शिव प्रसन्न जिन पर उनके साथ होती हैं ये 3 बातें

जिन पर हो जाते हैं शिव प्रसन्न, उनके साथ होती हैं ये 3 बातें

उज्जैन। हिन्दू धर्मशास्त्रों में शिव को गुणातीत कहकर भी पुकारा गया है। यानी शिव अनगिनत गुण व शक्तियों के स्वामी है। इन शक्तियों की महिमा भी अपार है। शिव का ऐसा बेजोड़ चरित्र ही शिव को देवों का देव यानी महादेव बनाता है। शास्त्रों में उजागर शिव के बेजोड़ चरित्र पर सांसारिक और व्यावहारिक नजरिए से गौर करें तो पता चलता है कि शिव के देवताओं में सर्वश्रेष्ठ होने के पीछे कुछ खूबियां खास अहमियत रखती हैं। जानिए, आख़िर शिव की ऐसी ही 3 अहम शक्तियां कौन सी हैं।  
दरअसल, इंसानी जीवन की दिशा व दशा तय करने में दो बातों की अहम भूमिका होती हैं - पहली रचना, उत्पत्ति या सृजन और दूसरी आजीविका। ये दोनों ही लक्ष्य पाने और कायम रखने के लिए यहां बताए जा रहे तीन गुण अहम हैं या यूं कहें कि इनके बिना न सृजन करना, न ही जीवन को चलाना संभव है। शिव चरित्र भी इन तीन बेजोड़ गुणों से संपन्न है। यहीं वजह है कि जिस भी व्यक्ति के जीवन में इन 3 गुणों से यश, धन व सुख नजर आता है, धार्मिक नजरिए से माना गया है कि ऐसा होना शिवजी की प्रसन्नता के ही संकेत हैं।
जिन पर हो जाते हैं शिव प्रसन्न, उनके साथ होती हैं ये 3 बातें
पावनता व वैभव - शुद्धता, पावनता या पवित्रता के अभाव में मानव जन्म हो या किसी वस्तु की रचना दोषपूर्ण हो जाती है। शिव चरित्र व उनका निराकार स्वरूप शिवलिंग भी सृजन का ही प्रतीक होकर जीवन व व्यवहार में पावनता और संयम का संदेश देता है। शिव का संयम और वैराग्य दोनों ही तन-मन की पवित्रता की सीख है। 
यही वजह है कि अचानक दरिद्रता, तंगी, रोग या क्लेशों से घिरे शिव या किसी देव भक्त को इन परेशानियों से छुटकारा मिलने लगे, तो धार्मिक आस्था से इसे उस व्यक्ति के जीवन पर शिव कृपा का ही बड़ा संकेत माना गया है। 

जिन पर हो जाते हैं शिव प्रसन्न, उनके साथ होती हैं ये 3 बातें
ज्ञान - ज्ञान या शिक्षा के अभाव में जीवनयापन संघर्ष और संकट भरा हो जाता है। ज्ञान व बुद्धि के मेलजोल से बेहतर आजीविका यानी जीवन के 4 पुरुषार्थों में एक 'अर्थ' प्राप्ति के रास्ते खुल जाते हैं। भगवान शिव भी जीवन के लिए जरूरी ज्ञान, कलाओं, गुण और शक्तियों के स्वामी होने से जगतगुरु भी पुकारे जाते हैं, जो धर्मशास्त्र, तंत्र-मंत्र और नृत्य के रूप में जगत को मिले। 
कोई भी धर्म व ईश्वर को मानने वाला अगर ज्ञान के जरिए यश व सफलता की बुलंदियों को छूने लगे, तो धार्मिक नजरिए से यह शिव कृपा ही मानी गई है, जिसे कायम रखने के लिए अहंकार से परे रहकर व विवेक के साथ ज्ञान, कला या हुनर को बढ़ाने या तराशने के लिए संकल्पित हो जाना चाहिए। 
जिन पर हो जाते हैं शिव प्रसन्न, उनके साथ होती हैं ये 3 बातें


पुरुषार्थ - जीवन के लक्ष्यों को पाने के लिए संकल्पों के साथ पूरी तरह डूबकर परिश्रम को अपनाना ही पुरुषार्थ का भाव है। इसे धर्म या अध्यात्म क्षेत्र में साधना या तप के रूप में भी जाना जाता है। भगवान शिव भी महायोगी, तपस्वी माने गए हैं।

शिव का योग व तप जीवन में सुख, सफलता व शांति के लिए पुरुषार्थ की अहमियत बताता है। मन व तन के आलस्य से परे श्रम के जरिए जीवन को साधना ही शिव के बेजोड़ तप और योग का संदेश है।
 
यही वजह है कि व्यावहारिक तौर पर जब भी किसी इंसान को नौकरी, कारोबार में या जीवनयापन के लिए किसी भी रूप में की गई भरसक कोशिशों के सुफल मिलते या सफलता हाथ लगती है, तो यह धर्म के नजरिए से शिव कृपा ही मानी जाती है।

इस तरह शिव चरित्र की ये तीन खासियत इंसानी जीवन में गहरी अहमियत रखने से भक्तों के मन में श्रद्धा और आस्था पैदा कर शिव भक्ति और उपासना को सर्वोपरि बनाती है। साथ ही शिव के महादेव स्वरूप को हृदय में बसाए रखती है। sabhar : bhskar.com




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