घाट रही है सिगरेट पीने वालों की लेकिन संख्या छूटा जर्मनी के पीछे

दुनिया में तम्बाकू का इस्तेमाल किया गया की कोशिशें असर ला रही हैं। एक नई रिपोर्ट के मुताबिक, यूरोपियन यूनियन के खिलाफ उठाए गए कदम से देश की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। इन अभियानों के कारण धूमपान करने वालों की संख्या कम हुई है।


स्वास्थ्य जर्मनी

घाट रही है सिगरेट पीने वालों की लेकिन संख्या छूटा जर्मनी के पीछे

12 घंटे पहले12 घंटे पहले

दुनिया में तम्बाकू का इस्तेमाल किया गया की कोशिशें असर ला रही हैं। एक नई रिपोर्ट के मुताबिक, यूरोपियन यूनियन के खिलाफ उठाए गए कदम से देश की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। इन अभियानों के कारण धूमपान करने वालों की संख्या कम हुई है।


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विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक नई रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया में धूमपान करने वालों की संख्या में कमी आ रही है।

कुछ देशों में जहां संयुक्त राज्य अमेरिका में कीटनाशकों का इस्तेमाल किया गया था, वहां काफी काम कर रहे हैं, वहीं कुछ देशों में जहां संयुक्त राज्य अमेरिका में कीटनाशकों का इस्तेमाल किया गया था, वहां काफी पीछे हैं।चित्र: वेस्टएंड61/इआमगो छवियाँ

आदि

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 31 जुलाई को एक रिपोर्ट जारी कर तंबाकू के इस्तेमाल पर रोक लगाने की घोषणा की थी। इसके अनुसार, दुनिया में करीब 560 करोड़ लोग ऐसे हैं जो देशों में रहते हैं, जहां नशे की लत के लिए कम-से-कम एक ठोस लागू किया गया है। इससे धूम्रपान में भी कमी आती है। अगर ये उपाय लागू नहीं होता तो दुनिया में 30 करोड़ और भी लोग सितारा पी रहे होते.


रिपोर्ट के मुताबिक, 2007 में धूमपान का वैश्विक प्रकाशन जहां 22.8 फीसदी था, वहीं 2021 में यह 17 फीसदी रहा। विश्व स्वास्थ्य संगठन के निदेशक जनरल टेड्रोस अधनोम गेब्रियेसस ने कहा, "दारो-दरा, लेकिन निश्चित रूप से ज्यादातर लोगों को विषाक्तता से नुकसान हो रहा है।"


घाट रही है सिगरेट पीने वालों की लेकिन संख्या छूटा जर्मनी के पीछे

12 घंटे पहले

दुनिया में तम्बाकू का इस्तेमाल किया गया की कोशिशें असर ला रही हैं। एक नई रिपोर्ट के मुताबिक, यूरोपियन यूनियन के खिलाफ उठाए गए कदम से देश की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। इन अभियानों के कारण धूमपान करने वालों की संख्या कम हुई है।

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विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक नई रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया में धूमपान करने वालों की संख्या में कमी आ रही है।
कुछ देशों में जहां संयुक्त राज्य अमेरिका में कीटनाशकों का इस्तेमाल किया गया था, वहां काफी काम कर रहे हैं, वहीं कुछ देशों में जहां संयुक्त राज्य अमेरिका में कीटनाशकों का इस्तेमाल किया गया था, वहां काफी पीछे हैं।चित्र: वेस्टएंड61/इआमगो छवियाँ

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 31 जुलाई को एक रिपोर्ट जारी कर तंबाकू के इस्तेमाल पर रोक लगाने की घोषणा की थी। इसके अनुसार, दुनिया में करीब 560 करोड़ लोग ऐसे हैं जो देशों में रहते हैं, जहां नशे की लत के लिए कम-से-कम एक ठोस लागू किया गया है। इससे धूम्रपान में भी कमी आती है। अगर ये उपाय लागू नहीं होता तो दुनिया में 30 करोड़ और भी लोग सितारा पी रहे होते.

रिपोर्ट के मुताबिक, 2007 में धूमपान का वैश्विक प्रकाशन जहां 22.8 फीसदी था, वहीं 2021 में यह 17 फीसदी रहा। विश्व स्वास्थ्य संगठन के निदेशक जनरल टेड्रोस अधनोम गेब्रियेसस ने कहा, "दारो-दरा, लेकिन निश्चित रूप से ज्यादातर लोगों को विषाक्तता से नुकसान हो रहा है।"

एक तेल और गैस के ड्रम पर नो स्मोकिंग का संदेश दिया गया
के अनुसार, अभी भी 44 देश ऐसे हैं, जहां धूम्रपान पर रोक या इसे कम करने की दिशा में कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है।चित्र: मैट रेगेन/डिज़ाइन चित्र/IMAGO

धूमपान है बड़ा खतरा

धूमपान से दुनिया में हर साल करीब 80 लाख कलाकार होते हैं। इनके अलावा लगभग 12 लाख लोग 'सेकंड हैंड स्मोकिंग' से मरते हैं। ये ऐसे कलाकार हैं, जिन्हें खरीदा जा सकता है। धूमपान ऐसी चॉकलेट के मुख्य उत्पादों में से एक है। गैर-सरकारी संगठनों में धूमपान के नुकसान और गंभीर प्रभाव के खिलाफ प्रचार करना भी शामिल है। इसके अलावा सीताफल के किटों पर स्वास्थ्य चेतावनी और लक्ष्य भी अहम हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, मॉरीशस, नीदरलैंड्स, तुर्की और ब्राज़ीलियाई देशों में धूमपान कम करने के लिए सभी देशों में लागू होने वाली सभी बातें शामिल हो गई हैं। इनके अलावा इथियोपिया, ईरान, आयरलैंड, जॉर्डन, मेडागास्कर, मैक्सिको, न्यूजीलैंड और स्पेन ने भी तेजी से प्रयास किए हैं।

कई देश पीछे हैं

के अनुसार, अभी भी 44 देश ऐसे हैं, जहां धूम्रपान पर रोक या इसे कम करने की दिशा में कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है। भारत की कुल जनसंख्या लगभग 230 करोड़ है। पारंपरिक धूमपान के अलावा रिपोर्ट में ई-सिगरेट के बढ़ते चलन पर भी चिंता जताई गई है। लगभग 74 देशों में वेपी राजपूतों के लिए कोई रेगुलेशन नहीं है। दुनिया के देशों में सबसे ज्यादा ई-सिगरेट की कमी की कोई न्यूनतम आयु नहीं है। sabhar dw.de

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