ड्राइवर बोला- हजार करोड़ की प्रॉपर्टी के लिए आशुतोष महाराज को बनाया बंधक

ड्राइवर बोला- हजार करोड़ की प्रॉपर्टी के लिए आशुतोष महाराज को बनाया बंधक

जालंधर/चंडीगढ़. दिव्य ज्योति जागृति संस्थान नूरमहल के संस्थापक आशुतोष महाराज की समाधि में रहने की बात को झूठा करार देते हुए उनके पूर्व ड्राइवर पूर्ण सिंह ने सोमवार को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में दस्तक दी। याचिका में कहा गया कि महेश कुमार झा उर्फ आशुतोष महाराज को संपत्ति ट्रांसफर करने व गद्दी के लालच में बंधक बनाकर रखा गया है।
याचिका पर जस्टिस एमएमएस बेदी ने 11 फरवरी के लिए आश्रम को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने साथ ही 5 फरवरी के लिए सुनवाई तय करते हुए मामले पर सरकार से स्टेटस रिपोर्ट तलब की है। याचिका में आश्रम के प्रचारक विशालानंद, अरविंदानंद, मोहन पूरी, नरेद्रानंद और सर्वानंद को प्रतिवादी बनाते हुए कहा गया कि महाराज को संपत्ति के लालच में बंधक बनाकर रखा गया है। लोगों के सामने जानबूझकर कहा जा रहा है कि वे गहन समाधि में हैं। ड्रामा रचा जा रहा है।
कहा जा रहा है कि महाराज बिलकुल ठीक हैं और उनकी बॉडी में कोई चेंज नहीं आया। याचिका में दावा किया गया है कि संस्थान के पास करोड़ों रुपए नकद व एक हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की संपत्ति है। यह संपत्ति 1983 से अब तक अर्जित की गई है। पूर्व ड्राइवर ने मांग की है कि महाराज को तुरंत रिहा कराया जाए।

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आश्रम का दावा- कोई विवाद नहीं
दो दिन तक मीडिया से दूर रहे आश्रम के प्रबंधन से जुड़े सदस्यों ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई। इसमें तीन बिंदु रखे...
1.  आशुतोष महाराज की सेहत जांच करने वाले डॉ. हरपाल को सामने लाए, जिन्होंने कहा कि महाराज क्लीनिकली डेड हैं।
2.  चार प्रमुख स्वामी एक साथ सामने आए। ये थे स्वामी अरविंदानंद, स्वामी आदित्य नंद, स्वामी वरिंदरानंद और स्वामी सर्वानंद। स्वामी आदित्य नंद ने कहा कि आश्रम की गद्दी संभालने और जायदाद को लेकर कोई विवाद नहीं है।
3.  इस बात की पुष्टि की गई है कि महाराज को समाधि के दौरान लेटी हुई अवस्था में कोल्ड चेंबर में रखा गया है।
 
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पूर्ण सिंह ड्राइवर नहीं था: आश्रम
हाईकोर्ट में याचिका दायर करने वाले पूर्ण सिंह के बारे में स्वामी आदित्यनंद ने कहा, 'महाराज जी ने उसे कभी ड्राइवर रखा ही नहीं था। यहां सभी जितने भी लोग हैं, वे स्वयंसेवी हैं। सभी बिना वेतन काम करते हैं। महाराज जी अच्छा काम कर रहे हैं। जिन्हें परेशानी है वो अफवाहें फैला रहे हैं।
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पूरे देश में हैं संस्थान के अनुयायी
आशुतोष महाराज ने 1983 में जालंधर के नूरमहल में दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की स्थापना की थी। देशभर से बड़ी गिनती में श्रद्धालु यहां आते हैं। एक गवॢनंग बॉडी प्रबंधन संभालती है, जो धार्मिक प्रचार के साथ-साथ आयुर्वेदिक मेडिसन बनाने, साहित्य प्रकाशन, मीडिया और आश्रम संचालन के प्रबंध देखती है। ब्रह्मज्ञान के प्रचार के साथ-साथ आश्रम नशे की कुरीति खत्म करने के लिए अहम रोल अदा कर रहा है। 1991 में वल्र्ड पीस नामक सोसायटी बनाई गई। इसका हेडक्वार्टर दिल्ली में है। सोसायटी का ग्लोबल नेटवर्क है। चंडीगढ़, हिमाचल, उत्तराखंड, यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश में आश्रम की बड़ी शाखाएं हैं। sabhar : bhaskar.com

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