आसमान में दिखाई दी अद्भुत खगोलीय घटना, सूरज के बदले रूप से हुआ ऐसा
जयपुर। सूर्य की अद्भुत खगोलीय घटना का नजारा सोमवार को दिखा। साल में दो बार दिन-रात बराबर होते हैं। सायन सूर्य चूंकि तुला राशि में था। दिन और रात की अवधि बराबर वाली इस खगोलीय घटना यानि शरद संपात और विषुवत दिन में सूर्य ने उत्तर से दक्षिण गोल में जाना शुरू किया।
जंतर-मंतर के पूर्व अधीक्षक ओमप्रकाश शर्मा के मुताबिक सूर्य के दक्षिण गोल (गोलाद्र्ध) में प्रवेश से अब दिनों की अवधि कम और और रातों की अवधि बढऩा शुरू हो जाएंगी। दोपहर 12.19 बजे शुरू हुआ ये घटनाक्रम 1:10 तक चला। षष्टांश यंत्र व जयप्रकाश यंत्र पर अनूठा नजारा देखने को मिला। सूर्य पूरे दिन विषुवत रेखा पर रहा।
पूरे दिन में कवर होती हैं 12 राशियां
ज्योतिषीय ज्ञान में पूरे दिन में 12 राशियां कवर होती हैं। ज्योतिषाचार्य दामोदर प्रसाद शर्मा के अनुसार इनमें छह राशियां दिन में और छह राशियां रात में बदलती हैं। वहीं हर डेढ़ से सवा दो घंटे में लग्न राशि में परिवर्तन होता है।
यूं चलता है पूरे वर्ष में खगोलीय घटनाक्रम
ऐसी खगोलीय घटना एक साल में दो बार होती है, जब दिन और रात बराबर होते हैं। 21 मार्च और 23 सितंबर ऐसा दिन है। 21 जून को दक्षिणी ध्रुव सूर्य से सर्वाधिक दूर रहता है, इसलिए इस दिन सबसे बड़ा दिन होता है। इसके बाद 22 दिसंबर को सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण की ओर प्रवेश करता है। इसलिए 22 दिसंबर को सबसे छोटा दिन और सबसे बड़ी रात होती है। खगोलविदों के मुताबिक 22 दिसंबर से दिन की अवधि बढऩे लगती है। सूर्य दक्षिण को ओर अग्रसर होता है, तो दक्षिण गोल सूर्य कहलाता है। सूर्य उत्तर की ओर जाता है, तो उत्तर गोल कहलाता है। दोनों स्थिति की अवधि ६ माह होती है।
51 मिनट की अवधि में जंतर मंतर में दिखे सूर्य के कई आकार
12.19 बजे सूर्य की सीधी किरण षष्टांश यंत्र पर पड़ी। ये विषुवत रेखा से दूरी बताती है। सोमवार को सूर्य विषुवत रेखा पर था।
12:29 बजे षष्टांश यंत्र पर दक्षिण गोल की ओर सूर्य की रोशनी आरंभ में प्रकाश पुंज की भांति दिखी। फिर सूर्य रॉकेट नुमा से अंडाकार व गोलाकार रहा।
12:36 बजे कई बार सूर्य का बादलों की ओट में आना भी रोमांच का विषय रहा। जयप्रकाश - यंत्र पर सूर्य पूरे दिन विषुवत रेखा पर ही रहा। ये दृश्य पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र रहा।
12:51 बजे सूर्य 0 डिग्री से ऊपर उत्तराक्रांति से दक्षिणाक्रांति की ओर चलता दिखाई दिया। इसे शरदसंपात कहते हैं।
1:10 बजे चांदनी रात सा प्रकाश बिखेरता हुआ सूर्य दक्षिणा क्रांति की ओर चला गया।
sabhar : bhaskar.com
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