जिनके एक इशारे से इंद्र देव बादल लेकर आ जाते
सावन आ चुका है लेकिन आसमान से सूर्य देव आग उगल रहे हैं। प्यासी धरती पानी-पानी चिल्ला रही है लेकिन इन्द्र देव हैं की पानी नहीं बरसाने की कसम खाए बैठे हैं।
ऐसे में उस संत की याद आती है जिनके एक इशारे से इंद्र देव बादल लेकर आ जाते और झमाझम बरसात होने लगती थी।

इस महान संत का वास्तविक नाम 'शिवरत्न पंडित' था। इनका जन्म गोरखपुर के दीपगढ़ गांव में हुआ था। 15 वर्ष की उम्र में ही इन्होंने गृह त्याग कर दिया और काशी में आकर रहने लगे।
यहीं तप साधना द्वारा इन्होंने ऐसी सिद्घियां हासिल कर ली कि इनके एक संकेत मात्र से खिली हुई धूप में भी बरसात होने लगती थी।यह महान संत काशी में कच्चा बाबा के नाम से प्रसिद्घ हुए। कच्चा बाबा के नाम से मिली प्रसिद्घि का कारण यह था कि इन्हें जो भी चावल, दाल, आटा मिलता उसे बिना पकाए कच्चा ही खा जाते थे।
इस महान संत ने 84 साल की उम्र में 1914 ईश्वी में देहत्याग किया। अगर यह संत आज होते तो जिस तरह से पानी के लिए त्राहि-त्राहि मची है वह हाल नहीं होता।
ऐसे में उस संत की याद आती है जिनके एक इशारे से इंद्र देव बादल लेकर आ जाते और झमाझम बरसात होने लगती थी।
इस महान संत का वास्तविक नाम 'शिवरत्न पंडित' था। इनका जन्म गोरखपुर के दीपगढ़ गांव में हुआ था। 15 वर्ष की उम्र में ही इन्होंने गृह त्याग कर दिया और काशी में आकर रहने लगे।
यहीं तप साधना द्वारा इन्होंने ऐसी सिद्घियां हासिल कर ली कि इनके एक संकेत मात्र से खिली हुई धूप में भी बरसात होने लगती थी।यह महान संत काशी में कच्चा बाबा के नाम से प्रसिद्घ हुए। कच्चा बाबा के नाम से मिली प्रसिद्घि का कारण यह था कि इन्हें जो भी चावल, दाल, आटा मिलता उसे बिना पकाए कच्चा ही खा जाते थे।
इस महान संत ने 84 साल की उम्र में 1914 ईश्वी में देहत्याग किया। अगर यह संत आज होते तो जिस तरह से पानी के लिए त्राहि-त्राहि मची है वह हाल नहीं होता।
sabhar :http://www.amarujala.com/
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