कुछ मठ, मंदिर, चर्च और संत क्यों सदियों से रहस्य बने हैं

जानें, क्यों सदियों से रहस्य बने हैं ये कुछ मठ, मंदिर, चर्च और संत

विज्ञान के युग में भी विश्व के विभिन्न धर्मों के लोगों का मंदिर, चर्च, मठ और संतों में  आस्था-विश्वास बरकार है। ये रहस्य और अलौकिक शक्तियों से संपन्न माने जा रहे हैं।विभिन्न धर्मों में कुछ बड़े संतों संतों की मौत के बाद लोग उनके शरीर की पूजा कर रहे हैं। वे इन धार्मिक स्थलों और संतों के चमत्कार के अनुभव का भी दावा करते हैं।
यह थाइलैंड के कोह सामुई द्वीप में स्थित यह वात खुनारम नाम का बौद्ध मंदिर है। श्राइन के अंदर स्थित मंदिर में एक बौद्ध संन्यासी लुआंग पारे डैइंग का ममीफाइड शव रखा है। 1973 में उनकी मौत के बाद से यह बॉडी रखी हुई है। इसे बहुत सुरक्षित ढंग से रखा गया है। बौद्ध संन्यासी की इच्छा थी कि मृत्यु के बाद उनके शरीर को सुरक्षित रखा जाए। इससे जीवन, मृत्यु और बुद्ध के मध्यम मार्ग की शिक्षा दी जा सके। वह अपने जीवन में ध्यान साधना के लिए विख्यात थे।
शरीर की आंखों को ढंकने के लिए एक चश्मा भी लगाया गया है। खास बात यह हैं कि उनका शरीर बहुत हद तक सुरक्षित है फिर भी एक गिरगिट उनके शरीर के अंगों पर घूमता रहता है। उसके अंडे बॉडी में दिखते हैं। बॉडी अब पहले जैसी स्थिति में नहीं है, फिर काफी हद तक यह सुरक्षित है।

जानें, क्यों सदियों से रहस्य बने हैं ये कुछ मठ, मंदिर, चर्च और संत

1- सेंट रॉच चैपेल, न्यू ओरलेआन्स, अमेरिका :
सेंट रॉच का जन्म 13 वीं शताब्दी के अंत में फ्रांस के समीप हुआ था। जब वह जन्मे तो उनकी सीने पर क्रास का चिन्ह था।20 वर्ष की उम्र में ही उनके मां-बाप की मौत हो गई थी। लोगों की सेवा के लिए वे कई देशों में गए थे।

सेवा : वह प्लेग पीडि़तों की सेवा करते करते स्वयं इससे पीडि़त हो गए थे। लेकिन वह प्लेग पीडि़तों की सेवा से पीछे नहीं हटे।
चमत्कार : अमेरिका की खाड़ी का इलाका वर्ष 1,800 में  पीले ज्वर से प्रभावित था। लोगों ने सेंट रॉच से बीमारी के प्रकोप से बचाने प्रेयर करने के लिए कहा था। इसके बाद इलाके में बीमारी तो आई, लेकिन एक भी मौत नहीं हुई।
जनआस्था : लोगों ने संत सेंट रॉच के चमत्कारों को देखते हुए उनके सम्मान में एक कैथेड्रल निर्मित करवाया। लोग आज भी यहां आकर अपने स्वस्थ होने की कामना करते हैं। जो भी व्यक्ति यहां आकर प्रार्थना करता है, उसे बीमारी से राहत मिलती है

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2-एमिएन्स कैथेड्रल फ्रांस:  13 वीं शताब्दी में बने इस कैथेड्रल में यहां सेंट जॉन का सिर रखा गया है। हेरोइडस ने उनकी हत्या कर दी थी और सिर में छेद भी कर दिया था। कहानी के अनुसार उन्हें कई साल तक यातनाएं दी गई थीं। कुछ समय के लिए उनका सिर खो गया था।
चमत्कार : बताया जाता है कि जब बैप्टिस्ट सेंट जॉन का सिर खो गया था तो उन्होंने किसी स्वप्न दिया। वह व्यक्ति मारासेलस था और उसने जहां बताया, वहां से उनका सिर की हड्डी मिल गई। इसे फिर चर्च में रखा गया लेकिन यह फिर खो गई। बताया जाता है कि फिर सेंट जॉन स्वप्न में आए और उन्होंने संकेत दिया। यह सिर कांस्टैंटनोपल में कई सदियों तक सुरक्षित रहा। इसे एक धर्मयोद्धा ने खोजा और फ्रांस के शहर एमिएन्स ले आया था। उसका नाम वॉलोन डी सार्टन था।
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3- जापान में नारा सिटी के बुद्ध की मूर्ति की नाक : जापान के नारा शहर में भगवान बुद्ध का यह मंदिर 752 में निर्मित किया गया था। इसका मुख्य हॉल दुनिया का सबसे विशाल लकड़ी से बनी बिल्डिंग है। इसका पुनर्निर्माण 1692 में किया गया था। भगवान बुद्ध की मूर्ति कांस्य से बनी हुई है। 15 मीटर ऊंची मूर्ति 129 किलो सोना और 437 टन कांस्य से बनी है।
लोक मान्यता: मूर्ति के पीछे एक विशाल लकड़ी का पोल है और इसके अंदर छेद है। यहां मान्यता है कि यहां मंदिर आपसे संवाद करने लगता है। पिलर का छेद मूर्ति की नाक की साइज का है। कहा जाता है कि इसे सही ढंग से फिट करने वाले को आत्मज्ञान की प्राप्ति होती है। sabhar : bhaskar.com

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