एक स्थूल शरीर का उपयोग एक से अधिक आत्माएँ कर सकती है




एक स्थूल शरीर का उपयोग एक से अधिक आत्माएँ कर सकती है. पूर्व जन्म याद आने को जाति स्मरण कहा जाता है.

शरीरों को परिभाषित करने का अपना-अपना ढंग हैं. जैन आगम के अनुसार संसारिक जीव के पाँच शरीर हो सकते हैं, ये शरीर हैं: 1. औदारिक़ 2. वैक्रियक 3. आहरक 4. तैजस और 5. कार्मणा . औदारिक़ को छोड़कर शेष सभी चार शरीर संपूर्ण ब्रह्मांड मे बे रोक-टोक गमन कर सकते हैं. वैदिक धर्मानुसार शरीर दो हैं, एक सूक्षम शरीर और दूसरा स्थूल शरीर. जैन धर्म द्वारा परिभाषित औदरिक शरीर तो स्थूल शरीर हुआ, और शेष चार शरीर सूक्ष्म शरीर के भेद हैं. इस प्रकार दोनों धर्मों में लगभग समानता कहीं जा सकती है.

प्रत्येक संसारिक के कम से कम दो शरीर तैजस और कार्मणा अवश्य होते हैं और अधिक से अधिक चार शरीर एक साथ हो सकते हैं. जो हमे दिखाई देता है वह औदारिक़ शरीर है. चौथा शरीर वैक्रियक और आहरक में से हो सकता है. औदरिक शरीर ही स्थूल शरीर है. किसी भी वस्तु को हम पहिले पॉलिथीन की पन्नि में रखते हैं और फिर डब्बे में. जिस शरीर को लिए हम आम लोगो को नज़र आते हैं वह स्थूल शरीर ही तो है. सामान्यत: हम स्थूल शरीर को ही देख सकते हैं, शेष शरीर आम प्राणी को सामान्य अवस्था में दिखाई नहीं देते हैं.

मृत्यु के समय जीव का इस स्थूल शरीर से सम्बंध टूट जाता है. जिसे मृत्यु कहते हैं. इस मृत्यु के बाद जब जीव पुन: नवजात शिशु शरीर धारण करता है तो उसे पुनर्जन्म, अंग्रेजी में Reincarnation or Rebirth कहते हैं. और यदि किसी दूसरी जन्मी देह में प्रवेश कर जाती है तो उसे परकाया प्रवेश कहते हैं.

गर्भ धारण करते ही स्थूल शरीर की नीव रखी जाती है, और जीव उसमें आ जाता है. गर्भ धारण करने के बाद मनुष्य जन्म में सामान्यत: नो माह का समय लगता है. यदि कोई मनुष्य आज मरे और आज ही पैदा हो जाए, तो इसका क्या अर्थ हुआ? इसका अर्थ हुआ कि जो जीव गर्भ धारण करने से अब तक गर्भ के शिशु शरीर में विद्यमान था, वह चला गया और आज ही मरने वाले मनुष्य की आत्मा उस गर्भ के शिशु शरीर में प्रवेश कर गयी है. कभी-कभी आत्मा पूर्व के किसी शरीर को भी धारण कर लेती है जैसे कोई पॅकिंग बदल दी गयी हो, और इससे संबंधित सच्च घटनाओं का ब्यौरा प्रस्तुत है:

एक- भारत की घटना:
आगरा के सुरेश वर्मा 28 अगस्त, 1983 को दुकान से कार से घर लौट रहे थे और दरवाजा खुलवाने के लिए हॉर्न बजाया. इसी बीच पहिले से ही घात लगाकर बैठे दो आदमी बंदूक ताने उनकी ओर लपके और गोली दाग दी. एक गोली उनके पैर में लगी और दूसरी सिर में. और सुरेश वर्मा की मृत्यु हो गयी.

