ALIENS के अस्तित्व को लेकर वैज्ञानिक कर रहे माथापच्ची

ALIENS के अस्तित्व को लेकर वैज्ञानिक कर रहे माथापच्ची, जानने के लिए पढ़ें

एलियन यानी ऐसे जीव जो पृथ्वी के बाहर किसी दूसरे ग्रह पर रहते हों। पर एलियन होते भी हैं या नहीं, यह एक बड़ा सवाल है। एलियंस की मौजूदगी पर दशकों से रिसर्च होती रही हैं, लेकिन अब तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि एलियंस हैं भी या नहीं। यदि हैं तो वे कहां रहते हैं? वे तकनीकी रूप से कितने सक्षम हैं?
ऐसे सवालों के जवाब पूरी दुनिया के वैज्ञानिकों के लिए चुनौती है। किसी दूसरे ग्रह पर जीवन की तलाश पिछले छह दशकों से तो बेहद तेज हो गई है। इस बारे में कई ठोस सबूत तो मिले हैं, लेकिन अब तक कुछ स्पष्ट नहीं हो पाया है। 

कई जगह है मौजूदगी की उम्मीद

केवल मंगल ग्रह ही ऐसा नहीं है, जहां एक्स्ट्राटेरेस्ट्रियल लाइफ (यानी दूसरे ग्रह पर जीवन) की संभावना हो। हमारे सौरमंडल में कई ऐसे स्थल हैं, जो रहने योग्य हो सकते हैं। इनमें जूपिटर और शनि के बर्फीले चंद्रमा, यूरोपा आदि शामिल हैं, जहां पर जीवन का समर्थन करने में सक्षम सर्फेस ओशियन्स मौजूद हो सकते हैं। वैसे वैज्ञानिकों के अनुसार हमारे सौरमंडल में शनि ग्रह का चंद्रमा टाइटन और सोलर सिस्टम से बाहर का ग्रह ‘ग्लीज 581जी’ में जीवन होने की सबसे अधिक संभावना है। ये दोनों पृथ्वी से 20.5 प्रकाश वर्ष की दूरी पर हैं। एक प्रकाश वर्ष में करीब 10 खरब किलोमीटर होते हैं। 
पृथ्वी जैसी तलाश
एलियन्स की खोज के लिए वैज्ञानिकों ने अपनी प्राथमिकता एक ऐसा ग्रह खोजने की रखी है, जहां पृथ्वी जैसी परिस्थितियां हों। वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने पृथ्वी जैसे ग्रह की तलाश के लिए दो तरह की सूची भी तैयार की है।
इनमें एक का नाम अर्थ सिमिलरटी इंडेक्स और दूसरी सूची का नाम प्लैनेटरी हैबिटैबिलिटी इंडेक्स है। इसमें उन ग्रहों या चंद्रमाओं का नाम है, जिनकी परिस्थितियां पृथ्वी जैसी होने की संभावना है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि पिछले करीब पांच-सात वर्ष में ऐसे ग्रहों की तलाश में तेजी आई है, जहां पर जीवन होने की संभावना अधिक हो सकती है। नासा ने वर्ष 2009 में केप्लर स्पेस टेलिस्कोप अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित किया था। इस टेलिस्कोप ने हजारों ऐसे ग्रहों या चंद्रमाओं का पता लगाया है, जहां जीवन पनपने की संभावना है। 
पिछले वर्ष 4 नवंबर को नासा ने बताया कि केप्लर स्पेस क्राफ्ट ने 104 ऐसे ग्रह खोजे हैं, जहां लाइफ सपोर्ट करने की परिस्थितियां हैं। 
 होंगे तो कैसे होंगे?

कई हॉलीवुड और बॉलीवुड मूवीज में एलियन को करीब-करीब इंसान के जैसा ही दिखाया गया है, जबकि वैज्ञानिकों का एक धड़ा ऐसा भी है जो यह कहता है कि एलियन्स यदि हैं तो वे बॉयोलॉजिकल नहीं, बल्कि आर्टिफिशियल होंगे। यानी उनके हाथ-पैर और सिर हों, ये जरूरी नहीं है। 

क्या है उनका धर्म?

