पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के सामने ऐसे चमत्कार दिखाए कि वह अचंभित रह गए





सच्ची घटना-6: इस बाबा के चमत्कारों को जान, पूर्व प्रधानमंत्री भी हो गए थे हैरान!





 एक संत ने गांधीवादी नेता और देश के पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के सामने ऐसे चमत्कार दिखाए कि वह अचंभित रह गए। आगे चलकर मोरारजी देसाई ने इन घटनाओं के वर्णन अपने लेखों में भी किया।
 
मोरारजी देसाई रामचरित मानस में भगवान राम और गीता में श्रीकृष्ण की बातों का आत्मसात करने वाले धार्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति थे। उन्होंने अपने लेखों में रामचरित मानस का जिक्र करते हुए लिखा है कि विज्ञान उस समय जिन बुलंदियों पर था, वहां पहुंचने में इस पीढ़ी को अभी वक़्त लगेगा। उन्हें संत महात्माओं की सिद्धि पर यकीन था और अपनी आंखों से इन सिद्धियों का चमत्कार उन्होंने भी देखा था।मोरारजी देसाई ने 1956 की एक घटना का जिक्र करते हुए अपने एक लेख में कहा है कि एक कन्नड़ संत उनके पास आए और बातचीत के दौरान उनके प्रश्नों का उत्तर देने की बात कही। (घटना के वर्णन के अनुसार उन्होंने संत के नाम का जिक्र अपने लेख में नहीं किया) उस संत ने मोरारजी देसाई से कहा कि आप जिस भाषा में लिखित प्रश्न करेंगे, उसी भाषा में वह लिखित जवाब देंगे, वह भी बिना प्रश्नों को देखे। 


सच्ची घटना-6: इस बाबा के चमत्कारों को जान, पूर्व प्रधानमंत्री भी हो गए थे हैरान!

पहले तो मोरारजी भाई ने इस पर विश्वास नहीं किया। फिर उन्होंने के कागज पर गुजराती में तीन प्रश्न लिखकर उस कागज को उलटकर रख दिया। इसके बाद संत ने भी अपनी जगह बैठे-बैठे ही प्रश्नों के उत्तर एक कागज पर लिख मोरारजी देसाई को सौंप दिए। उन्होंने देखा कि उत्तर भी गुजराती में थे और उन्हीं प्रश्नों से सम्बंधित उत्तर थे जो उन्होंने अपने पास रखे कागज़ पर लिखे थे।मोरारजी देसाई ने आश्चर्यचकित हो उन संत से पूछा कि आखिर यह सिद्धि उनको कहां से मिली। इस पर संत ने जवाब दिया कि परीक्षा में फेल होने पर उन्होंने कुएं में कूदकर आत्महत्या का प्रयास किया था। अचानक एक हाथ ने उन्हें कुएं से खींचकर निकाला। देखा तो वह एक साधू थे। उन्होंने उनको अपना शिष्य बना लिया।एक दिन गुरु देव बोले चलो हिमालय चलते हैं। उन्होंने कहा वह बहुत दूर है, वहां जाने में तो समय लगेगा। इस पार उन्होंने उनकी आंखों पर काली पट्टी बांध दी। दो मिनट बाद जब पट्टी खोली तो देखा चारों तरफ बर्फ ही बर्फ थी, ध्यान से देखा तो वह हिमालय पहुचं चुके थे। वहां उन्होंने उनको कई विद्याएं सिखाई, जिनमें से यह भी एक थी। एक दिन उन्होंने घर वापस जाने की इच्छा जाहिर की तो उनके गुरू ने एक बार फिर आंखों पर पट्टी बांधी और जब उन्होंने पट्टी खोली तो वह घर पर थे। sabhar : bhaskar.com


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