बेटे की लाश पर सोता रहा बाप, रंगरेलियां मनाती रही बहू
लखनऊ/रायबरेली. यदि आस-पास वहशी इंसान हो तो जिदंगी का कितना क्रूर रंग देखने को मिल सकता है, इसकी मिसाल पिछले दिनों रायबरेली से सामने आई। यहां एक बूढ़ा बाप 6 महीने तक अपने बेटे की लाश के ऊपर चारपाई डाले रातों को करवटें बदलता रहा।
इस बुजुर्ग और मजबूर इंसान को यह नहीं मालूम था कि जिस इकलौते बेटे को वह लापता मान रहा है वह उसकी तख्त के नीचे जमीन में गड़ा हुआ है। यही नहीं उस पिता की गैर मौजूदगी में उसके बेटे की हत्या करने वाले उसी तख़्त पर नाजायज संबंध बनाते रहे। जब बीती बरसात में घर में पानी भरा तो पूरा मामाल उजागर हुआ साथ ही सामने आई शर्मसार करने वाले रिश्ते और इंसानियत।
इस घटना की नींव पिछले साल फ़रवरी में पड़ी, जब रायबरेली के भदोखर थानाक्षेत्र के बेलहिया गांव के रहने वाले चन्द्रपाल यादव ने थाने में अपने 22 वर्षीय बेटे राम कुमार यादव की गुमशुदगी दर्ज कराई। वह 14 जनवरी 2013 से लापता है, जो काफी खोजबीन के बाद भी नहीं मिला। तत्कालीन थानाध्यक्ष ने एफआईआर नंबर-34 में गुमुशदुगी दर्ज कर राम कुमार को खोजने का प्रयास किया, लेकिन कुछ पता न चला।
बुजुर्ग दंपति चन्द्रपाल और उनकी पत्नी जनक दुलारी यादव अपने बुढापे के एक मात्र सहारा राम कुमार को खोजने के लिए जिले के एसपी राजेश कुमार पाण्डेय के सामने भी पेश हुए और अपनी आपबीती सुनाई। एसपी ने उनको विश्वास दिलाया कि जल्द ही उनके पुत्र को ढूंढ लिया जाएगा औए एसओ भदोखर को निर्देशित किया कि गुमशुदा राम कुमार को ढूंढने का हर सम्भव प्रयास करें। इसके साथ ही क्राइम ब्रांच की सर्विलांस सेल को भी थानाध्यक्ष भदोखर के साथ सहयोग करने के लिए कहा गया, लेकिन काफी कोशिशों के बावजूद भी उसका कुछ पता न चला।
अब यह मामला ब्लाइंड केस की तरह पुलिस के सामने चुनौती की तरह था, लेकिन बीती जून में जैसे भगवान ने चंद्रपाल की पुकार सुन ली। जून में बरसात होने के कारण चन्द्रपाल यादव का घर टपकने लगा और कमरे में जगह-जगह पानी भर गया। घर के अन्दर कमरे की कच्ची जमीन फूल गई, जिसे चन्द्रपाल ने फूली जमीन की गीली मिट्टी को फावड़े से साफ करना चाहा।
इसी दौरान उसे अपने ही कमरे में अपने एक शरीर के पांव के पंजे का कुछ हिस्सा दिखाई पड़ा थोड़ा और खोदने के बाद उसे एक शव मिला, जो लगभग कंकाल बन चुका था। चन्द्रपाल ने उस शव को पहचान लिया, वह उसके अपने लाडले राम कुमार का ही था। चंद्रपाल ने उसे अपने आस-पास के लोगों को इकठ्ठा कर पूरी बात बताई और एक एसपी रायबरेली राजेश कुमार पाण्डेय के पास पहुंचा और उन्हें इस घटना की जानकारी दी। उसने अपने जिस बेटे की गुमशुदगी दर्ज करवा उसे ढूंढने का प्रयास कर रहा था, उसकी लाश उसी कमरे में गड़ी हुई मिली है, जहां वह सोता है।
एसपी ने तत्काल पुलिस की एक टीम फॉरेंसिक टीम के साथ चन्द्रपाल के घर रवाना किया। जहां आगे खुदाई कर नर कंकाल को निकाला गया। वहीं उस गड्ढे में एक दुपट्टा भी मिला। नर कंकाल का पंचनामा भर कर उसे पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार रामकुमार की गला दबा कर हत्या की गई थी।
अब पुलिस को हत्या का कारण ढूंढना था, लेकिन कोई कारण नहीं मिल रहा था। बीच-बीच में पुलिस को कभी-कभी मृतक के पिता पर ही शक होता रहा कि उसने ही तो अपने बेटे की हत्या नही की, लेकिन पुलिस के सामने पिता द्वारा पुत्र की हत्या का कोई कारण नहीं था। दुश्मनी या जमीन-जायदाद का भी कोई प्रकरण सामने नहीं आया, जिससे हत्या की वजह बन सके। पुलिस की सारी तफ्तीश अब राम कुमार के शव के पास मिले दुपट्टे की तरफ मुड़ गई। पुलिस ने इसी आधार पर अपनी छानबीन प्रारम्भ की तो पता हुआ कि घटना के कुछ समय पहले एक रेखा नाम की महिला जो बिहार की रहने वाली है, मृतक के घर रह रही थी। रेखा घटना के कुछ दिन बाद अपने भाई के पास अम्बाला चली गई। पुलिस को अम्बाला में भी उसका कहीं पता-ठिकाना न चल सका। रेखा की खोज के दौरान पुलिस को जो कहानी पता चली वह काफी चौंका देने वाली थी।
