डायनासोर की रहस्यमयी दुनिया, जानें वो सबकुछ जो आप जानना चाहते हैं...

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हॉलीवुड के मशहूर स्टूडियो यूनिवर्सल पिक्चर्स ने हिट फिल्म ‘जुरासिक पार्क’ के चौथे संस्करण की घोषणा कर दी है। यह फिल्म ‘जुरासिक वर्ल्ड’ के नाम से 2015 में रिलीज होगी। ‘जुरासिक पार्क’ एक ऐसी फिल्म थी, जिसने पूरी दुनिया को डायनासोर नाम के दैत्याकार जीव से परिचित कराया था। आइए आज की बिग स्टोरी में एक नजर डालें डायनासोर की अद्भुत दुनिया पर...।
 
हॉलीवुड के मशहूर निर्देशक स्टीवन स्पीलबर्ग द्वारा निर्देशित फिल्म ‘जुरासिक पार्क’ जब 1993 में रिलीज हुई थी तो इस फिल्म ने पूरी दुनिया को एक अद्भुत जीव डायनासोर से बेहद शानदार ढंग से रूबरू करवाया था। इसके दूसरे और तीसरे संस्करण को भी लोगों ने खूब सराहा। डायनासोर बच्चों से लेकर बड़ों तक के लिए हमेशा कौतुहल का विषय रहे हैं। दुनिया की सबसे ज्यादा बिकने वाली कुछ किताबें डायनासोर पर आधारित हैं। फिल्मों में भी लोगों ने इन्हें खूब पसंद किया। आज डायनासोर पूरी तरह लुप्त हो चुके हैं। मगर यह कहां रहते थे, क्या खाते थे और ये आखिर कैसे खत्म हो गए, यह सब आम जन से लेकर वैज्ञानिकों के लिए भी चर्चा का विषय बना रहता है।
 
आगे की स्लाइड पर क्लिक करके पढ़ें, डायनासोर कहां रहते थे, क्या खाते थे और ये आखिर कैसे खत्म हो गए। साथ ही जानें, डायनासोर पर क्या है वैज्ञानिकों का सच...

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16 करोड़ साल तक रहा राज
 
डायनासोर ऐसे रेप्टाइल्स हैं, जिनकी उत्पत्ति धरती पर तकरीबन 20 से 25 करोड़ साल पहले हुई थी। डायनासोर शब्द ग्रीक भाषा का है, जिसका अर्थ बड़ी खतरनाक और भयंकर छिपकली होता है। हालांकि, ये विशालकाय प्राणी छिपकली से हजारों गुना बड़े होते थे। यह ट्रिएसिक काल के अंत (लगभग 23 करोड़ वर्ष पहले) से लेकर क्रीटेशियस काल (लगभग 6.5 करोड़ वर्ष पहले) के अंत तक अस्तित्व में रहे। डायनासोर के अवशेष पृथ्वी के हर महाद्वीप पर पाए गए हैं। मेसोज्यॉइक काल में डायनासोर होते थे। इस काल को तीन भाग में बांटा गया है। इसमें ट्रिएसिक काल, जुरैसिक काल और क्रीटेशियस काल शामिल हैं। 16.5 करोड़ सालों तक डायनासोर का पृथ्वी पर राज रहा है।
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कैसे थे ये प्राणी?
 
अब तक हॉलीवुड फिल्मों में दिखाए गए डायनासोर की ही तरह वास्तव में कई प्रकार के डायनासोर होते थे। कुछ डायनासोर दो पैरों पर चलते थे तो कुछ चार पैरों के सहारे ही चल पाते थे। कई डायनासोर ऐसे थे, जो आवश्यकता पड़ने पर दो पैरों पर चलते थे तो कभी चार पैरों पर चलते थे। कुछ प्रजातियों के डायनासोर उड़ते भी थे। अधिकांश डायनासोर शाकाहारी थे, जबकि कुछ प्रजातियां ऐसी थीं, जो मांसाहारी थीं। इन प्रजातियों के डायनासोर अन्य छोटे डायनासोर को ही अपना भोजन बना लेते थे। डायनसोर को आमतौर पर अपने विशाल आकार के लिए जाना जाता है, लेकिन डायनासोर की कुछ प्रजातियां मानव के जितनी बड़ी तो कुछ मुर्गे के बराबर भी हुई हैं। कई डायनासोर ऐसे थे, जिनके सींग भी थे, जबकि इनका रंग कैसा था इस बात पर वैज्ञानिक एक मत नहीं हो पाए हैं।

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कब से हुए अध्ययन शुरू?
 
वैज्ञानिकों ने डायनासोर पर अध्ययन 1820 के दशक से प्रारंभ किया। दरअसल, उस समय इंग्लंड में एक बड़े लैंड रेह्रश्वटाइल की हड्डियां मिली थीं। इसके बाद ही दुनियाभर के कई देशों में ऐसी हड्डियां खोजी गईं और डायनासोर के बारे में वैज्ञानिकों ने साक्ष्य जुटाना शुरू कर दिए। उस समय वैज्ञानिकों ने हड्डियों को देखने के बाद उस जीव को मेगालोसॉरस नाम दिया था। डायनासोर शब्द का इस्तेमाल 1842 में इंग्लैंड के वैज्ञानिक सर रिचर्ड ओवेन ने पहली बार किया था। डिनोस का अर्थ है, भयानक और शक्तिशाली, जबकि सॉरस का अर्थ है छिपकली।