28 अगस्त, 1983 को ही आगरा से 13 किलोमीटर दूर बढ़ ग्राम में सुरेश वर्मा की आत्मा ने पुन: जन्म ले लिया. उसका नाम टीटू रखा गया. आश्चर्य की बात यह थी कि सुरेश वर्मा के सिर व कान के पास जहाँ गोली लगी थी उस जगह उनके इस जन्म में भी निशान थे.

प्रश्न यह उठता है कि सुरेश वर्मा 28 अगस्त, 1983 को मारे गये और उस ही दिन उनकी आत्मा ने जन्म ले लिया. इसका मतलब यह हुआ कि उस गर्भस्थ शिशु के शरीर में पहिले से विद्यमान आत्मा चली गयी और उसके स्थान पर सुरेश वर्मा की आत्मा उस शिशु के शरीर में आ गयी थी.

यानि कि टीटू के शरीर में पहिले कोई दूसरी आत्मा रही, और जन्म के समय उस शिशु के शरीर में सुरेश वर्मा की आत्मा आ गयी. शिशु टीटू ने सुरेश वर्मा के पुनर्जन्म के रूप में जन्म लिया.

दो- भारत की घटना:
सन 1958 की बात है, मुज़फ़्फ़रनगर जिले के ग्राम रसुलपुर जाटान के एक लगभग तीन साल चार माह के बच्चे जसवीर पुत्र गिरधारी सिंह, जाट को चेचक निकली और उसकी मृत्यु हो गयी. रात अधिक हो गयी थी. अत: शरीर को रख दिया गया ताकि सुबह क्रियाक्रम के लिए शमसान ले जाया जा सके.

सुबह जब क्रियाक्रम के लिए ले जाने की तैयारी करने लगे तो सब यह देखकर दंग रह गये कि बालक के शरीर में धीरे-धीरे प्राणों का संचार हो रहा है. बालक जीवित हो गया, और कुछ दिनों में स्वस्थ हो गया. उसके व्यवहार में भारी परिवर्तन हो गया था. वह उस घर के किसी भी सदस्य के हाथ का कुछ भी खाने को तैयार न था, कहता था कि वह तो ब्राह्मण है. अत: इस घर का कुछ न खाएगा. बच्चे ने बताया की वह तो शोभाराम त्यागी है.

पता चला कि उस ही दिन रात के 11 बजे शोभाराम त्यागी पुत्र शंकर लाल त्यागी नामक एक 22-23 वर्ष के युवा की मृत्यु बारात में जाते वक़्त तांगे से गिरकर हो गयी थी. उस शोभा राम त्यागी की आत्मा जसवीर के शरीर में प्रवेश कर गयी थी.

जिस शरीर को अभी तक जसवीर की आत्मा भोग रही थी, मरने के बाद जसवीर की आत्मा तो प्रस्थान कर गई. उसके स्थान पर शोभाराम त्यागी की आत्मा उस शरीर में आ गई, और अब उस शरीर का उपभोग शोभाराम त्यागी की आत्मा करेगी और किया.

तीन- इंग्लैंड की घटना:
लिवरपूल, इंग्लैंड में एक ऐसा केस सामने आया कि एक बच्चा पैदा हुआ और उसके हाथ पर उसके स्वर्गीय पिता का गोदने का निशान था. प्रिसीला और टेडी फ्रेंटम पति और पत्नी थे. टेडी वक्कुम क्लीनर के पार्ट्स बनाने वाली कंपनी में काम करता था. टेडी की उम्र जब 16 साल की थी तब उसने अपने हाथ पर गोदना गुदवाया था. जब टेडी 35 वर्ष का था तब उसकी पत्नी गर्भवती हुई. टेडी अपने बच्चे का मुँह देख पाता कि इससे एक महीने पहिले ही उसकी मृत्यु हो गयी.

डॉक्टर और मनोवैज्ञानिकों दोनों ने टेडी के नवजात बच्चे के हाथ के गोदने का परीक्षण किया. प्रिसीला का मानना था की उसका पति अपने बच्चे के रूप में पुन: आ गया है. यानि कि बच्चे के शरीर में पहिले कोई आत्मा थी, और टेडी की मृत्यु के बाद टेडी की आत्मा ने उस अजन्मे बच्चे के शरीर में प्रवेश कर लिया.