पुलिस की तफ्तीश के मुताबिक चन्द्रपाल यादव के एक रिश्तेदार दिनेश कुमार जो रायबरेली के ही थाना डलमऊ के ठाकुर द्वार का रहने वाला है और अम्बाला में अपने साले सन्तोष के साथ रहता था। वहीं रेखा और उसका भाई जो बिहार के निवासी हैं, अम्बाला में ही रहकर मजदूरी करते थे। रेखा और दिनेश के परिवार की आपस में जान-पहचान हो गई। कुछ दिन बाद दिनेश ने रेखा के भाई से प्रस्ताव रखा कि उसके साले संतोष के मामा के लड़के राम कुमार से वह रेखा की शादी कराना चाहता है। रेखा का भाई इस बात पर राजी हो गया और दिनेश ने अपने साले सन्तोष के साथ रेखा और उसके भाई को अम्बाला से रायबरेली भेज दिया।रेखा और राम कुमार की शादी भी तय हो गई। रेखा का भाई उसको रायबरेली छोड़कर वापस अम्बाला चला गया। इस दौरान दिनेश के साले सन्तोष का नाजायज संबंध रेखा से हो गए थे। यही वजह थी कि संतोष की पत्नी ने रेखा को अपने घर पर रखे जाने से एतराज किया था। अब रेखा राम कुमार के घर रहने लगी और संतोष का आना-जाना राम कुमार के घर बढ़ गया, जब भी रेखा व संतोष को अवसर मिलता इन दोनों में नाजायज संबंध कायम होते रहे। एक दिन राम कुमार यादव ने अपनी होने वाली पत्नी रेखा को संतोष के साथ आपत्तिजनक अवस्था में देख लिया तो होने वाली शादी से इंकार कर दिया। संतोष पहले से शादीशुदा था, जिसकी एक बेटी भी है वह भी रेखा को अपना नहीं सकता था। रेखा के सामने अब समस्या थी कि वह किसके साथ जाए। साथ ही बदनामी का भी डर था यदि राम कुमार ने यह बात किसी को बता दी तो भविष्य में उसकी शादी कहीं भी होना मुश्किल हो जाएगी। रेखा और संतोष के साथ मिलकर राम कुमार की हत्या की योजना बना डाली।योजना के अनुसार बीती 14 जनवरी को जब चंद्रपाल खेतों पर सोने के लिए गया और रामकुमार की मां बरामदे में सो रही थी, उसी वक़्त संतोष राम कुमार के घर पहुंचा और रेखा ने दरवाजा खोलकर उसे अन्दर बुला लिया तथा दोनों ने मिलकर नीद में सो रहे राम कुमार के गले में दुपट्टा फंसाकर उसकी हत्या कर दी और लाश को उसी कमरे में तख्त हटाकर लगभग डेढ़ फीट का गढ्ढा खोदकर गाड़ दी। इसके बाद घर में रखा लगभग 3-4 किलो नमक लाश के ऊपर डाल दिया कि दुर्गन्ध ना आए और लाश जल्दी गल जाए। चंद्रपाल लौटकर उसी जगह तख्त पर पर विस्तर लगाकर सोने लगा, जिसके नीचे उसी के अपने बेटे राम कुमार की लाश दबी थी।इसके बाद जब रेखा और संतोष को यकीन हो गया कि चन्द्रपाल अपने बेटे को लापता मानकर उसकी तलाश कर रहे हैं, उसकी हत्या हो जाने की आशंका किसी को नहीं है तो रेखा भी अपने भाई के पास अम्बाला चली। उधर संतोष भी अपने बहनोई दिनेश के पास अम्बाला चला गया। इन 6-7 दिनों में संतोष राम कुमार ढूंढने के बहाने चन्दपाल के घर पर ही रहा और राम कुमार के शव के उपर लगे तख़्त पर ही दोनों का नाजायज संबंध बनता रहा। जब दोनों अम्बाला गए तो संतोष को अब यह डर लगने लगा कि जब इसका राज खुलेगा तो रेखा सारी बाते पुलिस को बता सकती है। उसने चालाकी से रेखा की शादी भोपाल में रामपाल यादव से करवा दी।
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ऐसे लोग भी हैं इस दुनियां में। Anurag Choudhary@http:compualchemist.blogspot.in
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