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कैसे हुआ अंत
 
डायनासोर का अंत धरती पर कैसे हुआ, यह आज तक स्पष्ट नहीं हो पाया है। दुनियाभर के वैज्ञानिकों का इस बात पर अलग-अलग मत है। हालांकि, इस बारे में सबसे अधिक यह कहा जाता है कि कोई उल्कापिंड धरती से टकराया था और उसके प्रभाव ने डायनासोर का अस्तित्व दुनिया से खत्म कर दिया था। अधिकांश पैलिओनटोलॉजिस्ट का कहना है कि लगभग 65.5 मिलियन साल पहले पृथ्वी पर कोई उल्कापिंड या धूमकेतु गिरा था, जिसके कारण पूरी धरती पर राख फैल गई थी और डायनासोर का अंत हो गया था।
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भारत में डायनासोर
 
भारत में भी डायनासोर के अवशेष मिल चुके हैं। 2003 में वैज्ञानिकों ने भारत में डायनासोर की नई प्रजाति की खोज की थी। यह नर्मदा घाटी में लगभग 7 करोड़ वर्ष पहले पाया जाता था। भारत में पाए गए डायनासोर की प्रजाति का नाम रोजासॉरस नर्मेदेसिस रखा गया है। वैज्ञानिकों की टीम ने गुजरात के नर्मदा नदी के इलाके में खोज अभियान चलाया था, जहां पर इस दौरान उन्हें डायनासोर के जीवश्म प्राप्त हुए थे।
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ब्रिटेन रहा है हॉटस्पॉट
 
ब्रिटेन को डायनासोर का हॉटस्पॉट कहा जाता था। यहां पर डायनासोर की अब तक 100 से ज्यादा प्रजातियां खोजी जा चुकी हैं। दरअसल, मेसोज्यॉइक काल (एज ऑफ रेह्रश्वटाइल्स भी कहा जाता है) में ब्रिटेन नॉर्थ अमेरिका और यूरेशिया के बीच लैंड ब्रिज के रूप में था। यही कारण है कि उस काल में यह डायनासोर के इवोल्यूशन और माइग्रेशन के लिए हॉट स्पॉट बन गया था। यहां के वैज्ञानिकों की भी डायनासोर में काफी रुचि रही है।

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शाकाहारी ज्यादा, मांसाहारी कम
 
वैज्ञानिकों के अनुसार दुनिया भर में शाकाहारी डायनासोर ज्यादा हुए हैं, जबकि इनकी तुलना में मांसाहारी डायनासोर कम होते थे। दरअसल, शाकाहारी डायनासोर काफी संख्या में अंडे देते थे, लेकिन इनके बच्चे बेहद कम संया में वयस्क हो पाते थे, जबकि मांसाहारी डायनासोर की उम्र लंबी होती थी। मांसाहारी डायनासोर खुद शाकाहारी डायनासोर के बच्चों को खा लेते थे। इसी कारण वयस्क शाकाहारी डायनासोर कम हुए हैं।

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कुछ खास बातें...
 
सबसे पहला नामः 
दुनिया में पहले डायनासोर का नाम मेगालोसॉरस पड़ा था। यह 1842 में वैज्ञानिक रेवेरेंड विलियम बकलैंड ने दिया था। मेगालोसॉरस का मतलब गेट्र लिजार्ड होता है। यह डायनासोर तकरीबन 9 मीटर लंबा और तीन मीटर ऊंचा था।
 
सबसे लंबा डायनासोरः 
सीसमोसॉरस अब तक दुनिया का सबसे लंबा डायनासोर है। वैज्ञानिकों के अनुसार सीसमोसॉरस की लंबाई 40 मीटर से भी ज्यादा थी। इसके अवशेषों के अनुसार इसकी लंबाई पांच डबल डेकर बस से भी ज्यादा थी। यह चार पैरों पर धीमी गति से चलता था।
 
सबसे वजनी डायनासोरः 
वैज्ञानिकों के मिले साक्ष्यों के आधार पर ब्रैचियोसॉरस अब तक सबसे वजनी डायनासोर है। इसका वजन 80 टन था। 16 मीटर ऊंचे और 26 मीटर लंबे ब्रैचियोसॉरस की कद-काठी पांच अफ्रीकी हाथियों के बराबर थी। ब्रैचियोसॉरस का मतलब आर्म लिजार्ड होता है। ब्रैचियोसॉरस की गर्दन जिराफ की तरह लंबी थी।
 
सबसे छोटा डायनासोरः 
वैसे तो डायनासोर के बच्चों के जीवश्म और हड्डियों से वैज्ञानिकों को कई छोटे डायनासोर होने का अनुमान हुआ है, लेकिन पूरी तरह विकसित अब तक का सबसे छोटा डायनासोर लेसोथोसॉरस है। पूरी तरह विकसित होने के बाद इसकी लंबाई मात्र 1 मीटर थी। पूरी तरह शाकाहारी लेसोथोसॉरस बहुत तेज गति से भाग सकता था।
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जानें कुछ और फैक्ट...
 
- 200 साल तक जीवित रहे हैं, कुछ डायनासोर। हालांकि, वैज्ञानिकों के पास डायनासोर की लाइफ स्पैम के बारे में कोई ठोस जानकारियां नहीं हैं।
- 500 विभिन्न वंशों और 1000 से अधिक प्रजातियों के डायनासोरों की अब तक वैज्ञानिक पहचान कर चुके हैं।
- 23 करोड़ वर्ष पहले मेडागॉस्कर में दुनिया के पहले डायनासोर होने की बात वैज्ञानिक कहते हैं। हालांकि, इस डायनासोर का वैज्ञानिकों ने कोई नाम नहीं दिया था। sabhar : bhaskar.com


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