सत्यवादी को मृत्यु भी नहीं डराती

Nation depend on truth

जाबालि मुनि ने भगवान श्रीराम से एक बार प्रश्न किया, राष्ट्र किस तत्व पर आधारित है?

प्रभु श्रीराम ने कहा, तस्मांत सत्यात्मकं राज्यं सत्ये लोकः प्रतिष्ठितः। अर्थात राष्ट्र सत्य पर आश्रित रहता है। सत्य में ही संसार प्रतिष्ठित है। हे मुनि, जिस राष्ट्र की नींव सत्य और संयम पर आश्रित है, उसका शासक व प्रजा हमेशा सुखी रहते हैं। असत्य-कपट का सहारा लेने वाले कभी संतुष्ट व सुखी नहीं रह सकते।

भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को सत्य का स्वरूप समझाते हुए कहा था, सत्य सनातन धर्म है, सत्य सनातन ब्रह्म है। चारों वेदों का सार रहस्य सत्य है।

ऋग्वेद में कहा गया है कि सत्कर्मशील व्यक्ति को सत्य की नौका पार लगाती है। दुष्कर्मी, संयमहीन व छल-कपट करने वाले व्यक्ति की नौका मझधार में डूबकर उसके जीवन को निरर्थक कर देती है।

टॉलस्टाय ने लिखा है, जिसने सत्य का संकल्प ले लिया और सदाचार का मार्ग अपना लिया, वही हर प्रकार के भय, कष्टों से मुक्त रहकर ईश्वर व मनुष्यों का प्रिय बन सकता है। सत्यवादी को मृत्यु भी नहीं डराती।

महर्षि चरक ने आचार रसायन में कहा है, सत्यवादी, क्रोध रहित, मन, कर्म व वचन से अहिंसक तथा विनय के पालन से मानव शारीरिक, मानसिक व आत्मिक रोगों से मुक्त रहता है। उन्होंने इसे सदाचार रसायन कहा है। सत्य-सदाचार जैसे तत्वों को त्यागने के कारण ही मानव अनेक रोगों का शिकार बनता है sabhar ; http://www.amarujala.com/

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