सेक्स चिप का जमाना

सेक्स चिप का जमाना

वायग्रा बीते दिनों की बात हो चुकी है, अब जमाना बढ़ रहा है सेक्स चिप की ओर। सेक्स चिप के बारे में आ रहीं रिपोर्ट्स की मानें तो वैज्ञानिक इन दिनों एक ऐसे डिवाइस पर काम कर रहे हैं जिसे दिमाग में फिट किया जा सकेगा और इससे सेक्स का आनंद कई गुना बढ़ जाएगा।
(Getty) 




वायग्रा को भूल जाइए, क्योंकि अब साइंटिस्ट ऐसे इलेक्ट्रॉनिक सेक्स चिपपर काम कर रहे हैं जो आपको उत्तेजित करेगा। दरअसल, यह चिप ब्रेन के उस हिस्से को उत्तेजित करेगा, जो सेक्स स्टिम्युलेशन में मदद करता है। 

इस चिप के तैयार होने में करीब दस साल या इससे भी ज्यादा लग सकते हैं। इस चिप के जरिए सेक्स के मामले में ब्रेन को डीप स्टीम्युलेट करने में मदद मिलेगी। इसके तहत इम्प्लांटिड इलेक्ट्रोड से ब्रेन को हल्का सा शॉक दिया जाएगा, जिससे ब्रेन के प्लेज़र सेंटर को स्टीम्युलेट किया जा सकता है। इसका इस्तेमाल इससे पहले भी पार्किसन्स डिज़ीज़ के ट्रीटमंट के लिए किया जाता रहा है। 

पिछले दिनों साइंटिस्ट ने ब्रेन के उस हिस्से पर ध्यान दिया है, जो आंखों के ठीक पीछे का हिस्सा है और इसे ऑरबिटोफ्रॉन्टल कॉरटेक्स कहते हैं। ब्रेन का यह हिस्सा सेक्स संबंधी फीलिंग से जुड़ा होता है, जो खान-पान या सेक्स आदि से उत्तेजित होता है। 

यह रिसर्च ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के डिपार्टमंट ऑफ साइकायट्री के मॉर्टन क्रिंगलबैक द्वारा किया गया। उन्होंने पाया कि ऑर्बिटोफ्रन्टल कॉर्टेक्स इस नए स्टीम्युलेशन टार्गिट का भी हिस्सा बन सकता है, जो एन्हेडोनिया जैसे डिप्रेशन डिसऑर्डर से जूझ रहे लोगों की मदद कर सकता है। मॉर्टन के कॉलीग और ऑक्सफोर्ड के जॉन रेडिक्लिफ के न्यूरोसर्जरी विभाग के प्रफेसर टीपू अज़ीज़ ने कहा है कि इस सेक्स चिप की अहमियत अगले दस साल तक खुलकर सामने आएगी। उन्होंने पिछले सप्ताह कहा था कि यह चिप बखूबी काम करता है और इसका सबूत भी है। 

उन्होंने बताया, 'कुछ साल पहले एक साइंटिस्ट ने एक ऐसी महिला के ब्रेन में इस तरह का डिवाइस इम्प्लांट किया था, जिनमें लो सेक्स ड्राइव की समस्या थी। इस डिवाइस की मदद से वह महिला काफी अधिक सेक्सुअली ऐक्टिव हो गईं। उन्हें खुद में अचानक आया यह बदलाव पसंद नहीं आया, इसलिए उनके सिर से उस वायरिंग को निकाल दिया गया। 

अज़ीज़ का कहना है कि दरअसल इस वायरिंग से एक और बाधा है कि कुछ पेशंट में इस वजह से ब्लीडिंग आदि की समस्या भी पैदा हो सकती है। पर, नए टेक्नॉलजी से ऐसी कोई समस्या नहीं होगी, जिसमें सर्जरी के जरिए हार्ट पेसमेकर से लेकर ब्रेन तक वायर को कनेक्ट किया जाएगा। 

उन्हें उम्मीद है कि वर्ष 2015 तक जब टेक्नॉलजी और भी बेहतरीन होंगी तो इस तरह का डिवाइस खुद अपने हाथ से कंट्रोल किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि हम इस डीप ब्रेन स्टीम्युलेशन का इस्तेमाल शरीर के और भी अन्य हिस्सों पर कर सकेंगे। तब यह और भी छोटा होगा, जिसके पावर को आप अपनी इच्छा के अनुसार कंट्रोल कर सकते हैं और इसे ऑन या ऑफ कर सकते हैं। 

वैसे हम एक बात आपको ज़रूर बताना चाहेंगे कि इस तरह की डिवाइस 1968 में बनी जेन फॉन्डा की फिल्म 'बारबरेला' में भी दिखाई जा चुकी है।







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