खजुराहो जैसी अद्भुत कला की दुनिया अकेले 23 साल के कठिन परिश्रम से तैयार कर दी


एक इंसान ने 23 साल में तैयार कर दी खजुराहो जैसी अद्भुत कला की दुनिया
नार्वे के महान मूर्तिकार गुस्ताव विगेलैंड (11 अप्रैल 1869-12 मार्च 1943) ने कला की एक अद्भुत की दुनिया को अकेले 23 साल के कठिन परिश्रम से तैयार कर दी। इस समय इसे दर्शकों के लिए खोल दिया गया है। गुस्ताव विगेलैंड वह ऑर्टिस्ट हैं, जिन्होंने दुनिया के सबसे श्रेष्ठ नोबल शांति पुरस्कार के पदक को भी डिजाइन किया था।
इस कला के विशाल संग्रह के शिल्प के नमूनों में मानवीय मनोवीय भावों की कुछ उसी तरह की अभिव्यक्ति दिखाई देती है जैसी खजुराहों की प्रतिमाओं में। इन आर्ट वर्क में पुरुष और महिला के बीच के रिश्ते को चित्रित किया गया। मनुष्य की विभिन्न अवस्थाओं जैसे, वयस्क अवस्था और बचपन को दिखाया है।
यहां मानवीय व्यवहार जैसे शौक, पेशा, तलाश, दौड़, पहलवानी, नृत्य, आलिंगन आदि को कला के माध्यम से चित्रित किया गया  है। हालांकि, गुस्ताव विगेलैंड के कुछ आर्ट बेहद अब्सट्रैक्ट (अबूझ) हैं।

एक इंसान ने 23 साल में तैयार कर दी खजुराहो जैसी अद्भुत कला की दुनिया
ओस्लो सिटी प्रशासन ने 1921 में एक लंबे विवाद के बाद इस महान कलाकार का मकान गिराना तय किया था। गुस्ताव विगेलैंड के मकान मेंं उनका आर्ट स्टूडियो और लाइब्रेरी थी। उन्होंने शहर से दूर नई बिल्डिंग में रहना स्वीकार कर लिया था। आर्टिस्ट गुस्ताव विगेलैंड ने यह भी वादा किया था कि वह इसके बदले सिटी को अपने सभी आर्ट वर्क जैसे शिल्प के नमूने, ड्राइंग, रेखाचित्र, नक्काशी आदि दान में वापस कर देंगे

एक इंसान ने 23 साल में तैयार कर दी खजुराहो जैसी अद्भुत कला की दुनिया

गुस्ताव विगेलैंड 1924 में नए स्टूडियो में पहुंचे। यह फ्रोगनर पार्क के पास स्थित था। उन्होंने अकेले ही यहां 23 साल तक काम करके अदभुत कलाकृतियां तैयार कर दी। उनकी इन कलाकृतियों को 320,000 वर्ग मीटर (80 एकड़) क्षेत्र में फैले पार्क में रखा गया है। इसमें 212 ब्रॉन्ज और ग्रेनाइट के शिल्प हैं।
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गुस्ताव विगेलैंड के शिल्प में सैकड़ों पुरुष, महिला और बच्चों के जीवन की विभिन्न अवस्थाओं (नवजात, बचपन, वयस्क, किशोर, यौवन और प्रौढ़ावस्था आदि)में दिखाया गया है। इस पार्क का मुख्य आकर्षण द मोनोलिथ है। यह 14 मीटर लंबा ग्रेनाइट का स्ट्रक्चर है, जो आकाश की ओर रुख किए नजर आता है। इसमें 121 फिगर टॉप पर चढऩे के लिए संघर्ष करते हुए नजर आते हैं।

एक इंसान ने 23 साल में तैयार कर दी खजुराहो जैसी अद्भुत कला की दुनिया

इस पार्क का मुख्य आकर्षण द मोनोलिथ है। यह 14 मीटर लंबा ग्रेनाइट का स्ट्रक्चर है, जो आकाश की ओर रुख किए नजर आता है। इसमें 121 फिगर टॉप पर चढऩे के लिए संघर्ष करते हुए नजर आते हैं।


गुस्ताव विगेलैंड की कला का यह विशाल संग्रह विश्व की एक धरोहर है। दुनिया के इस सबसे विशाल स्कल्चर पार्क में मूर्ति, रेखाचित्र, नक्शी के नमूने और मॉडल उपलब्ध हैं, जिनमें 212 कांस्य और ग्रेनाइट की कलाकृतियां हैं। 80 एकड़ के विशाल क्षेत्र में फैला यह कला पार्क ओस्लो के फ्रोगनर गेट के पास स्थित है। इसे विगीलैंड स्कल्पचर अरेंजमेंट इन फ्रोगनर पार्क कहा जाता है।

गुस्ताव विगेलैंड की मूर्तिकला का मुख्य उद्देश्य पुरुष और महिला के बीच के रिश्ते को चित्रित करना है। इसमें वयस्क अवस्था और बचपन की अवस्थाओं में मनुष्य की स्थितियों को दिखाना है। इसमें मनुष्य के व्यवहार को दर्शाने वाली बातें शौक, पेशा, तलाश, दौड़, पहलवानी, नृत्य, आलिंगन आदि को दिखाया है। इतना सबके बावजूद भी गुस्ताव विगेलैंड के कुछ आर्ट अब्सट्रैक्ट हैं।
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गुस्ताव विगेलैंड ने अपने सभी शिल्पों का आकार बिना किसी व्यक्ति या कलाकार की सहायता के किया है। गुस्ताव अपनी कला के नमूनों को संग्रहित रूप में देखने के लिए जिंदा नहीं रहे। 1950 तक उनके अधिकांश शिल्प और ऑर्किटेक्चर डिजाइन बिखरे ही पड़े रहे। इसके बाद इन्हें इकट्ठा करने की कोशिश की गई और बाद में यह कला पार्क का रूप ले पाया। sabhar : bhaskar.com


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