चार- भारत की घटना:
कैरल सन 1937 में एक उच्च सैनिक अधिकारी के रूप में ब्रिटन से भारत आए थे. उन्होनें अपनी पुस्तक में ज़िक्र किया है कि लगभग सन 1939 कि बात है वें असम-बर्मा सीमा पर कैंप में थे. उनका कैंप एक नदी के किनारे लगा था. ''एक दिन मैने टेलिस्कोप से देखा कि एक युवक की बही जा रही पहिले को, एक दुर्बल और बूढ़ा दाढ़ी वाला नदी से बाहर खींचने का प्रयास कर रहा है. मैंने इस घटना की ओर और साथी अधिकारिओं का ध्यान भी आकृष्ट किया. हम सबने अपनी-अपनी टेलिस्कोप से देखा कि वह बूढ़ा उस लाश को निकालकर एक पेड़ के पीछे ले गया. हम सब उत्सुकता से यह दृश्य देख रहे थे. कुछ क्षणों बाद हमारे आश्चर्य का ठिकाना न रहा जब हमने पेड़ के पास जवान आदमी को चलते देखा.

हमने सिपाहियों को बुलाया और उस आदमी को पकड़ कर लाने को कहा. सिपाही उस युवक को पकड़ कर ले आए. मैने उस युवक से कहा, `सच-सच बताओ, तुम कौन हो? मैने अच्छी तरह देखा था कि तुम बहे जा रहे थे और दाढ़ी वाला बूढ़ा तुम्हारी लाश निकालने कि कौशिश कर रहा था. अब तुम जिंदा हो.’ इस पर उस युवक ने कहा कि वह वही बूढ़ा व्यक्ति है किंतु शरीर उस मृत्य युवक का है. उसने बताया कि वह योग साधना से शरीर परिवर्तन में निपुण है. जब भी उसका शरीर बूढ़ा हो जाता है तो वह ऐसा कर लेता है. कैरल ने उसकी बात पर यकीन नहीं किया. तो उसने कैरल से पेड़ के पास पड़े बूढ़े आदमी का शरीर मॅंगाकर देखने के लिए कहा. कैरल के कहने पर सैनिक पेड़ के पास से बूढ़े का मृत्य शरीर उठा लाए, जिसे देखकर सबके आश्चर्य का ठिकाना न रहा.

उस युवक की मृत्यु से पहिले युवक के उस शरीर को कोई दूसरी आत्मा भोग रही थी अब उसे इस बूढ़े की आत्मा इस्तेमाल करेगी.

पाँच- भारत की घटना:
32 वर्ष पूर्व प्रकाशित पुस्तक पूर्व जन्म की स्मृति में कैकई नन्दन सहाय की एक दिलचस्प घटना छपी थी और बताया कि उनके चचेरे भाई श्री नंदन सहाय को हैजा हो गया था. उस समय उनकी आयु 19 वर्ष की थी. उनकी मृत्यु हो गयी थी. मृत्यु के समय श्री नन्दन सहाय की पत्नी को दो मास का गर्भ था. पति की मृत्यु के बाद से ही पत्नी को ख़राब-ख़राब सपने आने शुरू हो गये. एक दिन सपने में पत्नी ने अपने मृत्य पति को देखा. वह कह रहे थे, `मैं तुम्हारे पास ही रहूँगा. तुम्हारे पेट से जन्म लूँगा. लेकिन तुम्हारा दूध नहीं पिऊंगा. मेरे लिये दूध का अलग से प्रबंध रखना. मेरी बात की सत्यता यह होगी कि जन्म से ही मेरे सिर पर चोट का निशान होगा.’

