भ्रूणों की जीन एडिटिंग का क्यों हो रहा विरोध?

आज दुनिया में कई ऐसे लोग हैं जिनके जीन को सीआरआईएसपीआर-केस9 जीन एडिटिंग तकनीक का इस्तेमाल करके संशोधित किया गया है. तकनीक सही है या गलत, इस पर चर्चा होती रहेगी, लेकिन जीन थेरेपी काम कैसे करती हैं और उनकी सीमाएं क्या हैं? 


आज दुनिया में कई ऐसे लोग हैं जिनके जीन को सीआरआईएसपीआर-केस9 जीन एडिटिंग तकनीक का इस्तेमाल करके संशोधित किया गया है. तकनीक सही है या गलत, इस पर चर्चा होती रहेगी, लेकिन जीन थेरेपी काम कैसे करती हैं और उनकी सीमाएं क्या 

 2018 में वैज्ञानिक हे जिआन्की ने संशोधित जीनोम वाली दो बच्चियों के जन्म की घोषणा कर दुनिया को चौंका दिया. उन्होंने दावा किया था कि वह सीआरआईएसपीआर-केस9 जीन एडिटिंग तकनीक का इस्तेमाल कर दो जुड़वां लड़कियों के जीन को संशोधित करने में कामयाब रहे हैं, ताकि उन्हें भविष्य में एड्स वायरस के संक्रमण से बचाया जा सके.


हे जिआन्की चीन के शेनजेन प्रांत में सदर्न यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी में बतौर एसोसिएट प्रोफेसर कार्यरत थे. जिआन्की ने जुड़वा भ्रूणों पर सीआरआईएसपीआर-केस9 नामक जीन एडिटिंग टूल का इस्तेमाल किया, ताकि उन भ्रूण के सीसीआर5 जीन को संशोधित किया जा सके और उनके अंदर एचआईवी के लिए प्रतिरोध पैदा हो सके.


इन दोनों बच्चियों के अलावा, एक साल बाद तीसरा ऐसा बच्चा पैदा हुआ जिसके जीन में संशोधन किया गया था. ये तीनों दुनिया के पहले जीन संशोधित बच्चों का प्रतिनिधित्व करते हैं. पांच साल बाद भी तीनों कथित तौर पर स्वस्थ हैं और सामान्य जीवन जी रहे हैं.


इस घटना से वैज्ञानिकों के साथ-साथ सामान्य लोगों का एक बड़ा तबका आक्रोशित हुआ. जिआन्की के शोध और कार्य की नैतिकता को लेकर दुनिया के कई हिस्सों में काफी तेज और व्यापक आलोचना हुई. नतीजा यह हुआ कि ‘गैर-कानूनी तरीके से डॉक्टरी उपचार' के आरोप मेंजिआन्की को चीन में तीन साल कैद की सजा सुनाई गई.


ये तीनों बच्चे भ्रूण के दौरान जीनोम संशोधन के पहले मामलों के उदाहरण हो सकते हैं, लेकिन वे संशोधित जीनोम वाले एकमात्र इंसान नहीं हैं. सिकल सेल रोग के इलाज के लिए सीआरआईएसपीआर-केस9 का इस्तेमाल करके, क्लिनिकल ट्रायल में 200 से अधिक वयस्कों का इलाज किया गया है.


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