पोल धीरे-धीरे उसके शरीर को चीरता हुआ निकल जाता था। तीन दिन की असहनीय पीड़ा झेलने के बाद आखिरकार पीड़ित की मौत हो जाती थी। व्लाद इस कदर जालिम इंसान था कि खाना खाते वक्त उसे ऐसा देखने में बड़ा आनंद आता था। जरा सोचिए, तब हैवानियत किस कदर सिर चढ़कर बोलती थी। 

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जूडस क्रैडल यानी यहूदी पालना
 
यहूदी पालना एकबारगी देखने में धारदार पोल से जरा कम कष्टदाई लगे, लेकिन ये इंसान को तड़पा-तड़पा कर मारने वाला हथियार था। लोगों को नग्न कर यहूदी पालने में बिठाया जाता था। प्रताड़ना की ये प्रक्रिया बेहद खौफनाक होती थी। पीड़ित को तीन जगह से बंधे एक रिंगनुमा खाली सीट पर लटका दिया जाता था। फिर इसके नीचे यहूदी पालने को लगाया जाता। इस दौरान पीड़ित के पैर को रस्सी से बांध दिया जाता था, जिसे नीचे खड़े कुछ लोग पकड़े होते थे। सजा का आदेश मिलते ही, लोग रस्सी को एकदम से खींच देते। गौरतलब है कि स्त्री को उलटा और पुरुष को सीधे इस जानलेवा हथियार पर बिठा कर सजा दी जाती थी। इस सजा के दौरान लोग घंटों रस्सी को खींचते रहते थे।
 धातु का पिंजड़ा
 
इसे कॉफिन प्रताड़ना कहा जाता था। मध्ययुग में ये काफी प्रचलित था। अगर आपको ध्यान हो तो किसी हॉलीवुड फिल्म में आपने इस तरह से सजा देते हुए देखा होगा। पीड़ित को इस पिंजरे में कैद किया जाता था, ताकि वह अपनी जगह से हिल भी न सके। इसके बाद पिंजड़े को किसी पेड़ से लटका दिया जाता था। इस तरह की सजा ईशनिंदा जैसे गंभीर अपराध के लिए दी जाती थी। पीड़ित को या तो आदमखोर जानवर काट खाते या फिर वह पक्षियों का निवाला बनता था। हालांकि, देखने वाले पीड़ित का दर्द बढ़ाने के लिए उस पर पत्थरों से भी हमला करते थे। 

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हड्डीतोड़ शैय्या
 
मध्ययुग में इस प्रताड़ना को सबसे दर्दनाक माना जाता था। हड्डीतोड़ शैय्या एक लकड़ी का फ्रेम है। इसमें लकड़ी के दो पट्टे ऐसे होते थे, जो लीवर के सहारे ऊपर की ओर उठाए जाते थे। लीवर शैय्या के दोनों ओर होता था। दोनों पट्टों पर नुकीली कीलें होती थीं। सजा देते वक्त पीड़ित के हाथ-पांव बांध कर उसे इस पर लिटा दिया जाता था। फिर शुरू होता था प्रताड़ना का खेल। शैय्या के दोनों ओर एक-एक व्यक्ति लीवर को मजबूती से उठाता और जैसे-जैसे पट्टा उठता पीड़ित की हड्डियां कड़कड़ाहट की आवाज के साथ टूटती जातीं। ये खेल तब तक चलता, जब तक पीड़ित दम नहीं तोड़ देता।

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ब्रेस्ट रिपर
 
ये प्रताड़ना सिर्फ महिलाओं को दी जाती थी। अगर कोई महिला दूसरे पुरुष के साथ अंतरंग संबंध बनाती पाई जाती या फिर उस पर इस तरह का आरोप साबित होता, तो ब्रेस्ट रिपर के जरिए उसे प्रताड़ना दी जाती थी। रिपर को महिला के ब्रेस्ट से लगाकर जोर से दबा दिया जाता था। हालांकि, हैवानियत की इंतिहा इतनी ही नहीं, चिमटानुमा इस हथियार को आग पर तपाया जाता था। इस प्रताड़ना के दौरान पीड़िता के उभार को पूरी तरह से निकाल बाहर किया जाता था।  

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घातक हथियार
 
तस्वीर में देख आप अंदाजा लगा सकते हैं कि छोटा-सा ये हथियार पीड़ित के लिए कितना कष्टदायक साबित हो सकता है। इस हथियार का इस्तेमाल केवल महिलाओं को सजा देने के लिए किया जाता था। ये सजा उन महिलाओं की दी जाती थी, जिन पर समलैंगिक होने या फिर बच्चा गिराने का आरोप सिद्ध होता था। ये नुकीला हथियार दो हिस्सों में बंट जाता है। इस सजा से शायद ही कोई महिला बच पाई थी।

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ब्रेकिंग व्हील
 
ब्रेकिंग व्हील को कैथरीन व्हील के नाम से भी जाना जाता था। इससे पीड़ित जिंदा नहीं बचता था। लेकिन ये उसे इतना तड़पा कर मारता था कि देखने वालों की रूह कांप उठती थी। पीड़ित को व्हील से बांध कर उस पर हथौड़े से तब-तक प्रहार किया जाता था, जब तक उसके शरीर की हड्डियां टूट नहीं जातीं। फिर मरने के लिए उसे छोड़ दिया जाता। ऐसा भी कहा जाता है कि जिन पर दया आ जाती, उनकी सिर्फ छाती और पेट पर ही हथौड़े से वार किया जाता था। हालांकि, पीड़ित किसी भी सूरत में जिंदा नहीं बचता था।
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आरी प्रताड़ना
 
ये सजा पीड़ित को घोर व गंभीर अपराध के लिए दी जाती थी। इसमें एक खंभे के सहारे पीड़ित का पैर बांधकर उसे उलटा लटका दिया जाता था। फिर जो होता था, उसे आप तस्वीर में देख सकते हैं। महिलाओं के साथ भी ऐसा ही किया जाता था।

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हेड क्रसर
 
तस्वीर में आप देख सकते हैं कि एक टोपीनुमा यंत्र प्रताड़ना के लिए बनाया गया है। पीड़ित का सिर इस टोपी से जकड़ दिया जाता था। इसके बाद एक व्यक्ति धीरे-धीरे लीवर को घुमाने लगता था। जैसे-जैसे लीवर घूमता, टोपी से लगे रॉड पास आते जाते। फिर एक झटके में पीड़ित का सिर आवाज के साथ फट जाता।
 

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नी स्प्लिटर
 
इस हथियार को देखते ही आप अंदाजा लगा सकते हैं कि ये कितना खतरनाक होगा। इसे नी स्प्लिटर कहते हैं। मतलब, पैरों को कुचलते हुए बेरहमी से अलग कर देने वाला हथियार। sabhar :http://www.bhaskar.com/


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