स्कूल छोड़ने के 74 साल बाद पीएचडी की.


बुजुर्ग और पीएचडी
लंदन के एक मजदूर के बेटे डॉ वूफ ने सोलह साल की उम्र में नौकरी करने के लिए स्कूल छोड़ दिया था लेकिन बाद में उन्होंने गणित के शिक्षक के रूप में नौकरी की और सेवानिवृत होने के बाद पढ़ाई पूरी करने लौट आए.

स्कूल के दिनों में उन्हें स्कॉलरशिप मिली थी लेकिन युद्ध शुरू होने के कारण उन्हें 16 साल की उम्र में ही पढ़ाई छोड़ के जाना पड़ा और उनकी विश्वविद्यालय की पढ़ाई अधूरी रह गई.डॉ वूफ ने कहा, " डॉक्टरेट होना मेरे जीवन का सबसे सम्मानजनक अनुभव है. स्कूल के दिनों में मैं विश्वविद्यालय के बारे में नहीं सोचता था."
मेरे पिता का मानना था कि "मुझे काम करके घर के बजट में योगदान देना चाहिए. आक्रमण शुरू होने से पहले मैं वापस लंदन आ गया और शहर के पश्चिमी भाग के एक ऑफिस में नौकरी करने लगा. घर ध्वस्त होने से पहले हमें घर छोड़ के जाना था."

युद्ध में सेना को अपनी सेवा देने के बाद जब वो नौकरी पर लौटे तो उनके पास 39 साल की अवस्था में एक अच्छी खासी नौकरी के साथ बीवी और चार बच्चे थे."
वे कहते हैं, "मैंने अपने आप से पूछा क्या मैं ऐसी ही जिंदगी जीना चाहता था शायद नहीं. मेरी बीवी का रवैया काफी सहयोगपूर्ण था."
इसलिए उन्होंने कॉलेज़ में प्रशिक्षिण लेने के बाद क्यूमबरिया के एप्पलबाई स्कूल में गणित शिक्षक के रूप में नौकरी शुरू कर दी. वे पढ़ाने के काम से 20 साल तक जुड़े रहे.
उनका कहना है, "पढ़ाने में मुझे बहुत मजा आता है और इसमें मुझे आत्मसंतुष्टि मिलती है."
डॉ वूफ ने वर्ष 2003 में ईस्ट एंजेलिया विश्वविद्यालय से एमए की डिग्री हासिल की.
जब उन्होंने साल 2008 में क्यूमबरिया विश्वविद्यालय में फिर से अपनी पढ़ाई शुरू की तो वहां के काम करने वालों ने लैंसेस्टर विश्वविद्यालय से पीएचडी करने के लिए प्रोत्साहित किया.
बूफ बताते हैं, " विश्वविद्यालय का महौल बहुत उत्साहवर्द्धक और प्रेरणादायी था. दूसरे छात्र और कर्माचारी काफी मददगार थे. उनसे मिलना-जुलना मुझे बहुत अच्छा लगता था."
उनकी बीवी की मौत हो चुकी है. उनका कहना है " मैं बहुत भाग्यशाली हूं कि इस उम्र में भी स्वस्थ हूं और इतने सारे लोग मुझे प्यार करते हैं . sabhar :
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