समय पर पुत्र ने जन्म लिया. बच्चे के सिर पर चोट का निशान था. बच्चा अपनी माँ का दूध नहीं पीता था. उसके लिये अलग से धाय रखी गई. धाय ही उसे दूध पिलाती थी.

बच्चा किसी और स्त्री का दूध तो पी लेता था किंतु अपनी पूर्व जन्म की पत्नी और इस जन्म की माँ का दूध न पिता था. माँ का दूध निकालकर चम्मच से पिलाने पर बच्चा वह दूध उलट देता था.

यानि कि दो माह तक गर्भस्थ शिशु में कोई अन्य आत्मा रही और श्री नंदन सहाय की मृत्यु के बाद वह आत्मा उस गर्भस्थ शिशु में आ गयी. अपनी पत्नी के प्रति अथाह प्रेम के कारण श्री नंदन सहाय ने अपनी पत्नी के गर्भ से अपने ही बालक के रूप में जन्म लिया.

छ: - भारत की घटना:
वेदांत के महान ज्ञाता अदिगुरु शंकराचार्य से महान मीमांसक मंडन मिश्र की धर्म पत्नी भारती ने शास्त्रार्थ किया और हारने लगी. भारती विदुषी थी. भारती ने सोचा की सन्यासी को कामकला का कुछ भी ज्ञान नहीं होता है. फिर अदिगुरु शंकराचार्य तो बालकपन में ही सन्यासी हो गये थे. अत: अदिगुरु शंकराचार्य को कामकला का बिल्कुल भी ज्ञान नहीं होना चाहिए. झट से भारती ने कामकला पर शास्त्रार्थ प्रारंभ कर दिया. तब अदिगुरु शंकराचार्य ने इसके लिए समय मांगा. भारती ने समय दे दिया. अदिगुरु शंकराचार्य ने एक मृत्य राजा की देह में प्रवेश करके कामकला का ज्ञान प्राप्त किया था और भारती को शास्त्रार्थ में पराजित किया था.

यानि की राजा के शरीर का उपभोग पहिले राजा ने किया और उनके मरने के बाद कुछ समय तक अदिगुरु शंकराचार्य ने किया.

सूक्ष्म शरीर जब स्थूल शरीर को छोड़कर गमन करता है तों उसके साथ अन्य सूक्ष्म परमाणु कहिए या कर्म भी गमन करते हैं जो उनके परिमाप के अनुसार अगले जन्म में रिफ्लेक्ट होते हैं, जैसे तिल, मस्सा, गोली का निशान, चाकू का निशान, आचार-विचार, संस्कार आदि.

मनुष्य की जिस वस्तु, जीव के प्रति आशक्ति होती है, उसके विछोह पर करूण रुदन करता है. सामान्य मनुष्य की सबसे अधिक प्रीति अपने शरीर के प्रति होती है. इसीलिए मृत्यु जैसी वेदना और किसी घटना में नहीं है. किंतु यह भी सत्य है कि स्थूल शरीर पॅकिंग है और उसमें विद्यमान सूक्षम शरीर उस पॅकिंग में वेष्ठित बहुमूल्य निधि.

इन घटनाओं से यह पता चलता है की एक शरीर का उपभोग एक से अधिक आत्माएँ कर सकती हैं. स्थूल शरीर को आत्माएँ किसी वस्त्र बदलने की तरह बदल देती हैं. इस स्थूल शरीर बदलने की क्रिया को ही जन्म-मरण या परकाया में प्रवेश कहा जाता है. संसारिक भाषा में हम आत्मा को सूक्ष्म शरीर कह सकते हैं.

