इस जीवन के ज्ञान और अनुभव के साथ होता है दूसरा जन्म
अगर आप यह सोचते हैं कि इस जीवन में जो कुछ किया वह इसी जन्म तक आपके साथ रहेगा, ऐसा नहीं है। आप इस जन्म में जो भी ज्ञान और अनुभव प्राप्त करते हैं वह अगले जन्म में भी आपके साथ होता है और इसका लाभ आपको अगले जन्म में भी मिलता है। इसलिए इस जन्म में ही कर लें दूसरे जीवन को कामयाब बनाने की तैयारी।भगवान श्री कृष्ण ने गीता में इस तथ्य को स्पष्ट किया है कि जब मनुष्य एक शरीर का त्याग करने लगता है तब शरीर द्वारा अर्जित ज्ञान और अनुभव सिमट कर आत्मा के केन्द्र में स्थित हो जाते हैं।
इसके बाद जब आत्मा दूसरे शरीर में प्रवेश करती है तब उन ज्ञान और अनुभव को उस नए शरीर में भी पहुंचा देती है। इसलिए श्री कृष्ण कहते हैं- लभते पौर्वदेहिकम्।
श्री कृष्ण ने खुद बचपन में मिट्टी खाकर इस बात को प्रमाणित किया है क्योंकि इससे पूर्व श्री कृष्ण ने वराह अवतार लिया था। वराह मिट्टी कुरेदता है और खाता है। कहते हैं श्री कृष्ण के मिट्टी खाने की घटना के बाद से ही छोटे बच्चों में मिट्टी खाने लगे।अपने सुना या देखा होगा कि कुछ बालक ऐसे होते हैं जो अल्पायु में ही अपने ज्ञान और कार्यकलाप से बड़े-बड़े कारनामे करने लगते हैं। दरअसल यह पूर्वजन्मों के संचित ज्ञान और अनुभव का परिणाम होता है।
स्वामी रामसुखदासजी का कहना है कि पूर्वजन्म की साधन सामग्री मिलना ठीक उसी प्रकार है, जैसे किसी को रास्ते पर चलते-चलते नींद आने लगे और वह वहीं किनारे पर सो जाए। जब वह सोकर उठेगा, तो उतना रास्ता तो उसका तय किया हुआ रहेगी ही- बस वह आगे की यात्रा आरंभ कर देगा।
र्वजन्म की साधना वस्तुतः जीवात्मा पर संस्कारों की छाप छोड़ देती है। जितने अच्छे संस्कार पड़ चुके हैं, वे सभी इस नए जन्म में जागृत हो जाते हैं।
मनोवैज्ञानिक चिकित्सक डॉ० ब्रायन वायस ने अपनी पुस्तक मेनीलाइव्स मेनीमास्टर्स एवं मेसेजेस फ्राम मास्टर्स में लिखा है कि मनुष्य पूर्वजन्म की यादों को- बुद्धि को संग्रहीत करता चलता है।
इन्होंने इसके माध्यम से कई रोगियों को पूर्वजन्म की यादों में ले जाकर चिकित्सा करने की कोशिश की है और उन्हें इस काम में नब्बे प्रतिशत सफलता मिली है।
मनोवैज्ञानिक चिकित्सक डॉ० ब्रायन वायस ने अपनी पुस्तक मेनीलाइव्स मेनीमास्टर्स एवं मेसेजेस फ्राम मास्टर्स में लिखा है कि मनुष्य पूर्वजन्म की यादों को- बुद्धि को संग्रहीत करता चलता है।
इन्होंने इसके माध्यम से कई रोगियों को पूर्वजन्म की यादों में ले जाकर चिकित्सा करने की कोशिश की है और उन्हें इस काम में नब्बे प्रतिशत सफलता मिली है।
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