सोना खरीदने से क्यों हिचक रहे भारतीय ग्राहक

सोना खरीदने से क्यों हिचक रहे भारतीय ग्राहक 

वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक भारत में 2023 में सोने की मांग 10 फीसदी तक गिर सकती है. यह गिरावट तीन साल के निचले स्तर पर जा सकती है. भारत दुनिया में सोने की खपत करने वाला दूसरा सबसे बड़ा देश है.


अर्थव्यवस्थाभारत

सोना खरीदने से क्यों हिचक रहे भारतीय ग्राहक

21 घंटे पहले21 घंटे पहले

वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक भारत में 2023 में सोने की मांग 10 फीसदी तक गिर सकती है. यह गिरावट तीन साल के निचले स्तर पर जा सकती है. भारत दुनिया में सोने की खपत करने वाला दूसरा सबसे बड़ा देश है.



वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (डब्ल्यूजीसी) ने मंगलवार को कहा कि 2023 में भारत की सोने की मांग एक साल पहले की तुलना में 10 प्रतिशत कम होकर तीन साल के निचले स्तर पर आ सकती है. ऐसा सोने की रिकॉर्ड ऊंची कीमतों के कारण रिटेल खरीदारी में गिरावट से हो रहा है. 


दुनिया के दूसरे सबसे बड़े सोने के उपभोक्ता भारत में कम खरीदारी से वैश्विक कीमतों में तेजी सीमित हो सकती है. सोने के आयात की कम मांग से भारत के व्यापार घाटे को कम करने और रुपये को समर्थन देने में भी मदद मिल सकती है.


डब्ल्यूजीसी के भारतीय ऑपरेशन के क्षेत्रीय मुख्य कार्यकारी अधिकारी पीआर सोमसुंदरम ने कहा, ''हम सोने की मांग को लेकर सतर्क हैं क्योंकि उच्च स्थानीय कीमतों और विवेकाधीन खर्च में मंदी के कारण इसमें अनिश्चितता का सामना करना पड़ रहा है.''

ऊंची कीमतों से सोने की मांग पर असर

उन्होंने कहा कि 2023 में सोने की मांग 700 मीट्रिक टन हो सकती है, जो एक साल पहले 774.1 मीट्रिक टन थी. साल 2020 में भारत में 446 टन सोना खरीदा गया था. सोने की रिकॉर्ड ऊंची कीमतों की वजह से इसकी खरीदारी में गिरावट आई है. ऊंची कीमतों ने ग्राहकों में खरीदारी की क्षमता पर असर डाला है.

डब्ल्यूजीसी ने कहा कि अप्रैल-जून तिमाही में भारत में सोने की मांग सात प्रतिशत गिरकर 158.1 मीट्रिक टन रह गई, क्योंकि स्थानीय कीमतों में बढ़ोतरी के कारण आभूषण और निवेश मांग दोनों कम हो गई. इसी तिमाही में एक तोला यानी प्रति 10 ग्राम सोने की कीमत 61,845 रुपये के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई.


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वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक भारत में 2023 में सोने की मांग 10 फीसदी तक गिर सकती है. यह गिरावट तीन साल के निचले स्तर पर जा सकती है. भारत दुनिया में सोने की खपत करने वाला दूसरा सबसे बड़ा देश है.


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मुंबई

2023 में सोने की मांग 10 फीसदी तक गिर सकती हैतस्वीर: picture-alliance/AP Photo

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वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (डब्ल्यूजीसी) ने मंगलवार को कहा कि 2023 में भारत की सोने की मांग एक साल पहले की तुलना में 10 प्रतिशत कम होकर तीन साल के निचले स्तर पर आ सकती है. ऐसा सोने की रिकॉर्ड ऊंची कीमतों के कारण रिटेल खरीदारी में गिरावट से हो रहा है. 


दुनिया के दूसरे सबसे बड़े सोने के उपभोक्ता भारत में कम खरीदारी से वैश्विक कीमतों में तेजी सीमित हो सकती है. सोने के आयात की कम मांग से भारत के व्यापार घाटे को कम करने और रुपये को समर्थन देने में भी मदद मिल सकती है.


डब्ल्यूजीसी के भारतीय ऑपरेशन के क्षेत्रीय मुख्य कार्यकारी अधिकारी पीआर सोमसुंदरम ने कहा, ''हम सोने की मांग को लेकर सतर्क हैं क्योंकि उच्च स्थानीय कीमतों और विवेकाधीन खर्च में मंदी के कारण इसमें अनिश्चितता का सामना करना पड़ रहा है.''


सोने के सिक्के के साथ एक महिलासोने के सिक्के के साथ एक महिला

रिकॉर्ड ऊंची कीमतों से मांग में कमीतस्वीर: Jagadeesh/EPA/dpa/picture alliance

ऊंची कीमतों से सोने की मांग पर असर

उन्होंने कहा कि 2023 में सोने की मांग 700 मीट्रिक टन हो सकती है, जो एक साल पहले 774.1 मीट्रिक टन थी. साल 2020 में भारत में 446 टन सोना खरीदा गया था. सोने की रिकॉर्ड ऊंची कीमतों की वजह से इसकी खरीदारी में गिरावट आई है. ऊंची कीमतों ने ग्राहकों में खरीदारी की क्षमता पर असर डाला है.


डब्ल्यूजीसी ने कहा कि अप्रैल-जून तिमाही में भारत में सोने की मांग सात प्रतिशत गिरकर 158.1 मीट्रिक टन रह गई, क्योंकि स्थानीय कीमतों में बढ़ोतरी के कारण आभूषण और निवेश मांग दोनों कम हो गई. इसी तिमाही में एक तोला यानी प्रति 10 ग्राम सोने की कीमत 61,845 रुपये के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई.


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ऊंची कीमत में मुनाफावसूली 

सोमसुंदरम ने कहा कि सोने की ऊंची कीमतें भी कुछ लोगों को अपने पुराने आभूषण और सिक्के बेचने के लिए प्रेरित कर रही हैं, जिससे इस्तेमाल किए गए सोने की आपूर्ति में वृद्धि हुई है.


आंकड़ों के मुताबिक जून की तिमाही में सोने की रीसाइक्लिंग एक साल पहले की तुलना में 61 प्रतिशत बढ़कर 37.6 मीट्रिक टन हो गई, जो लगभग तीन वर्षों में सबसे अधिक है. सोमसुंदरम ने कहा कि रिकॉर्ड ऊंची कीमतों के कारण सोने की तस्करी बढ़ी है और पिछले साल भारत ने कीमती धातु पर आयात शुल्क बढ़ा दिया था. 


सोमसुंदरम के मुताबिक कुछ निवेशकों ने ऐतिहासिक स्तरों से प्रॉफिट बुक किया. उन्होंने कहा कि ग्रे-मार्केट ऑपरेटर्स जो विदेशों से सोने की तस्करी करते हैं और ड्यूटी से बचने के लिए इसे नकद में बेचते हैं, वे छूट की पेशकश कर रहे हैं, जिससे ड्यूटी देने वाले संगठित व्यापारियों को नुकसान हो रहा है.


2020 में कोविड महामारी ने भारत में सोने की खरीदारी को प्रभावित किया था. अब इस बार ऊंची कीमतें ग्राहकों को उससे दूर ले जा रही है.


एए/वीके (रॉयटर्स) sabhar Dw.de 

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