सात - हॉलैंड की घटना:
एम्सटरडम के एक स्कूल में वहां के प्रिंसिपल की लड़की मितगोल के साथ हाला नाम की एक ग्रामीण लड़की की बड़ी मित्रता थी. हाला देखने में बड़ी सुंदर और मितगोल विद्वान् थी. वें प्राय: पिकनिक और पार्टियाँ साथ मनाया करती थी. एक बार दोनों सहेली एक साथ कार से जा रही थी. गंभीर दुर्घटना घट गयी. उनकी कार एक विशालकाय वृक्ष से जा टकराई. मितगोल को गंभीर चोटें आयी, उसका सम्पूर्ण शरीर क्षत-विक्षत हो गया और उसका प्राणांत हो गया. हाला को बाहर से तो कोई घाव नहीं थे किंतु अन्दर कहीं ऐसी चोट लगी की उसका भी प्राणांत हो गया. दोनों के शव कार से बाहर निकालकर रखे गए.

तभी एकाएक ऐसी घटना हुई कि जैसे किसी शक्ति ने मितगोल के प्राण हाला के शरीर में प्रविष्ट करा दिए हों. वह एकाएक उठ बैठी और प्रिंसिपल को पिता जी कहकर लिपटकर रोने लगी. सब आश्चर्यचकित थे कि हाला प्रिंसिपल साहब को अपना पिता कैसे कह रही है? उनकी पुत्री मितगोल का शरीर तो क्षत-विक्षत अवस्था में पड़ा हुआ है.

प्रिंसिपल साहब ने उसे जब हाला कहकर संबोधित किया तो उसने बताया कि पिता जी मैं हाला नहीं आपकी बेटी मितगोल हूँ. मैं अभी तक इस क्षत-विक्षत हो गए शरीर में थी. अभी-अभी किसी अज्ञात शक्ति ने मुझे हाला के शरीर में डाल दिया है.

हर तरह से परीक्षण किए गए और पाया गया कि सच में ही मितगोल के प्राण हाला के शरीर में आ गए हैं. इस प्रकार शरीर परिवर्तन की यह अनोखी घटना घटी.

आठ - भारत की घटना:
लोग समझते हैं कि चंद्रगुप्त मौर्य ने सम्राट महापद्म यानि कि घनान्द को जीता था. जी नहीं ऐसा नहीं हुआ था. सम्राट घनान्द तो एक नैतिक और बहुत बलशाली सम्राट था. सम्राट घनान्द के भय से तो सिकन्दर सिंधु नदी को पार करने का भी साहस न जुटा सका था और वापिस लौट गया था. महापद्म नन्द की मृत्यु के बाद उस शरीर में दूसरी आत्मा ने प्रवेश कर लिया था. कौन थी वह आत्मा? पढ़े इसका ब्यौरा `किस्से जगदीश के' में...?

निष्कर्ष:
इन घटनाओं से पता चलता है कि स्थूल और सूक्षम शरीर अलग-अलग हैं. स्थूल शरीर की भूमिका पॅकिंग भर की है. और सूक्षम शरीर की भूमिका शक्ति की है. एक स्थूल शरीर को दो भिन्न-भिन्न प्राण या कि आत्मा इस्तेमाल कर सकती हैं. किंतु उसे रहना वहीं होगा जहाँ का पॅकिंग है. जैसे शोभाराम त्यागी की आत्मा और शरीर जसवीर के शरीर का, त्यागी को जसवीर की जिंदगी जीनी पड़ी.

अदिगुरु शंकराचार्य ने राजा के शरीर में प्रवेश करके राजा की जिंदगी जी.

प्रत्येक घटना में शेष जीवन शरीर के अनुसार स्थान पर जीना पड़ा. किंतु यदि कोई आत्मा लावारिस लाश में प्रवेश करती है तो उसे कौनसी जिंदगी ज़ीनी होगी यह परिस्थितियों पर निर्भर करेगा.

इससे यह सिद्ध होता है कि एक स्थूल शरीर का उपभोग दो प्राण यानि कि आत्माएँ कर सकती हैं. परकाया प्रवेश एक विद्या है. सिद्ध योगी अपनी इच्छा के अनुसार अपना शरीर बदल सकते हैं. कई बार परकाया प्रवेश अनायास ही हो जाता है. इसके कौन कारण हैं, यह अभी तक अज्ञात है.......?

sabhar :http://samoseyindia.com/

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