फेसबुक से खड़ा कर लिया अपना बिजनेस, लाखों का है टर्नओवर

फेसबुक से खड़ा कर लिया अपना बिजनेस, लाखों का है टर्नओवर

पटना. उद्यमी वही नहीं होते हैं जो बड़ी पूंजी के साथ कोई बड़ा व्यवसाय करते हैं। छोटी पूंजी के साथ भी छोटा सार्थक काम किया जा सकता है। पटना की महिला उद्यमियों ने यह सिद्ध किया है। पांच-दस हजार की नौकरी की चाहत रखने वाली ये महिलाएं आज अपना उद्यम चला रही है और समाज की महिलाओं को रोजगार प्रदान कर रही हैं। इनके बेहतर काम ने समाज ने इनको खास पहचान दिया है। बिहार महिला उद्योग संघ की ओर से सिन्हा लाइब्रेरी में शुक्रवार से शुरू महिला उद्योग मेला ऐसे ही उद्यमियों से सजा है।  
वसुंधरा वर्मा
ऑनर- सुदक्ष, सुदक्ष इंटीरियर डिजाइनिंग, सुदक्ष मेइट्स
प्रोडक्ट- होम डेकोर आइटम, डिजाइनर वार्डरोब, कंसल्टेंसी
शुरुआत- 2012
पूंजी- 15 हजार रुपए, सालाना टर्नओवर-तीन लाख
लड़की और खुद का बिजनेस! घरवालों के आगे ये बड़ा प्रश्न हमेशा घूमता था। पटना से बाहर पढऩे जाने तक नहीं मिला। हमेशा अपनी क्रिएटिविटी निखारना चाहती थी। जैसे-तैसे पटना वीमेंस कॉलेज में फैशन में एक साल का डिप्लोमा किया। बाजार जाकर अपने प्रोडक्ट बेच नहीं सकती थी, घरवालों ने मना कर रखा था। फेसबुक मेरा शॉप बना। यहां अपने प्रोडक्ट के फोटो अपलोड करती। देश और विदेश से कई ऑर्डर मिलने लगें। आज मैं एक साथ तीन वेंचर चला रही हूं।

बच्चे की तरह पाला है व्यापार को
सविता जैन
ऑनर- अक्षत नमकीन
शुरुआत- 1999
पूंजी- 500 रुपए, सालाना टर्नओवर-12 लाख
बच्चे छोटेे थे। बिजनेस भी साथ में शुरु कर दिया। बहुत परेशानी होती थी। क्या करती मेरा बिजनेस भी तो मेरे बच्चे की तरह ही था। उसे बीच में कैसे बंद करती। मैंने उसे बच्चे की तरह बढ़ाया। अपने प्रोड्क्ट की क्वालिटी से कोई समझौता नहीं की। चाहती तो बाजार बढ़ाने के लिए मिलावटी सामान बेच सकती थी। पर मैं सोच चुकी थी कि चाहे जितना भी समय लगे, मेरे प्रोडक्ट की क्वालिटी ही इसे प्रसिद्धि दिलाएगी। आज स्थिति ऐसी है कि शहर के सैकड़ों दुकानों के अलावा मेरा प्रोडक्ट बिग बाजार में बेचा जा रहा है।

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क्रिएटिविटी ने दिलाई पहचान पति का मिला पूरा सपोर्ट
आशा वर्मा
ऑनर- आशा क्रिएशन
प्रोडक्ट- फ्यूजन आर्ट (मधुबनी, काथा, पत्ती वर्क खत्वा) साड़ी, सूट, एक्सक्लूसिव कुर्ते आदि
पूंजी- 10 हजार, सालाना टर्नओवर-15 लाख
शुरुआत- 1998
कुछ अलग करने की चाहत हमेशा से रही है। बच्चे जब छोटे थे तो ज्यादा कुछ नहीं कर पाती थी। जब दरभंगा जाती तो मधुबनी आर्ट सीखती। बच्चे बड़े हुए तो अपना काम शुरु करने की चाहत हुई। मधुवनी आर्ट को लेटेस्ट ट्रेंड से जोड़कर फैशन का नया फ्यूजन तैयार किया। दिल्ली उद्योग मेले में प्रदर्शनी लगाई। एक अलग पहचान मिली।
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सीएम हाउस तक है मेरे प्रोडक्ट की लोकप्रियता
शोभा श्रीवास्तव
ऑनर- शोभा अचार
शुरुआत-1996
पूंजी- 20 हजार रुपए, सालाना टर्नओवर-18 लाख रुपए
छोटे स्तर से शुरुआत की थी। आज लोकप्रियता ऐसी है कि सीएम हाउस में मेरे प्रोडक्ट की डिमांड है। एक बार जो मेरा अचार खाता है वह सब भूल जाता है। हर तरह के अचार बनाती हूं। शुरुआत में तीन साल घाटे में चली। फिर चार साल नो प्रॉफिट, नो लॉस। आज मेरा बिजनेस सरप्लस में चल रहा है। 66 साल की हो गई हूं, आज भी मार्केटिंग खुद करती हूं।
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ससुरजी के सहयोग से बिहार में बन पाई मेरी पहचान
सुनीता प्रकाश
ऑनर- बंदिनी
प्रोडक्ट- क्रिएटिव गारमेंट, डेकोर आइटम, ट्रेडिशनल आइटम
शुरुआत- 1993
पूंजी- 15 हजार रुपए, सालाना टर्नओवर-5 लाख
निफ्ट में पढऩा चाहती थी। डॉक्टर और इंजीनियर की पढ़ाई से दूर भागती थी। मुश्किल से टेक्सटाइल डिजाइन में डिप्लोमा कर अपना काम शुरू किया। पहचान बनाने के क्रम में मेरा साथ मेरे ससुर जी ने दिया। वह चाहते थे कि मैं आगे बढूं। नए कॉन्सेप्ट पर प्रोडक्ट बनाना शुरु किया। बिहार उत्सव मेले ने पहचान दी। sabhar :http://www.bhaskar.com/





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