क्या एलियन मनुष्य की तरह भगवान में विश्वास करते होंगे? इस सवाल पर ब्रिटेन के जाने-माने एथोलॉजिस्ट और इवोल्यूशनरी बायोलॉजिस्ट रिचर्ड डॉवकिन्स कहते हैं कि एलियन्स की सिविलाइजेशन हमसे बेहद एडवांस होगी और वे किसी भी धर्म को नहीं मानने वाले होंगे। 

कैसे हो पाएगी खोज?
वैज्ञानिकों का कहना है कि तकनीक बेहतर होने से यह उम्मीद है कि 20 से 25 वर्ष में इस दिशा में कुछ बेहतर परिणाम मिल सके। अब ऐसे टेलिस्कोप भी बन रहे हैं, जिनमें ऐसी क्षमता है कि वह किसी ग्रह में जैविक पदार्थो से निकलने वाली रोशनी को पहचान सके। उदाहरण के तौर पर क्लोरोफिल की उपस्थिति, जो किसी भी पेड़-पौधे में मौजूद अहम तत्व होता है।
20वीं शताब्दी के मध्य से एलियंस और दूसरे ग्रहों पर जीवन को लेकर रिसर्च किया जा रहा है। इसमें रेडियो से एक्स्ट्राटेरेस्ट्रियल लाइफ के सिग्नल खोजने से लेकर टेलिस्कोप की मदद से एक्स्ट्रासोलर प्लैनेट खोजने तक की मुहिम शामिल है। फिर भी कुछ स्पष्ट पता नहीं चल पाया है। 

80 के करीब प्रजातियां हो सकती हैं एलियंस की। कैनेडा के पूर्व रक्षा मंत्री पॉल हेलेयर ने पिछले वर्ष एक इंटरव्यू में कई रिपोर्ट के हवाले से यह दावा किया था। एक्स्ट्राटेरेस्ट्रियल लाइफ के जानकार पॉल ने कहा कि वे दिखने में हमारे जैसे ही हो सकते हैं। 

40 फीसदी से ज्यादा लोग भारत और चीन में मानते हैं कि एलियंस पृथ्वी पर मनुष्य के भेष में घूमते हैं और वे हमारे ही बीच हैं। यह बात रायटर्स के एक सर्वे में सामने आई थी। वैश्विक स्तर पर 20 फीसदी लोग मानते हैं कि एलियंस हमारे ही बीच हैं।

2010 में जाने-माने वैज्ञानिक स्टीवन हॉकिंग ने भी एलियंस और दूसरे ग्रहों पर जीवन होने की बात खुले रूप से स्वीकारी। उन्होंने कहा कि ब्रह्मांड के दूसरे ग्रहों पर प्राणी हैं। संभव है कि वे संसाधनों की तलाश में पृथ्वी पर हमला करें और हमसे आगे बढ़ जाएं।

दूसरे ग्रह पर जीवन की तलाश में अब तक कई मिशन चलाए जा चुके हैं। कुछ प्रमुख के बारे में जानें। 

वाइजर 1-2: नासा ने इस प्रोग्राम की शुरुआत 1970 के दशक में की थी। इसके तहत नासा ने वाइजर-1 और वाइजर-2 स्पेसक्राफ्ट लॉन्च किए थे। इनका उद्देश्य आउटर सोलर सिस्टम का पता लगाना था। 

हबल स्पेस टेलिस्कोप: हबल स्पेस टेलिस्कोप को वर्ष 1990 में स्पेस शटल की मदद से धरती की कक्षा में स्थापित किया गया था। यह अभी ऑपरेशन में है। यह गहन अंतरिक्ष से तस्वीरें भेज रहा है, जिसमें कोई बैकग्राउंड लाइट नहीं है।

कैसिनी: 16 यूरोपियन यूनियन देशों और अमेरिका ने शनि पर खोज करने के लिए कैसिनी-ह्यूजेन्स नाम के स्पेसक्राफ्ट को वर्ष 1997 में लॉन्च किया। इसमें ऑर्बिटर और एटमॉस्फेरिक प्रॉब भी है।

कोरोट मिशन: यह मिशन वर्ष 2006 में फ्रेंच और यूरोपियन स्पेस एजेंसियों के साथ विश्व के कई देशों ने चलाया था। इसका उद्देश्य सोलर सिस्टम के बाहर ग्रहों और तारों का पता लगाना था। यह मिशन 2015 तक चलेगा।

द केप्लर मिशन: वर्ष 2009 में नासा ने एक स्पेस ऑब्जरवेटरी लॉन्च की। इससे कई ग्रहों की खोज हो सकी। इसके बाद मार्स मिशन भी दूसरे ग्रह पर जीवन खोजने का ही एक हिस्सा है, जिससे काफी कुछ पता चला है। 
कंटेंट- शादाब समी sabhar :http://www.bhaskar.com/

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