माइक्रोचिप की जंग में चीन की नई चाल, दुनिया पर क्या पड़ेगा असर?
माइक्रोचिप की जंग में चीन की नई चाल, दुनिया पर क्या पड़ेगा असर?
- एनाबेल लियांग और निक मार्श
- बीबीसी न्यूज़
नए नियमों के तहत अब गैलियम और जर्मेनियम के निर्यात के लिए स्पेशल लाइसेंस लेना होगा.
इन रासायनिक तत्वों का इस्तेमाल चिप और सैन्य साज़ो-सामान में होता है.
चीन ने ये क़दम उस समय उठाया है जब अमेरिका ने उसकी एडवांस्ड माइक्रोप्रोसेसर तकनीक तक पहुंच को सीमित कर दिया है.
चीन दुनिया का सबसे बड़ा प्लेयर
चीन इस समय दुनिया में गैलियम और जर्मेनियम की सप्लाई का सबसे बड़ा प्लेयर है.
क्रिटिकल रॉ मैटेरियल्स अलायंस (सीआरएमए) के मुताबिक़, चीन दुनिया में सबसे अधिक तक़रीबन 80 फ़ीसदी गैलियम और 60 फ़ीसदी जर्मेनियम का उत्पादन करता है.
ये रासायनिक तत्व ‘माइनर मेटल्स’ यानी बेहद छोटी धातुएं कहलाते हैं. ये धातुएं प्रकृति में आमतौर पर नहीं पाई जाती हैं बल्कि एक प्रक्रिया के तहत दूसरी धातुओं से इन्हें निकाला जाता है.
अमेरिका के अलावा जापान और नीदरलैंड्स ने चीन पर चिप तकनीक को निर्यात करने पर प्रतिबंध लगाया हुआ है. जापान और नीदरलैंड्स मुख्य चिप उपकरण निर्माता एएसएमएल के केंद्र हैं.
निवेश फ़र्म बीएमओ कैपिटल मार्केट्स के कोलिन हेमिल्टन बीबीसी से कहते हैं, “चीन की तरफ़ से की गई घोषणा आकस्मिक नहीं है बल्कि नीदरलैंड्स समेत कई दूसरे देश चीनी निर्यात पर पहले ही प्रतिबंध लगा चुके हैं.”
वो कहते हैं, “ये बहुत आसान है कि अगर आप हमें चिप्स नहीं दोगे तो हम आपको उन चिप्स को बनाने वाला सामान नहीं देंगे.”
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें