प्रेमियों की आवाज बुंलद करने के इरादे से चुनाव लड़ रही हैं सुनीता

प्रेमियों की आवाज बुंलद करने के इरादे से चुनाव लड़ रही हैं सुनीता

नई दिल्ली : दिल्ली संसदीय क्षेत्र से पैंथर्स पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रही सुनीता चौधरी अपने अनोखे चुनावी ‘घोषणा पत्र’ को लेकर लोगों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है। सुनीता का कहना है कि वे अगर चुनाव जीतकर संसद में पहुंचती हैं तो संसद में प्रेमियों की आवाज को बुंलद करेंगी। सुनीता चौधरी दिल्ली की पहली ऑटो चालक के तौर पर भी पहचानी जाती हैं। इससे पहले वे 2012 में उप-राष्ट्रपति के चुनाव में भी नामांकन कर चर्चा में आई थी।
‘लव कमांडोज’ नामक हेल्‍प लाइन भी
सुनीता चौधरी प्रेमी जोड़ों को सुरक्षा देने के लिए ‘लव कमांडोज’ नामक हेल्‍प लाइन भी चलाती है।  वह वादा करते हुए कहती हैं कि अगर वह संसद में पहुंची तो शिक्षा में प्रेम का पाठ शामिल करवाएगी ।
प्रेमियों की आवाज बुंलद करने के इरादे से चुनाव लड़ रही हैं सुनीता

घोषणा पत्र में 14 में से 9 वादे प्रेमियों के लिए
दिल्ली के प्रेमियों के लिए संसद में आवाज बुलंद करने का इरादा रखने वाली सुनीता चौधरी ने अपना जो चुनावी घोषणा पत्र बनाया है उसमें 14 में से 9 वादे प्रेमी जोड़ों को ध्‍यान में रखकर बनाए हैं ।
क्‍या खास : 
1 प्रेम को कुदरती मानते हुए उसकी रक्षा के लिए ‘राष्ट्रीय प्रेमी अधिकार रक्षा आयोग’ की सथापना की मांग करेंगी।
2 हर थाने में प्रेमी -प्रेमिका रक्षा हेल्‍प डेस्‍क बनवाने के लिए प्रयास करेंगी ।

3 प्रेम शहीदों की याद में स्‍मारक बनवाएंगी ।

4 लड़का-लड़की की शादी की उम्र एक समान 18 साल करने की मांग वह संसद में करेंगी।

प्रेमियों की आवाज बुंलद करने के इरादे से चुनाव लड़ रही हैं सुनीता
कुछ ऐसी है सुनीता की कहानी
दिल्ली में लगभग 55000 ऑटो चालकों के बीच पहली महिला ऑटोचालक के रूप में अपनी पहचान बनाने वाली सुनीता चौधरी ने 2006 से दिल्ली की सड़कों पर ऑटो चला रही हैं। पैसे की कमी और पारिवारिक जीवन में उथल -पुथल के बीच वे उप्र से दिल्ली आई और यहां उन्‍होंने किराए पर ऑटो चलाकर अपना जीवन यापन शुरु किया।पहले किराए का ऑटो चलाती थी और कुछ सालों बाद सरकारी लोन की मदद मिलने के साथ ही उन्‍होंने अपना ऑटो ले लिया जिसके बाद वह कुछ पैसे ज्‍यादा कमाने लगी । उनकी जिंदगी में एक समय ऐसा भी था जब उनका ऑटो ही उनका अपना घर था,दिन भर वह ऑटो चलाती और रात ऑटो में ही सोकर गुजारती थी, रेलवे स्‍टेशन के जनता टॉयलेट का उपयोग वह कर अपने कपड़े बदलती थी। एक समय ऐसा भी  दिल्ली जैसे शहर में महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध पर वह कहती हैं कि काम तो काम होता है और इसे करते हुए अगर आपके साथ कुछ गलत होता हैं तो इस बात की गारंटी भी तो नहीं है कि जब आप घर में रहोगे तो वहां सुरक्षित ही रहोगे। खतरा तो हर जगह है। SABHAR :http://www.bhaskar.com/




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