यूएस: वैज्ञानिकों ने खोज निकाली लेजर किरणों से बारिश कराने की नई तकनीक
वाशिंगटन। शोधकर्ताओं ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है, जिससे बारिश कराने के लिए बादलों में उच्च ऊर्जा वाली लेजर किरणें छोड़ी जा सकेंगी।
यूनिवर्सिटी ऑफ सेंट्रल फ्लोरिडा के कॉलेज ऑफ ऑप्टिक्स एंड फोटोनिक्स और यूनिवर्सिटी ऑफ एरिजोना के शोधकर्ताओं के मुताबिक बादलों में पानी की सघनता और बिजली चमकने की प्रक्रिया वायुमंडलीय विक्षोभ से चार्ज असंख्य कणों से जुड़ी हुई होती है। उपयुक्त लेजर किरणों की मदद से इन कणों को सक्रिय करके जब चाहें और जहां चाहें बारिश की जा सकती है। शोधकर्ताओं का दावा है कि फिलहाल इस तकनीक पर आगे काम करने की जरूरत है।
वैज्ञानिकों के सामने थी बड़ी चुनौती
अभी तक शोधकर्ता बादलों में बिजली पैदा करने में विफल रहे थे। शोधकर्ताओं के लिए यह बड़ी चुनौती थी कि लेजर किरणों को इस तरह बादलों पर छोड़ा जाए कि बिजली की चमक से बादलों में विस्फोट न हो पाए। यह शोध जर्नल 'नेचर फोटोनिक्स' में प्रकाशित हुआ है।
इस तरह मिलेगी मदद
सेंटर फॉर रिसर्च एंड एजुकेशन इन ऑप्टिकल एंड लेजर (सीआरईओएल) के स्नातक के छात्र मैथ्यू मिल्स ने कहा, 'लेजर काफी लंबी दूरी तय करती हैं। लेकिन यही किरणें जब ज्यादा तीव्र हो जाती हैं तो सामान्य से बिल्कुल अलग तरीके से काम करने लगती हैं।
अत्यधिक गहन ये किरणें ढहने लगती हैं और यह सब इतनी तीव्र गति से होता है कि हवा में मौजूद ऑक्सीजन और नाइट्रोजन के इलेक्ट्रान प्लाज्मा बनाने लगते हैं।' ऐसी स्थिति में प्लाजमा वापस किरणें छोड़ने लगता है। इससे बहुत ही छोटी लेजर किरणें पैदा होती हैं। इन किरणों के फैलने और गिरने की प्रक्रिया से घर्षण पैदा होता है जो 'फिलामेंटेशन' कहलाता है। इससे ही बादलों में बिजली पैदा होती
अब चांद की रोशनी से जगमग होंगी रातें
अगर ऐसा हो जाए कि चांद की रोशनी से ही धरती पर रातें भी जगमग हो जाएं। इतनी रोशनी कि आपको सड़कों पर स्ट्रीट लाइट लगाने की जरूरत ही न पड़े। ऐसा हकीकत में होगा। स्वीडन की एक कॉस्मैटिक कंपनी फोरीयो के पास ऐसी योजना है जिससे रातें भी रोशन हो जाएंगी। कंपनी की योजना ऐसी है, जिससे चांद का सतह को रोशन किया जा सकता है ताकि पृथ्वी की रात को जगमग किया जा सके।
इसका मकसद चांद पर पहले मौजूद संसाधनों का इस्तेमाल कर सतह को रोशन करना है। कंपनी ने कहा, 'रोशन रातों का मतलब बिजली का कम इस्तेमाल और कार्बन उत्सर्जन के इस्तेमाल से होने वाली ग्लोबल वार्मिंग को कम करना है।'
साभार : भास्करडाट कॉम
इस तरह मिलेगी मदद
सेंटर फॉर रिसर्च एंड एजुकेशन इन ऑप्टिकल एंड लेजर (सीआरईओएल) के स्नातक के छात्र मैथ्यू मिल्स ने कहा, 'लेजर काफी लंबी दूरी तय करती हैं। लेकिन यही किरणें जब ज्यादा तीव्र हो जाती हैं तो सामान्य से बिल्कुल अलग तरीके से काम करने लगती हैं।
अत्यधिक गहन ये किरणें ढहने लगती हैं और यह सब इतनी तीव्र गति से होता है कि हवा में मौजूद ऑक्सीजन और नाइट्रोजन के इलेक्ट्रान प्लाज्मा बनाने लगते हैं।' ऐसी स्थिति में प्लाजमा वापस किरणें छोड़ने लगता है। इससे बहुत ही छोटी लेजर किरणें पैदा होती हैं। इन किरणों के फैलने और गिरने की प्रक्रिया से घर्षण पैदा होता है जो 'फिलामेंटेशन' कहलाता है। इससे ही बादलों में बिजली पैदा होती
अब चांद की रोशनी से जगमग होंगी रातें
अगर ऐसा हो जाए कि चांद की रोशनी से ही धरती पर रातें भी जगमग हो जाएं। इतनी रोशनी कि आपको सड़कों पर स्ट्रीट लाइट लगाने की जरूरत ही न पड़े। ऐसा हकीकत में होगा। स्वीडन की एक कॉस्मैटिक कंपनी फोरीयो के पास ऐसी योजना है जिससे रातें भी रोशन हो जाएंगी। कंपनी की योजना ऐसी है, जिससे चांद का सतह को रोशन किया जा सकता है ताकि पृथ्वी की रात को जगमग किया जा सके।
इसका मकसद चांद पर पहले मौजूद संसाधनों का इस्तेमाल कर सतह को रोशन करना है। कंपनी ने कहा, 'रोशन रातों का मतलब बिजली का कम इस्तेमाल और कार्बन उत्सर्जन के इस्तेमाल से होने वाली ग्लोबल वार्मिंग को कम करना है।'
साभार : भास्करडाट कॉम
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