पैरों से जुड़ा रहा हाथ





दुनिया में आज भी स्वस्थ शरीर को सबसे बड़ी पूंजी मानते हैं। जाहिर है आज की टेक्नोलॉजी में केवल एक बटन दबाकर आप बहुत कुछ कर सकते हैं लेकिन कोई भी टेक्नोलॉजी मरे को जिंदा नहीं कर सकती। दो हाथ, दो पैर, दिल, शरीर का हर अंग आपके लिए बहुत कीमती है क्योंकि टेक्नोलॉजी यह सब आपको नहीं दे सकती। लेकिन जब हम बात विज्ञान के करिश्मे की कर रहे हैं, इस बायॉलोजी की टेक्नोलॉजी ने बहुत हद तक आज इसे संभव बना दिया है और अब विज्ञान आपको प्राकृतिक हाथ-पैर भी दे सकता है। इस खबर को पढ़कर आप भी समझ जाएंगे, कुदरत का करिश्मा और बात होती है लेकिन आज विज्ञान के करिश्मे भी कम नहीं हैं। कुदरत किसी को जीवन दे सकती है, मौत दे सकती है, मौत से बदतर अपाहिज जिंदगी भी..मतलब जो मिला आपको उसी से संतोष करना पड़ता है। इंसान के पास उसमें अपनी पसंद शामिल करना संभव नहीं है। लेकिन विज्ञान ने हमें इसमें छूट दिलाई है। बायलॉजी का कमाल देखिए कि अब कुदरती अंग भी विज्ञान के करिश्मे से पाए जा सकते हैं।इसी वर्ष नवंबर की बात है। चांगशा(चीन) के जिआओ वेई को लगा कि अब पूरी उम्र उसे अपाहिज बनकर जीना पड़ेगा। फैक्टरी में काम करते हुए दुर्घटना में मशीन से उसका दाहिना हाथ ही कट गया। उसका साथी कर्मचारी कटे हुए हाथ के साथ तुरंत उसे अस्पताल लेकर गया लेकिन दुर्घटना बहुत बड़ी थी। हाथ के साथ वी की बांहें भी कट गई थीं। स्थानीय डॉक्टरों ने उसके हाथ को दुबारा जोड़ पाने में असमर्थता जता दी। लेकिन चांगशा के ही किसी दूसरे अस्पताल में डॉक्टरों ने कहा कि वे वी का हाथ दुबारा जोड़ सकते थे लेकिन क्योंकि बांह भी कटी हुई थी इसलिए तुरंत ऑपरेशन कर ऐसा कर पाना संभव नहीं था। हाथ जोड़ने से पहले बांहों का इलाज करना था और इसमें कम से कम एक महीने का समय लगता और तब तक हाथ का जिंदा रहना जरूरी था।
क्योंकि शरीर से कटकर हाथ इतने दिनों तक जिंदा नहीं रह सकता था इसलिए डॉक्टरों ने उसका हाथ पैरों से जोड़ दिया। वी इसी तरह एक माह तक रहा और एक महीने बाद डॉक्टरों ने वापस उसका हाथ उसकी सही जगह से जोड़ा।
विज्ञान की दुनिया में यह एक अजूबे से कम नहीं। पैरों से जुड़े हाथ के साथ रहना पड़ा लेकिन वी को उसका दाहिना हाथ वापस मिल गया। इससे पहले चीन में ही डॉक्टरों ने एक आदमी की क्षतिग्रस्त नाक को दुबारा उसके माथे पर उगाकर उसकी जान बचाई थी। तो अब कह सकते हैं कि अब आप कुदरत के करिश्मे में कुछ अपनी पसंद जोड़ सकते हैं। sabhar : jagran.com

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