रूसी भौतिकविदों ने टेलीपोर्टेशन को यथार्थ में बदला

रूसी भौतिकविदों ने टेलीपोर्टेशन को यथार्थ में बदला

मास्को भौतिकी और प्रौद्योगिकी संस्थान (MPTI) के वैज्ञानिकों ने साबित कर दिया है कि टेलीपोर्टेशन कोई कल्पना या कथा नहीं है|

निकट भविष्य में शारीरिक बल का उपयोग किये बिना लंबी दूरी की यात्रा और दो ​​स्थानों पर एक साथ होना संभव होगा| उदाहरण के लिए, बीजिंग या मास्को में और साइबेरिया और न्यूजीलैंड के द्वीपों में| टेलीपोर्टेशन द्वारा अंतरिक्ष की खोज की भी संभावनाएं हैं| "क्वांटम उलझाव" के रूप में एक भौतिक प्रभाव के कारण यह सब सच हो सकता है| यह क्वांटम वस्तुओं की अविभाज्य रहते हुए अलग अलग स्थान पर रहने की क्षमता है|
पारंपरिक भौतिकी में ऐसा कोई प्रभाव नहीं है| रूसी वैज्ञानिकों को काफी दूरी तक सूचना प्रसारण में "क्वांटम उलझाव" संरक्षित करने के लिए एक रास्ता मिल गया है| यह अनिवार्य रूप से टेलीपोर्टेशन ही है| MPTI के वैज्ञानिकों में से एक शोधकर्ता सेर्गेई फिलिप्पोव ने "रेडियो रूस" को बताया:
“यदि धागे के गोले में एक गांठ पड़ जाये तो हम हताश हो जाते हैं, लेकिन ऐसी जटिल स्थिति भौतिकी में वैज्ञानिकों को बहुत खुश करती है क्योंकि इन स्थितियों में एक संबंध है। तार के एक सिरे पर जो कुछ हो रहा है वह दूसरे सिरे के साथ जुड़ा हुआ है। इस प्रकार के सहसंबंध को कहीं भी भेजा जा सकता है| इस प्रकार एक महान दूरी पर रहने वाले लोग एक दूसरे से सहसंबद्धित हो जाएंगे और उनका व्यवहार एक दूसरे से स्वतंत्र नहीं होगा|
भौतिकविदों का मूल अनुसंधान एक फाइबर ऑप्टिक नेटवर्क पर संकेत संचरण के अध्ययन के साथ जुड़ा हुआ है| वैज्ञानिक फिलिप्पोव के अनुसार यह तथाकथित "गुप्त क्वांटम संचार" है| मास्को भौतिकी और प्रौद्योगिकी संस्थान में विकसित एक एल्गोरिथ्म इस रिश्ते को और भी अधिक रहस्यमय बनाने की अनुमति देता है| जहाँ तक टेलीपोर्टेशन का सवाल है, यह अनुसन्धान के एक "अतिरिक्त" प्रभाव की तरह बन गया है| वैज्ञानिक ने बताया कि वस्तुओं या लोगों को स्थानांतरित करने के लिए कैसे इस प्रभाव का उपयोग किया जाएगा|
मान लीजिए कि आप एक व्यक्ति का टेलीपोर्टेशन करना चाहते हैं| ऐसा करने के लिए आपको सभी परमाणुओं को आगे भेजने की आवश्यकता नहीं है| आपको पता है कि व्यक्ति के शरीर में ऑक्सीजन 20 किलो, कार्बन 10 किलो, कुछ मात्रा में हाइड्रोजन है, और आप दूसरे छोर पर उतनी ही राशि ले सकते हैं और फिर उनके आपसी सम्बन्ध के बारे में परमाणुओं में जो जानकारी दर्ज की गई है वह भेज सकते हैं| और दूसरे छोर पर आपके द्वारा भेजी गयी जानकारी की सहायता से एक वैसे ही इंसान का "गठन" कर लिया जाता है|
एक अर्थ में, यह "गठन" एक लेजर के साथ दर्ज की गई और फिर बाद में होलोग्राफ़ी द्वारा असली रूप में पुनर्निर्मित वस्तुओं की इसी तरह की तीन आयामी छवि की याद दिलाता है| फर्क केवल यह है कि एक विशेष प्रकार की फोटोग्राफी के बदले "गठन" सभी विशिष्ट लक्षणों, योग्यताओं और उमंगों के साथ, "मांस और खून" से बने, बातचीत करने में समर्थ व्यक्ति के टेलीपोर्टेशन की बात है| इतनी ऊंचाई तक विज्ञान अभी तक निश्चित रूप से नहीं पहुंचा है| वैज्ञानिकों को केवल फोटॉनों को टेलिपोर्ट करने में सफ़लता मिली है| वे आम तौर पर भेजी गई जानकारी के वाहक हैं| लाइन के दूसरे छोर पर विशेषज्ञ एक सूक्ष्म वस्तु का उसी स्थिति में पुनर्निर्माण कर सकते हैं जैसा कि दूसरे सिरे से भेजा गया था| अब हम इस सिद्धांत को और अधिक जटिल प्रणालियों में लागू करने के लिए प्रयास कर रहे हैं| यह एक बहुत मुश्किल काम है: जब आकार बढ़ता है तो टेलीपोर्टेशन प्रणाली में नाटकीय रूप से जटिलता बढ़ती है| अध्ययन के लेखक ने बताया: "दो परमाणुओं का टेलिपोर्ट एक परमाणु के प्रसारण से दुगना कठिन है और तीन परमाणुओं का प्रसारण आठ गुना कठिन है| यदि हम मानव टेलीपोर्टेशन की जटिलता की डिग्री का आकलन करना चाहते हैं, तो इस बात पर विचार करना चाहिए: मानव शरीर की रचना में 10²4  परमाणुओं का समावेश होता है...SABHAR :http://hindi.ruvr.ru/
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