रसोई में बना दुनिया का सबसे मजबूत पदार्थ



वैज्ञानिकों ने दुनिया का सबसे पतला और सबसे मजबूत पदार्थ 'ग्रेफीन' बनाने का एक आसान तरीका ढूंढ निकाला है. उन्हें उम्मीद है कि भविष्य में यह कंप्यूटरों, टच स्क्रींस और बैटरियों में सेमीकंडक्टरों की जगह ले सकता है.


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अपने गुणों के कारण चमत्कारी माना जाने वाला 'ग्रेफीन' दुनिया का ऐसा सबसे पतला पदार्थ है, जो दिखने में पारदर्शी और स्टील से भी अधिक मजबूत होता है. यह कार्बन के सिर्फ एक परमाणु जितना मोटा और बिजली का तेज संवाहक होता है. ग्रेफीन को बड़े स्तर पर बनाना हमेशा से ही काफी कठिन रहा है. जो भी तरीके अभी तक प्रचलित हैं उनसे बढ़िया क्वालिटी की ग्रैफीन काफी कम मात्रा में ही बनाई जा सकती है.
जब भी ज्यादा मात्रा में ग्रेफीन बनाने की कोशिशें होतीं, तो हमेशा इस पदार्थ में कुछ दोष रह जाते. अब इंग्लैंड और आयरलैंड के वैज्ञानिकों की एक टीम ने इसे बेदह आसान कर दिया है. उन्होंने किचन में इस्तेमाल होने वाले ब्लेंडर से बिना किसी दोष वाले ग्रेफीन की एक बहुत पतली परत तैयार कर दिखाई है.
वैज्ञानिकों ने पेंसिल की नोंक में इस्तेमाल होने वाले पदार्थ ग्रेफाइट को पीसकर पाउडर में बदला. फिर इस पाउडर को एक बर्तन में 'एक्सफोलिएटिंग लिक्विड' के साथ मिलाया और इसके बाद ब्लेंडर में बहुत तेजी से चला दिया. इस तरह उन्हें ग्रेफीन की एक माइक्रोस्कोपिक परत मिली जिसमें करीब एक नैनोमीटर मोटाई और 100 नैनोमीटर लंबाई वाले कण लिक्विड के अंदर झूल रहे थे. वैज्ञानिकों ने बताया कि तेज गति से ब्लेंडर के ब्लेड्स के साथ घुमाने से ग्रेफाइट पर इतना बल लगा कि वह टूट कर ग्रेफीन की एक परत में बदल गया. सबसे अच्छी बात यह हुई कि इस टूटने की प्रक्रिया में भी पदार्थ की द्विआयामी संरचना नष्ट नहीं हुई, जिसके कारण इसके सारे गुण बरकरार रहे.
'नेचर मैटीरियल्स' नाम के जर्नल में प्रकाशित हुई इस स्टडी के लेखकों में से एक जोनाथन कोलमैन ने कहा, "हमने ग्रेफीन शीट बनाने का एक नया तरीका विकसित किया है. इस तरीके से बिना किसी दोष वाला बहुत सारा ग्रेफीन बन सकता है." डबलिन के ट्रिनिटी कॉलेज में केमिकल फिजिक्स के प्रोफेसर कोलमैन ने बताया कि टीम ने ग्रेफाइट के मिश्रण को हिलाने के लिए उद्योग धंधों में इस्तेमाल होने वाले शीयर मिक्सर नाम के एक उपकरण का इस्तेमाल किया. इसके बाद उन्होंने इस प्रयोग को किचन के साधारण ब्लेंडर के साथ भी दोहराया और वैसा ही नतीजा पाया.
कोलमैन बताते हैं, "प्रयोगशाला में तो हमने केवल कुछ ग्राम बनाए लेकिन बड़े स्तर पर इससे कई टन पदार्थ तैयार किया जा सकेगा." इस तरह से बनाई गए ग्रेफीन वाले लिक्विड को ऐसी कई सारी सतहों पर पेंट की एक परत के रूप में लगाया जा सकता है जिसे मजबूत बनाना हो. इसके अलावा प्लास्टिक के साथ मिला कर और भी ज्यादा मजबूत मिश्रित पदार्थ तैयार किए जा सकते हैं. कोलमैन ने बताया कि जिस कंपनी ने इस स्टडी को प्रायोजित किया था वह ग्रेफीन की परत बनाने के इस तरीके को पेटेंट कराने के लिए आवेदन भी दे चुकी है.
सबसे पहले 1947 में ग्रेफीन जैसे गुणों वाले एक काल्पनिक पदार्थ की बात हुई थी. तब भौतिकशास्त्रियों को लगा था कि ऐसी किसी पतली परत को असल में बनाना असंभव होगा. उन्हें लगा कि अगर कार्बन क्रिस्टल जितनी मोटी एक परत बन भी गई तो वह स्थाई नहीं होगी. अब साबित हो गया कि कोरी कल्पना में भी सच्चाई की कुछ संभावना हमेशा होती है.sabhar :http://www.dw.de/

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