जानिए ओशो की फिलास्फी, जो ले जाती है "संभोग से समाधि की ओर!"




भोपाल। ओशो यानी दुनिया वालों को सेक्स से जुड़ी भ्रांतियों से उबारने वाले एक संत! ओशो एक ऐसे आध्यात्मिक गुरु, जिन्होंने जीवन को आनंद से जीने के गुर सिखाए!

11 दिसंबर 1931 में मध्यप्रदेश के रायसेन जिले के कुचवाड़ा गांव के एक साधारण से कपड़ा व्यापारी के घर में जन्में एक बालक की चेतना ने उसे लोगों के बीच लोकप्रिय बनाया। अपने 11 भाई-बहनों में से ओशो से सबसे बड़े थे। उनको लोग कई नामों से जानते है बचपन में उनका नाम चंद्रमोहन जैन फिर रजनीश जैन, आचार्य श्री और गुरु ओशो शामिल है।

दुनिया को मेडिटेशन, योग, सेक्स, जीवन की सार्थकता और जीवन का रहस्य समझाने वाले ओशो का निधन 19 जनवरी 1990 को (58 वर्ष) पुणे महाराष्ट्र में हुआ था।

साहित्य से मिली लोकप्रियता : ओशो ने स्कूली शिक्षा के बाद जबलपुर से बीए फिलोस्पी एवं रायपुर से एमए किया। बीए ओशो साहित्य की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि ओशो की आत्मकथा नामक पुस्तक के पहले संस्करण की दस हजार प्रतियां इटली में केवल एक महीने में ही बिक गई। कई राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय भाषाओं में ओशो की किताबें आज भी काफी प्रचलित है। इसी तरह स्पेनिश भाषा में ओशो की पुस्तकों की सालाना बिक्री ढाई लाख से भी अधिक है।

कई भाषाओं में है किताबें: ओशो की पुस्तक जीवन की अभिनव अंतदृष्टि का पेपर बैंक संस्करण सारी दुनिया में बेस्ट सेलर साबित हुआ है। वियतनामी, थाई और इंडोनेशियाई समेत 18 भाषाओं में इसकी दस लाख से अधिक प्रतियां बिक चुकी हैं। भारतीय भाषाओं में हिन्दी के साथ ही तमिल, तेलुगू, कन्नड़, मराठी, गुजराती, गुरुमुखी, बंगाली, सिंधी तथा उर्दू में ओशो की सैकड़ों पुस्तकें अनुवादित हो चुकी है। हिन्दी और अंग्रेजी में एक साल में ओशो की करीब 50 हजार पुस्तकें बिकती हैं।

उनकी चर्चित किताबें : ओशो ने हर विषय पर खुल कर अपने विचार लोगों के सामने रखें, जिन्हें लोगों ने माना भी और नकारा भी। फिर चाहे विषय राजनीति, धर्म, शांति, सेक्स, ध्यान, योग, जीवन और मृत्यु का ही क्यूं न हो। यूं तो ओशो के हर साहित्य को लोगों ने खूब सराहा, जो विभिन्न भाषाओं में प्रकाशित होते आ रहे हैं। लेकिन इनमें भी कुछ खास है जिनमें अंनत से अंत तक, मैं मृत्यू सीखाता हूं, धर्म और राजनीति, ओशो युद्ध और शांति, ध्यान की कला, संभोग से समाधि की ओर जैसे कई साहित्य शामिल है।

विवादों से भी रहा है गहरा संबंध : आधुनिक संत के रूप में जाने जाने वाले ओशो को कम समय में ही काफी सफलता मिली। देखते ही देखते समाज में इनके अनुयाईयों के साथ ही आलोचकों की संख्या भी तेजी से बढ़ी।

अमेरिका जाना प्रतिबंधित: लोगों के सामने खुलकर अपने विचार रखने के लिए कई बार इन्हें लोंगों की आलोचनाएं भी सहनी पड़ी। राजनीति, धर्म और सेक्स पर दिए उपद्देश्यों के लिए अक्सर विवादों में रहे ओशो का अमेरिका में भी काफी विरोध हुआ और उनका अमेरिका जाना प्रतिबंधित हो गया।

इनके जीवन पर बनी हैं फिल्में : ओशो की जीवनशैली से प्रभावित होकर कई अमेरिकन, ब्रिटिश, जर्मनी के प्रोड्यूसर एवं डॉयरेक्टर्स ने फिल्में भी बनाई है। कुछ डॉक्यूमेंट्री फिल्में भी इनके जीवन और उपद्देश्यों पर बनाई गई। जिन्हें काफी सफलता मिली। कीताबों के साथ ही इनके उपद्देश्य के कई ऑडियों एवं विडियों भी बनाए गए। जो हर वर्ग के लोगों में प्रसिध्द रहे हैं और आज भी इनकी डिमांड लोगों में बरकरार है।





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