Study: इस वजह से खतरनाक होता जा रहा है डेंगू, भविष्य में गंभीर रोग-मृत्यु का जोखिम भी अधिक

Study: इस वजह से खतरनाक होता जा रहा है डेंगू, भविष्य में गंभीर रोग-मृत्यु का जोखिम भी अधिक 

डेंगू के कारण हर साल लाखों लोगों की मौत हो जाती है। राजधानी दिल्ली में भी इन दिनों डेंगू के मामले बढ़ते हुए रिपोर्ट किए जा रहे हैं। अध्ययनकर्ताओं ने बताया कि यहां डेंगू के टाइप-2 स्ट्रेन के मामले रिपोर्ट किए गए हैं जिसके कारण गंभीर रोग विकसित होने का जोखिम अधिक हो सकता है।


स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने एक हालिया अध्ययन में चेताया है कि समय के साथ डेंगू और भी खतरनाक होता जा रहा है, इसके कारण भविष्य में गंभीर रोगों का खतरा भी बढ़ता जा रहा है।


अध्ययन में शोधकर्ताओं ने बताया कि वैश्विक स्तर पर बढ़ते तापमान के कारण डेंगू वायरस अधिक खतरनाक होता जा रहा है। यानी कि अभी की तुलना में आने वाले वर्षों में डेंगू के कारण गंभीर रोग विकसित होने के मामले अधिक देखे जा सकते हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, पर्यावरण में हो रहा बदलाव कई प्रकार के स्वास्थ्य जोखिमों को बढ़ाने वाला माना जा रहा है, डेंगू का जोखिम भी उनमें से एक है।

उच्च तापमान और डेंगू का खतरा 


केरल स्थित राजीव गांधी सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी (आरजीसीबी) के शोधकर्ताओं ने यह अध्ययन किया है। वैज्ञानिकों की टीम ने पशु मॉडल अध्ययन में पाया कि डेंगू अधिक गंभीर और जोखिम कारक हो सकता है। वातावरण में बढ़ता तापमान इसके खतरों को और भी बढ़ाता जा रहा है, इसके जोखिमों को लेकर सभी लोगों को अलर्ट रहने की आवश्यकता है।


एफएएसईबी जर्नल में हाल ही में प्रकाशित इस शोध में डेंगू की गंभीरता और इसके जोखिमों से बचाव के लिए प्रयासों पर जोर दिया गया है।

गंभीर हो सकते हैं डेंगू के मामले


आंकड़ों को मुताबिक हर साल 390 मिलियन (39 करोड़) से अधिक लोग डेंगू के शिकार हो रहे हैं। तापमान वृद्धि की स्थिति वायरस की विषाक्तता को प्रभावित करती हुई देखी जा रही है। यह पहला अध्ययन है जिसमें तापमान और डेंगू की गंभीरता को लेकर लोगों को सावधान किया गया है।


शोधकर्ताओं ने कहा, पर्यावरणीय तापमान में वृद्धि के मौसम में, रुक-रुक कर होने वाली बारिश से मच्छरों के प्रजनन में वृद्धि रिपोर्ट की जाती रही है। हमारा अध्ययन ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ते दुष्प्रभावों और संक्रामक रोगों की गतिशीलता और इसके संभावित जोखिमों पर जोर देता है।


क्या कहते हैं स्वास्थ्य विशेषज्ञ?


पहले के अध्ययनों में यह देखा गया था कि अपेक्षाकृत उच्च पर्यावरणीय तापमान मच्छरों में वायरस के इनक्यूबेशन पीरियड को कम कर देता है, जिसके परिणामस्वरूप मानव संचरण में तेजी से वृद्धि हो सकती है। आरजीसीबी के निदेशक प्रोफेसर चंद्रभास नारायण बताया कि इस बार शोधकर्ता यह समझने का प्रयास कर रहे हैं कि डेंगू कभी-कभी गंभीर क्यों हो जाता है?


दशकों के शोध के बाद भी, बार-बार होने वाली इस बीमारी को नियंत्रित करने या रोकने के लिए अभी भी कोई प्रभावी टीके या एंटीवायरल नहीं है।

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