झील में पक्षी बन जाते हैं पत्थर इंसानी हड्डियों से बना है यह चर्च

40 हजार इंसानी हड्डियों से बना है यह चर्च, झील में पक्षी बन जाते हैं पत्थर

लाइफस्टाइल डेस्क. धरती पर जीवन की शुरुआत से ही इंसान यात्राएं कर रहा है। इन यात्राओं की ही बदौलत उसका दुनिया के दूसरे देशों से संपर्क हुआ। उसने अपने यात्रा अनुभवों से लोगों को रोमांचित किया। उन्हें यात्राओं के लिए प्रेरित किया। प्राचीन काल में ये यात्राएं साहित्यक, धार्मिक और वैज्ञानिक खोजों के लिए की गईं और धीरे-धीरे इनका स्वरूप बदलता गया, लेकिन यात्राओं के प्रति लोगों का लगाव हमेशा बरकरार रहा।
दैनिक भास्कर डॉट कॉम ट्रैवलिंग के माध्यम से पाठकों को इस रहस्यमयी दुनिया के कोने-कोने तक पहुंचा रहा है। पाठकों को बेहतरीन ट्रैवलिंग डेस्टिनेशन के बारे में बता रहा है। इसी क्रम में आज हम यात्रा प्रेमियों को दुनिया के ऐसे चर्च के बारे में बता रहे हैं, जो मानव कंकालों से बना है। साथ ही, एक ऐसी झील के सफर पर ले जा रहे हैं, जिसे छूते ही सब कुछ पत्थर बन जाता है।
सबसे पहले हड्डियों से बने चर्च के बारे में पढ़िए...
क्या है चर्च का नाम
सेडलेक ऑस्युअरी
कहां है स्थित
चेक गणराज्य
क्या है ख़ास
इस चर्च में 40 हजार लोगों की हड्डियों को कलात्मक रूप से सजा कर रखा गया है। इसे The Church of Bones भी कहा जाता है।
क्या है ऑस्युअरी
कंकालों को सहेज कर रखने की जगह को ऑस्युअरी कहते हैं। सबसे पहले शवों की अस्थाई रूप से क्रब बनाई जाती है और उसके बाद उन्हें निकाल कर ऑस्युअरी में रखा जाता है।
40 हजार इंसानी हड्डियों से बना है यह चर्च, झील में पक्षी बन जाते हैं पत्थर

13 वीं शताब्दी में यहां से एक संत हेनरी फिलिस्तीन गए। हेनरी जब वहां से वापस आए तो अपने साथ एक जार में उस जगह की मिट्टी भर के लाए, जहां प्रभु यीशु को सूली पर चढ़ाया गया था। हेनरी ने इस जार की मिट्टी को चेक गणराज्य के सेडलेक चर्च के पास एक जगह डाल दिया। इसके बाद यह स्थान लोगों को दफनाने की जगह बन गई।
14वीं और 15वीं शताब्दी में यहां प्लेग और युद्धों की वजह से बहुत ज्यादा मौतें हुईं। इनमें से ज़्यादातर लोगों को सेडलिक में ही दफनाया गया। एक दिन ऐसा आया कि इस क्रबिस्तान में लोगों को दफनाने के लिए जगह ही नहीं बची। इसके बाद पादरियों को यहां ऑस्युअरी (ossuary) बनाने का ख़्याल आया। इसे बनाने के लिए पादरी कब्र से हड्डियों को निकाल कर ऑस्युअरी में रख देते। सन् 1870 में इस ऑस्युअरी में 40 हज़ार हड्डियों को कलात्मक रूप से सजाया गया। चर्च को हड्डियों से सजाने का यह काम Frantisek Rind ने किया। 1970 में फिल्मकार Jan Svankmajer ने इस चर्च पर 10 मिनट की डॉक्युमेंटरी फिल्म बनाई। हर साल बड़ी तादाद में सैलानी इस चर्च को देखने के लिए आते हैं। 
40 हजार इंसानी हड्डियों से बना है यह चर्च, झील में पक्षी बन जाते हैं पत्थर
आपने बचपन में उस राजा की कहानी तो ज़रूर सुनी होगी जो जिस चीज़ को छूता था, वह सोना बन जाती थी, लेकिन ऐसी झील के बारे में नहीं सुना होगा जिसका पानी हर चीज़ को पत्थर बना देता है।
कहां स्थित है यह झील
उत्तरी तंजानिया
झील का नाम
नेट्रान लेक
फोटोग्राफर निक ब्रांड्ट जब उत्तरी तंजानिया की नेट्रान लेक के किनारे पहुंचे, तो वहां के दृश्य ने उन्हें चौंका दिया। झील के किनारे जगह-जगह पशु-पक्षियों के स्टैचू नजर आए। ये स्टैचू मृत पक्षियों के थे। दरअसल, इस झील में जाने वाले जानवर और पशु-पक्षी कुछ ही देर में जमकर पत्थर बन जाते हैं। ब्रांड्ट ने अपनी किताब 'Across the Ravaged Land' में इस बात का जिक्र किया है।
अपनी किताब में ब्रांड्ट लिखते हैं कि यह कोई नहीं जानता कि ये पक्षी मरे कैसे? हो सकता है कि लेक के रिफ्लेक्टिव नेचर ने इन्हें भ्रमित किया हो और यह पानी में गिर गए हों। वो बताते हैं कि पाना में नमक और सोडा की मात्रा इतनी ज़्यादा है कि इसने मेरी कोडक फिल्म बॉक्स की स्याही को कुछ ही सेकंड में जमा दिया। पानी में नमक और सोडा की ज़्यादा मात्रा ही इन पक्षियों के मृत शरीर को सुरक्षित रखती है।
ब्रांड्स ने अपनी किताब में इन पक्षियों के फोटोज का संकलन किया है। यह किताब उस फोटोग्राफी डाक्युमेंट का तीसरा वॉल्यूम है, जिसे निक ने पूर्वी अफ्रीका में जानवरों के गायब होने पर लिखा है।

40 हजार इंसानी हड्डियों से बना है यह चर्च, झील में पक्षी बन जाते हैं पत्थर
40 हजार इंसानी हड्डियों से बना है यह चर्च, झील में पक्षी बन जाते हैं पत्थर

40 हजार इंसानी हड्डियों से बना है यह चर्च, झील में पक्षी बन जाते हैं पत्थर

40 हजार इंसानी हड्डियों से बना है यह चर्च, झील में पक्षी बन जाते हैं पत्थर

sabhar : bhaskar.com




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